सोमवार, 26 फ़रवरी 2024

कैसे करें बोर्ड परीक्षा 2024 कि तैयारी..?

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प्रेरणा डायरी

2/2/2024


परिवार का माहौल तनाव मुक्त रखें --

बोर्ड की परीक्षाएं कुछ समय बाद शुरू होने वाली हैं, जिसका तनाव आज के  समय सिर्फ ब्रच्चे ही नहीं ले रहे, बल्कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दौर में बच्चों से ज्यादा माता-पिता उनकी पढ़ाई को लेकर तनाव में रहते हैं। परीक्षा के दौरान माता-पिता को बच्चों की डाइट, परीक्षा में नंबर, उनकी सही देखभाल और भविष्य को लेकर चिंता लगातार  बनी रहती है। लेकिन आपका चिंतित  रहना और घर में तनावपूर्ण माहोल बच्चे के प्रदर्शन पर खराब असर डाल सकता है। दरअसल, परीक्षा कोई आपदा नहीं है, जो अचानक से परिवार के सामने आ गई हो। इसके लिए सालभर की ही रणनीति होनी चाहिए। परीक्षा में समय माता-पिता को यह ध्यान रखना जरूरी है कि वे स्वयं बच्चे की परीक्षा का तनाव न लें, बल्कि उसे तनावमुक्त ' और सकारात्मक वातावरण दें। 


मूल्यांकन करते रहें --

हर एक मूल्यॉफन हमें और आगे बढ़ने हमारी  क्षमताओं का परीक्षण करने और सफलता प्राप्त करने का अवसर  देता है। इसलिए यह जरूरी है कि परीक्षा की तैयारी के दौरान बार बार अपनी क्षमताओं और  क्रार्ययोजनाओं का मूल्यांकन किया  जाए। देखा जाए तो बोर्ड की परीक्षाएं स्टूडेंट्स और उनके एकेडमिक कैरियर के अगले चरण  के बीच खड़ी कोई चुनौती नहीं हैं... बल्कि यह तो शेक्षणिक यात्रा में केवल एक मील का पत्थर है। जब आप चिंता और तनाव के साथ इस मार्ग पर आगे बढ़ते हैं तो आपका आत्मविश्वास भी कमजोर होने लगता है। शांत मन से परीक्षा की तैयारी ही आपको सफलता की ओर ले जाएगी। इस सबसे अहम है योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करना जिसमें पढ़ाई ओर आराम का समय दोनों को शामिल करें। दिन भर किताबों में भी न उलझे रहे इससे आपको मानसिक ओर शारीरिक थकान ज्यादा होगी जो किसी न किसी तरह से आपके  परिणाम को प्रभावित कर सकती... है? बोर्ड की परीक्षा अब नजदीक  है ऐसे में इन महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में हुख्वते हुए अपनी अध्ययन की रणनीति तेयार करें। ये टिप्स आपको सफलता के मार्ग की ओर आगे बढ़ने में मददगार होंगे। 


परीक्षा से पहले कि हडबडाहट खतरनाक --

परीक्षा के नजदीक और अंतिम समय  में हेडबड़ाहट में रिवीजन की कोशिश न करें। इससे आपका तनाव बढ़ेगा और प्रश्नों के जवाब को लेकरे भ्रम की स्थिति भी  अधिक हो जाएगी। इसलिए परीक्षा.  से पहले यदि आपको रिवीजन करने काथो समय मिल रहा है तो हछ उसमें केवल कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं का ही दोहराव करें।  इसी तरह परीक्षा देने के बाद  प्रश्न पत्र का विश्लेषण करने से का बचना चाहिए, इससे आपके अगले कः प्रश्न पत्र की तैयारी प्रभावित हो वि सकती है। इसलिए पेपर देने के बाद . अगले प्रश्न पत्र की तैयारी में जुट स्‌ ज़ाए। परीक्षा खत्म होने के बाद अपने प्रश्न पत्रों का विश्लेषण करें।


खुद को समय देना जरुरी --

 वैज्ञानिक शोध यह बताते हैं कि हमें खुद के साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा हम अपने अच्छे दोस्तों के साथ करते हैं। खुद से प्रेम करने और खुद से लगा होने पर हम अपने आप को संतुष्ट महसूस करते हैं हर काम के प्रति उत्सुकता रहती है और मन में सकारात्मक विचार आते हैं खुद के प्रति सहानुभूति रखना भावनात्मक रूप से हमें मजबूत बनाता है। हमारी जिंदगी में सब कुछ अच्छा चल रहा हो तब भी हमें खुद की देखभाल करना जरूरी होता है.


रुचियों को समय देकर बढ़ाये, सकरामकता --


कई बार रिवीजन करते समय स्टूडेंट को बहुत बोरियत होने लगती है, खासकर तब जब उन विषयों का अध्ययन किया जा रंहा हो, जो कठिन लगते हैं। ऐसे में थोड़ी देर पढ़ाई से ब्रेक लेकर अपनी हॉबी को समय दें, कोई अच्छा मन पसंद संगीत सुने, रोमांटिक सोंग सुने,कॉमेडी सुने।  आपको कुछ क्रिएटिब वर्क करना पसंद है तो उसे कर सकते  हैं। इस दौरान आप कोई आर्ट बर्क भी कर सकते हैं। इसी तरह यदि आपको संगीत पसंद है तो अपना पसंदीदा संगीत सुन सकते हैं या फिर कोई वाद्ययंत्र बजा सकते हैं। इससे शरीर में अच्छे हार्मोस का स्तर बढ़ेगा, जिससे आपको सकारात्मकता मिलेगी और आप तरोताजा दिमाग से अध्ययन कर सकते हैं। कई बार परीक्षा में ग्रेड के बारे में बहुत अधिक न सोचना उस ग्रेड स्तर को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। परीक्षा के परिणाम पर ज्यादा सोचने से आत्मविश्वास कमजोर होता है। इसलिए जब भी परीक्षा आपका तनाव बढ़ा रही हो आपके पास स्वयं को उत्साहित, पॉजिटिव करने का कोई तरीका हो और इस हॉबी को अपने - टाइम टेबल में अवश्य शामिल कर लें। 


अपने सेंटर पर रोज समय से पहले पहुँचे ---

कुछ स्टूडेंट्स को परीक्षा वाले दिन बहुत तनाव हो जाता है। कुछ स्टूडेंट्स exam हाल पहुँचते पहुँचते बहुत घबरा जाते है और तनाव में आ जाते है, लेकिन इस तनाव को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है परीक्षा केंद्र में जल्दी पहुंचें और आराम से.. परीक्षा दें। परीक्षा कैंद्र पर जल्दी पहुंचने से आपको किसी तरह की हड़बड़ाहट नहीं... और आपको सहज होने का समय मिलेगा। मन और दिमाग को शांत रखने के लिए परीक्षा से पहले कुछ देर गहरी सांसें लें और अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें। का परीक्षा शुरू करने से पहले इन बातों पर विशेषतौर पर गौर करें। 


ऐसे तैयार करें सफ़लता कि रणनीति --- 

अच्छी सफ़लता और कामयाबी के लिए निम्न स्ट्रेटजी  को फॉलो कर सकते हैं  -- 


 1.सिलेबस को छोटे-छोटे भागों में बांट लें। हर एक विषय को अपनी क्षमताओं एवं कमजोरियों के अनुसार अध्ययन का समय निर्धारित करें।  


2.आप जो भी विषय पढ़ रहे हैं उसमें से क्या प्रश्न तैयार हों सकते हैं, इसके बारे में विचार करें। 


3.अपने ज्ञान को बढ़ाने और समस्या समधान के लिएं आप फ्लैशकार्ड और तस्वीरों की मदद लें। जब किसी कठिन विषय को आप पॉइंट्स में लिखकर या चित्र के माध्यम से समझेंगे तो आपको ज्यादा प्रभावी तरीके से याद होगा। 


 4. बार-बार अभ्यास करें, इससे विषय पर पकड़ भी बनेगी। अभ्यास प्रश्नों को हल करने का तरीका ऐसा हो जैसे आप परीक्षा केंद्र में बैठ कर हल कर रहें है । 


5. पूर्व के प्रश्न-पत्रों, अभ्यास प्रश्न और मॉक टेस्ट के माध्यम से आप अपनी तैयारी का आकलन कर सकते हैं। इसंसे आपको यह पता चलेगा कि किन विषयों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। 


6.पहले दिशा-निर्देश पढ़ें 


सवाल का जवाब  लिखने से पहले प्रश्न पत्र एवं उत्तर-पुस्तिका पर दिए... गए निर्देशों को ध्यान पूर्वक पढ़ लें, ताकि जल्दबाजी में आपसे कोई गलती न हो। 7. कठिन प्रश्नों को पहले हल करने का प्रयास न करें, जिनका जवाब आपको अच्छी तरह से आता हो। इससे सवालों का जवाब लिखने की आपकी ' गति एवं आत्मविश्वास कोनों बढ़ेंगे। इस तरह आप शेष समय में शांत दिमाग सै कठिन प्रश्नों को हल कर सकेंगे। 



8. रिव्यू और रिवाइज परीक्षा का समय समाप्त होने से कुछ मिनट पहले अपने उत्तरों की समीक्षा करें। कई बार जल्दबाजी के चक्कर में कुछ गलतियां छूट जाती हैं जिन्हें इस समय में आप सुधार सकते हैं। 


9. नंबर के फेर में न पड़ें बोर्ड की परीक्षा केवल अच्छा स्कोर करना ही नहीं है, बल्कि यह तो आपके कैरियर की एक सीढ़ी है। यंह परीक्षा आपके धैर्य और समर्पण की है। इसलिए सीखने की प्रक्रिया को अपनाएं और आगे बढ़ने की कोशिश करें, अपनी छोटी-छोटी. उपलब्धियों की खुशियां मनाएं। 

इसके अतिरिक्त आप निम्न बातों को ध्यान में रखें ---

1. तैयारी करते समय अपने नोट्स खुद ही बनाएं।

2. बनाए गए टाइम टेबल को अच्छे से फॉलो करें।

3. बोर्ड एग्जाम की तैयारी करते समय खुद को बेहतर बनाने पर ज्यादा फोकस करें।

4. समय का अच्छी तरह से उपयोग करें।

5. किसी भी मदद लेने से ना डरें।

6. बेड पर सोते-सोते पढ़ाई ना करें।

7. अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखें।

8. रोज व्यायाम करें।

8. मन को हमेशा स्थिर रखें।

9. पौष्टिक भोजन करें।

10. हार्ड नहीं हमेशा स्मार्ट वर्क करें।

11. जो सवाल कठिन लगते हैं वह प्रश्नों को बार-बार अभ्यास करें।

12. बोर्ड परीक्षा में जो प्रश्न आते हो वह पहले सॉल्व करें।

13. बोर्ड परीक्षा में हमेशा अच्छे हैंडराइटिंग में लिखें।

15. कम रोशनी में पढ़ाई कभी ना करें।

16. मॉडल पेपर्स से ज्यादातर प्रैक्टिस करें।

17. बोर्ड एग्जाम की तैयारी करने के साथ-साथ बोर्ड एग्जाम में क्या क्या लेकर जाए इसकी भी जानकारी रखें-


18. अपने सारे डाक्यूमेंट्स और आईडी साथ में लें।

19. बॉक्स में पेन पेंसिल रबड़ स्केल और बाकी जरूर बंद कीजिए ध्यान से लें।

20. 30 मिनट पहले ही एग्जाम सेंटर में पहुंच जाएं।

21. बैंग ,जेब, पर्स को अच्छे से जांच करें उसके अंदर किसी भी प्रकार की पर्ची ना रह गई हो।

22. एग्जाम हॉल में अपने रोल नंबर पर 10 मिनट पहले हैं बैठ जाए।

23.पेंसिल रबर पेंट बॉक्स में से निकाल कर रखें।

24.बोर्ड एग्जाम में साथ में अपनी हॉल टिकट भी लेकर जाएं।

25.हाल टिकट पर अपना फोटो अच्छे से लगाए।

26.प्रश्न पेपर मिलते हैं उसको ध्यान से पढ़ें।

27.जो भी प्रश्न आते हैं उसे सबसे पहले हल करें।

28.प्रश्न नंबर को अच्छे से लिखें।


लम्बी पढाई के बजाय, छोटे-छोटे अंतराल लें ---


यह सोच गलत है कि परीक्षा है तो देर तक पढ़ाई करनी है। इससे आपको बीरियत होने लगेगी और विषय भी बोझिल लगेगा। देखा जाए तो घंटों 'किंताब लिए बैठे रहने से बेहतर है, पढ़ के बीच छोटे छोटें अंतराल रखें। इससे आप्रको अनावश्यक परीक्षा का तनाव नहीं होगा और पढ़ाई भी ज्यादा प्रभावी तरीके से कर सकेंगे। इसलिए मानसिक तनाव से बचने के लिए ब्रेक लेकर पढ़ाई करें। कई रिसर्च इस बात का खुलासा . करती हैं कि पढ़ाई के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेने से प्रोडक्टिविटी और ध्यान - केंद्रित करने की क्षमता को सुधारा जा . सकता है। इसके लिए सबसे पहले टाइम टेबल बनाएं।45 से 50 मिनट तक पढ़ाई करने के बाद 10 मिनट का ब्रेक लें। इस समय में थोड़ा टहल लें। गहरी सांस लें। इसके बाद जब पढ़ने बैठेंगे, तो एक अलग ही ऊर्जा महसूस करेंगे। लम्भे समय तक पढाई करने से आपमें ऊर्जा बरकरार नही रह पायेगी। जल्दी थकान होगी, और ठीक से Learning भी नहीं हो पायेगी। 


गहरी और सुकून भरी नींद जरूरी ---


परीक्षा का बुखार इसलिए भी चढ़ता है, क्योंकि नींद पूरी नहीं होती या डर,  तनाव, घबराहट के कारण ठीक से नींद नहीं आती । जबकि नींद पूरी लेनी बेहद जरूरी होता है। कम से कम आठ घंटे की गहरी नींद इस दौरान लेनी चाहिए। मानसिक और शारीरिक थकान दूर होगी, तब ही मन पढ़ाई में लगेगा। सर्केडियन रिदम यानी शरीर की आंतरिक घड़ी को समझें। इस रिदम में खराबी से मूड और मस्तिष्क से जुड़े डिसऑर्डर होने की आशंका बढ़ जाती है। सोने-जागने की दिनचर्या बनाएं। कहा जाता है बेटर स्‍लीप, ब्रेटर ग्रेडस। कई स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि जो  बच्चे परीक्षा से पहले पूरी नींद लेते हैं उनका परिणाम बहुत अच्छा होता है। 15 से 20 मिनट की पावर नेप लें। नींद की कमी आपकी क्षमताओं और तनाव के स्तर को प्रभावित करती है। 


 प्रश्न- उत्तर

 दोस्तों यहां पर परीक्षाओं के दिनों में सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्नों को में शामिल कर रहा हूं।  एग्जाम के दिनों में लगभग- लगभग हर बच्चे की यह समस्या होती हैं ।

 प्रश्न नंबर 1.  -- जब मैं पढ़ने बैठता हूं तो नींद आने लगती है और पढ़ाई नहीं हो पाती मैं क्या करूं..?

 उत्तर -- प्रिय छात्रों इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है परीक्षाओं के दिनों में यह समस्या आम होती है इससे निजात पाने के लिए मैं आपको कुछ नियम या टिप्स बता रहा हूं इन्हें फोलो करके आप इस समस्या से मुक्त हो सकते हैं और अच्छी पढ़ाई करके अच्छा स्कोर कर सकते हैं। इसके लिए आप निम्न बातों का ध्यान रखें --

1. सबसे पहला कार्य है आप पढ़ाई के लिए एक आरामदायक और अनुकूल माहौल तैयार करे।

2. यह सुनिश्चित करें कि आप जिस अध्ययन कक्ष में अपनी पढ़ाई करते हैं वहां पर अच्छी रोशनी आ रही हो एवं खुली हवा का भी प्रवेश हो ताकि आपकी पढ़ाई के लिए एक अच्छा एनवायरमेंट तैयार हो सके।

3. तीसरी बात आप यह ध्यान रखें कि कभी भी बिस्तर पर बैठकर ना पढ़े, टेबल कुर्सी का प्रयोग करें एवं टेबल कुर्सी पर हमेशा सीधे होकर बैठकर पड़े,  ताकि आपको आलस्य न आए। आलास्य आने के बाद फिर पढ़ाई नहीं हो सकती।

4. ध्यान रखें कि कभी भी रात-रात भर पढ़ाई ना करें या देर रात तक भी पढ़ाई ना करें आप पढ़ाई के लिए अधिकतर समय सुबह या दिन में निकले देर रात तक पढ़ने के कई दुष्प्रभाव हमारे शरीर और मस्तिष्क पर पढ़ते हैं।

5. अंतिम कार्य मैं आपको बता रहा हूं कि रोज सुबह नियमित रूप से व्यायाम या कसरत करें एवं पौष्टिक भोजन ले।


 प्रश्न नंबर - 2. --  मैं कक्षा 10 का छात्र हूं मुझे बताएं की गणित की परीक्षा में गणना संबंधी गलतियों को कैसे काम किया जा सकता है..?

उत्तर --  गणित में गणना संबंधी गलतियां आमतौर पर अति आत्मविश्वास या फिर हर बड़ी की वजह से होती हैं इसलिए परीक्षा के दौरान शांत चित्र से पेपर हल करना चाहिए पेपर को हल बारात में हाल ना करें। मन में किसी प्रकार की घबराहट या डर ना रखें। इन्हीं की वजह से आपकी अच्छी तैयारी के बावजूद भी आपका पेपर बिगड़ सकता है। अपनी आंसर शीट एग्जामिनर को देने से पहले एक बार वापस चेक करनी चाहिए। गणित में अक्सर छोटी गलतियां बहुत होती हैं जैसे प्लस के स्थान पर माइनस कर देना और माइनस के स्थान पर प्लस कर देना गुना के स्थान पर भाग का निशान लगा देना अतः ध्यान रखें कि यह छोटी-छोटी प्लस माइनस की गलतियां ना हो।

 पूरा पेपर सॉल्व होने के बाद एक बार सरसरी नजर से चेक करना चाहिए और उसे समय यदि कोई कैलकुलेशन संबंधी गलती पकड़ में आए तो उसे तुरंत ठीक कर देना चाहिए।

 नियमित योग और ध्यान का अभ्यास करें ध्यान और योग एकाग्रता को बढ़ाते हैं परीक्षा और पढ़ाई के समय एकाग्रता बहुत मायने रखने वाली चीज बन जाती है।इन कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें अपने गणित के पेपर को हल करें आपका पेपर अच्छा होगा मैं उम्मीद करता हूं।


रविवार, 25 फ़रवरी 2024

क्यों संकट बनता जा रहा है बच्चों का अकेलापन..?

प्रेरणा डायरी।



नमस्कार दोस्तों। 


हमारे देश से धीरे धीरे सयुंक्त परिवार प्रथा लगभग समाप्त होती जा रही है। महानगरों में ये लगभग अंत कि ओर है। गाँवो में कुछ निसान बचें है, यानी सयुक्त परिवार देखने को मिल जाते है। इस पारिवारिक विघटन के कई भयानक दुष् परिणाम देखने को मिल रहे है, खासकर -- हमारे छोटे छोटे बच्चो और किशोरों पर। उनका मानसिक स्वास्थ्य पंगु बनता जा रहा है। कुछ बच्चे अकेले रहते हैं लेकिन, हो सकता हैं  अकेलापन महसूस नहीं करते हैं जबकि, कुछ लोग अकेले नहीं होते हुए भी अकेलापन महसूस करते हैं। दूसरों से कट जाना, अलगअलग रहना,  दिल टूट जाना,  गुमसुम रहना, बेचैन और घबराए हुए रहना, यह सब अकेलेपन के निशान हैं। पारंपरिक रूप से तो हमारे यहां अकेलेपन को कोई बीमारी ही नहीं माना गया है जबकि यह गंभीर शारीरिक और मानसिक रोग पैदा कर सकता है, भारत में भी अकेलेपन से ग्रसित लोगों की और छात्रों की संख्या बढ़ रही है इसमें रिश्तो की कमी से जुड़ा खालीपन या परित्याग की भावनाएं जुडी होती हैं,, जैसे  उदासी, निराशा, कुंठा आदि। 
प्रेरणा डायरी (motivation dayri) के आज के लेख में, मैं इसी समस्या की और आप सब का ध्यान खैंचना चाहता हूं। 

"बचपन के दिन भुला न देना..."

 इन पंक्तियों का आशय आज के परिवेश में उलझ गया है। आज बचपन का तात्पर्य ही कहीं खो-सा गया। बच्चे समय से पहले ही बड़े हो रहे हैं। उनको अपनी समझ पर ही सबसे ज्यादा भरोसा है, बड़ों की सुनना और समझना नई पीढ़ी को भाता हीं। वे बुजुर्गो को अपने मार्ग कि बाधा समझने लगते है। इस उम्र में समायोजन ( adjustment) का पहले से ही अभाव पाया जाता है। बचपन वैसे ही परिवर्तनों का दौर है।ऐसी दशा में अपनी अपरिपक्व बुद्धि से अपने जीवन को किस दिशा में बढ़ा पाएंगे कहना मुश्किल है। माता-पिता की उपेक्षा प्रवृत्ति  बच्चों के लिए बड़ी दुःख दाई साबित हो रही है। उपर से 2 साल के कोरोना काल ने भी बच्चों को अस्त- व्यस्त कर दिया। कोरोना काल भी बच्चों के लिए अभिशाप साबित हुआ। स्कूल, खेल के मैदान, यार दोस्तों से मिलना, संगी-साथियों के साथ गली-मोहल्लों में खेलना, थोड़ी बहुत मस्ती करना, सबकुछ अचानक बंद होगया। बच्चे घर में कैद हो गए। इन दृश्यों पर गौर किया जाए तो बच्चों से जयादा परिस्थितियां व अभिभावकों की भूमिका कठघरे में दिखती हैं। चूंकि कोरोना achank  आई अप्रत्याशित समस्या थी। जिसका पूर्व में ना
 ना अनुभव था, ना अंदाज़ा था। वे paरेस्थितियां न केवल बच्चों के लिए अपितु सभी के लिए मुश्किल भरी थी। ऐसे में समाज तो क्या घर में ही लोगों की आपसी दूरियों ने जीवन में विकट एकाकीपन ला दिया। घर ही दफ़तर बन गए।  





 संवादहीनता इस एकाकीपन की समस्या को और भी गहरा कर गई। स्वभाव में चिड़चिड़ापन सबमें आ गया चाहे वो बच्चा हो या बड़ा। ऐसे मुश्किल हालात में बच्चों की परवरिश में सबसे बड़ा आघात तो माता-पिता की परिवर्तित जीवनशैली से आया। घर में सभी मोबाइल में व्यस्त हो गए।आज घर के सभी सदस्य कभी कभी एक साथ बैठ पाते है। और जब बैठते हैं तो आपसी संवाद के बजाय अपने अपने mobiel से चिपके रहते है। घर परिवार कि बात कम ही हो पाती है। बच्चों कि पड़ाई, उनके सुवास्थ, उनकी योजनाओ पर चर्चा नहीं होती।हम बच्चों को स्वस्थ व सम्पन्न मानसिक वातावरण नहीं दे पाए। 
आज का 'कल्चर' है --  एक या दो संतान  और एकाकी परिवार। जहां  एक ही बच्चा है, उसकी हालत ज्यादा खराब होती है। वो किसके साथ खेलें और किससे बात करे। माता पिता ""work from home"" में व्यस्त। बच्चों पर भी पड़ाई का दबाव। 'ऑनलाइन' माध्यम में  पड़ाई कम और 'इन्टरनेट सर्फिंग' अधिक होने लग गई। 



यह हुआ कि बच्चे का ध्यान पढ़ाई से हटकर अन्य क्षेत्रों में चला गया, चाहे फिर वो उसके स्तर के अनुरूप हो या नहीं। बच्चों के मानसिक, शारीरिक व बौद्धिक विकास को आघात लगा। यह विकास कुंठित हो गया। व्यवहार में हठ और उग्रता भी आ गई। बच्चों की ग्राह्य शक्ति अपरिमित है। माता-पिता की हर बात का, अपने आस-पास के प्रत्येक घटनाक्रम का ध्यान से वीक्षण करते हैं। संवाद की कमी के बीच उनकी अपरिपक्व समझ इसे कैसे आत्मसात करेगी, यही आज चिन्ता का विषय है। वे तो जैसा देखेंगे, सुनेंगे, वैसा ही सीखेंगे और करेंगे। आज सोशल मीडिया पर तो जितना 'असामाजिक' वातावरण है उसका प्रभाव इस पीढ़ी पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। अपशब्दों वाली भाषा के साथ ही सबकुछ आज इस मंच पर उपलब्ध हैं और बच्चों की आसान पहुंच में भी हैं। 
आज 5जी के युग में मासूम बचपन सिर्फ मोबाइल, लैपटॉप आदि उपकरणों तक सिमटता जा रहा है। उन्हें ना तो ये मतलब है कि घर में कौन आ रहा है, कौन जा रहा है। इन उपकरणों पर निर्भरता ऐसी हो गई है कि सामान्य जानकारी अथवा कोई आसान गणना सब बच्चे तत्काल मोबाइल,लैपटॉप के सहारे खोजते हैं। उनके मानसिक विकास के अवसर अवरुद्ध हो गए। 
संयुक्त परिवार में भी बड़ों के प्रति श्रद्धा का अचानक लोप होने लगा। इस कारण घर का वातावरण प्रभावित होने लगा। बच्चे जैसे 'टीचर' से बात करते हैं, वैसी ही रूखी भाषा में घर के सदस्यों से भी बात करने लगे। बड़ों के आदेश की पालना तीसरी पीढ़ी में समाप्त हो गई। बच्चों से कोई बात बुजुर्ग मनवा नहीं पाते। दोनों पीढ़ियों की दिशा भिन्न है। अध्यात्म का धरातल चर्चा से ही बाहर हो गया। घर में जीवन एकपक्षीय हो गया है। 

अधिकांश पढ़े-लिखे एकल परिवारों में माता-पिता दोनों कामकाजी हैं। बच्चे को समय नहीं दे पाना बड़ी समस्या है। समय रहते सावधान नहीं हुए तो परिणाम भयावह हो सकते हैं। मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से शारीरिक व मानसिक विकार बढ़ते जा रहे हैं। स्वयं मोबाइल का उपयोग सीमित करके उनके साथ संवाद स्थापित करना होगा। दैनन्दिन गतिविधियों, घरेलू कार्यों, रिश्तेदार व संबंधियों से मेल-मिलाप में उनको साथ रखना होगा। पढ़ाई कार्यों में भी उनका सहयोग करना होगा।

 अकेलेपन के प्रकार --


1. भावनात्मक अकेलापन

जब कोई व्यक्ति दूसरों के साथ घनिष्ठ भावनात्मक संबंध या अंतरंगता और निकटता की कमी महसूस करता है उसे भावनात्मक अकेलेपन में गिना जाता है।

2. सामाजिक अकेलापन

सामाजिक अकेलापन तब होता है जब कोई व्यक्ति सामाजिक नेटवर्क या सामाजिक कनेक्शन की कमी महसूस करता है। सामाजिक जुड़ाव की कमी महसूस करता है।

3. दीर्घकालिक अकेलापन

 दीर्घकालिक अकेलापन ऐसी स्थिति है जिसमें कोई व्यक्ति या छात्र लंबे समय तक संबंधों में अलगाव के कारण दूर रहता है उसके अंदर अकेलेपन की भावना पैदा हो जाती है।

4. आध्यात्मिक अकेलापन

इस प्रकार का अकेलापन सामाजिक संबंधों में कमी के कारण उत्पन्न नहीं होता है लेकिन इसमें व्यक्ति के जीवन में ऐसी भावनाएं पैदा हो जाती हैं जिससे वह यह सोचने लगता है कि जीवन का कोई अर्थ नहीं है। उसे जीवन की सार्थकता ही समाप्त नजर आने लगती है इस तरह का अकेलापन उत्पन्न होता है वह आध्यात्मिक अकेलेपन में गिना जाता है।

 अकेलेपन पर आधारित तीन अहम् नजरिये या दृष्टिकोण --

1. समाजशास्त्रीय दृस्टिकोण --
 इस दृष्टिकोण को मानने वाले विद्वानों का कहना है कि अकेलापन एक सामाजिक समस्या है जो व्यक्ति के समानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है एवं सामाजिक संबंध को कमजोर बनाता है। यह किसी व्यक्ति एवं छात्र के सामाजिक संबंधों में कमी का एहसास कराता है।

2. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण --
 मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण का मानना है कि अकेलापन व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर व्यापक असर डालता है। उसके जीवन में विभिन्न तरह की समस्याओं का कारण बनता है इस मानसिक स्वास्थ्य के सवालों को समझने में मदद मिलती है।

3. अस्तित्ववादी दृष्टिकोण --

 अस्तित्व वादी दृष्टिकोण में कहा जाता है कि हर कोई अंततः अकेला है और कोई भी आपके विचार और भावनाओं को महसूस नहीं कर सकता ऐसे में लोग अपने अस्तित्व के लिए अलग-अलग रहना स्वीकार करते हैं। अस्तित्व वादी अकेलेपन को एक उत्पादक और कभी रचनात्मक स्थिति के रूप में भी देखते हैं।

 अकेलेपन की पहचान ऐसे करें --

1. खुद पर संदेह होना और योग्यता महसूस करना।
2. हमेशा चिंता और बेचैनी बने रहना।
3. अनिद्रा की समस्या होना।
4. दोस्तों और परिवार के लोगों के बीच रहते हुए भी खुद को अकेला महसूस करना।  यह एक प्रमुख लक्षण है।
5. व्यक्ति या छात्र अकेला रहना पसंद करता है।  उसे अकेलापन ही भाने लग जाता है।



E-mail - lalkedar04@gmail.com
वेबसाइट- prernadayari.blogspot.com
ब्लॉग - प्रेरणा डायरी। 

रविवार, 18 फ़रवरी 2024

अधिगम / सीखना /learrning पार्ट 3 -- नियम और सिद्धांत (Learning -Important low And theories of learning)


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2/9/2023
राजस्थान, भारत। 

आपके सामने आज पेश  है मेरी " प्रेरणा डायरी " (मोटीवेशन डायरी')  कि एक और खूबसूरत और बेहतरीन पोस्ट (26वीं) में | जो Learnings से सम्भंधित है। और खासी तथा बेहद महत्वपूर्ण है ! क्योकि एक इंसान या एक छात्र अपने जीवन में अपने "करियर" को कितनी ऊंचाई पर ले जाता है, ये काफी हद तक उसकी " Learnings habits पर  निर्भर करता है। मैं अपने शब्दों में लर्निग के महत्व को इंगित करते हुए कहूँ तो " सीखने की अच्छी आदतें (Good Learning Habits) इंसान को महान बनाती है"  अगर हम अपनी रोजमर्रा कि जीन्दगी में नज़र आने वाली छोटी-छोटी बातों को भी सीखे और उन पर अमल करें, तो हम निश्चित रूप से महान बन सकते हैं। Learning हमारी जिन्दगी, करियर और कामयाबी  को निर्धारित करने वाला  अहम Factor है । इसीलिए हम तथ्यो को learn करें, तथ्यो को याद करे ,उससे पहले   पहले यह जानना जरूरी है कि Learning क्या है...?पूरी लर्निग प्रोसेस को समझे बिना, अच्छी लर्निंग कि उम्मीद करना बेमानी होगी। इसीलिए मे लर्निंग कि 3 पोस्ट आपके सामने लेकर आया। जिनमे लर्निंग के हर हिस्से को छूने का पूरा प्रयास किया गया है। 

मेरी "प्रेरणादायक डायरी" --- "आपकी उमीदों कि उडान"


Learning पर  3 आर्टिकल प्रकाशित ( published) हुए है आर्टिकल, जिन्हें पढ़कर आप लर्निंग प्रक्रिया को पूरा समझ सकते है और इसमें अपने लिए फिट (Fit) बैढ़ने वाले नियम और सिधांतो  का उपयोग अपने जीवन के कर सकते हो । लर्निंग पर प्रकाशित 3 निम्न पोस्ट है---- 

1. Learning part -1-  arth, Defination, characteristics, Method , affecting factor, । 

2 . Learning part - 2 Low and theorise of 
learning ( इस पोस्ट में सीखने के दर्जनों नियमों का वर्णन किया गया है ) । 

3. Learning part - 3 
Lows and theories of Learning l 


आज learning  कि तीसरी और अंतिम पोस्ट (आर्टिकल) है जिसमें हम लर्निग के  शेष बचे अत्यंत महत्वपूर्ण नियमो को पढ़ेंगे।  पिछले आर्टिकल में  हमने थार्नडाइक के आठ सिहान्त और हल वे "प्रबलन" सिद्धान्त को पढ़ा ये सिधांत और आज के तीन  सिधांत सीखने कि प्रक्रिया में " मील का पत्थर कहे जाते है " आज हम जिन तीन  महत्वपूर्ण सिहान्तो का अध्ययन करगे- वो तीन सिद्धान्त निम्न है • 

1. सम्बद्ध प्रतिक्रिया सिद्धान्त (conditioned Response Theory)   
-- क्लासिकल् थ्योरी। 
-- शास्त्रीय अनुबंधन। 
 -- पावलव (रुसी शरीरसास्त्रि - 1904 का नोबल पुरुस्कार विजेता। 
--- कुत्ते (Dog) पर अपने प्रयोग किये। 

2. सूझ या अन्तदृष्टि सिद्धान्त  (Insight Theory) 
 -- गैस्टाल्ट (Gestalt theory)। 
 -- गेस्टाल्टवाटी  अधिगम सिद्धान्त।
 --- gestalt जर्मनी शब्द। जिसका अर्थ है- "समग्र आकृति" या "संपूर्णकार"। 

 3.  क्रिया प्रसूत अधिगम सिद्धांत ( operant Conditioning theory ) 
 -- बी.एफ. स्कीनर | (B.F. SKinner )। 


पावलव, स्किनर और जर्मनी में उत्पन्न हुए गैस्टाल्ट वादी सिहान्त के प्रतिपादक वर्दीमर ,कोफका, कोहलर ने सीखने के महत्व पूर्ण सिहान्तो का प्रतिपादन किया जो हमारे लिए बेहद उपयोगी है । इन सिद्धांतो  के माध्यम से हम Learning process पूरा समझकर, लाभ उठा सकते है। तो आइये 
आज सबसे पहले पावलव (रूसी शरीरशास्त्री एवं मनौ वैज्ञानिक) के सिद्धान्त को पढ़ते हैं। जो लर्निग के लिए अहम है : --- 

1. सम्बध् - प्रतिक्रिया सिद्धांत(CONDITIONED RESPONSE THEORY) 

सम्बद्ध-प्रतिक्रिया सिद्धान्त का प्रतिपादन रूसी शरीरशास्त्री आई. पी. पावलव (I. P. Pavlov) ने किया था। इस मत के अनुसार-सीखना एक अनुकूलित अनुक्रिया है। बर्नार्ड के शब्दों में-"अनुकूलित अनुक्रिया उत्तेजना की पुनरावृत्ति द्वारा व्यवहार का स्वचालन है जिसमें उत्तेजना पहले किसी विशेष अनुक्रिया के साथ लगी रहती है और अन्त में वह किसी व्यवहार का कारण बन जाती है जो पहले मात्र रूप से साथ लगी हुई थी।" 

    "आशा कि किरनें"  --   मोटीवेशनल डायरी। 


2. पाॅवलोव के सिद्धांत का अर्थ :--

भोजन देखकर कुत्ते के मुँह से लार टपकने लगती है। यहाँ भोजन एक "स्वाभाविक उत्तेजक या उद्दीपक (Stimulus) है और कुत्ते के मुँह से लार टपकना एक स्वाभाविक क्रिया या सहज प्रक्रिया (Reflex Action) है। पर यदि किसी अस्वाभाविक उत्तेजक के कारण भी कुत्ते के मुँह से लार टपकने लगे तो, इसे 'सम्बद्ध सहज-क्रिया' या 'सम्बद्ध प्रतिक्रिया' (Conditioned Reflex or Response) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अस्वाभाविक उत्तेजक के प्रति स्वाभाविक उत्तेजक के समान होने वाली प्रतिक्रिया को सम्बद्ध सहज-क्रिया कहते हैं। इसके अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम लैंडल के शब्दों में कह सकते हैं-"सम्बद्ध सहज-क्रिया में कार्य के प्रति स्वाभाविक उत्तेजक के बजाय एक प्रभावहीन उत्तेजक होता है, जो स्वाभाविक उत्तेजक से सम्बन्धित किये जाने के कारण प्रभावपूर्ण हो जाता है।" 
"In a conditioned reflex the natural stimulus to actions has been replaced by an otherwise ineffective stimulus which has become effective through association." 

3. पावलोव का प्रयोग : ----

पावलव का प्रयोग--- सम्बद्ध सहज-क्रिया के सिद्धान्त का सम्बन्ध शरीर-विज्ञान से है। इसके मानने वाले विशेष रूप से व्यवहारवादी (Behaviourists) हैं। उनका कहना है कि सीखना एक प्रकार से उद्दीपक और प्रतिक्रिया का सम्बन्ध है। इस विचार को सत्य सिद्ध करने के लिए रूसी मनोवैज्ञानिक, पावलव (Pavlov) ने कुत्ते पर एक प्रयोग किया। उसने कुत्ते को भोजन देने से पहले कुछ दिनों तक घण्टी बजाई। उसके बाद उसने भोजन न देकर केवल घण्टो बजाई। तब भी कुत्ते के मुँह से लार टपकने लगी। इसका कारण यह था कि कुत्ते ने घण्टी बजने से यह सीख लिया था कि उसे भोजन मिलेगा। घण्टी के प्रति कुत्ते को इस प्रतिक्रिया को पावलव ने सम्बद्ध सहज-क्रिया' की संज्ञा दी। 
कुत्ते  के समान बालक और व्यक्ति भी सम्बद्ध सहज-क्रिया द्वारा सीखते हैं। पके हुए आम या मिठाई को देखकर बालकों के मुँह में पानी आ जाता है। उल्टी करना अनेक व्यक्तियों में सहज किया है, पर अनेक में यह सम्बद्ध सहज-क्रिया भी है। पहाड़ पर बस में यात्रा करते समय कुछ व्यक्ति उल्टी करने लगते हैं। उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जिनको यात्रा प्रारम्भ होने से पहले ही उल्टी होने लगती है। कुछ लोग दूसरों को उल्टी करते हुए देखकर उल्टी करने लगते । 


उद्दीपक (भोजन) के आने की सूचना देने वाला बन जाता है। यहाँ एक उद्दीपक दूसरे उद्दीपक के घटित होने की संभावना को दर्शाता है।

4. इस सिद्धांत के हमारे देनिक जीवन में उदाहरण :----

---  आप खाना खाकर अभी-अभी तृप्त हुए है।अपने अच्छा भोजन किया है। तभी आप देखते है कि बगल की मेज पर एक मिठाई प्लेट रखी है गई । और मिठाई आपको पसंद है। अब आपके मुँह में अपने स्वाद का संकेत आ जाएगा। आपके मुख में लार आने लग जाती है। लार स्राव प्रारम्भ हो जाता है। यह एक अनुबंधित अनुक्रिया है।

---  शैशवावस्था में बच्चे तीव्र ध्वनि से स्वाभाविक रूप से डरते है। एक छोटा बच्चा फुला हुआ गुब्बारा पकड़ता है। जो तीव्र ध्वनि के साथ उसके हाथों में फट जाता है। बच्चा डर जाता है। अब अगली बार उसे गुब्बारा पकड़ाया जाता है। तो उसके लिए यह तीव्र ध्वनि का संकेत बन जाता है और भय की अनुक्रिया उत्पन्न करता है। अनुबंधित उद्दीपक के रूप में गुब्बारे एवं अननुबंधित उद्दीपक के रूप में तीव्र ध्वनि के साथ-साथ प्रस्तुत किया जाने के कारण ऐसा होता है। 

 5 . सिद्धांत के गुण/ विशेषताये : ---

सम्बद्ध प्रतिक्रिया सिद्धान्त  शिक्षा में बहुत योगी सिद्ध हुआ है। इसकी पुष्टि इस सिद्धांत के निम्न गुणों से होती है--

1. इस सिद्धांत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिद्धांत सीखने कि स्वभाविक विधि बताता है। 

2. बालको के व्यवहार की व्याख्या करता है। 

3. यह बालको के भय को दूर करता है। 

4. बालक को वातावरण के साथ सामंजस्य बिठाने मे सहायता फहुचता है। 

5 .crow एंड crow  इस सिद्धांत के महत्व को पर्तिपाधित करते हुए कहते है कि यह सिद्धांत बालको में अच्छे व्यव्हार और उत्तम अनुसशन कि भावना का विकाश करता है। 

6. Crow and crow यह भी बताते है कि यह सिद्धांत, उन विषयों के लिए अति उपयोगी है जिनमे चिंतन कि आवसायकता नहीं होती जैसे---  सुलेख लिखना, fore line लिखना, अक्षर लिखना, आदि। 

7. यह सिद्धांत "समूह के निर्माण" में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। 


4. सूझ या अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त (INSIGHTTHEORY) 


इस सिद्धान्त को समग्राकृति (Gestalt) सिद्धान्त भी कहते हैं। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन जर्मन मनोवैज्ञानिक वर्दीमर, कोफ्का तथा कोहलर ने किया था। गेस्टाल्ट मत के अनुयायियों का कहना है कि-'एक गेस्टाल्ट या आकृति एक समग्र है जिसकी विशेषतायें पता लगाई जाती हैं।' इस सिद्धान्त को "सूझ या अन्तर्दृष्टि" का सिद्धान्त भी कहते हैं। 

(1) सिद्धान्त का अर्थ :----

हम कुछ कार्यों को करके सीखते हैं और कुछ को दूसरों को करते हुए देखकर सीखते हैं। कुछ कार्य ऐसे भी होते हैं, जिन्हें हम बिना बताए अपने आप सीख लेते हैं। इस प्रकार के सीखने को 'सूझ द्वारा सीखना' कहते हैं। इसका अर्थ स्पष्ट करते हुए गुड ने लिखा है-"सूझ, वास्तविक स्थिति का आकस्मिक, निश्चित और तात्कालिक ज्ञान है।" 



(2) कोहलर का प्रयोग :----

'सूझ द्वारा सीखने' के सिद्धान्त के प्रतिपादक जर्मनी के 'गेस्टाल्टवादी' हैं। इसीलिए, इस सिद्धान्त को 'गेस्टाल्ट-सिद्धान्त' (Gestalt Theory) कहते हैं। गेस्टाल्टवादियों का कहना है कि व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण परिस्थिति को अपनी मानसिक शक्ति से अच्छी तरह समझ लेता है और सहसा उसे ठीक-ठीक करना सीख जाता है। वह ऐसा अपनी सूझ के कारण करता है। इस सम्बन्ध में अनेक प्रयोग किए जा चुके हैं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध प्रयोग, कोहलर (Kohler) का है। 
कोहलर ने छः वनमानुषों को एक कमरे में बन्द कर दिया। कमरे की छत में एक केला लटका दिया गया और कुछ दूर पर एक बक्स रख दिया गया। वनमानुषों ने उछलकर केले को लेने का प्रयास किया, पर सफल नहीं हुए। उनमें एक वनमानुष का नाम सुलतान था। वह थोड़ी देर कमरे में इधर-उधर घूमा, बक्स के पास खड़ा हुआ, उसे खींचकर केले के नीचे ले गया, उस पर चढ़ गया और उछल कर केला ले लिया। सुलतान के इन सब कार्यों से सिद्ध हुआ कि उसमें सूझ थी, जिसने उसे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता दी। 
वनमानुष के समान बालक और व्यक्ति भी सूझ द्वारा सीखते हैं। सूझ का आधार कल्पना है। जिस व्यक्ति में कल्पना-शक्ति जितनी अधिक होती है, उसमें सूझ भी उतनी ही अधिक होती है और इसलिए उसे सफलता भी अधिक होती है। बड़े-बड़े दार्शनिकों, इंजीनियरों और राजनीतिज्ञों की सफलता का रहस्य उनकी सूझ ही है। 


(3) सिद्धान्त का शिक्षा में महत्व : ----

शिक्षा में 'सूझ द्वारा सीखने' के सिद्धान्त के महत्व को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है

1. यह सिद्धान्त रचनात्मक कार्यों के लिए उपयोगी है। 

2. यह सिद्धान्त, बालकों की बुद्धि, कल्पना और तर्क-शक्ति का विकास करता है।

3. यह सिद्धान्त, गणित जैसे कठिन विषयों के शिक्षण के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध हुआ है। 


4 . क्रोव एवं को (Crow and Crow) के अनुसार-यह सिद्धान्त-कला, संगीत और साहित्य की शिक्षा के लिए उपयोगी है। 

5.  स्किनर (Skinner) के अनुसार- यह सिद्धान्त, आदत और सीखने के यान्त्रिक स्वरूपों के महत्व को कम करता है। 

6. गेट्स तथा अन्य (Gates and Others) के अनुसार यह सिद्धान्त, बालक को स्वयं खोज करके ज्ञान का अर्जन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 

 
  मेरी "प्रेरणादायक डायरी ( मोटीवेशनल डायरी) -- ""दिल है                                                छोटा सा, छोटी सी आशा"



3 . क्रिया-प्रसूत अधिगम सिद्धान्त 
(SKINNER'S OPERANT CONDITIONING THEORY) :----

सीखने के सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने में बी. एफ. स्किनर (B. F. Skinner) ने विशेष योगदान किया है। स्किनर ने दो प्रकार की क्रियाओं पर प्रकाश डाला- क्रिया-प्रसूत (Operant) तथा उद्दीपन प्रसूत (Stimulus)। जो क्रियाएँ उद्दीपन के द्वारा होती हैं वे उद्दीपन-आधारित होती हैं। क्रिया-प्रसूत सम्बन्ध उत्तेजना से होता है। 

(1) बी. एफ. स्किनर के प्रयोग :-----

(Experiments by B. F. Skinner) — बी. एफ. स्किनर ने अधिगम या सीखने के क्षेत्र में अनेक प्रयोग करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि अभिप्रेरणा (Motivation) से उत्पन्न क्रियाशीलता (Operant) ही सीखने के लिए उत्तरदायी है। 
स्किनर ने चूहों तथा कबूतरों आदि पर अनेक प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला कि प्राणियों में दो प्रकार के व्यवहार पाये जाते हैं-अनुक्रिया (Respondent) तथा क्रिया-प्रसूत (Operant)। अनुक्रिया का सम्बन्ध उत्तेजना से होता है और क्रिया-प्रसूत का सम्बन्ध किसी ज्ञात उद्दीपन से नहीं होता। क्रिया-प्रसूत को केवल अनुक्रिया की दर से मापा जा सकता है। 
स्किनर ने चूहों पर प्रयोग किए। उसने लीवर (Lever) वाला बक्सा बनवाया। लीवर पर चूहे का पैर पड़ते ही खट् की आवाज होती थी। इस ध्वनि को सुन चूहा आगे बढ़ता और उसे प्याले में भोजन मिलता। यह भोजन चूहे के लिए प्रबलन (Reinforcement) का कार्य करता। चूहा भूखा होने पर प्रणोदित (Drived) होता और लीवर को दबाता। इस प्रयोग से स्किनर ने यह निष्कर्ष निकाले :--

1. लीवर दबाने की क्रिया चूहे के लिये सरल हो गई। 
2. लीवर बार-बार दबाया जाता, अत: निरीक्षण सरल हो गया। 
3. लीवर दबाने में अन्य क्रिया निहित नहीं थी। 
4. लीवर दबाने की क्रिया का आभास हो जाता था। 
निष्कर्ष यह है कि-'"यदि किसी क्रिया के बाद कोई बल प्रदान करने वाला उद्दीपन मिलता है तो उस क्रिया की शक्ति में वृद्धि हो जाती है। ' 
स्किनर ने "कबूतरों" पर भी क्रिया-प्रसूत अनुबंधन (Operant Conditioning) के प्रयोग किये। स्किनर द्वारा बनाये गये बक्से में कबूतरों को लीवर या कुंजी को दबाना सीखना था। पहले तो बक्से में हल्की प्रकाश व्यवस्था की गई। यह प्रयोग विभिन्न प्रकार की छः प्रकाश योजनाओं के अन्तर्गत किया गया। प्रयोगों का सामान्य सिद्धान्त यह निरूपित हुआ कि नवीन तथा पुराने, दोनों प्रकार के उद्दीपनों में क्रिया-प्रसूत की गई। प्रकाश व्यवस्था में परिवर्तन होने पर अनुक्रिया में आनुपातिक परिवर्तन हुआ। 
(2) क्रिया-प्रसूत सिद्धान्त (Theory of Operant Conditioning)–एम. एल. बिगी (M. L.. Bigge) ने स्किनर के क्रिया-प्रसूत सिद्धान्त के विषय में कहा है-"क्रिया-प्रसूत अनुबन्धन अधिगम की एक प्रक्रिया है जिसमें सतत् या संभावित अनुक्रिया होती है। ऐसे समय क्रिया-प्रसूतता की शक्ति बढ़ जाती है।" 
"Operant Conditioning is the learning process where by a response is made more probable or more frequent an operant is strengthened."  प्रयोगों के परिणामों के आधार पर बी. एफ. स्किनर (B. F. Skinner) ने कहा है-  व्यवहार प्राणी या उसके अंश की किसी संदर्भ में गति है, यह गति या तो प्राणी में स्वयं निहित होती है अथवा किसी बाहरी उद्देश्य या शक्ति के क्षेत्र से आती है। 
"Behaviour is the movement of an organism or of its part in a frame of reference provided by the organism itself or by external objects or field or force." 

(3) किया प्रसूत अनुबन्ध और शिक्षा :-- (OperantConditioning and Education) 

क्रिया-प्रसूत अधिगम का शिक्षा में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है
1. सीखने का स्वरूप प्रदान करना (Shaping the Behaviour)– शिक्षक, इस सिद्धान्त के द्वारा सौखे जाने वाले व्यवहार को स्वरूप प्रदान करता है। वह उद्दीपन पर नियंत्रण करके वांचित व्यवहार का सृजन करता है। 

2. शब्द भण्डार (Vocabulary)-इस सिद्धान्त का प्रयोग बालकों के शब्द भण्डार में वृद्धि के लिये किया जा सकता है। 

3. अभिक्रमित अधिगम (Programmed Learning)—सोखने के क्षेत्र में अभिक्रमित अधिगम एक महत्वपूर्ण विधि विकसित हुई है। इस विधि को क्रिया-प्रसूत अनुबंधन द्वारा गति प्रदान की जा सकती है। 

4. निदानात्मक शिक्षण (Remedial Training) क्रिया-प्रसूत सिद्धान्त जटिल (Complex) व्यवहार वाले तथा मानसिक रोगियों को वांछित व्यवहार के सीखने में विशेष रूप से सहायक हुआ है। 

5. परिणाम की जानकारी (Knowledge of Result)– स्किनर का विचार है कि यदि व्यक्ति की कार्य के परिणामों की जानकारी हो तो उसके सीखने के भावी व्यवहार पर प्रभाव पड़ता है। गृहकार्य के संशोधन का भी छात्र के सीखने की गति तथा गुण पर प्रभाव पड़ता है। 

6. पुनर्बलन (Reinforcement)—क्रिया-प्रसूत अधिगम में पुनर्बलन का महत्व है। अधिकाधिक अभ्यास द्वारा क्रिया को बल मिलता है। 

7. संतोष (Satisfaction)—स्किनर कहता है कि जब भी काम में सफलता मिलती है तो संतोष प्राप्त होता है और यह संतोष क्रिया को बल प्रदान करता है। 

8. पद विभाजन (Small Steps) क्रिया प्रसूत अधिगम में सीखे जाने वाली किया को अनेक छोटे-छोटे पदों में विभक्त किया जाता है। शिक्षा में इस विधि के प्रयोग से सीखने में गति तथा सफलता, दोनों मिलते हैं। 


Learning Questionariy 
  अधिगम / learning - से संंभन्धित महत्वपूर्ण, बेहतरीन और नायाब प्रस्न - उतर ( question-answer) 



Question 1. किसे कहते है learning / सीखना..?

उत्तर- सीखना एक निरन्तर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है । एक व्यक्ति जन्म से ही सीखना प्रारम्भ कर देता है और मृत्यू पारियंत् कुछ ना कुछ सीखता रहता है । 
सीखना जर्मन भाषा के 'Lernen" से बना है। इसे अंग्रेजी भाषा में  Learning  कहते हैं। इसी को "आधिगम" और "याद करना" नामों से भी जाना जाता है। 
Learning का सीधा और सटीक तातपर्य है " अभ्यास और अनुभवों के द्वारा अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना" --- जैसे 
एक छोटे बालक ने पहली बार चाकू देखा तो उसे उठा लिया और खेलने लगा जिससे उसका हाथ जख्मी हो गया। कुछ दिन बाद वह फिर से खेलते-खेलते रसोई घर तक पहुंच गया। वहाँ बालक ने फर्श पर पड़ा हुआ 'एक चाकू देखा और एक बार फिर वो उसे उठाने लगा पर जैसे ही उसका हाथ बड़ा, अचानक उसे ध्यान आ गया कि पिछली बार खेलते समय उसने ऐसी ही नुकीली वस्तु को उठाया था और उसका हाथ कट गया था। वह एकदम से अपना हाथ रोक लेता है । क्योंकि उसने अपने पुराने अनुभव के आधार पर यह सीख लिया कि  (चुकीली वस्तु) से खेलने पर हाथ था शरीर के अंग कट सकते हैं। जख्मी हो सकते हैं। .तो दोस्तो व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर अपने व्यवहार में जो परिर्वतन लाता है यही तो अधिगम(Learning) है। 


Question 2. क्या क्या विशेषतायें होतीं हैं Learning कि..? 

उत्तर  'दोस्तो Learning एक महत्वपूर्ण TOPIK (बिन्दु है) जो एक इंसान के अनेक मानको को तय करता है । इसिलिए लर्निंग एक रिसर्च, का विषय है। लर्निंग कि प्रमुख विशेषताएँ 
निम्न प्रकार से है --- 

1. "Learning is Discovery" अर्थात सीखना खोज करना है। 
2. Learning के दुवारा व्यक्ति अपने व्यवहार में प्रगतिशील परिवर्तन लाने में सक्षम होता है। 

 3.  सीखना (learning ) जीवन पर्यन्ट चलने वाली एक सहत प्रक्रिया है । 

4. अधिगम एक सार्वभौमिक (universal) प्रक्रिया है- 
एक ब्यक्ति कभी भी ,कहीं भी, कुछ भी ,सींख सकता है, ट्रेन में सफर करते हुए भी आप कुछ अनुभव करते हुए  उनसे  सीख सकते हैं। आप पैदल चलते हुए भी सीख सकते है।नहाते हुए , घूमते हुए, खाते हुए, लेट हुए, कही भी, कैसे भी, कोई भी सीख सकता है। क्युकी सीखना सर्वभोमिक है। 

5. Learning -  ज्ञानात्मक, भावात्मक, कियात्मक तीनों प्रकार के गुणों से युक्त प्रक्रिया है। 

6.  सीखना विवेकपूर्ण और लक्ष्य निर्देशित प्रक्रिया है. 

7. सीखना समायोजन (Adjustment) में सहायता करता है। 
8. अधिगम व्यक्ति के सर्वागिण विकास में सहायक होता है। 

Question 3. अधिगम (Learning) कितने प्रकार का होता है.? 

 उत्तर-- अधिगम/ सीखना/ Learning:- दो प्रकार का होता है--

1. गत्यात्मक  (Dynamik Learning) -- जब भी व्यक्ति शारीरिक रूप से गतिशील रहकर अधिगम करता है तो इसे गत्यात्मक, अधिगम कहा जाता है। इसे पेशीय या क्रियात्मक अधिगम भी कहा आता है  जैसे -- क्रिकेट खेलना, खेतों में काम करना, साइकिल चलना, टाइप करना दौडना, चलना आदि। 

2. संज्ञानवादी (congnitive Learning) 

ऐसी Learning  जिनको व्यक्ति अपनी ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से ग्रहण करता है। समस्या समाधान करते हुए जो ज्ञान प्राप्त होता है वो भी इसी श्रेणी में आता है, इसलिए इसको समास्या समाधान अधिगम भी कहते है - जैसे - किसी समस्या को हल करना चिन्तन करना, मनन करना, किसी कार्य कि योजना बनाना, भाषण तैयार करना, planing करना से सभी क्रियाए संज्ञानवादी learning में आती है। 


Question 4. मनोवज्ञानिक असुबेल ने लेर्निंग के कितने प्रकार बताये है..? 

उत्तर :-- आसुबेल ने मनोविज्ञान और खासकर, लनिंग पर अनेक उपयोगी अनुसंधान (रिसर्च) किये है, जिनमें उन्होंने लेर्निंग को चार प्रकारों में बाँटा है-- 

1. अभिग्रहण अधिगम (Reception learning) जैसे--लिख लिख कर याद करना, सीखना । 

2. अनवेषण अधिगम् (Discovery Learning) 

3. रटकर सीखना (Rote hearning)

4. अर्थपूर्ण सीखना ( meaningful Learning)


 Question 5. कौन कौन से कारक (factor) है, जो learning को प्रभावित करते है.? 

उत्तर : दोस्तो नमस्कार । अधिगम (Learning) एक विस्तृत प्रक्रिया है, जो बहुत से तत्वों से प्रभावित होती है अर्थात ये वो कारक है जो learning प्रक्रिया को या तो बढ़ा देते है, या घटा देते है। आइये देखते है, इन कारको (Factors) को :----

1. सीखने की इच्छा ( villingness of learn) 

2. प्रेरणा ( motivation) 

3. विषय समग्री ( subject matter) 

4 . शिक्षण विधि (Teaching Method )

5. बुद्धि और स्मरण शक्ति (Intelligence or memory ) 

6. सीखने का समय (Time of Learning) 

7. वातावरण (environment) आदि प्रमुख कारक (factor) है, सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करते है। 


Question - 6. क्या अंतर है "रटने' और सीखने में..? 

उत्तर : → रटना (Rote) 

यह एक तरह का बैंकिंग मोडल है- जैसे बैंको में तथ्यो को इक्ट्ठा (स्टोर) किया जाता है, वैसे ही एक छात्र तथ्यों को याद कर अपने दिमाग में एकत्रित कर लेते है और जरूरत पढ़ने पर इन तथ्यों को उपयोग में लिया जाता है।

सीखना :-- 

इस तरह कि Learning एक तरह का 'प्रोग्रामिंग' मॉडल है। जिसमें निर्देशो कि एक श्रृंखला कार्य करती है। सीखने में तर्क-वितर्क और सोचने समझने कि आवश्यकता होती है। हर बच्चे कि सीखने कि क्षमता अलग-अलग होती है. कुछ बच्चे तीव्र गति से सीखते हैं और कुछ धीमी गति से | पर सभी कुछ ना कुछ सीखते है यही सिस्टम "प्रोगामिंग मॉडल कहलाता है। 



ब्लॉग - प्रेरणा डायरी। 

वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com

राइटर - kedar lal  ( k. S. Ligree) 

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

प्रेम,खुशी और उल्लास के प्रतीक वेलेंटाइन डे और बसंत पंचमी।

 प्रेरणा डायरी। 


Valentine's Day 2024: फरवरी का महीना कपल्स के लिए बेहद ही खास होता है. वैलेंटाइन डे (Valentine Day) वाले इस महीने में लोग प्यार के रंग में रंगे होते हैं. वैसे तो वैलेंटाइन डे, 14 फरवरी को मनाया जाता है, लेकिन इन दिनW को मनाने के लिए एक हफ्ते पहले से ही हर दिन को किसी न किसी खास दिन के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इस पूरे सप्ताह को हम वैलेंटाइन वीक (Valentine's Week) कहते हैं. इस पूरे हफ्ते में अलग-अलग दिन मनाए जाते हैं. जिसमें कपल अपने प्यार का इजहार (Expressing Love) करते हैं और अपने पार्टनर को गिफ्ट देते हैं.

आज हम आपको वैलेंटाइन डे और वैलेंटाइन वीक के बारे में बताने जा रहे हैं. इसके साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि इस पूरे सप्ताह में कौन-कौन से दिन मनाए जाते हैं और इसका पूरा इतिहास (History of Valentine's Day) क्या है?

क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे?

वैसे तो वैलेंटाइन डे की उत्पत्ति का साफ पता नहीं चल सका है. लेकिन, यह माना जाता है कि वैलेंटाइन डे की शुरुआत लुपरकेलिया त्योहार से हुई थी. इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, वसंत ऋतु के आगमन पर यह त्यौहार मनाया जाता है. जिसमें लॉटरी के माध्यम से पुरुषों के साथ महिलाओं की जोड़ी बनाई जाती थी. इसके साथ ही इसमें फर्टिलिटी रिचुअल्स यानी की प्रजनन के रिवाज भी शामिल थे. 

हालांकि, पांचवीं शताब्दी में रोम के पोप गेलैसियस प्रथम ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इसकी जगह संत वैलेंटाइन डे की शुरुआत की थी. वैलेंटाइन डे को लेकर यह भी माना जाता है कि इसकी शुरुआत लगभग 14वीं शताब्दी तक नहीं हुई थी.।दुनिया में पहली बार 496 ई में वैलेंटाइन डे मनाया गया. इसके बाद पांचवी शताब्दी में रोम के पोप गेलैसियस ने 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाने का ऐलान किया. इस दिन से रोम समेत दुनिया भर में हर साल धूमधाम से 14 फरवरी का दिन वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाने लगा.

𝗩𝗲𝗹𝗲𝗻𝘁ine day के बारे में कुछ इ इंटरेस्टिंग फैक्ट --

कार्ड पर क्यों होता है तीर-धनुषः  अक्सर वैलेंटाइन डे के कार्ड पर धनुष और तीर के साथ क्यूपिड बना होता है। यह इमेज वास्तव में 700 ईसा पूर्व की है, जो इरोस नाम के प्रेम के यूनानी देवता से जुड़ी है। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में रोमनों ने इरोस को धनुष और तीर के साथ एक प्यारे छोटे लड़के की इमेज में अपनाया, और उसका नाम "क्यूपिड" रखा।

किस रंग के गुलाब का क्या मतलब होता हैः  लाल गुलाब प्यार का प्रतीक होता है, यह तो हम सब जानते हैं। इसके अलावा गहरा गुलाबी रंग का गुलाब खुशी, बैंगनी गुलाब रॉयल्टी और सफेद गुलाब सहानुभूति का प्रतीक होते हैं।

चॉकलेट का पहला दिल के शेप का डिब्बाः  1861 में पहला दिल के शेप का चॉकलेट का डिब्बा बनाया गया था। इसे कैडबरी के संस्थापक जॉन कैडबरी के बेटे रिचर्ड कैडबरी ने बनाया था।

लव बर्ड असल पक्षी हैंः  हम अक्सर दो प्यार करने वालों को लव बर्ड्स बोलते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि असली में ऐसा एक पक्षी भी है। यह अगापोर्निस पक्षियों का कॉमन नाम है, जो अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाते हैं।

लव लेटर लिखने का चलनः विलियम शेक्सपीयर का "जूलियट को पत्र" लिखना लोगों के लिए वैलेंटाइन डे पर लव लेटर्स भेजने की परंपरा बन गई। 2010 की फिल्म लेटर्स टू जूलियट भी इससे प्रेरित है। इस दिन लोग अपने प्रियजनों को लेटर या कार्ड में अपना मैसेज लिखकर संदेश भेजते हैं।

वैलेंटाइन नाम का शहरः एरिजोना, नेब्रास्का, टेक्सास और वर्जीनिया में वैलेंटाइन नाम के शहर हैं।

सेंट वैलेंटाइन सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे: वैलेंटाइन नाम के कम से कम दो व्यक्ति हैं, जिसमें से एक वैलेंटाइन तीसरी शताब्दी के रोम में एक प्रीस्ट थे। एक कहानी के अनुसार वैलेंटाइन ने सम्राट क्लॉडियस द्वितीय के विवाह पर प्रतिबंध को खारिज कर दिया था। उन्होंने प्रेम करने वाले जोड़ों का अवैध रूप से विवाह करवाया और पकड़े जाने पर उन्हें मौत की सजा हुई।


  बसंत, अर्थात प्रेम और विद्या का मौसम --

 बसंत ऋतु के आगमन पर प्रकृति पर्यावरण की परत में पीले पुष्पों को सजाती है, और सुरभि का नया मधुर संगीत सुनती है। भारत में वसंत पंचमी सरस्वती देवी के प्रकट का दिवस भी है। वसंत पंचमी ही अक्षर आरंभ का दिवस भी माना जाता है। शिक्षा और वसंत पंचमी का वैसा ही संबंध है जैसा नदी और जल की लहरों का संबंध होता है। हिंदी के महान कवि निराला जी का जन्म भी वसंत पंचमी को ही मनाया जाता है। इसमें कोई दोहराएं नहीं की वसंत पंचमी भारत में त्योहारों का सम्मान है, और संस्कृति का भी सम्मान है। तो दूसरी और बसंत पंचमी अध्यात्म का अनुष्ठान भी है। ऋतुओं में श्रेष्ठ है। इसीलिए बसंत ऋतुओं का राजा अर्थात ऋतुराज है। बसंत सकारात्मक के साज पर आनंद की आवाज है। इसी बसंत के मौसम में 14 फरवरी को  Valentine Day  वैलेंटाइन डे को लव डे माना जाता है। वैलेंटाइन डे ज्यादातर देशों में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन कपल्स अपने दिल की बात अपने पार्टनर से बताते हैं। वैलेंटाइन वीक का वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी लव बर्ड्स के लिए बेहद खास होता है।


विद्या संस्कार एवं त्यौहार --

 बसंत पंचमी भारतीय संस्कृति में एक त्यौहार तो है ही एक संस्कार भी है। विद्या का संस्कार राज की देवी सरस्वती के संदर्भ में संपन्न होता है। वसंत पंचमी के दिन सरस्वती के समक्ष बुद्धि के मंत्र पढ़े जाते हैं।  इन मंत्रो की विशेषता यह है कि ये मंत्र वसंत पंचमी के दिन फली भूत होते हैं। यह निष्ठा और विद्याधन के मंत्र है। वसंत पंचमी और वैलेंटाइन डे प्रेम, निष्ठा, समर्पण, विद्या, और खुशहाली के त्योहार हैं।

 हमेशा याद रहता है पहला वेलेंटाइन डे --

पहला वेलेंटाइन डे हमेशा याद रहता है और जीवन की दिशा भी तय करता है। इस दिन लड़का और लड़की दोनों की धड़कनें तेज हो जाती हैं, लड़का जहां कैसे कहूं की उलझन से जूझता रहता है लड़की रिश्ते की नईदुनिया में प्रवेश करने से पहले हिचक भी रही है साथ ही कदम भी पीछे नहीं हटाना चाहती। वेलेंटाइन डे और दीपावली की खुशियाँ एक दूसरे से जुदा हैं यह समझने में वक्त लगता है। रिश्ते में आगे वढ़ते समय दोनों में से कोई एक भी जल्दबाजी दिखा दे तो जीवन भर के लिए गलतफहमियाँ हो जाती हैं। कमिट करने से पहले ठंडे दिमाग से जरूर सोचें फिर आगे बढ़ें। यहां पढ़िए कि इस दिन आपको क्या नहीं करना है।

 वैलेंटाइन डे वीक की पूरी लिस्ट  (Valentine Day Week List) ---

वैलेंटाइन डे का त्यौहार 7 फरवरी से 14 फरवरी तक चलता है और हर एक दिन को विशेष नाम दिया गया है.


7 फरवरी रोज डे (7 February Rose Day):

इसे रोज डे कहते है, इस दिन हम जिसे प्यार करते है, उन्हें गुलाब गिफ्ट करते है , हर गुलाब का कुछ मतलब है. जैसे-


सफ़ेद गुलाब (white rose) White rose says “I Am Sorry”

पीला गुलाब (Yellow rose) Yellow rose says ,”You Are My Best Friend”

गुलाबी गुलाब (Pink rose) Pink rose says “I Like You”

लाल गुलाब (Red rose) Red rose says “I Love You”

8 फरवरी प्रपोज़ डे (8 February Propose Day):

इसे प्रपोज़ डे कहते है, जिसमे जो भी जिसे दिल से प्यार करता है, उसे प्रपोज़ करता है, जिसके अंदाज अलग अलग होते है, जिसे वो खुद सोचता है.


9 फरवरी चॉकलेट डे (9 February Chocolate Day) :

इसे चॉकलेट डे कहते है, इस दिन सभी अपने प्यार को चॉकलेट देते है, इस तरह सभी मिठास बांटते है.


10 फरवरी टेडी बियर डे (10 February Teddy bear Day):

इसे टेडी बियर डे कहते है, इस दिन प्यार करने वाले एक दुसरे को गिफ्ट्स देते है, जिसमे वो सभी अपने सबसे प्यारे इंसान के लिए गिफ्ट्स लाते है.


11 फरवरी प्रॉमिस डे (11th February Promise Day):

इसे प्रॉमिस डे कहते है, इस दिन सभी अपने प्यार को साथ निभाने का वादा करते है. सारी कसमे वादे याद कर. उसे पूरा करने का वादा करते है.


12 फरवरी किस डे (12th February Kiss Day):

इसे किस डे कहते है इस दिन सभी एक दुसरे के साथ वक्त गुजारते है, हर लम्हे को याद गार बनाते है, पिछली बाते याद कर हर तरह से एक दुसरे के हो जाते है.


13 फरवरी हग डे (13th February Hug Day):

इसे हग डे कहते है, इस दिन जोड़े एक साथ रह कर अपनी भावनाएं व्यक्त करते है. एक दुसरे को प्यार से गले लगाते है और सदा एक दुसरे का साथ देने का अहसास जताते है, जो कि उन्हें हर कठिन वक्त में भी बांधे रखेगा.


14 फरवरी वैलेंटाइन डे (14th February Valentine Day):

यह आखिरी दिन है, जिसे वैलेंटाइन डे कहते है, इस दिन सभी जोड़े एक दुसरे के साथ पूरा दिन बिताते है.इस तरह हर साल यह एक सप्ताह व्यक्ति अपने जीवन साथी, अपने ख़ास दोस्त, अपने परिवार और अपने जिग्री यारों के साथ वक्त गुजरता है. प्यार किसी दिन या वक्त का मोहताज तो नहीं होता, पर प्यार आज की भाग दौड़ में कही छिप गया है और इस तरह पादरी वैलेंटाइन को श्रद्धांजलि देते हुए सभी अपनों के साथ कुछ पलो को बिताते है और उन्हें अपनी यादों में जोड़ते hai। 

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

लोक परीक्षा विधेयक 2024, अब परीक्षा में गड़बड़ी पर 10 साल कि जेल और 1 करोड़ जुर्माना।

 

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प्रेरणा डायरी। 


प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य धांधली करने वालों की अब खैर नहीं। सरकार ने इन परीक्षाओं में गड़बड़ी से शक्ति से निपटने के प्रावधान वाले लोग परीक्षा विधायक 2024 को लोकसभा में पेश किया। ( अनुचित साधनों का निवारण विधेयक 2024 ) विधेयक में परीक्षाओं में गड़बड़ी के अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की जय और एक करोड रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। मंत्रिमंडल ने भी हाल ही में इस विधेयक को मंजूरी दे दी है। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक लोकसभा में पेश किया इसके प्रावधानों के मुताबिक प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी पर विद्यार्थियों को निशाना  नहीं बनाया जाएगा। संगठित अपराध माफिया और साथ गांठ में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी. यह एक बड़ा और केंद्रीय कानून होगा। संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आएँगी। विधेयक में उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रावधान है जो कंप्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिश करेगी। बजट सत्र की शुरुआत पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने कहा था कि सरकार परीक्षाओं को लेकर युवाओं की चिताओं से अवगत है। और सरकार समय आने पर निश्चित रूप से लोकसभा में इस पर एक बड़ा विधेयक लेकर आएगी।

 विधायक के खास प्रावधान  --


1. नए कानून के प्रावधान सभी केंद्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होंगे जिनमें बैंकिंग, रेलवे, जे ई ई और यूपीएससी शामिल हैं।

2. राज्यों के लिए यह विकल्प मौजूद होगा कि वह इस कानून को अपनाये या अपना अलग कानून बनाएं हरियाणा,राजस्थान समेत कई राज्य इस तरह का कानून पहले ही बना चुके हैं

3. प्रतियोगी परीक्षा के आयोजन और संचालन से जुड़े लोग निजी हो या सरकारी उन पर कानून के प्रावधान लागू होंगे।

4. कानून किसी परीक्षार्थी पर सीधे तौर पर तो लागू नहीं होंगे लेकिन दूसरी पाए जाने पर उनके खिलाफ मौजूदा नियमों के तहत ही कार्रवाई होगी. अर्थात इसमें विद्यार्थियों पर सीधे तौर पर कार्रवाई करने का प्रावधान करने से बचा गया है।

5. कानून बोर्ड परीक्षाओं एवं विश्वविद्यालय की नियमित परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा।


 सख्त कानून से ही थामेंगे पेपर लीक प्रकरण --


 तकनीकी का जैसे-जैसे ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है देश के विभिन्न राज्यों के लिए प्रतियोगी परीक्षा पेपर लीक होने की घटनाएं भी बढ़ने लगी है। समय-समय पर पेपर लीख की घटनाएं पढ़ने और सुनने को मिल रही हैं। तमाम प्रयास और कोशिशें के बावजूद भी ऐसी घटना काबू में नहीं आ रही है। यह घटनाएं ने केवल सरकारों बल्कि परीक्षा करवाने वाली एजेंसियों पर भी सवाल खड़े कर रही हैं. केंद्र सरकार का प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ियों से निपटने के लिए लाया गया विधायक समय की जरूरत को देखते हुए बड़ी पहल माना जा रहा है यह विधेयक लोकसभा में पेश किया जा चुका है। इसमें कठोर कानून और कड़े नियमों का प्रावधान बनाया गया है अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड रुपए जुर्माना का भी प्रावधान है।


 विद्यार्थी नहीं होंगे व्यर्थ का निशान --


 सरकार का दावा है कि इस विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा बल्कि इसमें संगठित अपराध माफिया और साथ घाट में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है यह केंद्रीय कानून राज्यों के लिए भी एक मॉडल ड्राफ्ट के रूप में कार्य करेगा। देखा जाए तो भर्ती परीक्षा में पेपर ली के मामले से अधिकतर राज्य जूझ रहे हैं ऐसे संगठित ग्रह विकसित होते जा रहे हैं जो पेपर ली की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 5 वर्षों में राजस्थान में 24 पेपर हुए थे जिनमें से 21 परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए. इन घटनाओं से गरीब किसान और मजदूरों के वह बच्चे जो कर्ज लेकर अपनी पढ़ाई करते हैं, उन पर बेहद विपरीत और नकारात्मक असर पड़ता है उनका पूरा मनोबल टूट जाता है। पेपर ली की भयावता इन आंखों से समझ सकते हैं कि 12 राज्यों में पेपर लेकर 37 मामले पिछले 5 सालों के दौरान सामने आ चुके हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों को इस मामले में अत्यधिक बदनामी का सामना करना पड़ा है। कड़ी प्रावधानों के अभाव के कारण अपराधियों ने पेपर लीक करने के लिए अपने संगठन तैयार कर लिए, और संगठित रूप से  इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। पेपर लीक करने वाले अपराधी बेखौफ है क्योंकि उन्हें मालूम है कि इस मामले में कोई भी कड़े प्रावधान नहीं है यदि वह पकड़ में आ भी जाते हैं तो तो कुछ पैसे खर्च करके और कुछ समय बाद फिर से रिहा हो जाते हैं। इन हालातो को देखते हुए पेपर लेकर मामले को रोकना बेहद जरूरी हो गया है। राजस्थान हरियाणा समिति के राज्यों ने परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानून भी बनाए हैं. अब केंद्र सरकार भी अपना कानून लेकर आई है इसके बावजूद यह कहना कठिन है की भर्ती परीक्षा में सेंध रुक जाएगी।


 पेपर लीख के नए तरीके आ रहे सामने ---


 पेपर लीक की घटनाओं को रोकना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि पेपर लीक और नकल करने के नित्य नए तरीके सामने आ रहे हैं ऐसे में सिर्फ कानून बनना ही काफी नहीं बल्कि कानून के प्रावधानों की शक्ति से पालन करना बहुत जरूरी है। भर्ती परीक्षाओं के समूचे सिस्टम को ऐसा बनाने की जरूरत है जिससे उसमें सेंड नहीं लगाई जा सके। आमतौर पर देखा गया है कि अधिकतर पेपर लीक की घटनाएं भारती एजेंसियों के कर्मचारी और प्रिंटिंग प्रेस से जुड़े लोगों की मिली भगत से होती है। अब इन लोगों पर नए कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी तो संगठित गिरोह नहीं पनप सकेंगे। इसके लिए सभी राज्यों को अपनी भर्ती परीक्षाओं को चकबंदी बनाने के लिए नए केंद्रीय कानून के अनुरूप अपने यहां सख्त और प्रभावी कानून बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है।


 अपराधियों को सजा मिलनी में देरी --


 पेपर लीक प्रकरण में पकड़े गए अपराधियों को सख्त सजा मिलने में हो रही देरी इसे और भी भैयावह बना रही है। इसको समझने के लिए हम राजस्थान राज्य का उदाहरण लेते हैं जहां देश का सबसे सख्त कानून है यहां पेपर लीक प्रकरण में लिप्त पाए जाने पर 10 करोड रुपए का जुर्माना संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान, और उम्र कैद की सजा का नया नियम पारित हो चुका है। इसके बावजूद पिछले 9 साल में 33 प्रकरणों में पकड़े गए 615 लोगों में से किसी को भी सजा नहीं हुई है. कमोबेश ऐसे ही हालत अन्य राज्यों में भी हैं। 


परीक्षाओं में विश्वसनीयता जरूरी हो --


संघ लोक सेवा आयोग राज्यों के लोक सेवा आयोग और राज्यों के अधीनस्थ सेवा बोर्ड विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करते हैं। इन सभी के लिए एक ऐसी विश्वसनीय परीक्षा प्रणाली विकसित की जानी जरूरी है जिसमें संसाधनों का अव्यय कम हो और पारदर्शिता बेहतर हो। कोविद के दिनों में सीबीएसई ने अपनी कुछ परीक्षाएं आयोजित करने में हाइब्रिड मॉडल अपनाया था वैसा ही मॉडल विकसित किया जा सकता है। प्रश्न पत्रों को विभिन्न अयोगी के सदस्यों की कमेटी की देखरेख में तैयार करवाना चाहिए और इस प्रक्रिया में मतगणना जैसी गोपनीयता रखना जरूरी है। पेपर बनाने और प्रिंट करवाने में काम से कम मन में हस्ताप्स लिया जाना चाहिए। प्रश्न पत्रों का परिवहन और स्टोरेज भी बेहद सुरक्षित और चाक चोबंद होना चाहिए। राजस्थान हरियाणा और मध्य प्रदेश में पेपर ली की घटनाओं से जुड़े जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया उनसे पता चलता है अधिकतर परीक्षाओं के पेपर, पेपर बनाने वालों के जरिए प्रिंटिंग प्रेस के जरिए, या परिवहन करने वाले लोगों के जरिए ही लीक हुए।


   निष्कर्ष --( conclusion ) -- 


 देश भर में और विभिन्न राज्यों में प्रतिवर्ष होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों छात्र दिन-रात अपनी मेहनत करके अपना जीवन खपा देते हैं। पेपर होने के बाद जब यह पता चलता है कि पेपर लीक हो गया, तो ऐसे छात्रों पर बहुत बड़ा कुठाराघात होता है। इसके कारण देश में अनेक अपराध जन्म ले रहे हैं। कई नौजवान छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर रहे हैं। बेरोजगारी पहले से ही देश में विकट रूप लेती जा रही है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से छात्रों में नकारात्मकता उत्पन्न हो रही है और उनकी प्रतिभा का विनाश हो रहा है। अब यह बहुत आवश्यक हो गया है कि पेपर लीक से जुड़ी घटनाओं पर शक्ति से रोक लगाई जानी चाहिए और देश तथा विभिन्न राज्यों में पारदर्शी तथा विश्वसनीय परीक्षाओं का आयोजन होना चाहिए। ताकि हम अपनी भाभी पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बना सकें।



ब्लॉग - प्रेरणा डायरी ।

वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com

राइटर - केदार लाल ( के. एस. लिग्री ) 


राजस्थान कि सड़को कि प्रेरणा दायक कहानी, अमरीका के बराबर होंगे राजस्थान के नेशनल हाईवे.




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 प्रेरणा डायरी

 केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि इस साल के अंत तक राजस्थान के हाईवे अमेरिका के बराबर हो जाएंगे। सरकार राजस्थान में 60000 करोड़ के एक्सप्रेस हाईवे बना रही है। यह राजस्थान ke विकास के इतिहास की एक प्रेरणादायक कहानी बन जाएगी। क्योंकि इससे राजस्थान का अभूतपूर्व विकास होगा। जयपुर दिल्ली के बीच तो हाईवे के किनारे केवल बेचकर इलेक्ट्रॉनिक बसें चलाई जाएगी। यह एक बेहतरीन और अलग तरह का विकास प्रोग्राम होगा। जो राजस्थान के विकास के लिए अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरणा देगा। तीन डब्बे जोड़कर ट्रेन जैसी बसें चलाई जाएगी। और इनमें भी उच्च श्रेणी की बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध रहेगी।

 बेहतरीन विकास परक प्रोजेक्ट ---

 केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी उदयपुर के एक कार्यक्रम में कई बड़ी प्रोजेक्ट की घोषणा की और कई ऐतिहासिक प्रोजेक्ट ओं का उद्घाटन किया। नितिन गडकरी ने यहां 2500 करोड़ की लागत से बने 17 सड़क प्रोजेक्ट के लोकार्पण और शिलान्यास का कार्य किया। इन कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री भजनलाल उपमुख्यमंत्री दियाकुमारी सेम  कई राजनीतिक हस्तियां मौजूद रही।

  विकास में मिल का पत्थर बनने ja rahe kuch प्रोजेक्ट --

1.

जोधपुर ग्रीन फील्ड रिंग रोड -- 2000 करोड रुपए से 105 किलोमीटर लंबा बन रहा यह रोड जोधपुर के लिए वरदान साबित  होने वाला हैl इस प्रोजेक्ट के बारे में सुना जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट जोधपुर की दिशा बदल देगा,


2.

इसके अतिरिक्त जोधपुर में ही एलिवेटेड रोड को भी मंजूरी दी गई है जिसका डिजाइन फाइनल हो चुका है यह लगभग 5000 करोड़ की लागत से बनकर तैयार होगा जल्द ही इस पर काम शुरू हो जाएगा यह भी एक बहुत बड़ी घोषणा माना जा रहा है.


3.

एक और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट राजस्थान में शुरू होने वाला है नाथद्वारा से हल्दीघाटी तक यह कुंभलगढ़ और चारभुजा जी को भी जोड़ेगा इस हाईवे की लंबाई 142 किलोमीटर है और इसकी और इसमें लगभग 1500 करोड रुपए की लागत आएगी यह काम जल्द से जल्द पूरा होगा भारत के सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने तो यह भी घोषणा की की 2025 में ही इस प्रोजेक्ट को पूरा कर दिया जाएगा,

4.

राजस्थान में चल रहा एक अन्य प्रोजेक्ट भी जल्द ही जनता के बीच में समर्पित होने वाला है.डूंगरपुर और सागवाड़ा तक 290 करोड रुपए की कीमत से 190 किलोमीटर लंबा टू लेन हाईवे तैयार किया जा रहा है, यह काम नहीं केवल समय पर शुरू हुआ बल्कि जल्द ही इसे पूरा कर दिया जाएगा और यह निर्धारित समय पर पूरा होने वाला कार्य साबित होगा,

5.

 राजस्थान के प्रतापगढ़ नीमच चित्तौड़गढ़ को कनेक्ट करने वाला एक और बड़ा प्रोजेक्ट इस समय राजस्थान को मिल चुका है.केंद्र सरकार और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी भी घोषणा करते हुए कहा की प्रतापगढ़ नीमच और चित्तौड़गढ़ को जोड़ने वाला सड़क कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जल्द ही पूरा करने की ओर कार्य किया जा रहा है.

 दोस्तों कुछ समय पूर्व राजस्थान राज्य की गिनती भारत के उन राज्यों में होती थी जो औद्योगिक रूप से बीमार राज्यों में गिने जाते थे. लेकिन पिछले कुछ दशकों में राजस्थान औद्योगिक क्षेत्र में नए केवल बीमारू राज्यों की श्रेणी से बाहर निकाला है बल्कि तेजी से अपनी प्रगति और अपना विकास भी किया है,वीर और सपूतों की भूमि राजस्थान अब प्रगति के पद पर आगे बढ़ने लगा है, केंद्र सरकार द्वारा  राजस्थान को मिले यह सड़क परिवहन प्रोजेक्ट राजस्थान के विकास में और ऐतिहासिक एवं कारगर साबित होंगे. 

 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर अपने हाथ में ली थी, और यह तय किया कि विकास के लिए देश में एक इंफ्रास्ट्रक्चर जारी करना है, विकसित करना है! जिन क्षेत्रों में पानी और बिजली की कने

क्टिविटी अच्छी होती है वही उद्योग आना पसंद करते हैं, वहां लोगों का विकास भी होता है तो दूसरी तरफ रोजगार भी मिलता हैl पहले राजस्थान में राजमार्गों की लंबाई 7498 किलोमीटर थी. जो 2024 में 10790 किलोमीटर हो गई, राजस्थान में 387 किलोमीटर 8 लाइन 832 किलोमीटर सिक्स लेन, 2400 किलोमीटर फोरलेन,और 6320 किलोमीटर टू लेने का निर्माण किया है,

 टॉप लेवल होगी जयपुर दिल्ली कनेक्टिविटी --




 सरकार ने जयपुर रिंग रोड पर निर्णय करके काम को जल्दी पूरा किया है इस वक्त कुछ ही काम शेष बचा है नितिन गडकरी ने घोषणा की की 5000 करोड़ से 6 लेने ग्रीन फील्ड 92 किलोमीटर का काम 3 माह में शुरू कर देंगे, किशनगढ़ से दिल्ली तक के काम को जून तक पूरा किया जाएगा एवं उसे पूरे मार्ग को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे पूरा होने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई से प्रदेश की दूरी कम होगी. इन दोनों औद्योगिक क्षेत्र से राजस्थान की दूरी कम होने के कारण यहां पर विकास के बेहतरीन अवसर उपलब्ध होंगे लोगों को रोजगार मिलेगा पर्याप्त ejafa होगा, इससे प्रदेश के औद्योगिक औद्योगिक विकास को भी तीव्र गति प्रदान हो सकेगी, जयपुर बांसवाड़ा रतलाम हाईवे निर्माण से भी प्रदेश के पर्यटन विकास को विकसित करने में काफी मदद मिलेगी, राजस्थान की देशभर और विदेशों में पर्यटन के क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान है, इस पहचान को और अधिक कामयाब रूप दिया जा सकता है,

 इसके अतिरिक्त राजस्थान में खनन उद्योग की भी अपार संभावनाएं हैं, इन हाईवे और मेगा हाईवे प्रोजेक्ट ऑन से राजस्थान में खनिज उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा, उसके विकास की संभावनाएं भी और अधिक प्रबल होगी,

 कहते हैं किसी भी देश और प्रदेश के विकास की रहे उनकी सड़कों से गुजरती हैं. किसी भी देश और राज्य की सरकारी मां की प्रगति का सूचक होती है, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार सड़कों के विकास के लिए तेजी से प्रयास करती है  


निष्कर्ष / सारांश  --


 सड़के बिजली पानी चिकित्सा स्वास्थ्य विकास के आधारभूत ढांचे माने जाते हैं। इन्ही संरचनाओं के द्वारा किसी भी देश एवं राज्य के विकास का पैमाना निर्धारित किया जाता है। जितनी विकसित अवस्था में यह आधारभूत सुविधाएं लोगों को प्राप्त होती है वह देश या राज्य उतना ही विकसित माना जाता है। सड़कों, राजमार्गों, मेगा हाईवे, आदि योजनाओं से न केवल विकास को गति मिलती है बल्कि लोगों को लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर भी प्राप्त होते हैं। सड़के किसी भी देश के विकास की धमनियां मानी जाती है। पिछले कुछ दशकों में राजस्थान का विकास विशेष कर सड़कों का विकास तेजी से हुआ है। अब केंद्र सरकार की इन बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा एवं कुछ प्रोजेक्ट  के पूरे होने पर उनका लोकार्पण एक अहम बात मान जा रहा है। राजस्थान के लिए केंद्र सरकार ने बेहद अहम और खास महत्व रखने वाले सड़क प्रोजेक्ट का ऐलान किया है जो एक हम घटना है।

सोमवार, 12 फ़रवरी 2024

जे. ई. ई. मेन 2024... बदलाव के साथ कैसे करें तैयारी।


प्रेरणा डायरी।

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जे ई ई मैन एग्जाम 2024 के लिए काफी पहले सिलेबस जारी कर दिया। टेस्टिंग एजेंसी ने फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ के कई टॉपिक हटाए हैं इससे स्टूडेंट को राहत मिली है। दो चरणों में होने वाली परीक्षा के सेक्शन -1 फर्स्ट के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हुए काफी समय बीत गया है तैयारी करने वाले कैंडिडेट पोर्टल पर जाकर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।  प्रेरणा डायरी के आज के आर्टिकल में जानिए सिलेबस के किस विषय से कौन से टॉपिक हटाए गए हैं और तैयारी और तैयारी करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखें...

 कौन-कौन से टॉपिक हटाए गए हैं --

 फिजिक्स इस विषय से कई टॉपिक हटाए गए हैं इसमें -- रोलिंग मोशन. डॉपलर इफेक्ट अर्थ मेग्नेटिज्म, साइक्लोट्रॉन रेडियोएक्टिविटी, डंपिंग एंड फ़ोर्सड ऑक्सीडेशन, कम्युनिकेशन एंड ट्रांजिस्टर और पोटेंशियोमीटर शामिल है।

 केमिस्ट्री -- केमिस्ट्री में हटाए गए टॉपिक में गैसेस स्टेटस सॉलिड स्टेटस पर फेस केमिस्ट्री हाइड्रोजन एस ब्लॉक एनवायरमेंटल केमेस्ट्री पॉलीमर केमेस्ट्री एंड एवरीडे लाइफ शामिल है।

 मैथमेटिक्स -- सालों से गणित का हिस्सा रहे टॉपिक को सिलेबस से हटाया गया है इसमें लीनियर इक्वेशन, बिनोमियल को एफिशिएंट, बरनौली ट्रायल्स, स्कॉलर वेब वेक्टर ट्रिपल प्रोडक्ट शामिल है।

 नई बदलाव के साथ ध्यान रखने वाली बात है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में 2024 सिलेबस से तीनों विषयों के कुछ टॉपिक कम कर दिए गए हैं लेकिन अगले चरण के लिए होने वाली परीक्षा में सिलेबस के लिए टॉपिक अभी भी शामिल हैं।


 डाउट क्लियर करें ---

 परीक्षा एक्सपर्ट के अनुसार तैयारी के दौरान अक्सर कई ऐसे टॉपिक सामने आते हैं जो आसानी से समझ में नहीं आते हैं। या उनमें कोई कंफ्यूजन हो जाता है ऐसे में उन डाउट को जल्दी से जल्दी दूर करने की कोशिश करें, इसके बाद में सॉल्व करने के लिए बचाकर रखें इस तरह आपको तैयारी करने में एक अलग ही आनंद महसूस होगा और डाउट को बाद में क्लियर करने का बोझ मन में नहीं रहेगा।


ऑफिशल वेबसाइट --


 परीक्षा की तैयारी एवं इससे संबंधित जुड़ी हुई हर पहलू पर जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर एग्जाम के पैटर्न को समझे इससे सही रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी --

Jeemain.nta.ac.इन वेबसाइट पर जाकर परीक्षा से जुड़ी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।


 11th और 12th का सिलेबस इंपॉर्टेंट --


 विशेषज्ञों के अनुसार जी की परीक्षा में करीब 45 फ़ीसदी सवाल 11th क्लास से जबकि 55 फ़ीसदी सवाल 12th के पाठ्यक्रम से जुड़े होते हैं इसलिए इन दोनों पर फोकस करना बेहद जरूरी है ऐसे स्टूडेंट जो भविष्य में जी की परीक्षा देने के बारे में सोच रहे हैं उन्हें भी 11th और 12th के फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथ के सिलेबस को ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि जी की तैयारी आसान हो सके इस तरह वह कम समय में भी तैयारी को बेहतर बना पाएंगे और सफलता हासिल कर पाएंगे



मॉक टेस्ट दें  --

 तैयारी को पूरा करने के साथ मॉक टेस्ट और इस परीक्षा से जुड़े पिछले सालों के क्वेश्चन पेपर को हल करने की आदत डालें इन्हें हल करने से यह समझ पाएंगे की तैयारी का स्तर कैसा है इसकी मदद से कैंडिडेट को पता चल पाएगा कि किस टॉपिक पर पकड़ मजबूत है और किस टॉपिक पर अभी और मेहनत करने की जरूरत है। यही वजह है कि विशेषज्ञ हर कैंडिडेट को मॉक टेस्ट और सैंपल पेपर को अनिवार्य तौर पर हल करने की सलाह देते हैं इसके अतिरिक्त परीक्षा के समय दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचारों को रोकें।


 तैयारी से पहले याद रखें --


 एक्सपर्ट कहते हैं की परीक्षा की तैयारी से पहले उसकी ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर एग्जाम के पैटर्न को समझें। इसे समझ पाएंगे की तैयारी की रणनीति कैसी बनानी है परीक्षा अप्रैल में होगी इसे ध्यान में रखते हुए अपडेट सिलेबस के साथ तैयारी को 20 दिन पहले ही पूरा कर लें। परीक्षा से 20 दिन पहले का समय रिवीजन और मॉक टेस्ट के लिए सबसे बेहतर माना जाता है यह तैयारी के स्तर को समझने में मदद करता है। 


ब्लॉग - प्रेरणा डायरी।

वेबसाइट -- prernadayari.blogspot.com

राइटर - केदार लाल। 

बुधवार, 7 फ़रवरी 2024

क्या होती है सकारात्मक सोच... छात्रों के लिए सकारात्मक सोच विकसित करने के जबर्दस्त उपाय। 2024 ।

 दोस्तों जब भी विचार व्यक्त करने की  या सोचने - समझने की बात होती है तब मनुष्य का नाम सबसे पहले लिया जाता है l क्युकी ईस्वर् ने अच्छा बुरा सोचकर फैंसला लेने की शक्ति मनुष्य को प्रधान की है l मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो positive विचारों के साथ अपना और दूसरो का कल्याण करने मे महती योगदान दे सकता है l सकारात्मक सोच एक इंसान को ऊर्जा देकर बेहतर जीवन जीने के लिए तयार करती है l soch के आधार पर मनुष्य को दो वर्गो मे विभाजीत् किया गया है l



           सकारात्मक रहिये... और बनाईये अपनी जिन्दगी

                                          खुशहाल।। 


1. सकरात्मक सोच वाले व्यक्ति l 

2. नकारात्मक सोच वाले व्यक्तिl

कई प्रशिक्षकों ने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में आशावाद और सकारात्मक सोच की भूमिका पर ध्यान दिया है। यह हमेशा स्पष्ट नहीं होता कि पहले क्या होता है: उपलब्धि या ये लाभ। लेकिन चाहत बने रहने का कोई नकारात्मक अधिकारी नहीं है।


कुछ भौतिक वास्तुशिल्प में शामिल हो सकते हैं:


अधिकतम जीवन काल

दिल का दौरा पड़ने की संभावना कम

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य

सामान्य बीमारी जैसी बीमारी के प्रति अधिक जानने की क्षमता

निम्नांकित _

बेहतर तनाव प्रबंधन

बेहतर दर्द सहने की क्षमता

मानसिक संतुलन में शामिल हो सकते हैं:


अधिक

बेहतर समस्या-समाधान कौशल

स्पष्ट सोच

बेहतर मूड

सर्वोत्तम प्रतियोगिता कौशल

कम अवसाद

जब एक अध्ययन में लोगों को फ्लू और सामान्य फ्लू के संपर्क में लाया गया, तो सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के बीमार होने की आशंका कम थी और उनके लक्षण भी कम दिखे।


एक अन्य अध्ययन के दौरान, जो महिलाएं अधिक आशावादी थीं, उनके कैंसर , हृदय रोग , स्ट्रोक , श्वसन रोग और संक्रमण से मृत्यु की संभावना कम थी।


एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के थे, उनके बारे में अधिक सकारात्मक विचार थे, वे अधिक समय तक जीवित रहे। उनमें तनाव संबंधी सूजन भी कम थी , जो उनके विचार और स्वास्थ्य के बीच एक संबंध को प्रस्तुत करता है।


सकारात्मक दृष्टिकोण वाले लोगों के स्वस्थ जीवन शैली की संभावना अधिक हो सकती है क्योंकि उनके निकट भविष्य के बारे में आशावादी दृष्टिकोण अधिक होता है। लेकिन बेरोजगार ने इसे ध्यान में रखा, और Skaratmak नजरिये वाले लोगों के वयक्तितव मे कुछ ऐसी खासियते होती हैं, जिसकी वजह से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है l ऐसे लोग दूसरो का खयाल रखने वाले, आत्मविस्वासि, विनम्र, प्रगति सील, और खुशनुमा सुवभाव के धनी होते हैं l  

इसके विपरीत नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति स्यम के लिए ही सबसे बड़ी भाधा बन जाते हैं l ऐसे इंसान के लिए काम, धंधा, दोस्ती, संबन्धी, व्यवसाय सब कुछ बोझ बन जाता है l नकारात्मक सोच वाले लोगों की जिन्दगी बेमकसद बन जाती है  और आक्सर सेहत ख़राब रहती है l 

अगर आप सकारात्मक नजरिया बनाना चाहते है और कायम रखना चाहते है तो आपको ईमान दारी के साथ ये कदम उठाने चाहिये-----


1. अपनी सोच बदले ----


हमे हमारे, दूसरो के, और अपने आस पास के माहौल मेa अच्छी बातों को खोजना पड़ेगा l सकारात्मक पहलू पर ध्यान देना होगा l किसी इंसान या घटना के बुरे पहलुओ की आपेक्सा अच्छे पहलुओ पर ध्यान देना होगा l हम लम्बे समय नकारात्मक भूमिका के कारण हर बात मे कमिया ढूंढने के आदी हो जाते है l और घटना का साफ सुथरा हिस्सा हमे नजर नहीं आता l कुछ लोग हर काम मे कमियाँ ढूडते है l aapne अपने आस पास, मित्र मंडली मे ऐसे लोगों को जरूर देखा होगाl en की सबसे बड़ी खासियत होती है हर काम मे नुक्स निकालना l उन्हें सब कुछ बुरा ही नज़र आता है, सारी दुनिया में दोष ढुंढना ही इन जनाब का मुख्य कार्य है l  ये चारों तरफ मयूसि फैलाते है l हर किसी को सक भरी नजरों से देखते है l ये पेसेवर आलोचक होते है l  दोस्तो अब आप ही तय करो कि आप को ईतनी निम्न स्तर की सोच के साथ जिन्दगी बितानी है...?? नहीं ना! .. तो फिर अभी तय करो सकारात्मक बदलाव के साथ जीवन जीने का l 

2. आसावादी बने ---


हमेशा उम्मीदों को जिंदा रखें | इतने मजबूत बने कि कोई आपके मन की शान्ति भंग ना कर पाए | जिससे मिलें मुस्कुरा कर मिलें उस से सेहत तरक्की खुशहाली के बारे में बात करें | उन्हें एहसास कराएं कि हम उनकी खूबियों की कद्र करते हैं | हर आदमी का मुस्कुरा कर स्वागत करें| खुद को कामयाब बनाने में इतना डूब जाएं कि दूसरों की आलोचनाओ के लिए वक़्त ही नहीं रहे | हर प्रकार की चिंता से मुक्त रहे |

3. काम को टाले नहीं ---- 


हम सभी जिंदगी मे कभी ना कभी टालमटोल वाला रवैया अपनाते हैं| ऐसा मैंने भी किया है जिसके लिए मे आज तक पछतावा मेहसूस करता हूँ| कार्य समय पर पूरा होने से न केवल हमारी सोच सकारात्मक होती है बल्कि हौसला भी बड़ता है| जबकि टालमटोल वालि प्रव्रती हमारा हौसला पस्त कर देती है| हमे अगर अपनी सोच सकारात्मक रखनी है तो आज मे जीते हुए हर काम को समय पर समाप्त करने की आदत डालनी होगी|

मुझे बेंजामिन फ्रैंकलिंन का ये कथन याद आ रहा है- "जो काम आप आज कर सकते हैं उसे कभी भी कल पर न डालें "

जो लोग कहते हैं कि इस काम को मे कल से शुरू करूँगा तो यह तय मान लीजिए कि वह उस काम को कभी नहीं करेंगे|इसलिए जो काम शुरू करना है उसे आज से ही शुरू कर दें| इस से आपका नजरिया सकारात्मक होगा|

4. दिन की शुरुआत अच्छे कार्य से करें --- 


सुबह के वक़्त कोई अच्छी चीज पढ़े या फिर मन को भाने वाला भजन या संगीत सुनें इस से दिन भर के लिए एक अच्छा दिमागी माहौल तैयार होगा | अच्छे विचार और व्यवहार को अपनी जिन्दगी का हिस्सा बनाना होगा | खुद में बदलाव लाने के लिए हमे बेहतर ढंग से प्रयास करने चाहियें|

5. दिमाग को शुद्ध विचारों की खुराक दें ---


जिस प्रकार हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा भोजन लेते हैं उसी प्रकार दिमाग को भी अच्छे विचारों की खुराक देना जरूरी है| अच्छे विचार हमारे नजरिये को सकारात्मक बनाते हैं|हम अपने दिमाग को नकारात्मक और सडे गले विचारों का भोजन प्रदान करेंगे तो हमारा दिमाग निश्चित् रूप से बीमार पड़ जाएगा|दिमाग को रोज शुद्ध और उच्च विचारों की खुराक दें । 


कैसे एक शिक्षक छात्रों को सकारात्मक प्रेरणा दे----


हास्य और सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करना

कॉमिक क्लास में एक आरामदायक और सकारात्मक मॉन्स्टर बनाया जा सकता है, जो छात्रों की मदद और प्रेरणा में सुधार कर सकता है। जो शिक्षक हास्य के तरीकों का उपयोग करते हैं, वे अपने छात्रों के साथ संबंध बनाने और भावना पैदा करने में भी मदद कर सकते हैं।


सकारात्मक सुदृढीकरण एक और रणनीति है जो सकारात्मक छात्र-शिक्षक संबंध को प्रभावशाली बना सकती है। छात्रों को उनके दस्तावेज़ों के लिए प्रशंसा और सुझाव देकर, शिक्षक उनके प्रोत्साहन में मदद कर सकते हैं और उन्हें अच्छा प्रदर्शन जारी रखने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सकारात्मक सुदृढीकरण कई रूप में हो सकता है, जैसे कि मस्कुलर प्रशंसा, लिखित प्रतिक्रिया, या छोटे पुरस्कार, जैसे स्टिकर या प्रमाण पत्र।


सकारात्मक व्यवहार और मार्केटप्लेस का प्रतिरूपण

जो शिक्षक सकारात्मक खरीदारी और व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं, वे अपने छात्रों के लिए रोल मॉडल के रूप में काम करते हैं और उन्हें बढ़ावा देने के लिए उनका पालन-पोषण करते हैं। इसमें सभी विद्यार्थियों के प्रति-पूज्य, धैर्यवान, माननीय और नेता शामिल हैं, साथ ही कक्षा में समुदाय और समग्रता की भावना को बढ़ावा देना भी शामिल है।


जब शिक्षक सकारात्मक व्यवहार और बैंकनोट का मॉडल बिकते हैं, तो वे एक सुरक्षित और सहायक शिक्षण माहौल बनाते हैं जहां छात्र मूल्यवान और प्रतिष्ठित महसूस करते हैं। उन्होंने यह भी दर्शाया है कि उन्होंने अपने छात्रों की सफलता और निवेश में निवेश किया है, जो विश्वास स्थापित करने और मजबूत संतुलन बनाने में मदद करता है।


अपने छात्रों को परिचय देना, सहानुभूति व्यक्त करना, छात्रों की आवाज़ और पसंद को पेशेवर बनाना, नियमित प्रतिक्रिया और प्रशंसा प्रदान करना, एक सुरक्षित और समावेशी कक्षा वातावरण बनाना, स्थिरता और विश्वसनीयता के माध्यम से विश्वास का निर्माण करना, छात्रों के साथ सीखने के उद्देश्य सहयोग करने से, उनके प्रति वास्तविक रुचि को जीवन और रुचियों से चित्रित करके, हास्य और सकारात्मक सुदृढीकरण का उपयोग करके, और सकारात्मक व्यवहार और अनुयायियों का उपयोग करके, शिक्षक अपने छात्रों के साथ मजबूत संबंध स्थापित कर सकते हैं।


इन विद्वानों से अकादमिक प्रदर्शन में सुधार, प्रेरणा और कल्याण में वृद्धि और बेहतर छात्र हो सकते हैं। सकारात्मक शिक्षक-छात्र भर्ती को बढ़ावा देने के लिए, शिक्षक छात्रों को कक्षाओं के अंदर और बाहर

Concluesion ( निष्कर्ष) :--------

हमारा पूरा जीवन हमारी सकारात्मक सोच पर टिका हुआ है l हमारे अच्छे विचार ही हमारे सफल जीवन का निर्मांड् करते है l सकारात्मक सोच एक मानसिक और भावात्मक द्राठीकोन् है जो सुवस्थ मानसिक स्थिति प्रदान करता है l  सकारात्मक सोच खुश हाल जीवन का मूलमंत्र है l 


K. S. Ligree  ( स्वतंत्र पत्रकार) 

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ब्लॉग नाम -- प्रेरणा डायरी।