शनिवार, 30 मार्च 2024

प्रेरणा कि विधियाँ (method of motivation)

 26 july 2023

Hindaun, Rajasthan, 

प्रेरणा कि विधियाँ ( method of motivation) 

दोस्तों, नमस्कार। 

मेरी "प्रेरणादायक डायरी (motivational dayri) मे ,आप  पढ़ रहे है- 'मोटीवेशन" और मोटीवेशन के हर पहलू को जान रहे है। पिछली 17 पोस्टों में हम इस पर चर्चा कर चुके है। पर एक बात जो, जरूरी है आपको बता दिये देता हु। कि हमें मोटीवेशन कि परिभाषा के साथ साथ ही इसे प्रभावित करने वाले कारक। मोटीवेशन के सिद्धान्त। मोटिवेशं की विधियों। आदि को भी समझना जरूरी है।तभी तो आप  प्रेरणा को भलि- भाँति जान पायेंगे, और जितना अच्छा आप किसी चीज को जानेंगे, उतना अच्छा आप सगजेंगे।आज कि पोस्ट में हम बात करेंगे प्रेरणा की विधियों की। आप ये जानेंगे की आखिर वो कौन कौन सी विधियाँ है जो प्रेरणा (motivation) प्राप्त करने मे हमारे लिए मददगार है। आगे बढ़ने से पहले में एक परिभाषा का  उल्लेख करना चाहता हूँ । जो मनोवैज्ञानिक mursell ( p. 116) दी है। मरसेल ने लिखा है। " प्रेरणा यह निश्चित करती है कि लोग कितनी अच्छी तरह से सीख सकते है, और कितनी देर तक सीख सकते है।" यानि आप जितने motivate होंगे उतना अच्छा अधिगम् ( learning) होगा। और ऐसा इन विधियों कि सहायता से किया जा सकता है। प्रेरणा की 7 विधियाँ बहुत लाभकारी सिद्ध हुई है। आईये मैं आपको इन विधियों से परिचित करवाता हु। 


1. रूची (interest) विधि : -----

रूचि (Interest) । ये प्रेरणा प्रदान करने कि प्रथम पहली विधि है। इस Topik "रुचि" के महत्व को मैं पहले भी कई बार इंगित कर चुका हूँ। दोस्तों "सफलता और रूचि दोनों का गहरा सम्बन्ध है । चोली -दामान का साथ है दोनों का । अगर किसी कार्य को आपने शुरू कर दिया और उसमें आपकी रुचि नहीं है। तो आपके सफल होने के चांस  नहीं के बराबर है। एक बालक को भी तभी पाठ याद होता है जब उस पाठ में उसकी रूचि होती है। आप को भी अपने काम में आनन्द तब आयेगा जब उस कार्य में आपकी रुचि होगी। Interest वाला कार्य करने से हमारे उस काम में सफल होने कि संभावना बहुत बढ़ जाती है। अत: आप पढ़ाई , कोई नया कार्य, व्यापार, व्यवसाय करते समय उसी को चुनें जिसमें आपका interest है। तो आप नि श्चित तौर पर सफल होंगे। यकीन रखें। 

मैं एक परिवारिक मित्र के बेटे का उदाहरण देता हूँ। उनके बेटे राकेश ने 12 पास करके नीट (NEET) कि तैयारी को फैसला किया।  बिना गंभीर विचार विमर्श के इतना बड़ा फैसला लिया।बिना अपनी रुचियों को जाने किया। और इस आधार पर किया कि पेरेन्ट्स ऐसा चाहते हैं। जबकि राकेश कि रूचि इसमें नहीं थी। आजकूल अच्छे कोर्सों में एडमिशन लेना भी स्टेटस कि बात हो गयी है, बहुतो के लिए तो । स्वयं पेरेंट्स को अपने बच्चों को रुचियों के आधार पर अपना करियर और कार्य क्षेत्र चुनने कि इजाजत देनी चाहिए । अब राकेश का जो हाल है- ना वो neet कर पाया , और ना ही उसके पास अपनी पसंद का काम शुरू करने का सपोर्ट और संसाधन रहे।इस समय वो तनावग्रस्थ जीवन जी रहा है । उसका करियर इसलिए खराब और बर्बाद हो गया, क्युकी उसने अपनी रुचियो को अंदेखा किया। दूसरों के कहे अनुसार अपने निर्णय लिए।और आज भी खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे उन विषयों को अपने आध्यन के लिए चुन लेते है, जिनमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है...! अब बताये आप की कैसे motivation/प्रेरणा प्राप्त होगी...?और कैसे सफ़लता (success) प्राप्त होगी...? , 

दोस्तों रुचि विधि इसी बात पर बल देती है। कि आप जो कार्य करें उसमें अपनी रुचियों को प्राथमिकता दें। रुचि हमें प्रेरित कर सफ़ल बनाती है। रुचि से आपके अंदर प्रेरणा(motivation) कि भावना जाग्रत होती है। और रुचि और प्रेरणा का जहाँ मिलन होता है, वहाँ आनन्द ही आनन्द होता है। अर्थात सफ़लता ही सफ़लता। मैं आज आपको सफ़लता का एक सूत्र/tips/टिप्स देता हूँ। इसे हमेसा अपने minde में सैट रखें--

रूचि + प्रेरणा = 100% सफ़लता । 

Interest + motivation =100% success

I. M. S. Formula 

तो आपको अपनी पढाई, अपना पाठ्यक्रम अपनी रूचि के आधार पर तय करना है। आपको अपना करोबार (business) रुचि के आधार पर तय करना है। आपको अपना वयवसास रुचि के आधार पर चुनना है, इससे आपको प्रेरणा प्राप्त होगी। 



दोस्तों अब मैं आपको लिए ले चलता हूँ आज कि हमारी विधि जो है सफ़लता विधि। 

 

2. सफ़लता (success) 


यह प्रेरणा प्रदान करने कि दूसरी बिधि है। और प्रेरणा के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें बालक को सफलता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है उसे सफलता उसका महत्व, प्रभाव आादि कि जानकारी देकर उसे खुद अपने कार्य या पढ़ाई में सफल होने के लिए प्रेरित करते है। दोस्तो एक बार सफलता मिलने पर आप आगे अधिक बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि पहली छोटी सफलता ने आपको उत्साहित और प्रेरित कर दिया है। दोस्तो एक बालूक या कोई व्यक्ति जिसे आप सफल होते देखना चाहते हैं तो आप उसे लगातार सफलता प्राप्त करने के लिए Motivation देते रहे ।मनोवज्ञानिक Frandsem ( p.222) फ्रेडसन इसके महत्व को इस्पट करते हुऐ कहते है कि "" सीखने के सफल अनुभव अधिक सीखने, कि प्रेरणा देते हैं""। सफलता विधि इसी प्रकार की प्रेरणा लेने पर बल देती है। एक साथ बड़ी सफलता हासिल करने के स्थान पर आप कोशिक करे छोटी छोटी सफ़लता अर्जित करने की। 

आप ये करें कि "पहले छोटी-छोटी सफलता हासिल करें फिर बड़ी सफलता का आनन्द लें" (K. S. Ligree quots) मैं स्टूडेन्ट और यूथ का ही एक पढ़ाई से सम्बन्धित उदाहरण देकर स्पष्ट करता हूँ, ताकि आप ● अपनी छोटी- छाटी सफलताओं का महत्व समझे ! मान लिजिए आप comption कि तैयारी का रहे है ( कोई भी कम्पीटीशन - RAS, teacher police , Bank, LDC, forest Agricul etc. तो आप इस जल्दबाजी में रहते है कि बस एक बार फटाफट पढ़ डालू जो भी है और कोई भी । कैसी भी बुक लाकर बिना सिलेबस देखे शुरू कर देते है। आप जिस भी परीक्षा, Exam, com pition, प्राइवेट सेक्टर Job कि तैयारी कर रहे हैं उसका सिलेबस लाए और कोशिश करें कि  सिलेबस सम्बन्धित बेबसाइट से लें। जैसे आप RAS, Teachr भर्ति कि तैयारी कर रहे तो RPSC कि साइट से सिलेबस लें। पूरे सिलेबस को ध्यान से पढ़े | 2-3 बार पढ़े ! और पूरे सिलेबस को तीन भागों में बाट ले। और पहले भाग के पहले टोपिंक को क्लीयर कर लें। जब तक टॉपिक एकदम 100% क्लीयर ना हो तब तक अगले टॉपिक पर ना जाए

पूरा अच्छे से समजे ।उसके बाद अगले टॉपिक पर जाएँ। फिर अगले पर | फिर अगले पर | इस तरह करने पर आपको खुद महसूस होगा कि तरीका एकदम अच्छा है । पूरे सिलेबस का पहला भाग / frist part अच्छे से तैयार होने का अहसास होते ही   आपका confidence बढ़ गया। अपका जोश बढ़ जाएगा गया। आपको अपने उत्साह में वृद्धि दिखाई देगी। और इसका असर भी नजर आएगा। आप इसरे भाग को अधिक जोश और रूचि के साथ तैयार करणे | क्योकि आपको पहले कि भाग कि छोटी सी सफलता से प्रेरणा (motivatian) मिल गयी। न केवल अब आपके सिलेबस का दूसरा भाग और जल्दी तैयर्  रोगा बल्कि आपको याद भी अच्छा होगा । और कुछ माह में ही आपका सिलेबस तैयार मिलेगा ।इसी प्रकार आप नौकरी का उदाहरण ले सकते है की  आप RAS कि तैयारी कर । रहे है। राजस्थान प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते है। दोस्तो आप गौर करना कि अन्य, बहुत ऐसी exam होंगी जिनमें 30 से 50 सिलेबस वही है जो RAS में है! अत: RAS के साथ आप अन्य छोटी (कम ग्रेड पे ) Job के लिए एप्लाइ करे जैसे  teacher, LDC, police, आदि। आप ईमानदारी रखेंगे तो सफल होने के चांस हैl  और ये छोटी सी सफलता आपको बड़ी सफलता तक पहुॅचायेगी। आपके बड़े लक्ष्य तक पहुँचा देगी। क्यूकि आप अपनी छोटी से सफलता से बड़ी सफलता हासिल करने के लिए मोटीवेट हो गये । आपको मोटीवेशन मिल गया ।पहली  सफलता मिलते ही आपका जोश और उत्साह बढ़ गया ।अब आप इस जोश और को अपनी दूसरी बड़ी सफलता कि और अग्रसर कर सकते हो। मोटीवेशन कि सफलता विधि हमे यहीं सम झाने का प्रयास करती है। 


3. प्रतिद्वन्दिता(compitition) :----


दोस्तों प्रेरणा प्रदान करने कि तीसरी सबसे महत्वपूर्ण विधि है  Compitision कि भावना | यानी student हो या अन्य व्यक्ति उसको प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित किया जाता है।  इस विधि के स्तेमाल में महत्वपूर्ण बिन्दु यही है प्रतियोगिता करते वक्त सामने वाले प्रतियोगी के विरुद्ध आपके मन में कोई दुर्भावना नहीं आनी चाहिए तभी वह कम्पीटीशन कि श्रेणी में रहेगा ।अन्यथा सम्बन्ध खराब होने के pureपास है । आज का वातावरण, सामाजिक तानाबान कुछ प्रतियोगिता न करके दुस्मनी शुरू करते पड़ौसी, रिश्तेदार, यार दोस्त जो हमसे आगे निकल रहा है (चाहे को होग में) तो हमें उससे स्वस्थ प्रतियोगिता करनी है, वो भी तब जब ऐसा उसके साथ करना उपयुक्त हो तब । आप अपने साथी छात्र के  साथ प्रतियोगीता रखते है तो अपने विचार उसके प्रति सकारात्मक और स्वस्थ रखे। हम साथी प्रतियोगी के लिए अपने मन में नफरत पाल लेते हैं। या कहे कि धीरे धीरे हमारी प्रतियोगिता कि भावना, बुराई कि भावना में बदल जाती है। मेरी प्रेरणा दायक डायरी" पढ़ रहे मेरे प्यारे पाठको को में बताना चाहता हु कि आप चाहे पढ़ाई कर रहे हैं या नौकरी कि तैयारी कर रहें है या व्यापार कर रहे है ।  आप अपने अन्दर कम्पीटीशन कि भावना रखिए । Motivation और सफलता के लिए यह बहुत जरूरी है। पर आप अपने जिस मित्र या परिचित के साथ प्रति 'योगिता रखते है उससे अपने सम्पर्क अच्छे  रखें। उसको इज्जत दे । उसके गुणों और खुबियों को जाने । अमल करने लायक हो उन पर अमल करें। कोशिश करें कि उससे ज्यादा बड़ी सफलता प्राप्त करें । उससे बड़े और उच्च पद पर पहुंचे। पर शुद्ध भावना के साथ | तभी जाकर आपका कार्य सिद्ध होगा । एक हमारे बीच का उदाहरण लेकर समझते है। मान लिजिए आप RAS या शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहें है । और aapke साथ पड़ोसी का बेटा हेमंत भी तयारी कर रहा है। वो आप से कम पढ़ता है, स्कूल भी ज्वाइन कर रखा है, परिवार के काम भी करता है, लेकिन फिर भी उसका सलेक्शन हुआ और आप पिछड़ गये । अब आपने कुंठा ग्रस्त होकर उसकी बुराइयाँ शुरू कर दी। गली में आलोचना करने लगे । आपने यह नहीं देखा कि आखिर कैसे उसने इतने कम समय में, इतना सब मैनेज किया और exam क्लीयर  किया । उसकी अच्छी बात को आपने सींखा नहीं। सुवस्थ प्रतियोगीता नहीं रहने के कारण  उल्टे रिलेशन भी गड़बड़ा गये । दोस्तो हमारी सफलता में कम्पीटीशन किभावना का बहुत बड़ा Role है | यह हमें प्रेरणा (Motivation) देती है। अत: अपने अन्दर स्वस्थ प्रतिद्धन्द्धिता का विकास करें। 



4. सामाजिक कार्यों में भाग (Participation In Social Work) :------


प्रेरणा प्रदान करने कि अन्य महत्वपूर्ण विधियों में "सामाजिक कार्यों में भाग" विधि खासी महत्वपूर्ण विधी है। हालाकि यह विधि अदिकतर् स्कूली छात्रों के लिए प्रयुक्त होती है। इस विधि में बालको को सामाजिक वातिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान किये जाते हैं । ये अवसर motivation (प्रेरणा), अदिगम्( learning ) के साथ साथ उनके मान सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सहायता देते फलस्वरूप वे अपने कार्य को अधिक उत्साह से करते हैं। अंतः शिक्षक को बालको को सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के अधिक के अधिक अवसर देना आवश्यक है। सामाजिक गतिविधियाँ अनुभव प्रदान करने के साथ-साथ आत्मसम्मान कि भावना भी जाग्रत करती है, और आत्मसमान्न की भावना व्यक्ति को सफल और कामयाब बनाने के प्रमुख औज़ारों में शामिल है। 

इस बिन्दु के अन्त में' मैं सामाजिक गतिविधि के महत्व को समझाने के लिए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक frandsen के कथन का उल्लेख करना चाहूँगा। फ्रैंडसन् (Frandsen, P.233 और P. D.पाठक ( P.214 )  "बालको और युवको को प्रेरणा देने कि सबसे प्रभावशाली विधि है उनको उन अर्थ पूर्ण सामाजिक कार्यक्रमों में रचनात्मक कार्य करने के अवसर देना, जिनको व्यक्ति और समाज दोनो महत्व पूर्ण समझतें है। 


5. प्रशंसा (praise) :----


प्रेरणा प्रदान करने कि एक अन्य महत्वपूर्ण विधि है प्रशंसा । अर्थात जब एक छात्र युवा या कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करें तो उसकी प्रशंसा करना । प्रशंसा प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रसंसा व्यन्ति को जल्दी प्रेरित करती है। प्रशंसा छात्र का कार्य के प्रति जोश और उत्साह बढ़ा देती है। प्रशंसा से बालक को प्रेरणा मिलती है। खुद देखा और महसूस किया होगा कि किसी छोटी क्लास के बच्चें या अपने परिवार के किसी औसत बच्चे कि सब बच्चों के सामने अच्छी तारीफ करते हुए, आप प्यार से, उसे सहलाते हुए बोले मेरा बेटा कितना होशियार है, कितना प्यारा है। सब बच्चों से अच्छा है। एक या दो दिन तारीफ, प्रशंसा करें। और फिर उस बच्चे कि एम्टिविटी पर नज़र रखे | आपको निश्चित ही बच्चे मे परिवर्तन  नज़र आाएगा कि वह बालक पढ़ाई ढंग से कर रहा है। और इन्ट्रेस्ट के साथ कर रहा है। लेकिन prasnsa को अगर आप प्रेरणा के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो फिर वह कारगर तब है जब उसे आप कई महीनों तक प्रशंसा प्रदान करके प्रेरित करे। हम मुश्किल से एक हफ्ता प्रशंसा नही कर पाएगे कि फिर निकम्मा और नालायक बता देगे | बच्चे कि कई बार प्रशंसा करें। कई महीनों तक करते रहे उसके बाद उसकी प्रेरणा कि राह आसान हो जायेगी। प्रशंसा एक इंसान को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। जैसे आप को  RPSC के कम्पीटीशन कि तैयारी करनी  हैं। और मैं आपका टीचर हूँ । आप जब मुझे मिलते हैं मैं मुस्कुरा कर आपकी पढाई की तारीफ कर देता हूँ "बहुत मेहनत कर रहे हो बेटा बार आपकी तैयारी शानदार है। इस बार आप जरूर सफल होगें। में अगर कुछ दिनों तक रोज आपस मुस्कुरा कर यहीं दिन में दो बार भी,  बोलू तो फिर आप ही बताइये कैसा लगेगा आपको ! एकदम सही कहा आपने | अच्छा लगेगा। बल्कि बहुत अच्छा फील होगा | आप अपने काम/पढ़ाई को तेजी से एवं के साथ करगे । आप हमेशा इस प्रसंशा का हकदार बनना चाहोगे | आपकी प्रशंसा ने आपको 'मोटीवेशन" (प्रेरणा) प्रदान की है।। प्रशंसा के रूप में मिला ये Motivation आपको कामयाबी तक ले जाता है । 


6. खेल विधि  (play-way- Method ) :--


यह छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से उपयोगी विधि है। इस विधि से बच्चों को अधिगम् (hearn) भी करवाया जाता है साथ ही खेलों के माध्यम से प्रेरणा भी प्रदान की जाती है। बच्चों को खेल के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए। खेलों के द्वारा बालको  में सामाजिक भावना का भी विकास होता है। एवं शारीरिक तथा मानसिक है विकास को बल मिलता है। आधुनिक युग में हेनरी काल्डवेल कुक ने खेल विधि को सबसे पहले प्रस्तुत किया। लेकिन इसे दुनिया में लोकप्रिय बनाया " फ्रेडरिक फोबेल मे अत: इस विधि के जन्मदाता जर्मनी के शिक्षाशास्त्री फ्रोबेल को ही माना जाता है। 

7. परिणाम का ज्ञान ( Knowledge of Result)

 

प्रेरणा देने कि महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि मे बालक   को पाठ्य विषय के परिणाम से परिचित करवाया जाता है। आप उससे किस प्रकार सांभावित रोगे । आप जो पढ़ना चाहते है उसका परिणाम क्या होगा ? उसका ज्ञान किस प्रकार आपके लिए उपयोगी होगा। यह बात अपको भलि-भांति समझाइ जाती है। एक सच्चे एवं कुशल teacher का  भी ये दायित्व बनता है कि जहाँ तक सम्भव हो उसे छात्रों को ये अच्छी प्रकार समझाना चाहिए कि जो पाठ्यसामग्री आप पढ़गे, उस से आप किस प्रकार लाभान्वित होगे। में एक उदाहरण देकर समझाता हूँ । मान लेते है, आप 12 class या फिर B.A. II Year स्टूडेन्ट है। आपने Geography को विषय के रूप में चुना है। या Moths को चुना है। मैं. (K.S. ligree ) आपका भूगोल विषय का अध्यापक हु । अब एक योग्य शिक्षक के नाते मेरा यह फर्ज़ बनता है। और ये मेरा दायित्व भी है कि उस विषय कि पाठ्यवस्तु पर आपके साथ पूरी चर्चा करू | उसके सभी पक्षों को आपको समझाऊ । पाठ्यक्रम  के गुण दोशों पर चर्चा करू । मुझे आपको यह समझाना पड़ेगा कि इस पाठ्य विषय से आपको किस प्रकार का ज्ञान प्राप्त होगा। और आप कैसे इस ज्ञान का उपयोग अपने भविष्य में कर सकते। वर्तमान में तो यह भी बताना जरूरी है कि यह पाठ्यक्रम आपके कैरियर निर्माण में किस प्रकार से सम्यक हो सकती है। आप से पाठ्यक्रम पढ़कर किस प्रकार कि नौकरियाँ और जॉब प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात विषय को प्रारम्भ करने से पहले में आपको उसके परिणामों कि पूरी जानकारी दूँगा। एक स्वस्थ चर्चा आपके साथ करुगा | उससे आपको यह लाभ रोगा कि पढ़ने से पहले ही । कार्य को प्रारंभ  करने से पहले ही | आप परिणामों से परिचित हो जाएगे। और आपको उस विषय से सम्बन्धित फैसलों को लागू करने में सुविधा होगी। आप खुद ये तय कर पाएंगे कि अमुक विषय पढ़ना मेरे लाभदायक है या नुकशान दायक । दोस्तो आपने देखा होगा कि किसी कार्य को शुक करने से पूर्व ही हमें उसके परिणामों (Result) की जानकारी होती है, और यदि अच्छे परिणामों को  आपने समझा है तो फिर आप उस कार्य को Motivation के साथ करेंगे ।  आपको कार्य के Result से पहले ही यह लगने लग जाएगा कि मैं इस कार्य में सफल हो जाऊंगा। क्योंकि आपको विषय के अच्छे परिणाम और उसके गुण दोषो कि पूर्व जानकारी है। इस  प्रेरणा के साथ ही आपने यह यि विषयवस्तु और कार्य आरम्भ किया था। 

दोस्तों 'परिणामों' का ज्ञान" हमें शिखने (learning) कि प्रेरणा देता है। प्रसिद्ध मनोबेज्ञानिक वुडवर्ष  - Woodworth (P.328) पर इस के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहते है कि "प्रेरणा परिणामों के तात्कालिक ज्ञान से प्राप्त होती है। in english " Motivation comes from the Immediate knowledge of Result"l 

दोस्तो, इसके अतिरिक्त सामूहिक विधि, आवश्य ज्ञान विधि और कक्षा का का वातारण प्रमुख विधि है, जो  प्रेरणा प्रदान करने में न प्रयुक्त होती है - 


8. कक्षा का वातावरण  (Classroom environment ) 

 

ये प्रेरणा प्रदान करने कि अंतिम महत्वपूर्ण विधि है। यह विधि भी विद्यालयी छात्रों के लिए प्रउच्क्त होने वाली विधि है , जो कक्षा कक्ष के वातावरण पर निर्भर विधि है। इसमें कक्षा के माहौल को सीखने लायक और खुशनुमा बनाया जाता है। अच्छे माहौल से छायों को अपने पाठ्यक्रम को समझने, याद करने ,सीखने  कि प्रेरणा मिलती है। फ्रैंडसन (Fransen p. 208) ने। इसके समर्थन में ठीक ही कहा है वो कहते हैं कि 

"अच्छा शिक्षण प्रभावशाली प्रेरणा के लिए शिक्षण सामग्री से सम्पन्न, अर्थपूर्ण और निरन्तर परिर्वतन कक्षा कक्ष के वातावरण पर निर्भर करता है। 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने प्रेरणा प्रदान करने वाली विधियों के बारे में जाना और समझा है। प्रेरणा को पढ़ने के साथ-साथ समझने कि भी जरूरत है। और प्रेरणा को समझने के लिए इसके प्रकार, विधियाँ और प्रेरणा को प्रभावित करके वाले कारकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। 


धन्यवाद। 

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E-mail- lalkedar04.blogspot.com

गुरुवार, 21 मार्च 2024

कैसे हासिल करें सफलता ..?

तुडावली, rajasthan

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कैसे हासिल करें सफलता..?

प्रेरणा डायरी ( मोटिवेशन डायरी ) के एक और बेहतरीन आर्टिकल में आपका स्वागत है। अपनी जिंदगी में हर इंसान सफल होना चाहता है। क्योंकि बिना सफलता हासिल की जिंदगी सुनसान और वीरान नजर आती है। बिना सफलता प्राप्त किये जीवन जीने का आनंद नहीं आता। लेकिन आखिर वह कौन-कौन से तरीके हैं जिनसे हम सफलता नाम की इस अनमोल चीज को प्राप्त कर सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम इसी बात को समझने का प्रयास करेंगे। आज के इस आर्टिकल को आप निम्न पॉइंट में  रीढ़ करेंगे --

1. सफलता क्या है..?
2. लक्ष्य बनाये।
3. निरंतर अभ्यास करें।
4. वही कार्य करें जो आपको अच्छे लगते हैं।
5. धैर्यवान बनें।
6. जिद और कड़ी मेहनत।
7. योजनाओं पर अमल करें।
8. खुश मिजाज बनें।
9. आशावादी बने।
10. हर काम को फौरन करने की आदत डालें।
11. नकारात्मक असर से बचें।
12. निष्कर्ष।
13. महत्वपूर्ण प्रश्न -उत्तर।





सफलता क्या हैं...?

" सदा मुस्कुराना,गमों को भूल जाना।
 सबका प्यार पाना, सबको हंसाना।
 यारों के साथ मिलकर, खुशियों में डूब जाना।
 बच्चों का साथ देना सबका दुख बांट लेना।
 उम्मीदें जगाकर, मस्ती में झूम जाना।
 खूबियां तलाशना, आलोचना सह जाना।
 गमों को पी जाना, तराने खूब गाना।
 दुख में भी मुस्कुराना, सुख में भी मुस्कुराना।
 अपनों का साथ पाकर फूले ने समान।
 असफलता के दौर को धुएं में उड़ना।
 सफलता का राज मैंने ऐसे ही जाना।।

             --   केदार लाल ( K. S. Ligree )

दोस्तों सफलता अचानक से हासिल नहीं होती हैं। यह निजंतर प्रयासों का परिणाम होती है। सफलता एक सुहाने सफर की भांति है। हम एक लक्ष्य को पूरा करते हैं और दूसरे में जुट जाते हैं और यह सफर चलता रहता है। हर इंसान के लिए सफलता के मायने अलग-अलग होते हैं। जैसे -- एक छात्र अच्छे अंक प्राप्त करके अपने आप को सफल मानता है। कोई नौकरी लगकर अपने को सफल समझता है। किसी के लिए दौलत,शोहरत कमाना सफलता है। एक किसान अच्छी फसल पैदा करके अपने को सफल मानता है। एक वैज्ञानिक नए अनुसंधान को अपनी सफलता के रूप में देखाता है. कोई अच्छी सेहत और खुशी को हासिल करना अपनी सफलता मानता है। कई लोग अपने परिवार और बीवी बच्चों की खुशहाली को अपनी सफलता मानते हैं। मैं एक राइटर हूं और अच्छा लिखने के प्रयासों को अपनी सफलता मानता हूं। इसका मतलब यह हुआ की सफलता एक निजी एहसास है, हर आदमी अपने हिसाब से अपनी सफलता के माप दंड  तय करता है, फिर भी सफलता को अच्छे ढंग से परिभाषित करना हो तो कुछ यूं कर सकते हैं--

"मूल्यवान लक्ष्य की प्राप्ति का नाम ही सफलता है।"

 असली सफलता किसी काम को अच्छी तरह से करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने के एहसास से मापी जाती है। सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि, हमने जिंदगी में कौन सा ओहदा या कौन सा पद प्राप्त किया है, बल्कि इस बात से मापी जाती है कि हमने वह मुकाम कितनी रूकावटों को दर करके हासिल किया है।अर्थात सफलता संघर्षों की कहानी है। सफल लोग अपने आप से मुकाबला करते हैं वह अपना खुद का रिकॉर्ड बेहतर बनाने और उसमें लगातार सुधार लाते रहते हैं।
 सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि हमने जिंदगी में कितनी ऊंचाई हासिल की है, बल्कि इस बात से मापी जाती है कि हम कितनी बार गिरकर उठे हैं। सफलता का आकलन गिरकर उठने की क्षमता से ही किया जाता है। आपको दुनिया की एक मशहूर हस्ती की कहानी सुनाता हूं--

"एक आदमी की जिंदगी की कहानी बड़ी मशहूर हैं। यह आदमी 21 साल की उम्र में व्यापार में नाकामयाब हो। गया 22 साल की उम्र में वह चुनाव हार गया। 24 साल की उम्र में उसे व्यापार में फिर असफलता मिली। 26 साल की उम्र में उसकी पत्नी मर गई।27 साल की उम्र में उसका मानसिक संतुलन बिगड़। गया 34 साल की उम्र में वह कांग्रेस का चुनाव हार गया। फिर 45 साल की आयु में उसने सीनेट के चुनाव में हर का सामना किया। 47 साल की उम्र में वह उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहा। लेकिन 49 साल की आयु में वह फिर से  चुनाव हार गया और वही आदमी 52 साल की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति चुना गया और वह इंसान था इब्राहिम लिंकन।”
 अब आप लिंकन को असफल मानेंगे..? अगर लिंकन चाहते तो सर झुका कर मैदान से हट सकते थे और अपना समय निकाल सकते थे लेकिन उन्होंने संघर्ष करके सफलता हासिल करने का रास्ता चुना। और यही सच्ची सफलता है।
 एक और शख्सियत का उदाहरण में आपके सामने रखना चाहता हूं
" वाल्ट डिजनी जब युवक थे तो कई अखबारों के संपादकों ने उन्हें यह कहकर भगा दिया कि उनमें टैलेंट है ही नहीं। एक दिन एक चर्च के पादरी ने उन्हें कुछ कार्टून बनाने का काम दिया डिज्नी चर्च में जिस शेड के नीचे काम कर रहे थे वहां चूहे उछल कूद मचा रहे थे, एक चूहे को देखकर उनके मन में एक कार्टून बनाने का ख्याल आया और वहीं से मिकी माउस का जन्म हुआ। दोस्तों इन उदाहरण के माध्यम से मैं आपको यह समझना चाहता हूं कि सफल लोग महान काम नहीं करते बल्कि वह छोटे-छोटे कामों को महान ढंग से करते हैं। जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते बल्कि वह हर काम अलग ढंग से करते हैं
और यही सच्ची सफलता का राज हैं।
प्रेरणा डायरी के इस प्रेरणा दायक आर्टिकल में, मैं आपको सफलता प्राप्त करने के कुछ सूत्र (टिप्स ) बताने जा रहा हूँ --


1. लक्ष्य बनाये --

 लक्ष्य हमें जीवन जीने की दिशा दिखाता है। हमारा लक्ष्य ही वह चीज होती है जो हमें सफलता तक लेकर जाती है। बिना लक्ष्य के इंसान सिर्फ अंधेरे में तीर चलता है। जीवन के रास्ते में चलते हुए नजरे हमेशा अपने लक्ष्य पर रहनी चाहिए। मैं आगे बढ़ने से पहले आपको एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं -- " प्राचीन भारत में एक ऋषि अपने शिष्यों को तीरंदाजी की कला सीखा रहे थे। उन्होंने लक्ष्य के रूप में एक लकड़ी की चिड़िया रखी और अपने शिष्यों से उस चिड़िया की आंख पर निशाना लगाने को कहा। उन्होंने पहले शिष्य  से पूछा "तुम्हे क्या दिख रहा है...? शिष्य ने कहा, मैं पेड़, पेड़ की टहनिया, आकाश, चिड़िया और उसकी आंख देख रहा हूं।  ऋषि ने उसे शिष्य को इंतजार करने को कहा। तब उन्होंने दूसरे शिष्य से वही सवाल किया तो दूसरे से उसने जवाब दिया "मुझे सिर्फ चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है।" तब ऋषि ने कहा,  "बहुत अच्छा अब तीर चलाओ।" और फिर तीर सीधा जाकर चिड़िया की आंख में लगा। मतलब साफ है कि शिष्य का लक्ष्य तय था "चिड़िया की आंख" इसीलिए तीन निशाने पर जाकर लगा और उसे सफलता प्राप्त हुई। अगर हम  अपना लक्ष्य तय नहीं करेंगे और अपने मकसद पर ध्यान नहीं लगाएंगे तो सफलता हासिल नहीं कर पाएंगे अपने मकसद पर ध्यान लगाना एक मुश्किल काम है,  मगर यह एक कला है जिसे सीखा जा सकता है।

 4 जुलाई 1952 को फ्लोरेंस चैडविक कैटरीना चैनल और इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करने वाली पहली महिला बनने वाली थी। वह इंग्लिश चैनल को पहले ही पार कर चुकी थी। सारी दुनिया की निगाह उन पर टिकी हुई थी। चैड़वीक ने घने कोहरे और हड्डियों को कपाने  वाली ठंड तथा कई सार्क मछलियों का मुकाबला किया। वह किनारे पर पहुंचने का प्रयास कर रही थी, लेकिन उसने अपने चश्मे से जब  देखा उन्हें घना कोहरा दिखाई दिया। किनारा ना दिखाई देने की वजह से उन्होंने हार मान ली। चैडविक को सदमा तब लगा जब उन्हें पता चला कि वह किनारे से सिर्फ आधा मील दूर रह गई थी। उन्होंने हार इसलिए नहीं मानी थी कि बधाओं ने उनकी हिम्मत तोड़ दी,  बल्कि इसलिए हार मानी थी क्योंकि उन्हें अपना लक्ष्य कहीं नजर नहीं आ रहा था। वह किसी बाधा की वजह से नहीं रुकी। उन्होंने कहा "मैं बहाने नहीं बना रही हूँ , अगर मैने  किनारा देखा होता तो मैं जरूर कामयाब हो जाती।"  2 महीने बाद वह फिर वापस गई, और उन्होंने कैटलीना चैनल को पार कर लिया।  इस बार खराब मौसम के बावजूद उसने अपने लक्ष्य पर निगाह रखी और वह न केवल सफल रही बल्कि उसने पुरुषों के रिकॉर्ड को भी 2 घंटे के समय से तोड़ा।

 एक बार एक यात्री चौराहे पर रुका। उसने एक बुजुर्ग से पूछा "यह सड़क मुझे कहां ले जाएगी..? बुजुर्ग ने पलट कर पूछा आप कहां जाना चाहते हो..? उसे यात्री ने कहा "मैं नहीं जानता कि मुझे कहां जाना है। बुजुर्ग ने कहा - "तब कोई भी सड़क पकड़ लो, क्या फर्क पड़ता है।" जब तुम जानते ही नहीं हो कि तुम्हें कहां जाना है तो कोई भी सड़क तुम्हें वहां ले जाएगी। इन छोटे -छोटे उदाहरनो के माध्यम से आप भली भांति यह समझ गए होंगे की सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य की क्या अहमियत है। आता है पहली सीढ़ी यही है कि आप अपना एक मूल्यवान लक्ष्य निर्धारित करें। 
 
2. निरंतर अभ्यास --

निरंतर प्रयास व अभ्यास वह प्रक्रिया है जो बेहद महत्वपूर्ण है। आप और हम कई उदाहरण देखते हैं जिनमें कक्षा में साधारण और औसत दिखने वाले छात्र कठिन परीक्षाओं में अव्वल स्थान हासिल कर लेते हैं और क्लास में अव्वल रहने वाले स्टूडेंट असफल हो जाते हैं। कई साधारण व्यक्ति ऐसा धारण सफलता हासिल कर लेते हैं। यह सब निरंतर अभ्यास का ही परिणाम है। एक कहावत का उदाहरण देकर में इस बात को आपके सामने और अधिक स्पष्ट कर देना चाहता हूं हिंदी जगत में एक बेहद लोकप्रिय कहावत है जो अभ्यास की महिमा को उजागर करती है वह कहावत इस प्रकार है--

 करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
 रस्सी आवत जात से सी पर परत निशान।।

 इस कहावत का अर्थ है कि बार-बार अभ्यास करने से जड़ बुद्धि अर्थात मूर्ख व्यक्ति भी चतुर और होशियार बन जाता है। निरंतर अभ्यास से एक मुलायम और धागों से बनी हुई रस्सी भी कठोर चट्टान पर निशाना बना देती है। अभ्यास वह गुण है जो हमें उपलब्धि दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अंग्रेजी में भी एक लोकप्रिय कहावत है  "प्रेक्टिस मेक ए मैन परफेक्ट" अर्थात अभ्यास एक व्यक्ति में संपूर्णता लाता आता है। निरंतर प्रयास और अभ्यास की स्किल को डेवलप करके आप अचीवमेंट हासिल कर सकते हैं।
 एक और उदाहरण देकर मैं इस बात को स्पष्ट करता हूं -- लेखक जॉन इरविन को प्रतिभाशाली लेखक माना जाता है लेकिन उन्हें डिस्लेक्सिया रोग हो गया था। उन्हें छोटी-मोटी चीज याद करने में भी बड़ी कठिनाई होती थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने अपने काम में अभ्यास का समय बढ़ा दिया। वह चीजों का बार-बार अभ्यास करते, लिखी हुई बातों को बार-बार रिवाइज करने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने ने केवल डिस्लेक्सिया को पराजित किया बल्कि धैर्य और कड़ी मेहनत से सफलता अर्जित की।
 महान वायलिन वादक फ्रेतज क्रिसलर से किसी ने पूछा कि "आप इतनी अच्छी वायलिन कैसे बजाते हैं...? क्या यह भाग्य कि देन हैं...? उन्होंने जवाब दिया--" यह अभ्यास का नतीजा है।अगर मैं एक महीने तक अभ्यास ना करूं तो मेरे वायलिन बजाने में आए फर्क को मेरे श्रोता महसूस कर लेते हैं।  अगर मैं एक सप्ताह तक अभ्यास नहीं करूं तो मेरी पत्नी फर्क को बता देती है। और अगर मैं एक दिन अभ्यास ना करूं तो मैं खुद फर्क को महसूस कर लेता हूं। 

2.  वही कार्य करें जो आपको अच्छा लगता है --


 मां को अच्छा लगने वाला कार्य करने से शीघ्र सफलता मिलती है, यह कार्य करके आप बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। एक ब्रिटिश पत्रकार 'हेस्टर' ने दुनिया भर के सैकड़ो सफल लोगों के साक्षात्कार लिए और उनका मूल्यांकन किया। इस मूल्यांकन में यह निष्कर्ष निकल के सामने आया कि अधिकांश सफल लोग वही कार्य कर रहे थे जो उन्हें अच्छा लगता था। अच्छा लगने वाला कार्य व्यक्ति दिल और मन से करता है। लगन और रुचि के साथ करता है। और मां और लगन से किया हुआ कार्य कभी निराश नहीं करता कभी असफलता नहीं दिलाता।

4. धैर्यवान बने --

 दुनिया के सभी सफल लोगों में एक बात समान होती है और वह है उनका धैर्यवान होना। धैर्य जुनून और दृढ़ता का संयोजन है यानी किसी कार्य में असफल होने पर वह उसे छोड़ने नहीं बल्कि धैर्य के साथ पुन प्रयास करते हैं और लक्ष्य प्राप्ति तक डटे रहते हैं।  धैर्यवान व्यक्ति को अपना लक्ष्य जरूर हमेशा याद रहता है और उन्हें पता होता है कि अंत में कहां पहुंचना है सफल लोग अपने जीवन को धैर्यवान बनाकर मैराथन दौड़ की तरह जीते हैं ने की 100 मीटर फर्राटा रेस की भांति।

5.  जिद और कड़ी मेहनत --

 सफलता हासिल करने में जीत और कड़ी मेहनत बड़ा एम फैक्टर है।
" जिद करो दुनिया बदलो "। अगर आप अपनी दुनिया बदलना चाहते हैं सफलता और उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं तो आपको अपने अंदर एक जिद पालनी होगी - सफलता हासिल करने की ज़िद। प्रसिद्ध विद्वान चार्ल्स डार्विन लिखते हैं की बुद्धिमत्ता के लिहाज से लोगों के बीच ज्यादा अंतर नहीं होता, अंतर होता है केवल जिद और कठिन परिश्रम का। यह एक महत्वपूर्ण अंतर है जो लोगों को सफल या असफल बनाता हैं। दोस्तों मैं आपसे सवाल पूछता हूं कि क्या कोई इंसान किसी पहाड़ को तोड़ सकता है...? तो आपका जवाब होगा - नामुमकिन है। पर अनेक उदाहरण है जिसमें लोगों ने अपनी जिद की जरिए इस तरह के संभव कामों को भी संभव किया है जिनमें एक उदाहरण है दशरथ मांझी का। दशरथ मांझी नाम के एक साधारण आदमी ने केवल छेनी और हथौड़ी की मदद से एक बड़ा पहाड़ तोड़कर सड़क बना डाली जिन पर "माउंटेन मैन " नामक सफल फिल्म भी बनी है। और वह खुद भी माउंटेन मैन के नाम से फेमस हूए। दशरथ मांझी ने अपनी जिद और कड़ी मेहनत से यह उपलब्धि हासिल की जो हर किसी को प्रेरणा देती है।

6.  योजनाओं पर अमल करें --

 योजना बनाना आसान है पर उन पर अमल करना अलग बात है। आपने सफलता हासिल करने के लिए जो प्लानिंग तैयार की है उस पर तुरंत एक्शन लें। क्योंकि समय निकालने के बाद सिर्फ पछतावा ही हाथ लगता है। आपका यह साल भी पिछले साल की भांति गुजर जाएगा क्योंकि वक्त का पहिया बड़ी तेजी से घूमता है इसलिए एक अच्छी प्लानिंग तैयार कर उस पर अमल करें। योजना बंद तरीके से आगे बढ़े। अच्छी योजना सफलता और उन्नति का रास्ता तैयार करते हैं प्लानिंग हमें आत्म अनुशासन के लिए तैयार करती है योजना आपके लक्ष्य को साधने में मदद देती है। अपनी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देते हुए सारी शक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने में लगाए। बीच-बीच में अपनी योजनाओं को आंकते  रहें। और हर दिन का मोल समझे।  समय का सदुपयोग करते हुए अपनी योजना पर अमल करें। सफलता को तय करने वाला यह एक अहम फैक्टर है।

 7. खुशमिजाज बने --

 कुछ लोग खुशमिजाजी की किस्म के होते हैं। आप भी हंसने हंसाने की आदत डालिए इससे आप में अपनी कमियों पर भी हंसने की ताकत आ जाएगी। हंसने हंसाने की आदत इंसान को आकर्षक बना देती है। हंसी हमें गिरकर उठने की शक्ति प्रदान करती है। हंसी दुनिया में हर दर्द की कुदरतती दवा है। खुशमिजाजी और सफलता का गहरा संबंध है खुश मिसाज इंसान के सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं।

8. आशावादी बनिए --

 आप आशावादी कैसे बन सकते हैं...? आईये मैं आपको बताता हूं--
" इतने मजबूत बनिए की आपके मन की शांति को कोई भंग नहीं कर सके हर मिलने वाले आदमी से सेहत खुशहाली और समृद्धि के बारे में बातें करे। अपने सभी दोस्तों को एहसास कराये कि आप उनकी खूबियों की कद्र करते हैं। हर चीज के केवल उजले पहलू को देखे। केवल अच्छी से अच्छी बातें सोचें और अच्छे से अच्छे नतीजे के लिए कम करें। बीते दिनों की गलतियों को भूल जाए और आने वाले दिनों में ज्यादा बड़ी कामयाबी हासिल करने के लिए आगे बढ़े। हर आदमी का मुस्कुरा कर स्वागत करें।  अपने को बेहतर बनाने में इतना वक्त लगाए कि दूसरों की आलोचना करने के लिए वक्त ही ना बचे इतने बड़े-बड़े की चिंता छू न सके, और इतने अच्छे बने की गुस्सा आए ही नहीं।

9. हर काम को फौरन करने की आदत डालें --

"वह चांदनी रातों मे सोया
उसने सुनहरी धूप का मजा उठाया
कुछ करने कि तैयारी में जिंदगी गुजारकऱ
वह गुजर गया कुछ न कर हारकर।।
                               
                          --  जेम्स अल्बरी।

 हम सभी जिंदगी में कभी ना कभी ढीला डाला और तलम टोल वाला रवैया अपनाते हैं ऐसा मैंने भी किया है जिसके लिए मुझे बाद में बहुत पछताना पड़ा तलम टोल की आदत की वजह से हमारा नजरिया नकारात्मक बन जाता है किसी काम को करने से अधिक थकान उसे काम को ने करने के लिए की जाने वाली तलम टोल की वजह से होती है कोई भी काम पूरा होने पर खुशहाली आती है और हौसला बुलंद होता है जबकि आधा अधूरा काम हमारी हिम्मत को वैसे ही खत्म कर देता है जैसे पानी के टैंक में हुआ कोई छेद टैंक को खाली कर देता है। यह वैसी ही बात है जैसे कि एक छोटा बच्चा कहता है कि मैं बड़ा होने पर फला काम करूंगा जिससे मुझे खुशी और सफलता मिलेगी। जब वह बड़ा हो जाता है तो कहता है कि कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने के बाद में यह काम करूंगा तुम मुझे खुशी मिलेगी।  कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने के बाद वह कहता है कि  नौकरी लगने के बाद मुझे खुशी मिलेगी। नौकरी लगने के बाद वह कहता है कि उसे शादी के बाद खुशी मिलेगी। शादी के बाद वह कहने लगता है कि बच्चे स्कूल जाने के बाद उसे सच्ची खुशी मिलेगी। जब बच्चे स्कूल की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं तो वह कहता है कि मुझे खुशियां रिटायर होने के बाद मिलेंगी, और रिटायर होने के बाद में   वह क्या देखा है...?  कि उसकी आंखों के सामने ही पूरी जिंदगी गुजर चुकी है। काम को टालते रहने कि आदत हमें असफल बनाती हैं। "बाद में कर लूंगा"-- इस वाक्य को आज ही अपनी जिंदगी से निकाल कर बाहर कर दीजिये। वरना काम को टालने की आदत एक बीमारी बनाकर आपको जिंदगी भर सताएगी। आपने जो भी लक्ष्य निर्धारित किए हैं उन पर तुरंत एक्शन लीजिए, और हर काम को फौरन करने की आदत डालिए। यह सफलता का एक सूत्र है।

10. नकारात्मक असर से बचें --


 हमारे सामने मौजूद किसी भी तथ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण उस तथ्य के बारे में हमारा नजरिया होता है क्योंकि हमारी सफलता या असफलता उसी से तय होती है। आप अच्छी चीजों की खोजकर्ता बनिए। अपनी जिंदगी के सकारात्मक पहलू पर ध्यान देना शुरू कीजिए किसी इंसान या किसी हालत के बुरे पहलू के बजाय उसके अच्छे पहलू पर गौर करना शुरू करें हम में से ज्यादातर लोगों को अपनी ही सोच का माहौल इस ढंग से डाल देता है कि हम गलतियों और कमियों को ढूंढने के आदी हो चुके होते हैं और इसीलिए तस्वीर का अच्छा पहलू हमसे अनदेखा रह जाता है।  ओलिवर बेंदहाल होम्स कहते हैं कि "हमारी जिंदगी का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि ज्यादातर लोग मन में कुछ करने की इच्छा लिए ही कब्र में चले जाते हैं। हम अपनी दूरदर्शिता की कमी की वजह से सफलता हासिल नहीं कर पाते।" नकारात्मक असर किस कदर हमारी जिंदगी को प्रभावित कर सकता है इसके लिए मैं आपको एक कहानी सुनाता हूं -- एक चील का अंडा किसी तरह एक  मुर्गी के घोसले में गिर गया। और बाकी अंडों के साथ मिल गया। समय आने पर वह अंडा फूटा और चील का बच्चा यह सोचता हुआ बड़ा हुआ कि वह मुर्गी है। वह उन्हीं कामों को करता था जिन्हें मुर्गी करती थी। वह जमीन खोदकर अनाज के दाने चुगता और मुर्गी की तरह ही कुड़कुडाता था। वह कुछ फिट से अधिक उड़ान नहीं भर पता था क्योंकि मुर्गी भी ऐसा ही करती थी। एक दिन उसने आकाश में एक चील को बड़ी शान से उड़ते हुए देखा उसने मुर्गी से पूछा-- "उस सुंदर चिड़िया का क्या नाम है...?  मुर्गी ने जवाब दिया वह चील है। वह एक शानदार चिड़िया है लेकिन तुम उसकी तरह उड़ान नहीं भर सकते क्योंकि तुम तो मुर्गी हो। चील के बच्चे ने बिना सोचे विचारे मुर्गी की बात को मान लिया। वह मुर्गी की जिंदगी जीता हुआ ही मर गया। सोचने की क्षमता न होने के कारण वह अपनी विरासत को खो बैठा। उसका कितना बड़ा नुकसान हुआ। वह जीतने के लिए पैदा हुआ था पर वह दिमागी तौर पर हार गया।
 अगर आप चील की तरह आकाश की बुलंदियों को छूना चाहते हैं तो आपको चील के तौर तरीकों को सिखाना होगा, अगर हम खुद को कामयाब लोगों के साथ जोड़ेंगे तो हम भी कामयाब हो जाएंगे, अगर हम नकारात्मक सोच वाले लोगों के साथ रहेंगे,  तो हम भी वैसे ही बन जाएंगे।

निष्कर्ष --

 दोस्तों सफलता यूं ही नहीं मिलेगी.. सफलता के रास्ते में आपको कांटे भी मिलेंगे, तो ठोंकरें भी लगेंगी। लेकिन इन बातों से घबराना नहीं है बल्कि इन्हें अपनी  "प्रेरणा डायरी" ( मोटिवेशन डायरी )बनाना है। विनम्रता के साथ इन मुसीबत को स्वीकार करना है फिर आपको जो सफलता प्राप्त होगी वह सच्ची सफलता होगी वह उच्च किस्म की कामयाबी होगी।

-- हेनरी फोड़ने जब पहली कर बनाई तब उसमें रिवर्स गियर डालना भूल गए थे।
-- थॉमस एडिसन बिजली का बल्ब बनाने से पहले सैकड़ो बार
 असफल हुए थे।
--- हेनरी फोर्ड अपनी 40 साल की उम्र में ही दिवालिया हो गए थे।

 हर ठोकर लगने के बाद, असफलता मिलने के बाद हम स्वयं से पूछे कि हमने इन तजुर्बा से क्या सीखा है तभी हम इन असफलताओं से पार पाके, सच्ची सफलता और सच्ची कामयाबी की सीढ़ी चढ़ पाएंगे।


 प्रश्न उत्तर

Question 1. सफलता किसे कहते हैं..?

उत्तर -- सफलता किसी मूल्यवान उद्देश्य की प्राप्ति होती है। आप अपने जीवन में जो लक्ष्य निर्धारित करते हैं, उन  लक्ष्यो को प्राप्त कर लेना ही सफलता है।  जिंदगी में खुशी और समृद्धि हासिल करना सफलता है। कठिनाई और बधाओं को पार करके जीत हासिल करना सफलता है। सफलता की सारी कहानी संघर्षों और दृढ़ संकल्पओं पर टिकी हुई होती है। जिंदगी में कठिन परिश्रम से चुनौतीयों को पार करके  खुशहाली और समृद्धि हासिल करना सफलता है।

Question 2. किस व्यक्ति को सफल व्यक्ति माना जाएगा...?

उत्तर -- सफल व्यक्ति वह माना जाएगा जो अपने जीवन में पूर्व निर्धारित मूल्यवान लक्ष्यो को प्राप्त कर लेता है। एक सफल व्यक्ति का जीवन सुख, समृद्धि और खुशहाली से भरपूर होता है। सफल व्यक्ति अपने जीवन  को आनंद के साथ व्यतीत करता है। सफल लोग बेहद मेहंती, कठोर परिश्रमी, और जुनूनी होते हैं। सफल व्यक्ति संघर्षशील और दृढ़ संकल्प वान होते हैं।


ब्लॉग - प्रेरणा डायरी।
वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com

सोमवार, 18 मार्च 2024

CUET UG 2024, कैसे करें तैयारी, ताकि मिल सके सफलता।


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तुडावली, राजस्थान, भारत।

प्रेरणा डायरी।

 " आपकी सफलता कि और एक कदम "

CUET UG 2024, कैसे करें तैयारी, ताकि मिल सकें सफलता।

देश की सबसे अच्छी और टॉप यूनिवर्सिटी के एडमिशन के लिए होने वाले सीयूईटी एक्जाम 2024 की डेट आ चुकी है। लगभग दो माह बाद इस परीक्षा का आयोजन होगा। समय ज्यादा नहीं कहाँ जा सकता। यह परीक्षा 15 में से 31 में के बीच होगी। इस समय तक ज्यादातर देश के ज्यादातर बोर्डो कि 12वीं की परीक्षाएं खत्म हो चुकी होंगी, या अपने अंतिम पड़ाव पर होंगी। इन परीक्षाओं के बाद स्टूडेंट CUET 2024 की तैयारी में जुट जाएंगे, अगर आप भी अपने आप को इस अभियान का हिस्सा बनाकर, इसमें  सफलता (success ) अर्जित करना चाहते हैं, इस परीक्षा के जरिए देश की टॉप यूनिवर्सिटी में एडमिशन पाना चाहते हैं तो तैयारी के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जो बच्चे जीरो लेवल से अपनी तैयारी शुरू कर रहे हैं। उनकी बौद्धिक तैयारी के लिए यह आर्टिकल एक बेहतरीन आर्टिकल साबित होगा। यह आपको मोरल सपोर्ट देगा। आप अपनी तैयारी शुरू कर चुके हैं या करने वाले हैं तो पहले एक बार इस आर्टिकल को पढ़ें, और इसमें दिए गए बिंदुओं को फॉलो करते हुए अपनी तैयारी करें। अर्थात आप अपनी तैयारी करते समय इन बिंदुओं का भी ध्यान रखें, तो निश्चित रूप से आप अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं- आईए जानते हैं वह कौन-कौन से महत्वपूर्ण बिंदु है --


CUET का फुल फॉर्म क्या हैं --

 पहले यह जाना भी बेहद जरूरी है की सीट का आखिर फुल फॉर्म क्या होता है..? तो दोस्तों इसका पूरा नाम है --
 "कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम"। यह देश की टॉप यूनिवर्सिटी मैं एडमिशन के लिए होने वाला एग्जाम है। यह एक नेशनल लेवल का एग्जाम हैं। इस परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी करवाती है,  जिसे एन. टी.ए. अर्थात नेशनल टेस्टिंग एजेंसी भी कहा जाता है। आप इसे नेशनल लेवल का एक अच्छा एग्जाम मानकर चलिए।

महत्वपूर्ण तिथियाँ --

 NTA ने अपनी वेबसाइट पर CUET- 2024 की विज्ञप्ति के साथ ही महत्वपूर्ण तिथियां भी घोषित कर दी हैं।  आवेदन 27 फरवरी से 26 मार्च तक भरे जा सकेंगे, एवं परीक्षा 15 से 31 मई 2024 को आयोजित होगी। परीक्षा का आयोजन ऑफलाइन मोड में किया जाएगा। 

 1. पेपर पैटर्न को समझें --

 

 दोस्तों CUET exam ही नहीं किसी भी एग्जाम की तैयारी से पहले आपके लिए फर्स्ट स्टेप यह है कि आप उस एग्जाम से संबंधित पैटर्न को पूरा समझ। किसी भी एग्जाम की तैयारी से पहले, उस परीक्षा के पैटर्न को अच्छी तरह समझना बेहद आवश्यक होता है। बिना परीक्षा पैटर्न को समझे,अच्छी सफलता हासिल नहीं की जा सकती।  मैंने सर्च करने के बाद ये बात महसूस कि हैं CUET  कि exam से सम्बंधित टेक्निकल मैटर कि भरमार हैं। ऐसे यूनिक और मौलिक आर्टिकलो का अभाव है जो प्रतियोगी छात्रों को मानसिक संबल दे सके,  यानी उन्हें मेंटली प्रिपेयर कर सकें। अर्थात प्रेरित (motivate) करने वाले अच्छे लेखकों की कमी है। यह आर्टिकल आपके मोरल सपोर्ट के लिए है।  इस आर्टिकल को पढ़कर आपको परीक्षा देने की प्रेरणा प्राप्त होगी। अब इस एग्जाम से संबंधित कुछ बेसिक जानकारी लेते हैं, जो आपके लिए जरुरी हैं।

वो कुछ इस प्रकार है --- CUET PG  2024 में कुल विषयों की संख्या 61 है। इनमें से 33 लैंग्वेज सब्जेक्ट,  27 डोमेन स्पेसिफीक, और 1 जनरल टेस्ट पेपर होगा। आप एक साथ ज्यादा से ज्यादा 6 टेस्ट पेपर ( 4-5 डोमेन सब्जेक्ट, 1-2 लैंग्वेज विषय ) के लिए अप्लाई कर सकते हैं। और एग्जाम दे सकते हैं। पिछले साल तक यह संख्या कुल 10 थी। एन टी ए ने सलाह दी है कि कैंडिडेट कम से कम एक लैंग्वेज एवं एक जनरल टेस्ट पेपर जरूर चुने। कुछ विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषयों के लिए एग्जाम टाइम 45 मिनट का होगा।  45 मिनट की परीक्षा में कुल 50 प्रश्न पूछे जाएंगे,  जिनमें से आपको 40 के जवाब देने होंगे 10 ऑप्शनल होंगे। आप जिनके आंसर जानते हैं वह लिखें बाकी 10 छोड़ सकते हैं। जिन विषयों के लिए 60 मिनट की परीक्षा ली जाएगी उनमें अकाउंटेंसी, इकोनॉमिक्स, फिजिक्स,कंप्यूटर साइंस, केमेस्ट्री, मैथमेटिक्स, एंड जनरल टेस्ट है। यह बेसिक जानकारी है आप पूरी जानकारी के लिए cuet कि बेबसाइट सर्च कर सकते हैं।  ---

2. पिछले पेपर्स करेंगे मदद -- 


आप अच्छी रणनीति बनाते हुए पिछले 5 साल के पेपर्स देखें। यह आपकी बहुत मदद करेंगे। दोस्तों हर चीज को प्रैक्टिकल करना जरूरी होता है जब आप पिछले 5 साल के पेरो को देखेंगे तो आप खुद ही यह जान जाएंगे की कौन सा क्षेत्र अधिक इंपॉर्टेंट है और कौन सा क्षेत्र काम इंपॉर्टेंट है।  किस विषय पर कितना..? ध्यान देने की जरूरत है। किन विषयों को कम समय देने की जरूरत है। किस विषय की तैयारी किस तरह की, है कहां से अधिक प्रश्न पूछे जा रहे हैं..? पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति कैसी है...? और यह समझने की कोशिश करें कि किन क्षेत्र से ज्यादा प्रशन आते हैं। इससे आपकी बेहतरीन प्रेक्टिस होगी। एग्जाम का अच्छा अभ्यास होगा उन प्रश्नों पर अधिक फोकस करें,  उनके साथ ही तैयारी पूरी करें जहां से अधिक प्रश्न पुट अप होते हैं। अच्छी तैयारी के लिए इन पेपर्स और मॉडल पेपर को रोजाना हल करने की कोशिश करें,  जितना ज्यादा इनकी प्रैक्टिस करेंगे,  उतनी ज्यादा सफलता के करीब पहुंचेंगे। यह प्रैक्टिस बताएगी कि आपकी तैयारी में कहां-कहां कमी है ताकि समय रहते उसे सुधारा जा सके।  और तैयारी बेहतर हो सके। अगर आप पुराने पेपर्स के माध्यम से प्रेक्टिस करके,  अभ्यास करके,  अपनी तैयारी की रणनीति बनाएंगे तो, निश्चित रूप से बेहतरीन परिणाम ला पाएंगे।

3. सिलेबस के लिए रणनीति अपनाएं --

 अगर परीक्षा की तैयारी को बेहतर बनाना चाहते हैं तो पूरे सिलेबस को बारीकी से समझे। सिलेबस को समझने के बाद इसे कई भागों में विभाजित कर लें।  एक भाग में अपने स्ट्रांग क्षेत्र को रखें,  जबकि दूसरे भाग में अपने वीक पॉइंट को रखें। यानी जिन टॉपिको को आप अच्छी तरह समझते हैं और आसानी से कर लेते हैं,  उन्हें स्ट्रांग क्षेत्र में रखें। वही ऐसे टॉपिक या चैप्टर जो आपको परेशान करते हैं, जिन पर आपको ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, जो आपको कम समझ में आते हैं उन्हें, उन्हें वीक पॉइंट कि लिस्ट में शामिल करें। यह रणनीति आपको यह तय करने में मदद करेगी की तैयारी के दौरान आपको कहां ज्यादा फोकस करने की जरूरत है और कहां पर नहीं। वीक टॉपिक को ज्यादा समय देना है। और किन टॉपिक को कम समय देना है यह समस्या इस रणनीति से हल हो जाएगी। इस डिवीज़न से यह भी तय हो जायेगा कि किस क्षेत्र से ज्यादा सवाल पूछे जाते हैं और किस क्षेत्र से कम।  रणनीति अपना कर आप अच्छी सफलता पा सकते हैं।

4. टालमटोल वाला रवैया ना अपनाये --

 तैयारी के दौरान बहुत से स्टूडेंट अध्ययन में टालम टोल का रवैया अपना लेते हैं। वह खुद यह सोचने लगते हैं कि इस विषय में तो मैं बेहतर अंक ला सकता हूं। उनका यह रवैया उनके लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। टालम टोल वाला रवैया छोड़ें, बेहतर तैयारी पर फोकस करें। परीक्षा के दौरान पॉजिटिव रहे।  योग और मेडिटेशन करें ताकि तनाव कम हो। तनाव आपकी तैयारी को इफेक्ट करेगा। और अच्छे परिणाम कि सम्भावना को बिगाड़ सकता है। आप नकारात्मक सोच से बाहर आकर पूरी क्षमता के साथ प्रयास करने में जुट जाएं।  निश्चित तौर पर परिणाम अच्छी ही आएंगे। आप एक और अच्छा तरीका अपना सकते हैं आप अपने पिछले वर्षों के टॉपर्स की वीडियो देखें। और उनसे आप यह सीख सकते हैं कि उन्होंने किस प्रकार अपनी तैयारी की और किस तरह से स्ट्रास और दबाव को मैनेज किया। और परीक्षा में कैसे सफल हुए। यह वीडियो आपको काफी प्रेरित (मोटीवेट / motivate )  करेंगे। यह छोटी-छोटी बातें ध्यान रखने से आपकी तैयारी बेहतर होगी, और लापरवाही से आप दूर रह सकेंगे।

5. नोट्स बनाते चलें --


 विशेषज्ञ बताते हैं की तैयारी के दौरान जिन टॉपिक को आप पढ़ते हैं उनके शॉर्ट नोट्स बनाने बनाते हुए चलें। हर चैप्टर के पॉइंट्स में नोट बनाएं। इन नोट्स में इंपॉर्टेंट परिभाषा और फार्मूला को शामिल करें। यह नोट्स आपकी तैयारी को बेहतर बनाएंगे, और परीक्षा कि लास्ट प्रिपरेशन में रिवीजन  में मदद करेंगे। विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन टॉपिक के शॉर्ट नोट्स बना लिए जाते हैं, और उन्हें बार-बार रिवाइज किया जाता है तो वह लंबे समय तक याद रहते हैं और परीक्षा में सवालों के जवाब को बेहतर तरीके से लिखने में मदद करते हैं।

6. ज्यादा नही सोचें --

 परीक्षा एक्सपर्ट और विशेषज्ञ बताते हैं की तैयारी के दौरान ज्यादातर स्टूडेंट सोचने लगते हैं कि क्या मेरा एडमिशन मनचाही यूनिवर्सिटी में होगा..! या नहीं होगा..!  कई बार यह सोच उन पर इतनी हावी हो जाती है की तैयारी में पिछड़ने लगते हैं,  इसलिए रिजल्ट पर फोकस करने के बजाय अपनी तैयारी पर ध्यान दें। अपने मन को शांत रखें। कुछ समय अपनी मनचाही एक्टिविटी को दें, अगर मन में कोई सवाल है तो अपने दोस्तों से बात करें, या अपने टीचर से डिस्कशन करें, या फिर परिजनों के साथ इस पर चर्चा करें।

7. मॉक टेस्ट जरूर दें --

 परीक्षा के लिए तैयारी करना लेकिन उसका मूल्यांकन नहीं करना भी एक बड़ी गलती है। ऐसी गलती है जो बाद में तनाव का कारण बन सकती है। इसलिए परीक्षा के दौरान मॉक टेस्ट से तैयारी करना बहुत जरूरी है।  टेस्ट पेपर को हल करना इसलिए भी जरूरी है, ताकि आपको यह पता चल सके कि आपकी तैयारी में कहां कमी है। इस तरह कर्मियों का सही समय पर पता चलने पर उसे ठीक किया जा सकता है।  आप यह समझ सकते हैं कि आपको कहां ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है, और कहां पर कम। समय से कमजोरी का पता चलने पर उसे ठीक किया जा सकता है।  अचानक कमजोरी के सामने आने पर उसे ठीक करने के लिए समय नहीं बच पाता है। अतः मॉक टेस्ट पेपर लगातार करते रहे। इससे ना केवल आपकी तैयारी मजबूत होगी बल्कि, आपको बेहतर रणनीति बनाने में और अच्छे रिजल्ट हासिल करने में मदद मिलेगी।

8.  स्ट्रेटजी को फॉलो करें --

 स्ट्रेटजी को पूरी तरह फॉलो ना करना भी एक समस्या बन सकता है।  कई बार आप तैयारी के लिए अच्छी रणनीति तो बनाते हैं लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है रणनीति पर जोर काम हो जाता है।  यानी बहुत से कैंडिडेट उसे पूरी तरह फॉलो नहीं करते इसलिए तैयारी कमजोर होती चली जाती है।  इसका पता उन्हें तब चलता है जब परीक्षा नजदीक आ जाती है, और उस समय इस प्रॉब्लम का सलूशन नहीं हो पाता। क्योंकि समय का अभाव होता है। ऐसे में आपका तनाव बढ़ जाता है। आपकी पहले से की हुई अच्छी तैयारी भी प्रभावित होती है। कॉन्फिडेंस अनबैलेंस हो जाता है।अतः ऐसी गलती करने से बच्चे। जो भी परीक्षा की रणनीति बनाई है, उसे पूरी तरह लागू करें। उस पर अमल करें, तैयारी में लापरवाही परिणाम पर बुरा असर डाल सकती है। कोई बात आपको समझ में नहीं आती है तो उसे अपने मेंटर की मदद से हल करें।

 9. ओवर कॉन्फिडेंस से बच्चे --

 परीक्षा एक्सपर्ट भी इस बात को मानते हैं की परीक्षा में कॉन्फिडेंस बहुत जरूरी है लेकिन जब यह कॉन्फिडेंस ओवर हो जाता है तब इसके परिणाम गलत ही आते हैं।  इसलिए तैयारी करते समय यह ध्यान रखें कि जो भी पढ़ा है,  उसे अच्छी तरह समझे सवालों का जवाब देने में कितना समय लग रहा है, इसका मूल्यांकन करें। दोस्तों ओवर कॉन्फिडेंस के समय हमारे मन में एक धारणा घर कर जाती है कि मुझे सब कुछ याद है। मैं सब कुछ जानता हूं। मुझे सब समझ में आ गया। इस सोच के कारण  बुरा नतीजा यह निकलता है कि हमारी तैयारी कमजोऱ रह जाती है।  क्योंकि जिन विषयों में हमारी वीकनेस थी, उन विषयों और टॉपिक के बारे में भी हमने यह सोच लिया की तैयारी अच्छी है, क्योंकि हम ओवर कॉन्फिडेंस थे। ओवर कॉन्फिडेंस के कारण कई बार बड़ा नुकसान हो जाता हैं । इसलिए कॉन्फिडेंट रहे। कॉन्फिडेंट रहना हंड्रेड परसेंट जरूरी है।  और यह बहुत बेहद आवश्यक चीज है। लेकिन ध्यान बस इस बात का रखें कि ओवर कॉन्फिडेंस नहीं रहे।

CUET से संभंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर ---

Question-- दोस्तों, हजारों, लाखो कि संख्या मैं छात्रों कि एक समस्या होती है कि  ""मैं जब भी किसी परीक्षा की तैयारी करता हूं, मुझे रिजल्ट की चिंता होने लगती है, इस बात को लेकर मैं परेशान होता हूं, की वैकेंसी कितनी कम है और प्रतियोगिता कितनी ज्यादा। कैसे अच्छा रिजल्ट आएगा..?  में क्या करूं कि इस परीक्षा की चिंता से दूर रहकर पूरा ध्यान पढ़ाई पर दे सकूं----??

उत्तर --

 दोस्तों आप शांति से बैठकर अपने मन में यह सोचो कि जो चीज मेरे हाथ में नहीं उसके बारे में सोने से क्या फायदा। क्योंकि आपके हाथ का जो काम है वह है परिश्रम करना, उसका फल आपको जरूर मिलेगा क्योंकि कहते हैं--

मेहनत कभी जाया नहीं जाती हैं,

आज नहीं तो कल,

 कहीं ना कहीं काम आती हैं।

 अर्थात आप मेहनत करें अपने परिश्रम पर ध्यान दें अगर आपका परिश्रम सही दिशा में है तो निश्चित रूप से रिजल्ट अच्छा ही आएगा। मेहनत करोगे। आप जो कर सकते हैं उसे पर फोकस करें, न की इस बात पर की क्या होगा...? अच्छे छात्रों पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता की वैकेंसी कितनी है दोस्तों एक वैकेंसी पर भी किसी न किसी का तो सिलेक्शन होता ही है आपको यह सोच रखनी है कि मुझे मेरे सिलेक्शन के लिए सिर्फ एक वैकेंसी की आवश्यकता है अब बाकी की संख्या पर ध्यान मत दो। यह सब व्यस्त की चिंता है जो आपकी तैयारी पर नकारात्मक असर डालती है। नकारात्मक सोच से बाहर निकाल कर अपनी पूरी क्षमता के साथ परीक्षा देने का प्रयास करें। सही दिशा में किए हुए प्रयास कभी नाकाम नहीं होते वह हमेशा अच्छा रिजल्ट देते हैं इस बात को हमेशा ध्यान में रखकर तैयारी करें आपकी अच्छी तैयारी होगी।



ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी.

वेबसाइट -  prernadayari.blogspot.com

रविवार, 17 मार्च 2024

बोर्ड एग्जाम 2024, कैसे करें भूगोल विषय कि तैयारी..?


 प्रेरणा डायरी।

Tudawali, rajasthan india

22/02/2024


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दोस्तों नमस्कार। बोर्ड परीक्षा में अब कुछ ही हफ्ते शेष बचे हैं। सीबीएसई बोर्ड परीक्षा की 12वीं क्लास में भूगोल विषय का एक पेपर होता है।  भूगोल काफी रोचक सूचना प्रदान और आनंददायक विषय है। भूगोल में आप थोड़ा सा ध्यान देकर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। आज के आर्टिकल में मैं आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहा हूं जो भूगोल विषय में आपको अच्छे अंक दिलाने में कारगर साबित होंगे। भूगोल विषय में मैप और डायग्राम का सबसे अधिक महत्व होता है। इस विषय में आंकड़ों का प्रयोग भी अधिक करना चाहिए।

 मैप बनाने की प्रैक्टिस करें --

 भूगोल एक ऐसा विषय है जिसे बेहतर ढंग से समझने के लिए नक्शे ( मैप ) का बड़ा महत्व है। भूगोल विषय में प्रश्नों के उत्तर देते समय नशे का प्रयोग अवश्य करना चाहिए इससे अच्छे अंक प्राप्त होते हैं और उत्तर प्रभावी बनता है। जैसे --  मान लेते हैं कि आपके एग्जाम में एक सवाल आया और वह सवाल है कि -- "भारत के प्रमुख लोह उत्पादक क्षेत्र और उनके राज्यों के नाम बताइए..?

 अब इस प्रश्न का उत्तर देते समय आप भारत के प्रमुख लोह उत्पादक क्षेत्र और राज्यों के नाम अपने आंसर में लिखें साथ ही साथ आप भारत का एक कच्चा मानचित्र बनाकर उसमें लोह उत्पादक क्षेत्र और उनके राज्यों का नाम भी दर्शा दीजिए, यदि आप मानचित्र बनाकर इस प्रकार से प्रश्न का उत्तर देंगे तो यह उत्तर बहुत ही प्रभावी होगा और एग्जामिनर पर इसका सकारात्मक असर होगा।  आप अच्छा परिणाम और अच्छे अंक हासिल कर सकेंगे। इसी प्रकार भूगोल विषय में अनेक प्रश्न ऐसे होते हैं जिनके उत्तर में मानचित्रो और आंकड़ों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

 स्टूडेंट को भारत और विश्व का नक्शा बनाने पर फोकस करना चाहिए भूगोल के पेपर में अच्छे नंबर लाने के लिए मैप को समझना बेहद जरूरी है क्योंकि वैसे भी भूगोल में पांच पांच नंबर के दो प्रश्न मैप से ही आते हैं। इसके लिए आप पुराने एग्जाम में आए हुए मैप के प्रश्नों को सॉल्व करें रब कॉपी में मैप बनाकर प्रश्नों का उत्तर देना सीखें

 उत्तर देते समय आंकड़ों का प्रयोग जरूर करें ---

 भूगोल एक ऐसा विषय है जिसमें विभिन्न उत्पादन से संबंधित आंकड़ों का प्रयोग अधिक होता है। भूगोल विषय में आंकड़ों का प्रयोग करने पर अच्छे अंक प्राप्त होते हैं। इस विषय में आंकड़ों का महत्व भी अधिक होता है उत्तर लिखते समय आंकड़ों का प्रयोग करने से उत्तर में जान आ जाती है और उत्तर बेहद प्रभाव पूर्ण हो जाता है.

 जैसे -- आपके एग्जाम में यदि प्रश्न आता है कि भारत के गेहूं उत्पादक राज्यों का उल्लेख कीजिए...?

 अब इस प्रश्न का उत्तर देते समय आपको गेहूं उत्पादक राज्य का उल्लेख तो करना ही है साथ ही साथ आप प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य जैसे उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा के उत्पादन संबंधी कुछ आंकड़े भी अपने उत्तर में लिखते हैं तो निश्चित रूप से आपका उत्तर अधिक प्रभावशाली और अधिक अंक दी होगा। अतः भूगोल विषय मानचित्र और आंकड़ों के प्रयोग से अच्छे अंक दिला सकता है। भूगोल में आंकड़ों के साथ आप तारीखों को भी याद कीजिए। 


 विषय को समझना जरूरी ---

 भूगोल विषय में आपको मानचित्रो, आंकड़ों, और महत्वपूर्ण तारीखों को याद रखना जरूरी होता है। इसलिए इस विषय में कुछ आंसर ऐसे होते हैं जो बड़े हो सकते हैं। ऐसे में उत्तर को याद रखना थोड़ा मुश्किल होता है, ऐसे में उत्तर याद रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप विषय को समझने का प्रयास करें एक बार विषय को समझने के बाद परीक्षा में उत्तर देना काफी आसान हो जाता है तैयारी का यही सबसे अच्छा तरीका है।

 दूसरों को समझा कर उत्तर याद करें ---

 कुछ ऐसे प्रश्न जिनके उत्तर बड़े होते हैं और जिम मानचित्र और आंकड़ों का अधिक प्रयोग करना होता है ऐसे प्रश्नों को याद करने का सबसे सर्वोत्तम तरीका यही है कि आप घर पर अपने छोटे या बड़े भाई बहन को या परिवार के किसी सदस्य को एक या दो बार अपने उत्तरों को बोल-बोलकर समझाएं ऐसा करने से आपके प्रश्नों के उत्तर कंठस्थ हो जाएंगे और आप परीक्षा में बेहतरीन ढंग से पेपर हल कर सकेंगे यह एक अच्छा तरीका हो सकता है।

 पेपर देखकर ने हो पैनिक --

 जियोग्राफी का पेपर कई बार लेंथी और अप्लाइड किस्म का होता है जिसे देखकर छात्र घबरा जाते हैं और गलती कर बैठते हैं। पेपर देखकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है बोर्ड परीक्षा में छात्रों को पेपर पढ़ने के लिए 15 मिनट का समय दिया जाता है। इस समय का सदुपयोग करें 15 मिनट में पूरा प्रश्न पत्र पढ़ने के बाद, जो प्रश्न आपको अच्छे से आते हैं पहले उन्हें हल करें। सबसे पहले आप बड़े प्रश्नों के उत्तर भी लिख सकते हैं।

 चार्ट बनाएं --

 एसएससी चैप्टर जो समझने में कठिन है उन्हें फ्लो चार्ट डायग्राम और टेबल की फॉर्म में लिखें जिससे लंबे समय तक उन्हें याद रखा जा सके। चैप्टर को कई बार अच्छी तरह से पढ़ें और सभी टॉपिक का माइंड मैप में बनाएं। साथ ही उत्तर में आने वाली जरूरी बातों को अंडरलाइन करें एग्जामिनर का ध्यान आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण शब्दों को बड़े अक्षरों में लिख सकते हैं। उत्तर में चार्ट और डायग्राम जरूर बनाएं आपका उत्तर जितना सीधा और सटीक होगा आपको उतने ही अच्छे नंबर मिलेंगे। उत्तर में जितने हेडिंग, सब हैडिंग होंगे उत्तर उतना ही अट्रैक्टिव होगा।

 परीक्षा में कोई प्रश्न नहीं छोड़े ---

 परीक्षा में कोई भी प्रश्न नहीं छोड़ना चाहिए, जो भी प्रश्न किया गया है उस विषय के बारे में जो कुछ भी जानते हैं उसे मुख्य बिंदुओं का उपयोग करते हुए उचित तरीके से लिखें। हवा आप पूछे गए प्रश्न के उत्तर से अनभिज्ञ हैं तो अपने उत्तर में उससे संबंधित कुछ इंपॉर्टेंट लाइनों को उचित तरीके से लिख सकते हैं। प्रश्न को छोड़ने से अच्छा यही होगा। प्रश्न चाहे तीन अंक का हो या 6 अंक का उसका उत्तर टू द पॉइंट लिखें। ज्यादा पेज भरने से कोई फायदा नहीं होगा। गलत जानकारी लिखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उत्तर में जहां भी जरूरत पड़े उदाहरण के साथ समझाएं।

 मुख बिंदुओं को हाइलाइट करें ---

 दोस्तों बड़े प्रश्नों के उत्तर देते समय मुख्य मुख्य बिंदुओं को हाईलाइट करते चलें। अपने उत्तर में लिखी जा रही अत्यंत महत्वपूर्ण बातों को अंडरलाइन करें। कॉफी जचने वाले एग्जामिनर का ध्यान सीधे आपके अंडरलाइन और हाईलाइट किए हुए प्वाइंटों पर जाता है और यदि वह अच्छे से अपने लिखे हैं तो निश्चित रूप से जांच करता पर एक अच्छा प्रभाव पड़ता है और आप अच्छे अंक प्राप्त करने की और अग्रसर होते हैं।

 जवाब सरल और स्पष्ट भाषा में लिखें ---

 भूगोल के पेपर में आंसर लिखते समय की पॉइंट को मार्ग अवश्य करें इस विषय का पेपर ज्यादा बड़ा नहीं होता इसलिए आंसर टुडे पॉइंट लिखे ज्यादा पेज भरने के चक्कर में बिल्कुल ने पड़े व्यर्थ के पेज भरने से अच्छे अंक प्राप्त नहीं होते। भूगोल में उत्तर तथ्यात्मक होनी चाहिए। परीक्षा में उत्तर लिखते समय फालतू की जानकारियां लिखने से बचें जवाब सरल और स्पष्ट भाषा में लिखें प्रश्न में पूछे गए सभी बिंदुओं को शामिल करें। कई बार सवाल में पूछा गया कुछ होता है और हम उत्तर में कुछ और लिखते हैं उत्तर केवल टू द पॉइंट लिखें।

 समय का ध्यान जरूर रखें ---

 एग्जाम के दिन जो पेपर हमारे हाथ में आता है तो प्रश्नों के उत्तर लिखने में हम इतने मशहूर हो जाते हैं कि हमें समय का ही ध्यान नहीं रहता और कई प्रश्नों के उत्तर देने में हम अधिक समय लगा देते हैं परिणाम स्वरूप कई ऐसे प्रश्न जिनकी उत्तर हमें बहुत अच्छे से मालूम होते हैं लेकिन समय के अभाव के कारण वह छूट जाते हैं। दोस्तों एग्जाम से पहले ही अपने घर पर पुराने पेपर और एमसीसी हल करने की प्रैक्टिस जरूर करें ताकि ऐसी गलती ना हो। एग्जाम में आते हुए प्रश्नों का छूट जाना आपके लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है। आते समय का ध्यान रखें सभी प्रश्नों को टच करें जो प्रश्न आपको आते हैं जिनके उत्तर आपको अच्छे से मालूम है ऐसे प्रश्नों को पहले हल करें। प्रिया सी करें कि कोई भी प्रश्न समय की कमी के कारण छूटना नहीं चाहिए।

 लॉन्ग आंसर को पॉइंट में लिखें ---


 लॉन्ग आंसर को हमेशा पॉइंट में लिखने का प्रयास करें। ऐसा नहीं करने पर हो सकता है आपके अंक कट जाएं। प्वाइंटों को अंडरलाइन भी करें ताकि एग्जामिनर आपके लिखे हुए प्वाइंटों को सीधे तौर पर पढ़ सके। पॉइंट लिखकर उत्तर देने पर आपके पूरे अंक मिलने की संभावना रहती है, कुछ प्रश्नों के उत्तर सब पॉइंट में भी लिखनी चाहिए क्योंकि जितना अच्छा आपका प्रेजेंटेशन होगा उतने ही अच्छे आपको मार्क्स मिलेंगे।

 टॉपिक को लिखकर याद करें ---

 किसी भी टॉपिक यह उत्तर को याद करने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम एक बार बुक से पढ़ने के बाद उसे उत्तर को बिना देखे अपने कॉपी में लिखें। ऐसा करने से आपकी लिखने की स्किल भी डेवलप होगी और आपको उत्तर आसानी से याद होगा इसके बाद आप इस उत्तर को भूलेंगे नहीं। आप ऐसी चीजों को जो टू है और न्यूमेरिकल जैसी है अथवा मानचित्र और आंकड़ों के प्रयोग वाली है उन्हें हमेशा लिखकर याद करें। इस आदत का एक सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि आपका ज्ञान तो इंक्रीज होता ही है साथ हिसाब आपकी उत्तर देने की क्षमता विकसित होती है। आपकी लेखन क्षमता विकसित होती है, परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए लेखन शैली अच्छी होना भी बेहद जरूरी होता है। आप जितनी अच्छी और प्रभावी भाषा में अपना उत्तर लिखेंगे उतने ही अच्छे अंक आपको प्राप्त होंगे। भूगोल एक ऐसा विषय है जिसमें अनावश्यक बातों को ने लिख करके अपने उत्तर में आवश्यक एवं प्रभावी बातों को ही लिखें।

 MCQ जरूर हल करें ---

 सीबीएसई बोर्ड में एनसीईआरटी कि किताबों से प्रश्न आते हैं इनमें 20 नंबर के एमसीक्यू होते हैं जिनके लिए आपको किताबों पर फोकस करना चाहिए किताबों में दिए गए छोटे बॉक्स और फोटो के नीचे दिए गए कैप्शन को अच्छे से पढ़ें एमसीक्यू सही तरीके से हल करने के लिए चार ऑप्शन में से उन दो ऑप्शन को हटाए जो आपको सही नहीं लग रहे हैं बच्चे दो ऑप्शन से सही आंसर तलाश में मदद मिलेगी। पुराने बोर्ड के एग्जाम में आए हुए सभी एमसीक्यू को हल करें और उन्हें याद कर लें बहुत से क्वेश्चन रिपीट भी होते हैं।

 चिंतन करें चिंता नहीं ---


 परीक्षाओं में डर पैदा होना एक आम बात है। लेकिन यह दर हमारे ऊपर हावी नहीं होना चाहिए। छात्रों के मन में सबसे बड़ा दरिया होता है कि अब आगे ने जाने क्या होने वाला है। इसे "फीवर ऑफ आन्नान" कहते हैं। यानी अनजाना डर। परीक्षा के समय चिंतन मनन अच्छी बात है लेकिन इस चिंतन को चिंता ने बनने दें परीक्षा के समय गंभीर देखना फैशन सा बन गया है इसका कोई लाभ नहीं होता आप मस्त रहें हंसते मुस्कुराते रहे, गंभीर देखकर आप सहानुभूति प्राप्त कर सकते हैं सफलता नहीं।

 खुद की देखभाल करना जरूरी ---

 शोध बताते हैं कि हमें खुद के साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा अच्छा व्यवहार हम अपने अच्छे दोस्तों और मित्रों के साथ करते हैं। खुद से प्रेम करने से हमें संतुष्टि मिलती है, हर काम अच्छे से होता है और काम के प्रति उत्सुकता बढ़ जाती है। खुद की देखभाल करने से हमारी सोच सकारात्मक बनती है और मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं जो हर कार्य में हमारी मदद करते हैं खुद के प्रति सहानुभूति रखने भावनात्मक रूप से हमें मजबूत बनाता है। जब हमारी लाइफ में सब कुछ अच्छा चल रहा हो तब भी खुद की देखभाल करना जरूरी है परीक्षा के दिनों में खुद की देखभाल जरूर करें और मस्त रहें मुस्कुराते रहें। व्यस्त की बातों को लेकर तनाव ग्रस्त ना हो यह आपकी परीक्षा पर प्रतिकूल असर डालता है।

 कुछ बदलाव करते रहिए  ---

 दोस्तों एक बात हमने खूब पड़ी है कहते हैं कि परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है। प्रगति तब तक संभव नहीं होती जब तक कि आप कुछ ना कुछ परिवर्तन ना करें। आपको अपनी कुछ पुरानी आदतों को बदलना होगा और कुछ नई आदतों को अपना ना होगा कार्य करने के नए तरीके खोजने रहे इसके बड़े फायदे होंगे। आप अच्छी नौकरी और अच्छा रोजगार प्राप्त कर सकते हैं आप अपना व्यक्तिगत विकास कर सकते हैं आप नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने के लिए तैयार हो सकते हैं। 

क्या क्या बदलाव करें महिलाएं अपनी दिनचर्या 2024 में, ताकि रहें एकदम स्वस्थ और मस्त।

प्रेरणा डायरी 

नया साल, वही हाल। कुछ सोचा था कि ये बदलेंगे, वो बदलेंगे। दो दिन कियां, फिर हिम्मत टूट गई। खुन्नस में आकर बोला, छोड़ो। जो होना है वो होने दो। आपकी व्यथा समझता हूं। पर निराश ना हों। आपने जो भी न्यू ईयर रिजॉल्यूशन किया, उसे जारी  रखने का एक सरल उपाय है। जानने के लिए पढ़ते जाइए। पहली बात। आपने निश्चय किया कि मैं इस साल 10 किलो वजन घटाऊंगी। तो दो दिन दिल कड़ा कर सूप, सलाद, फल का सेवन किया। तीसरे दिन जब दाल-रोटी देखी तो रहा ना गया, उस पर टूट पढ़ीं। भाई माउंट एवरेस्ट पर आपको चढ़ना है तो उसके लिए तैयारी जमीन पर शुरू करनी होगी। आप बस इतना सोच लो कि हर महीने मुझे एक अच्छी आदत 
अपनानी है।

पहली आदत 

हरी सब्जी का सेवन अधिक करना है। हमारी ज्यादातर महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी है। हरी सब्जी खाते हैं पर रो धोकर। रोज पालक पुदीना तुलसी के सेवन का सरल उपाय बनाइए ग्रीन स्मूदी। रेसिपी आपको गूगल पर मिल जाएगी। सुबह चाय पीने के पहले पीजिए। कुछ ही दिन में आपको चस्का लग जाएगा। 

दूसरी आदत  


: चाय में शकर डालना बंद । अगर आप दिन में तीन कप चाय पीती हैं ,एक चम्मच शकर के साथ तो महीने में औसत 350 ग्राम आपके पेट में गए। सालभर का हिसाब करें तो 4 किलो शकर आपने सिर्फ चाय में ले ली! तो फिर चीनी मुक्त चाय से फायदा तो होना ही होना है। 

तीसरी आदत  : 

सात्विक स्टाइल से भोजन कीजिए। यानी कि वही दाल सब्जी रोटी मगर तीनों  की मात्रा प्लेट में एक तिहाई होनी चाहिए। दाल और  सब्जी बड़े कटोरे में परोसिए, रोटी की क्वांटिटी कम करें। गेहूं के अलावा नचनी, ज्वार या बाजरे की रोटी  भी खाइए। सात्विक भोजन से पेट एकदम हल्का 
 महसूस होगा। तो ये भी जरूर ट्राय कीजिए। 

अब तन से हम चलते हैं मन की और!

चौथी आदत  

: फोन पर फालतू बातें करना बंद कीजिए। 
 कोई आपको अपनी सास की बातें सुना रही है। कोई 
बॉस  अपने बॉस का गाना गा रहा है। आप शिकायतों के  चक्रव्यूह में ना फंसिए। कुछ और टॉपिक शुरू कीजिए  और अगर अगला ना माने तो कोई बहाना बनाकर  फोन रख दीजिए। अपना 'पीस ऑफ माइंड' सर आंखों पर। 

 पांचवी आदत 

 अपने अंदर गुस्सा हो तो नोटबुक उठाइए और उसमें अपने इमोशंस की उल्टी कर दीजिए। अगर डर है कि कोई पढ़ लेगा तो लिखे हुए पन्ने फाड़कर जला डालिए। फिर भी कुछ बचा खुचा हो तो तेज वाल्यूम पर पंजाबी गाने 
 चलाकर “गुस्सा डांस' कीजिए। ये क्‍या होता है जो करेगा खुद जान जाएगा, सुकून जरूर मिलेगा। 

6 वीं आदत 

: फोन ब्रत। इसका मतलब ये कि  दिन में चार घंटे ऐसे हों जिसमें आप अपनी फोन की तरफ बिल्कुल ना देखें। सबको इन्फॉर्म कर दो कि 12 वे से 4 के बीच मैं अवेलेबल नहीं हूं। दो चार दिन मन मचलेगा, फिर आप सेटल हो जाएंगी। शांति मिलेगी, आराम मिलेगा, चिड़ियों की आवाज और बच्चों की किलकिलाहट सुनाई देगी। 
बताइए : एक महीने में एक आदत जोड़ना कोई मे मुश्किल काम है क्या? आप कर सकती हैं। जब एक आदत पवक्‍की हो जाए, उस पर एक और बैठाएं। इसे कहते हैं 'हेबिट स्टेकिंग'। ऊंची बिल्डिंग बनती है ईंट के ऊपर ईंट रखकर। छह महीने. बाद आप पाएंगे कि मैं पहली मंजिल पर पहुंच गई। फिर दूसरी। फिर तीसरी। और यहां से दुनिया कुछ अलग दिख रही है। 

मेहनत जो की है, रंग ला रही है। रग रग में ऊर्जा आ रही है। क्योंकि अब वश में हैं तन और मन। हर दम नहीं मांगता ईजी फन। अपने आप से संघर्ष जो किया। उस इंवेस्टमेंट ने बढ़िया रिटर्न दिया। एक दिन आप पहुंचेगी अपने गोल पर। कोई पूछे तो बताना दिल खोलकर। जो मैंने किया आप कर सकती हैं। क्योंकि अंदर अपार शक्ति है। | 

तो ये आदत पर आदत वाला नुस्खा जरूर अपनाइए। कौन सी आदत चुनी, मुझे ईमेल पर बताइए। महीने के अंत में प्रोग्रेस रिपोर्ट दीजिएगा। खुद के साथ चीटिंग ना कीजिएगा। -mva एक अपनी कोई सहेली या साथी चुन लीजिए। थोड़ा एक दूसरे को मोरल सपोर्ट कीजिए। जब तक 2025 आएगा। आपका ट्रांसफॉर्मेशन हो जाएगा। 

माउंट एवरेस्ट को देखकर ख्याल आएगा। अरे मुश्किल नहीं, हो जाएगा। सबको स्वास्थ्य और शांति, जब हो आदतों की क्रांति। 


ब्लॉग नाम - प्रेरणा डायरी। 
वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com
राइटर -- केदार लाल ( K.  S.  Ligree ) 

शुक्रवार, 15 मार्च 2024

क्या होता है व्यक्तित्व (पर्सनालिटी)..? समझिये व्यक्तित्व के विकाश को।

13/12/2023

हिण्डौन, राजस्थान, भारत। 


  सामान्यतः व्यक्तित्व से अभिप्राय, व्यक्ति के रूप, रंग, कद, माप, चौड़ाई, मोटाई, शिल्प अर्थात शारीरिक संरचना, व्यवहार तथा  मृदुभाषी होने के रूप में लिया जाता है।  ये सब . गुण व्यक्ति के संपूर्ण व्यवहार के दर्पण हैं। व्यक्तित्व की अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं जो निम्न प्रकार हैं। 

व्यक्तित्व संबन्धी सिद्धांत--

 बोलचाल की भाषा में "व्यक्तित्व' शब्द का अर्थ-शारीरिक-बनावत और सौंदर्य के लिए जाना जाता है। हम अक्सर आरोप लगाते हैं--इस मनुष्य का व्यक्तित्व सुंदर है, आकर्षक है। कुछ लोग 'व्यक्ति' और 'व्यक्तित्व' को पर्यायवाची मानते हैं, और एक का उपयोग दूसरे के लिए किया जाता है। कार्य में राम रहते हैं। 

जिस प्रकार के सामान्य वाक्यांशों के व्यक्तित्व के संबंध में विभिन्न धारणाएँ हैं, एक ही प्रकार के विद्वान और विचारधारा भी हैं। यही कारण है कि व्यक्तित्व को आज तक कोई निश्चित अर्थ से सम्बद्ध नहीं किया जा सकता है और कोई भी निश्चित सीमा अंकित नहीं की जा सकती है। उदाहरणार्थ यह स्वीकार किया जा सकता है कि व्यक्तित्व विचित्र है, जटिल है, व्याख्या भिन्न है। 

व्यक्तित्व शब्द कि उत्पति -- 

  -'व्यक्तित्व' अंग्रेजी के व्यक्तित्व शब्द का रूपान्तर है। अंग्रेजी के इस शब्द भाषा की उत्पत्ति ग्रीक के पर्सोना (परसोना) शब्द: से हुई है, जिसका अर्थ है- "नकाब' (मुखौटा) ग्रीक लोग नकाब खान मच पर भाव करते थे, ताकि दर्शक यह न जानें जीवंत - अभिनय करने वाला कौन है - दास, विदुषक राजकमार या राजनर्तकी। अभिनय करने वाले जिस प्रकार के पात्र का हिस्सा चकमा थे, उसी प्रकार का नकाब कलाकार थे। 


सिसरो दुवारा उल्लेखित अर्थ -- 

-जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे पर्सोना (व्यक्तित्व) शब्द का अर्थ बदल गया। ईसा-पूर्व प्रथम शताब्दी में रोम के प्रसिद्ध लेखक और ज्योतिषी सिसरो (सिसरो) ने अपने चार अर्थों का प्रयोग किया था- (1) जैसा कि एक व्यक्ति दूसरे में दिखाई देता है, पर जैसा कि वह वास्तव में नहीं है; (2) वह कार्य जो जीवन में कोई करता है, जैसे कि सिद्धांत; (3) व्यक्तिगत विशेषताओं का संकलन, जो एक मनुष्य को उसके कार्य के योग्य बनाता है; और (4) तीक्ष्णता और सम्मान, जैसा कि लेखन-शैली में हो रहा है। इस प्रकार, त्रालवी शताब्दी तक पर्योना व्यक्तित्व) शब्द का अर्थ विभिन्न अर्थों में घटित हो रहा है। चौदहवीं शताब्दी में मनुष्य की मुख्य दुकान का उल्लेख करने के लिए एक नए शब्द की आवश्यकता का अनुभव किया गया। इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्सोना को पर्सनेल्टी शब्द में रूपान्तरित कर दिया गया। 

(द) व्यक्तित्व का अर्थ-व्यक्तित्व-सम्बन्धी उपर्युक्त धारणायें उसके अर्थ कौ पूर्ण व्याख्या नहीं करती हैं। “व्यक्तित्व' में एक मनुष्य के न केवल शारीरिक और मानसिक गुणों का, वरन्‌ उसके सामाजिक गुणों का भी समावेश होता है, किन्तु इतने से भी व्यक्तित्व का अर्थ पूर्ण नहीं होता है। कारण यह है कि यह तभी सम्भव है, जब एक समाज के सब सदस्यों के विचार, संवेगों के अनुभव और सामाजिक क्रियायें एक-सी हों। ऐसी दशा में व्यक्तित्व का प्रश्न ही नहीं रह जाता है। इसीलिए, मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि व्यक्तित्व-मानव के गुणों, लक्षणों, क्षमताओं , विशेषताओं आदि की संगठित इकाई है। मन के शब्दों में-“व्यक्तित्व की परिभाषा, व्यक्तित्व के ढाँचे, व्यवहार की विधियों , रुचियों, अभिवृत्तियों, क्षमताओं , योग्यताओं और कुशलताओं के सबसे विशिष्ट एकीकरण के रूप में की जा सकती है।” 

आधुनिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व को संगठित इकाई न मानकर गतिशील संगठन और एकीकरण की प्रक्रिया मानते हैं। इस सम्बन्ध में थार्षप व शमलर ने लिखा है-“जटिल और एकीकृत प्रक्रिया के रूप में व्यक्तित्व की धारणा आधुनिक व्यावहारिक मनोविज्ञान की देन है |


व्यक्तित्व कि परिभाषा--- 

 ' व्यक्तित्व” की कुछ आधुनिक परिभाषाएँ दृष्टव्य हैं


1. बिग एवम् हंट --“व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार-प्रतिमान और इसकी और इसकी विशेषता का वर्णन करता है।


2. अल्पोर्ट  --“व्यक्तित्व, व्यक्ति में उन मनोशारीरिक अवस्थाओं का गतिशील संगठन है, जो उसके पर्यावरण के साथ उनका अद्वितीय सामंजस्य निर्धारित करता है।” 

 

3. ड्रेवर् --“व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग, व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक गुणों के सुसंगठित और गत्यात्मक संगठन के लिए किया जाता है, जिसे वह अन्य व्यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में व्यक्त करता है। 


व्यक्तित्व के पहलू --( aspect of personality) 


1, क्रियात्मक पहलू --व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मान की क्रियाओं से है। ये क्रियायें उसकी भावुकता, शान्ति, विनोदप्रियता, मानसिक श्रेष्ठता आदि को व्यक्त करती हैं। | 


2. सामाजिक पहलू --व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव द्वारा दूसरों पर डाले जाने वाले सामाजिक प्रभाव से है। इस पहलू में उन सब बातों का समावेश हो जाता है, जिनके कारण मानव दूसरों पर एक विशेष प्रकार का प्रभाव डालता है। 


3, कारण-सम्बन्धी पहलू --व्यक्तित्व के इस पहलू का सम्बन्ध मानव के सामाजिक या असामाजिक कार्यों के कारणों और उन कार्यों के प्रति लोगों की प्रतिक्रियाओं से है। यदि उसके कार्य अच्छे हैं, तो लोग उसे पसन्द करते हैं, अन्यथा नहीं। 


4. अन्य पहलू-व्यक्तित्व के अन्य पहलू हैं-दूसरों पर हमारा प्रभाव; हमारे जीवन में होने वाली बातों और घटनाओं का हम पर “प्रभाव; हमारे गम्भीर विचार, भावनायें और अभिवृत्तियाँ। 


निष्कर्ष रूप में, गैरिसन व अन्य ने लिखा है-“ये सभी पहलू महत्त्वपूर्ण हैं, परन्तु इनमें से कोई एक या सम्मिलित रूप से सब पूर्ण व्यक्तित्व का वर्णन नहीं करते हैं। व्यक्तित्व इन सबका और इनसे भी अधिक का योग है। यह सम्पूर्ण मानव है।” 


व्यक्तित्व के ये पहलू, उसके विभिन्न गुणों तथा पक्षों पर प्रकाश डालते हैं। ये पक्ष व्यक्तित्व के संगठनात्मक स्वरूप पर प्रकाश डालते हैं। इसीलिये बीसेनज एवं बीसेन्ज के शब्दों में-“व्यक्तित्व मनुष्य की आदतों , दृष्टिकोण तथा विशेषताओं का संगठन है। यह जीव-शास्त्रीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारण के संयुक्त कार्यों द्वारा उत्पन्न होता है।" 


व्यक्तित्व कि विशेषताएँ ---


व्यक्तित्व, शब्द में अनेक विशेषतायें निहित होती हैं। व्यक्तित्व में निम्न विशेषताओं को देखा जाता हैहु * 


1. आत्म चेतना  आत्म-चेतना --व्यक्तित्व की पहली और मुख्य विशेषता है-आत्म-चेतना। इसी विशेषता के कारण मानव को सब जीवधारियों में सर्वोच्च स्थान प्रदान किया जाता है और उसके व्यक्तित्व की उपस्थिति को स्वीकार किया जाता है। पशु और बालक में आत्म-चेतना न होने के कारण यह कहते हुए कभी नहीं सुना जाता है कि इस कूत्ते या बालक का व्यक्तित्व अच्छा है। जब व्यक्ति यह जान जाता है कि वह क्या है, समाज में उसकी क्या है, दूसरे उसके बारे में क्या सोचटे हैं-तभी उसमें व्यक्तित्व का होना स्वीकार किया जाता है। 

 2. समाजिकता  सामाजिकता --व्यक्तित्व की दूसरी विशेषता है-सामाजिकता। समाज से पृथक मानव और उसके व्यक्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। मानव में आत्म-चेतना का विकास तभी होता है, जब वह समाज के अन्य व्यक्तियों के सम्पर्क में आकर क्रिया और अन्तःक्रिया करता है। इन्हीं क्रियाओं के फलस्वरूप उसके व्यक्तित्व का विकास होता है। अत: व्यक्तित्व में सामाजिकता की विशेषता होना अनिवार्य है। . 

3, सामंजस्यता --व्यक्तित्व की तीसरी विशेषता है-सामंजस्यता। व्यक्ति को न केवल बाह्य वातावरण से, वरन्‌ अपने स्वयं के आन्तरिक जीवन से भी सामंजस्य करना पड़ता है। सामंजस्य करने के कारण उसके व्यवहार में परिवर्तन होता है और फलस्वरूप उसके व्यक्तित्व में विभिन्नता दृष्टिगोचर होती है। यही कारण है कि चोर, डाकिये, पतली, डॉक्टर आदि के व्यवहार और व्यक्तित्व में अन्तर मिलता है। वस्तुतः मानव को अपने व्यक्तित्व को अपनी दशाओं , वातावरण, परिस्थितियों आदि के अनुकूल बनाना पड़ता है। 

4, निर्देशित लक्ष्य-प्राप्ति --व्यक्तित्व की चौथी विशेषता है-निर्देशित लक्ष्य की प्राप्ति। मानव के व्यवहार का सदैव एक निश्चित उद्देश्य होता है और वह सदैव किसी-न-किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संचालित किया जाता है। उसके व्यवहार और लक्ष्यों से अवगत होकर हम उसके व्यक्तित्व का सहज ही अनुमान लगा सकते हैं। इसीलिए, भाटिया  मे लिखा है-“व्यक्ति या व्यक्तित्व को समझने के लिए हमें इस बात पर विचार करना आवश्यक हो जाता है कि उसके लक्ष्य क्या हैं और उसे उनका कितना ज्ञान है।” 

5. दृढ़ इच्छा-शक्ति --व्यक्तित्व की पाँचवी विशेषता है-दृढ़े इच्छा-शक्ति। यही शक्ति, व्यक्ति को जीवन की कठिनाइयों से संघर्ष करके अपने व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बनाने की क्षमता प्रदान करती है। इस शक्ति की निर्बलता उसके जीवन को अस्त-व्यस्ते करके उसके व्यक्तित्व को विघटित कर देती है। 

6. शारीरिक य मानसिक स्वास्थ्य --व्यक्तित्वे की छठवीं विशेषता है-शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य। मनुष्य मनो-शारीरिक प्राणी है। अतः उसके अच्छे व्यक्तित्व के लिए अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का होना एक आवश्यक शर्त है। 

7. एकता व एकीकरण--व्यक्तित्व कौ सातवीं विशेषता है-एकता और एकीकरण। जिस प्रकार व्यक्ति के शरीर का कोई अवयव अकेला कार्य नहीं करता है, उसी प्रकार व्यक्तित्व का कोई तत्व अकेला कार्य नहीं करता है। ये तत्व हैं-शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक, संवेगात्मक आदि। व्यक्तित्व के इन सभी तत्वों में एकता या एकीकरण होता है। भाटिया ने लिखा है--“व्यक्तित्व मानव की सब शक्तियों और गुणों का संगठन व एकीकरण है।” 


8. विकास की निरन्तरता --व्यक्तित्व की अन्तिम किन्तु महत्त्वपूर्ण विशेषता है-विकास की निरन्तरता। उसके विकास में कभी स्थिरता नहीं आती है। जैसे-जैसे व्यक्ति के कार्यों, विचारों, अनुभवों, स्थितियों आदि में परिवर्तन होता जाता 

है, वैसे-वैसे उसके व्यक्तित्व के स्वरूप में भी परिवर्तन होता चला जाता है। विकास की यह निरन्तरता, शैशवावस्था से जीवन के अन्त तक चलती रहती है। ऐसा समय कभी नहीं आता है, .. जब यह कहा जा सके कि व्यक्तित्व का पूर्ण विकास या पूर्ण निर्माण हो गया है। इसीलिए ... गैरिसन व अन्य ने लिखा है-“व्यक्तित्व निरन्तर निर्माण की क्रिया में रहता है।” 


व्यक्तित्व के लक्षण या गुण ---  

(  Qualities of personality  ) 

व्यक्तित्व, समस्त गुणों का गत्यात्मक संगठन है। वुडवर्थ (woodworth) ने इसे गुणों का योग बताया है। गैरिट के शब्द्रों में-“व्यक्तित्व के गुण व्यवहार करने क निश्चित विधियों हैं जो व्यक्ति में स्थायी होते हैं। व्यक्तित्व के गुण , व्यवहार के बहुसंख्यक स्वरूप का वर्णन करने की स्पष्ट विधियाँ हैं।" 

(अ) गुणों का अर्थ--

किसी मनुष्य के व्यक्तित्व का सही चित्र,-वर्णन या चरित्र-चित् प्रस्तुत करना कोई आसान काम नहीं है। इसे आसान बनाने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्ति के कुछ गुण या लक्षण निर्धारित किये हैं; जैसे-दयालु, कठोर, मूर्ख, बुद्धिमान आदि। यह भ्रम-निवारण के लिए यह बता देना असंगत न होगा कि इन गुणों या लक्षणों को योग्येताओं का पर्यायवाची नहीं माना जाता है। गुणों और योग्यताओं में अन्तर है। 

उदाहरणार्थ-हारमोनिय बजाना-- योग्यता है कप है, पर जिस ढंग से कोई व्यक्ति उसे बजाता है, वह उसके व्यक्तित्व का गुण है। या लक्षण है। 

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि व्यक्तित्व का लक्षण, व्यक्ति के व्यवहार का कोई विशेष गुण होता है। गैरट के शब्दों में--“व्यक्तित्व के गुण, व्यवहार करने की निश्चित विधियाँ हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति में बहुत-कुछ स्थायी होता है। व्यक्तित्व के गुण, व्यवहार के 'बहुसंख्यक स्वरूपों का वर्णन करने की स्पष्ट और संक्षिप्त विधियाँ हैं।” 

(ब) गुणों कि संख्या --  

अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि व्यक्तित्व के कितने गुण हैं। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए मन (munn P. 234) ने लिखा है-व्यक्तित्व के झ ' विभिन्न अंग, पक्ष, पहलू या स्वरूप हैं कि वास्तव में, यह बताना असम्भव है कि इन गुणों 'संख्या कितनी है।


(स) गुणों के प्रकार -- 

-व्यक्तित्व के गुण अनेक प्रकार के हैं, जैसे-(1) नैतिक और अनैतिक; । (2) वास्तविक और प्रत्यक्ष  (3) बाहा और आन्तरिंत --  उदाहरणार्थ-बाह्य गुण हैं-मित्रता, शान्ति और सामाजिका' आन्तरिक गुण हैंभय, चिन्ता, इच्छा और महत्त्वाकांक्षा। (५) शारीरिक, मानसिक, धार्मिक' सामाजिक, राजनीतिक, व्यावसायिक, आर्थिक आदि। यथार्थ में, इन गुणों की संख्या इतनी अधिक है और ये एक-दूसरे से इतने भिन्न हैं कि न तो इनका वर्गीकरण किया जा सकता है औंर न सम्भवत: किया जा सकेगा। 


मंगलवार, 12 मार्च 2024

सकारात्मक सोच विकसित करने के 10 आसान मगर असरदार उपाय/Tips - 2024। आज ही पढ़े ।

Hindaun, राजस्थान, भारत। 
10/09/2023


आर्टिकल - 27

सकारात्मक सोच विकसित करने के 10 आसान मगर असरदाय उपाय आज ही  पढ़े। 

दोस्तो नमस्कार ।

आपके प्यार और दुआवों का असर  है, कि संसाधनों और तकनीकि ज्ञान का अभाव होने पर भी, मेरी "प्रेरणा डायरी  ( Motivation/मोटीवेशन )कुछ-कुछ और छोटी छोटी सफलताएँ हासिल करने लगी है । "प्रेरणा कि विधियाँ ( Method of Motivation ) में  हमने एक विधि पढ़ी थी, जिसका नाम था सफलता विधि"( success method ) / ये विधि हमें यहीं सिखाती है कि छोटी - बड़ी  सफलता 'हासिल  करते हुए  कैसे  Motivate रहे  और अपने आप पर फक्र महसूस करें। आज आपके सहयोग के कारण मोटीवेशनल डायरी अपनी 27 वीं पोस्ट को पब्लिश करते हुए फक्र कर रही है। चाहे सामने   लाख मुस्किल है!  पर है, तो है क्या हुआ। इनका सामना करते हुए आगे बढ़ना ही तो "मजेदार संघर्ष में कहलाता है। और यही संघर्ष महान सफ़लता दिलाता है"। आज कि पोस्ट पर चर्चा शुरु करने से पहले मेरे मन में जो सवाल कौंध । उसे आपसे भी पूछ लेता हूँ। सबाल है -- वह कोनसी चीज जो एक इंसान की जिन्दगी पर सबसे ज्यादा असर डालती है....??,  या एक इंसान कि जिन्दगी को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली चीज क्या है....?? 


    

           "प्रेरणा डायरी"-- -- आपकी खुशहाली"



अब इस सवाल को पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि जिन्दगी का दायरा तो बहुत बड़ा है। और बहुत सी बाते इसे प्रभावित करती है। दर्जनों बातें इस पर असर डालती है। किसी एक का नाम कैसे बताये । आपका सोचना एकदम सही है और मैं खुद भी इसी बात को मानव हूँ कि जब, पूरे जीवन (जिन्दगी) कि बात होती है तो दर्जनो कारक (Factor) हमारी आँखों  के सामने घूम सकते है। बहुत सारी चीजें जीवन को प्रभावित करती है । लेकिन एक चीज जो "जो बाकि सबा पर इक्कीस पड़ती है" यानी कि सब पर भारी पड़ती है। दोस्तो वह चीज़ है--

"सकारात्मक सोच ( positive things) आपका अच्छा नजरिया । आपकी अच्छी और  सकारात्मक सोच "आपके पास वो हथियार है जो आपकी जिन्दगी बदल सकता है।  अपनी इस बात, के समर्थन में मैं एक मनौवेज्ञानिक फैक्ट आपको बताता हुँ। कई शोध कहते है कि सकारात्मक सोच वाले इंसान कि जिन्दगी से 50% समस्याएँ स्वत: ही समाप्त हो जाती है।  यानी आपकी, मेरी,इसकी, उसकी, हर इंसान कि जिन्दगी से आधी समस्या गायब, और वो भी बिना संघर्ष कियें हुए। बिना लड़े हुए।  लेकिन इन 50% समस्याओं के अन्त लिए को सिर्फ एक काम करना पड़ेगा। बस एक काम। और वो है--- "अपनी जिन्दगी में   "Positive Things"  का दामन थामना पड़ेगा"। क्योंकि "सकारात्मक सोच वाला ईसान समाधान का हिस्सा बनता है, जबकि नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति समस्याओं का hisa बन कर रह जाता है"। कई बार परिस्थतियों के कारण भी हमारी सोच में नकारामकट आ जाती है। पर जब नाकरत्मकत आपके मन, मस्तिस्क पर हावी होने लगे, तो समझ लेना कि - यह एक गंभीर समस्या का रूप लेने वाली है। 

Sakaaratmak सोच क्या होती है :---

दोस्तों,  एकदम सरल शब्दों में, सीधी भाषा में कहु तो -- कठिन से कठिन परिस्थिति मे, मुश्किल से मुश्किल हालत में, बुरे से बुरे दोर् में भी, अच्छी बातों को ढूंढ लेना साकरत्मक् सोच है। 

हर संकट में समाधान खोज लेना। बुराई में भी अच्छाई ढूंढ लेना। गम में खुशी खोज लेना।  उदासी के माहौल में मुस्कुराहट ढूंढ लेना । यही तो  positive things  यानी सकारत्मक सोच है। "सकारत्मक सोच हर हालात को आसान बनाने वाली एक औषधि है" । 

 सकारात्मक सोच के अर्थ के बारे में आप खूब पढ़ चुके हैं। यहाँ जो सबसे बड़ा सवाल जो उठ रहा है, वो ये है कि आखिर कार एक व्यक्ति/ युवा / student/ महिला/ व्यापारी/ दुकान्दार/ कर्मचारी / .. क्या उपाय या Tips अपनाये जिससे उनकी सोच सैदव् positive बनी रहे..?? आज का हमारा main focus इसी बात पर केंद्रित रहेगा। में आपको positive रहने के के आसान मगर असरदार tips बताऊंगा। इनमे से कुछ को में खुद प्रयोग में लेता हु। मैं जिन 10 Tips/उपाय पर आपके साथ चर्चा करूँगा वो निम्न प्रकार है--


1. अपने दिन कि सुरुवात मज़ेदार ढंग से करे। 

2. हर चीज में अच्छाई ढूंढे। 

3. अपने आप को apdate रखें। 

4. नकारात्मकता से दूर रहे। 

5. लगातार ज्ञान हासिल करने के प्रयास जारी रखें। 

6 . छोटे छोटे लक्ष्य बनाकर, उन्हें हासिल करें। 

7. हर पल को खुशी और enjoy के साथ जियें। 



1. अपने दिन कि सुरुवात मज़ेदार  डंग से करें : ---

(start your day with Samthing intersting) 


दोस्तों मैं आपको बहुत ही सिस्टेमेटिक ढंग से सकारात्मक सोच विकसित करने के Tips ( उपाय) बताऊगा । यह सर्व विदित है कि हर इन्सान के दिन कि शुरुआत सुबह (morning) से होती है। अगर आप सुबह उठते ही अच्छी Planning के साथ अपने पूरे दिन का खाका तैयार करते है, तो निश्चित रूप से आपका दिन भी अच्छा गुजरेगा और आपके अन्दर एक सकारात्मक नजरिया (Positive things) विकसित होगा एक कहावत है "शुरू भला तो अंत भला" अर्थात अगर आप अपने दिन कि या किसी भी कार्य कि शुरुआत अच्छे ढंग से करते है तो निश्चित ही उसकी समाप्ति भी सुखदायी होती है।" 

जब हम रात को सोते है और 6-7 घंटे कि पर्याप्त नींद के बाद सुबह उठते है, तो दिमाग में कोई तनाव नहीं होता। कोई बाधा नहीं होती। कोई फालतू कि उलझन नहीं होती है। कहने का मतलब यही कि सुबह के वक्त मूड एकदम फ्रेश होता है । और फ्रेंश मूड में तैयार कि गई योजना सफल रहती है। अतः इस अभियान कि शुक्रामात मजेदार ढंग से करे । और सुबह के वक्त से ही करें। इससे दिन भर के लिए एक लय तैयार हो जाएगी, और दिन भर के लिए हमारा दिमागी ताना-बाना सही रूप ले लेगा । और आपका पूरा दिन अच्छा बन जाएगा अपनी जिन्दगी और सोच में बदलाव लाने के लिए आपको सोची-समझी रणनीति पर कार्य करना होगा। सुबह आप कोनसे कार्य करे कि आपका दिन अच्छा बीते और दूसरों से अलग हो.. ? तो इसके लिए में आपको "आम नज़र आने वाले पर बहुत ही खाश कुछ उपाय बताता हूँ। इन्हे आप जरूर फॉलो करें। ये काफी आसान है पर आपको इन्हे अपनी दिनचर्या में ढालना पड़ेगा-- 

1. Any how 5 बजे से पूर्व उठ जाए। 

2. सुबह उठते ही चाय का सेवन कदापि न करें। बल्कि एक गिलास गर्म/गुनगुना पानी पिये, उसके बाद फ्रेश होने जाए और कम से कम आधा घंटे (30 मिनिट) के लिए morning walk पर जाए या 30 मिनिट योग करें। दोस्तों  ये सबसे फायदेमंद बिन्दु/ point है। ये काम आपके पूरे दिन को फायदेमंद बना देगा।आपका दिन मजेदार गुजरेगा। 


3. घूमने के बाद घर आकर स्नान आदि करें, और कुछ समय के लिए अपने भगवान (ईस्ट ,God) कि प्रार्थना करें (पूजा करें) । इससे आपका मन शांत रहेगा और आत्म विश्वास जागेगा । नम्रता कि भावना बलवती होगी। 


4. मन को प्रसन्न करने वाले भजन या Song ( अपने मनपसंद सदाबहार गाने भी सुन सकते है। इससे आपका mind तरोताजा हो जायेगा। आप कि  अच्छी ""day opning" होगी। 


5. सुबह हल्का नाश्ता, अंकुरित अनाज, पोहे, फल आदि का सेवन करें। 

इन कार्यों के आप एक घंटे में सम्पन्न कर सकते है और सुबह 6 बजे से अपने अन्य कार्यों में जुट जाए। उपर बताये गए कुछ आसान से काम कर लेते है तो आप अपने दिन कि सुरुवात बेहतरी ढंग से कर पायेंगे। यकीन मानिये आपके सुरुवात ही अच्छी नही होगी बल्कि आपके दिन यादगार लम्हों में बदलने लगेंगे। दोस्तो सुबह के ये कार्य जो बमुस्किल 1 घंटे के है। लेकिन आपकी दिनचर्या को बदल कर रख देंगे | सुबह घूमना और भगवान कि प्रार्थना, आपको सकारात्मक सोच विकसित करने में मदद करगे । इन कार्यों से आपके अन्दर स्फूर्ती, ऊर्जा और ताजगी का संचार सेगा | "आपके दिमाग में जमी नकरामकता रूपी सारी धूल छंटने लगेगी।" अब हर पॉइंट को मैं आपको विस्तार में बताता हूँ.. आईये.. 


 2. हर चीज में अच्छाई खोजें :-----


Qअगर आप सकारात्मक सोच बनाना चाहते है, तो आपको दूसरा कदम हर चीज में अच्छाई खोजने के रूप में उठाना पड़ेगा। आपको हर चीज मे खूबी ढूँढनी पड़ेगी। बुरी घटना के भी अच्छे पहलू देखना पड़ेगा। किसी भी बुरी बात के गलत पहलूओ कि अपेक्षा उसके अच्छे पहलू पर गौर करना शुरू करें । हममें से अधिकतर लोग हर काम में, हर बात में सिर्फ कमियाँ ही देखते है। ऐसे लोग कमियाँ ढुंढ़ने के आदि हो चुके होते है। इसीलिए इनको तस्वीर का अच्छा पहलू कभी नजर ही नही आता। सकारात्मक सोच पर आधारित एक प्रेरणादायक कहानी आपको पढ़ाता हूँ, कहानी का शीर्षक है--


* सोने कि तलाश -- ( motivational short story) 

कार्नेगी  (Andrew  Carnegi) अपने बचपन में ही स्काटलैंड (Scotland) से अमेरिका चले गये । वहाँ उन्होने छोटे मोटे कामो से शुरूआत कि और धीरे-धीरे अमेरिका कि सबसे स्टील बनाने वाली सबसे बड़ी कम्पनी के मालिक बन गये । एक वक्त ऐसा आया जब उनके लिए 45 करोड़ पति काम करते थे । करोड पति होना आज के जमाने में भी बहुत बड़ी बात है लेकिन 1920 के आसपास तो ये एक गौरवमयी उपलबधि हुआ करती थी। कार्नेगी ने बताया कि हम अपने कार्मिको से जैसे ही पेश आते है,  जैसे सोने कि खुवाई होती है तो 1 तोला सोना प्राप्त करने के लिए कई टन मिट्टी खोदनी पड़ती है, किन्तु खुदाई करते वक्त हम कितनी मिनटी  खुद रही है ...  इस बात पर ध्यान नहीं देते। बल्कि हमारा पूरा ध्यान सोने पर रहता है। एंड्र्यू कानेगी के जवाब में एक महत्वपूर्ण संदेश छिपा है।  हो सकता है, किसी घटना में या किसी इंसान में हमें कोई बात साफ तौर पर दिखाई ना दे, ऐसे हालात में हमें उसे तलासना होगा। हमारा मकसद क्या है सोना तलाशना या कमियाँ ढूँढना...?  अगर हम कमियाँ ढूँडेंगे  तो हमे डेरों कमियाँ दिखाई देंगी । "कमियाँ ढूंढने वाले तो भगवान में भी कमियाँ ढूंढ लेते है" । "कमियाँ ढूंढने वालों को पूरी जिन्दगी और पूरी दुनिया बुराईयो का महल नज़र आती हैं। और खूबिया ढूंढने वालों को खूबियों कि सोगात मिलती है। कोई भी समस्या या  संकट जब हमारे जीवन में आता है, तो साथ ही समाधान भी लाता है। आपका समस्याओं को देखने का नजरिया सकारात्मक होना चाहिए.. बस। यही बात मायने रखती हैं। 

Positive things, सकारात्मक सोच पर आधारित एक रोचक short story आपको सुनता हूँ।  



  * भयानक राक्षस.... मामूली मौत (motivational short story) 


 इसाईयों के पवित्र ग्रन्थ बाइबिल में भी इस कहानी का जिक्र हुआ है। एक घना जंगल था जिसमें एक भयानक राक्षस रहता था। यह राक्षस इतना भयानक और खुंखार था कि न केवल इंसान बल्कि जंगल के जानवर भी उससे कांपते थे  l वह  बेहद निर्मम था। दर्जनों इंसान और पशु रोज उसका शिकार बनते थे। हर व्यक्ति के दिमाग में यह शोच बनी हुई थी, कि वो बहुत विशाल है और उसे मारा नहीं जा सकता । यह सोचकर ही किसी ने उसके खिलाफ कभी थोड़ा बहुत हौसला भी नहीं जुटाया | एक दिन एक साधारण सा किशोर बालक मोहन दूर के गाँव से इस इलाके में रहने वाले अपने चचेरे भाइयों से मिलने आया । जब उसने राक्षस वाली बात सुनी तो रात को सोते समय मोहन ने अपने भाइयों से बात करते हुए कहा कि तुम सारे लोग मिलकर इस राक्षस का मुकाबला क्यों नही करते" । तो भाइयों का जवाब था कि " तुम जानते नही वो कितना विशाल है, उसे मारा नहीं जा सकता" । मोहन ने कहा कि "यह तो और भी अच्छी बात है यानी वो इतना विशाल है "कि कहीं भी निशाना लगाया तो चूकेगा नहीं, उसके किसी ना किसी हिस्से पर चोट जरूर करेगा" । ऐसे विशाल राक्षस को मारना तो उतना ही आसान है। अगर तुम सारे लोगों को इक्कटा कर मेरा साथ दो तो हम इस राक्षस को मामूली हथियारों से मार गिरायगे । और दोस्तों फिर हुआ भी ऐसा ही। मोहन ने ग्रामीणों के सहयोग से मामूली हथियार से उस भयानक दरिंदे का अंत कर दिया। दोस्तों राक्षस वही, लोग वही, जंगल वही, परिस्थिति भी वही। अगर कुछ अलग और सकारात्मक (positive)  था। तो वह थी मोहन कि उस राक्षस के प्रति सोच। एक  positive things ने सारी समस्या को जड़ से समाप्त कर दिया। यही समझना आज के हमारे आर्टिकल् का मकसद है, कि यदि सोच सकारात्मक है। तो जिन्दगी बहुत आसान और खुशनुमा है। 

वैसे तो "प्रेरणादायक डायरी" के सभी आर्टिकल् Motivational । पर सकारात्मक सोच को लेकर लिखे गए कुछ बेहतरीन आर्टिकल् जिन्हें आप भी पढ़ कर लाभ प्राप्त कर सकते है ---

1.  क्या है सकारात्मक सोच... छात्रों के लिए सकारात्मक सोच विकसित करने के जबर्दस्त उपाय (Tips) 2023-24 ।। 

2 . नजरिया ( attitude) बदलो.. तो बदल जाएंगे नजारे। 

3 . सब कुछ सम्भव ( every thing's is possible) 

4 . जीवन बदलने कि थेरेपी--  सकारात्मक सोच। 




    मेरी ""मोटीवेशनल डायरी'" -- सफ़लता कि और कदम।। 


3. Apne आप को apdate रखें : -------


दोस्तों आज के आधुनिक दौर में एक जागरुक और संजीदा इंसान से यह उम्मीद कि जाती है कि वो कि अपने दौर कि बेसिक ज्ञानवर्दक बातो से बाखिफ रहे। अपने आस पास, अपने  राज्य, देश के महत्वपूर्ण घटनाक्रम कि knowaledge रखे l अपने देश कि नालेज देने घटनाओं पर नजर रखे अपने आप को अपडेट" रखे।  गर्मजोशी के साथ लोगों से मिले। वक्ताके अनुसार खुद को अपडेट करना जरूरी है, वर्मा जमाना आगे निकल जाएगा और आप सोधते ही रह जाएंगे। अगर आप अपडेट रहना चाहते है और जमाने के साथ चलना चाहते है तो मैं आपको एक टिप्स दे रहा हूँ। इसे आप जरूर फॉलो करें। रोज 1-2 घंटे अखबार या मैग्जीन जरूर पढ़े: दोस्तो अगर आपके मन में यह सवाल है कि अपडेट रहने का कोई Best तरीका क्या हो सकता है..? तो मैं कहूँगा कि आपडेट रहने का (Knowladge के नजरिए से सबसे अच्छा तरीका है ... रोज एक अखबार और एक मैग्जीन जरूर पढ़ें । 

यह भी पढ़े -- prernadayari.blogspot.com

अच्छी पुस्तक (book)और पत्र-पत्रिकाएँ  जीवन के सच्चे मित्र होते है । आज से, मेरे कहने से,आप अपने आप को एक आदत लगाए! अच्छी आदत! वो आदत है -- News paper और Mgzins को पढ़ना, अपनी जीव शैली का हिस्सा बना ले ।  इनसे आपको फ़ायदा ये होगा कि आप हर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक घटनाओं से वाकिफ़ रहगे । आपके अन्दर एक समझ विकसित होगी। दोस्तो अखबार और पत्र पत्रिकाओं का हमारे जीवन में और ज्ञान वृद्धि में बहुत महत्व है। मैं  P.G. ( पोस्ट ग्रेजुएशन) कि पढ़ाई के वक्त, जब जयपुर रहता था तब  कुछ मैगजीन हर महीने पढ़ने के लिए पयोग में लाता था। इन अखबार और पत्रिकाओं ने मेरी जिन्दगी की दशा बदली। जब से मैंने इन्हें पढ़ना बंद किया, तब से कुछ अच्छा नहीं हो रहा। दोस्तों आप सब को, मेरे प्यारे पाठकों को मैं एक नेक सलाह देना चाहता हूँ। आप सुबह या दोपहर में चाय के साथ साथ कम से कम एक घंटे अखबार (news paper) जरूर देखें। मैने स्वयं जिन अखबार और पत्र-patrikaon का उपयोग किया है, उनके बारे में आपको बता रहा हूँ---

1.अखबार -- रा.पत्रिका, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान (दिल्ली से) पंजाब केसरी ,दैनिक जागरण , Times of India ( कभी -कभी, अंग्रेजी भाषा के कारण  कम समझ में आता था मुझे) 


2 . मैग्जीन ---  इंडिया टुडे ,फ्रंट लाइन (हिन्दी में) आउट लुक। 

3 . योजना (सरकारी योजनाओं और विकास कि जानकारी)।  

4.  कुरुक्षेत्र (government development yojnaye) । 


5. प्रतियोगिता दर्पण ( कंपिटिशन तैयारी के लिए) । 


4. नकारात्मकता से दूर रहें : ----

दोस्तों,  best seller book ( Motivational) जिसका नाम है -- जीत आपकी (  लेखक-- शिव खेड़ा जी) । इस में  मैने एक मज़ेदार बात पढ़ी  वो आपको भी बताता हूँ -- हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा कराये गये एक अध्ययन के मुताबिक 85% मौको पर किसी इंसान को नौकरी या तरक्की उसकी  सकारात्मक सोच कि वजह से मिलती है । जबकि तथ्यों  facts) और ऑकड़ो (figures) कि जानकारी कि वजह से 15 प्रतिशत मौको पर ही नौकरी मिलती है। आपको भी पढ़कर आश्चर्य हो रहा होगा...? मुझे भी हुआ था! कि जिन्दगी में कामयाबी दिलाने वाली चीज़ो में तथ्यों और आँकड़ो कि हिस्सेदारी के वल 15 प्रतिशत है, जबकि शिंक्षा पर हम जो रकम खर्च करते है, वो सारी इन्ही को पढ़ाने में खर्च जो जाती है। जबकि 85 % , जो कि बहुत बड़ा हिस्सा है, उस कि तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया जाता।  बात साफ है दोस्तों, आप जीवन में सफल होगे या असफल ..? और अगर सफ़ल होंगे तो सफ़लता का दायरा कितना बड़ा होगा...? यह बात तय करने वाल अहम् फैक्टर (Main factor)  है -- सकारात्मक सोच ( positive things)l आपका अपना नजरिया है । अतः हमेसा मस्त रहे। सुवस्थ रहें। खुश रहें,tandrust रहें। हँसते रहें,hasante रहें। हमेशा सकारात्मक रहे । (Be positive) 


5. इर्स्या और बुराई करने से बचें :----- 



दोस्तो सकारात्मक सोच विकसित करने का सबसे उपयुक्त मार्ग है कि "नकारात्कता से दूर रहे, नकारात्मकता उत्पन्न करने वाले तत्वों से दूर हरे । नकारात्मक तत्वों से बचे । अब आपके मन में सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि आज के आधुनिक दौर में कौनसी वो कोनसी चीज है जो हमारे अंदर सबसे ज्यादा नकारात्मकता उत्पन्न कर रही है....??  तो मैं आपको बताना चाहूगा कि ""वो कारक है- इसरों के ईर्ष्या करना और बुराई करना" । आधुनिकता और मोर्डन जमाने के साथ चलने कि होड़ ने, एक दूसरे को पीछे छोडने कि अन्धी दौड़ ने, अधिक से अधिक संसाधन और पैसा कमाने कि  वेइतन्हा चाहत ने हमें एक दूसरे का दुष्मन बना दिया। ईर्ष्यालु बना दिया । आज हर इंसान एक दूसरे को पीछे छोड़ना चाहता और कामयाब नही होने पर कुण्डा ग्रस्त हो जाता है। और उसके अन्दर ईर्ष्या जन्म लेती है। और ईर्ष्या नकारात्मकता उत्पन्न करने वाला एक प्रभावी कारक है । हम किसी कि सफलता पर जले उससे बेहतर रास्ता यह है कि हम कड़ी मेहनत करे। अगर आप ईर्ष्या करणे तो कभी सफल नहीं होगे और नकारात्मक विचारों को जन्म देगे, जिसका असर आपकी पूरी जिन्दगी पर  पडेगा | आजकल एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है -- "log अपने दुख से दुःखी नहीं है बल्कि दूसरों का सुख देखकर दुःखी है"। हमें इसरो कि सफलता और मेहनत कि प्रसंसा करनी चाहिए। दूसरों कि तारीफ करने कि आदत आपके अन्दर सकारात्मकता ( Positive Things) उत्पन्न करती है। लोगों कि खुलेकर तारीफ करे। ईर्ष्या करने कि आदत आपके व्यतित्व (parsanlity) पर विपरीत असर डालती है। आपकी छवी को धूमिल करती है।  लोगू आपके बारे में गलत धारणाएँ भी बना सकते है। आप के पड़ौस या यारी-दोस्ती में जो लोग सफल है "'उनकी दिल से प्रशंसा ( Appreciation) करें"।Manovegyanik (Psychologist) विलियम जेम्स (william James) का कहना है कि--"कि सबसे गहरी इच्छाओं में से एक है- प्रशंसा पाने कि इच्छा"। 


6. अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखें:--

           " पहला सुख -- निरोगी काया"

दोस्तों,  सुख एक आन्तरिक अनुभूति है और भी कई किस्म का होता है। भारतीय संस्कृति ने "निरोगी काया को पहला सुब माना गया है। अर्थात आपकी काया (शरीर) स्वस्थ्य नही है तो आपके बाकि कि सुखों का कोई मजा नहीं रह जाता । स्वस्थ्य शरीर के अभाव में - पैसा प्रोपट्टी, मकान, दुकास, फैक्ट्री नौकरी सब बेकार साबित हो सकता है। अगर आप स्वस्थ्य शरीर के मालिक है तो अन्य सारी सुविधाए और सुख आप जुटा सकते है। बीमार शरीर, रोगी काया धीरे धीरे आपको नकारात्मकता कि 'भट्टी" में झोंक सकती है । 

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों ही सभी के जीवन में विशेष महत्व रखते है। एक Student or youtth (छात्र व युवा) के जीवन में इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। एक स्वस्थ्य शरीर स्वस्थ्य मन कि आधारभूत बुनियाद होती है। 

शारीरिक स्वास्थ्य अपने शरीर कि उचित देखभाल के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उचित आहार पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम, आदि के माध्यम से  हम अच्छा शारीरिक स्वास्थ्य पा सकते है। जबकि मानसिक स्वास्थ्य - तनाव, चिंता, अवसाद, स्ट्रेस, और  अन्य मानसिक समस्याओं से मुक्त रहने कि क्षमता होती है। अच्छा स्वास्थ्य न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि समाज और देश के लिए भी महत्वपूर्ण होता है अच्छे स्वास्थ्य वाला व्यक्ति अधिक और बेहतर कार्य करने में सफल होता है । उसकी सोच और व्यवहार positive होता है। ऐसे लोग सभी के लिए प्रेरणा (Motivation) का कार्य करते हैं। आप अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिए निम्न उपाय (TIPS) अपनाये :--

1.नियमित भ्रमण करे / व्यायाम करें । 

2. संतुलित भोजन ले | 

3 पर्याप्त नींद ले। ( कम से कम 6 घंटे) 

4. समय समय पर मनोरंजन करें।

5. अपना लक्ष्य निर्धारित करें।

 6 .दूसरों की मदद करें । 

 7.0तरल पदार्थों को सेवन अधिक करें (पानी, छाछ, दूद 

ज्यूस, नींबू पानी) 

 8. नशीली वस्तुओ  के सेवन से बचें। 



7. अपने काम पर गर्व महसूस करें : ----


आजकल की दुनिया में लोगों ने अपने काम से गर्व की भावना को अलग कर दिया है क्योंकि इसके लिए कोशिश और कड़ी मेहनत की ज़रूरत होती है। पर कोई काम अंजाम तक तभी पहुँचता है, जब उसके लिए कोशिश की जाती है। हताश होने पर जल्दी कामयाबी दिलाने वाले गलत रास्तों (short cut) को अपनाने की इच्छा होती है, लेकिन इनसे बचना चाहिए, भले ही सामने कितनी भी बड़ी लालच हो। गर्व की भावना आदमी के मन में उत्पन्न होती है, और उसकी वजह से उसे जीतने वाली बढ़त मिलती है। अपने काम को लेकर गौरव अनुभव करने का मतलब अहंकारी होना नहीं है। यह तो विनम्रता भरे आनंद का इज़हार है। काम और काम को करने वाले की गुणवत्ता को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता । आधे मन से किए गए काम से आधे नतीजे नहीं मिलते, बल्कि इस तरह से किए गए काम से कोई नतीजा ही नहीं मिलता। 

 :----  तीन लोग ईंटों की चुनाई कर रहे थे। एक आदमी ने उनसे पूछा, “आप क्या कर रहे हैं?" उनमें से एक ने जवाब दिया, "तुम्हें दिखाई नहीं देता कि मैं रोज़ी कमा रहा हूँ?” दूसरे ने जवाब दिया, “तुम्हें दिखाई नहीं देता कि मैं ईंटें चुन रहा हूँ?” तीसरे ने जवाब दिया, “मैं एक सुंदर स्मारक बना रहा हूँ।" वे एक ही काम को कर रहे थे, लेकिन उसके बारे में उनके तीन बिल्कुल अलग-अलग नज़रिए उनके नज़रिए का उनके काम पर भी असर पड़ेगा?  जवाब है - जरूर पड़ेगा । बिल्कुल पड़ेगा। जैसी आपकी सोच होगी आपका कार्य भी वैसा ही रूप ले लेगा। 

उत्तमता तब हासिल होती है, जब काम करने वाले को अपना सबसे उत्तम प्रदर्शन करके गर्व महसूस होता है। हर काम उसे करने वाले का अक्स होता है चाहे वह कार की सफाई का काम हो, फर्श साफ़ करने का काम ho , पड़ाई का काम हो, व्यापार हो, घर की रंगाई करने का काम । 

हर काम को पहली बार ही सही ढंग से कीजिए, और फिर हर बार सही ढंग से कीजिए। आने वाले कल का सबसे अच्छा बीमा आज अच्छे ढंग से किया गया काम है। 

माइकेलएंजेलो (Michelangelo) कई दिनों से एक प्रतिमा पर काम कर रहे थे। वह हर बारीकी को सुधारने में काफी वक़्त लगा रहे थे। पास खड़े एक आदमी को ये सुधार गैरज़रूरी लगे। उसने माइकेलएंजेलो से पूछा कि वह उन बारीकियों की इतनी चिंता क्यों कर रहे हैं। माइकेलएंजेलो ने जवाब दिया, “छोटी-छोटी चीजें ही पूर्णता लाती हैं, और पूर्णता कोई छोटी चीज़ नहीं है।” 

ज्यादातर लोग यह भूल जाते हैं कि आपने कोई काम कितनी तेजी से किया, लेकिन उन्हें यह याद रहता है कि आपने वह काम कितने अच्छे ढंग से किया था। 

:----   अगर किसी आदमी को सड़क साफ़ करने का काम दिया जाए तो उसे सफ़ाई वैसे ही करनी चाहिए जैसे माइकेलएंजेलो पेंटिंग करता हो या बीथोवन संगीत की रचना करता हो या शेक्सपियर कोई कविता लिखता हो।  या मुंशी प्रेमचंद कोई उपन्यास लिखता हो। उसे सड़क की सफ़ाई इतनी अच्छी तरह करनी चाहिए कि स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों जगहों के लोग रुककर बोलें कि यहाँ सड़क सफ़ाई करने वाला रहता था, जिसने अपना काम गर्व से और बहुत अच्छी तरह किया।  -------   मार्टिन लूथर किंग, जूनियर । 

में किसी काम को अच्छी तरह करने का अहसास खुद में एक इनाम है। ख़राब तरीके से कई काम करने से अच्छा है कि अच्छे ढंग से कुछ ही काम किए जाएँ । सफल लोग यह नहीं पूछते कि कितना कम काम करना है, बल्कि वे यह पूछते हैं कि कितना ज़्यादा काम करना है। वे यह पूछते हैं कि कितने घंटे काम करना है, यह नहीं पूछते कि कितने कम समय तक काम करना है। अच्छे संगीतकार रोज़ घंटों तक रियाज़ करते हैं। जीतने वालों को अपनी कामयाबी कोई बड़ी बात नहीं लगती, क्योंकि उन्होंने उसके लिए लंबे समय तक कड़ी मेहनत की होती है। 


8. कड़ी मेहनत करें:-----

हम जिन चीज़ों का आनंद उठाते हैं, वह किसी न किसी की कड़ी मेहनत का नतीजा होती है। कुछ काम आँखों को दिखाई पड़ते हैं, और कुछ दिखाई नहीं पड़ते, लेकिन महत्त्वपूर्ण दोनों तरह के काम होते हैं। इसलिए अपना काम करके गर्व महसूस कीजिए और जब भी मौका मिले, दूसरों की कड़ी मेहनत को तवज्जोह और इज्ज़त देकर सराहिए। अपने काम को सलीके, और कड़ी मेहनत के साथ कीजिए। नतीजे के तौर पर हमें अपनी योजना को पूरा करने में सफलता हासिल होगी, और आत्मसंतुष्टि मिलेगी। कभी-कभी दूसरे लोग हमारी तारीफ़ करेंगे, लेकिन उसे बोनस मानिए, क्योंकि असली संतुष्टि तो मनुष्य को अपने अंदर महसूस होती है।