बुधवार, 15 मई 2024

कैसे अच्छे मार्क्स हासिल करें बोर्ड परीक्षा - 2024 में.



<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4543233482420494"
     crossorigin="anonymous"></script>

प्रेरणा डायरी.


बोर्ड परीक्षाएं शुरू होने में कुछ ही दिन शेष बचे हैं। सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होगी, वही अलग-अलग राज्यों के बोर्ड परीक्षा भी शुरू होने वाली हैं। आईए जानते हैं बोर्ड परीक्षा के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। 
 बोर्ड परीक्षाओं में अब रिवीजन के लिए भी बहुत कम समय बचा है। परीक्षा का नाम सुनकर बहुत से स्टूडेंट तनाव में आ जाते हैं।लेकिन ध्यान रखने वाली बात है की तैयारी पर तनाव को हावी होने देने से परीक्षा पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में उन बातों का ध्यान रखें जो अंक बढ़ाने में आपकी मदद करें,  और आपको तनाव मुक्त रखें।

मॉडल पेपर कम करेंगे डर --

 परीक्षा से पहले तक जिस भी विषय का रिवीजन करें उसके मॉडल पेपर सॉल्व करें। सीबीएसई से लेकर स्टेट बोर्ड तक की ऑफिशल वेबसाइट पर मॉडल पेपर उपलब्ध हैं। इन्हें डाउनलोड करके परीक्षा का डर दूर कर सकते हैं। और एग्जाम रूम में होने वाली गलतियों को रोक सकते हैं। इसके साथ ही खुद की तैयारी का स्तर भी आसानी से जांच सकते हैं। मॉडल पेपर से तैयारी करने में अत्यंत सुविधा प्राप्त होती है। तथा परीक्षा का डर दूर होता है। और अच्छा अभ्यास किया जा सकता है। 

तनाव को हावी न होने दें ---

 विशेषज्ञ कहते हैं कि ज्यादातर स्टूडेंट तैयारी करते समय तनाव में आ जाते हैं उन्हें लगता है की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे, तो बहुत परेशानी हो जाएगी ऐसे मामलों में दो बातें ध्यान रखें, पहली चिंता और डर से हमेशा दूर रहे तनाव और चिंता आपकी तैयारी को प्रभावित करेगा और आपके इस्कोर पर बुरा असर डालेगा,  इसलिए तनाव मुक्त रहकर ही तैयारी करें।  तनाव मुक्त तैयारी से हमेशा सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

अगर पेपर कठिन आ जाये, तो क्या करें  ---

 कई बार स्टूडेंट के सामने बड़ा संकट उत्पन्न हो जाता है आशा के विपरीत प्रश्न पत्र कठिन आ जाता है, क्वेश्चन पेपर को देखकर के छात्र घबरा जाते हैं, भाई और तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं उनके आते हुए प्रश्न भी गलत होने लगते हैं. स्टूडेंट दबाव में आ जाते हैं और अधिकतर प्रश्नों को छोड़ने छोड़ देते हैं,यदि यदि ऐसा हो जाता है कि प्रश्न पत्र कठिन आता है तू सबसे पहले आप अपने मन को शांत करें गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे छोड़ें ध्यान रखें समय सीमित होता है मन शांत होने के बाद सबसे पहले उन प्रश्नों को हल करना शुरू करें जिनके जवाब आपको अच्छी तरह आते हैं, सवालों के जवाब देते समय घबराएं नहीं और कॉन्फिडेंस के साथ उत्तर लिखें, भाषा अच्छी रखें और गलतियां कम करें, इस तरह से यदि आप पेपर हल करेंगे  तो निश्चित रूप से आप अच्छे अंक हासिल कर सकेंगे!

कुछ समय अपने लिए निकाले ---

 अधिकतर छात्र लंबी पढ़ाई और और परीक्षा के दर से तनाव ग्रस्त हो जाते हैं तैयारी के अंतिम दौर में भी अपने रिजल्ट को बिगड़ने न दें ध्यान रखें हमेशा पूरी नींद ले हेल्दी डाइट ले परीक्षा से जुड़े हर कार्य को परीक्षा से पहले ही पूरे करने का प्रयास करें ताकि अंतिम समय में कोई हड़बड़ा या घबराहट ना हो


दोस्तों के साथ तैयारी कि तुलना ना करें --- 

 आपके साथ के दोस्तों की तैयारी आपसे अच्छी है या बुरी इस बात की कभी तुलना ना करें क्योंकि यह तुलना आपकी परीक्षा पर और आपके परिणाम पर बेहद खराब असर डाल सकती है अगर फिर भी आपके मन में कोई सवाल या शंका है तो अपने परिवार के सदस्यों और अपनी शिक्षकों के साथ एक स्वस्थ चर्चा करें इतना करने के बाद भी अगर आपके मन की शंकाएं और समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा और आप परेशानी महसूस कर रहे हैं तो किसी अच्छे मनोज चिकित्सा से भी सलाह ले सकते हैं इसमें कोई बुराई नहीं है इस प्रकार की दिनचर्या अपना कर अपने केवल स्वस्थ और मजबूत बनेंगे बल्कि अपनी परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ बेहतर स्कोर कर सकेंगे

 अपने दिमाग को एक्टिव रखें ---

 अक्सर जब हमसे पूछा जाता है तो हम यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि मुझे सब मालूम है लेकिन आपको यह सोचना चाहिए कि यदि आपके सामने कोई घटना हुई है या आपने कोई चैप्टर पढ़ा है तो वह आपको याद क्यों नहीं है आप उसका ठीक से जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं अगली बार जब आपसे कोई इस तरह से इस सवाल पूछे तो आप खुद से जवाब करें कि मुझे इसका आंसर क्यों मालूम नहीं है ऐसा करने से आपके ब्रायन पर सकारात्मक असर पड़ेगा और वह एक्टिव रहेगा यह आदत आपकी मेमोरी को भी बेहतर बनाएगी इन छोटी-छोटी आदतों से आपकी मेमोरी धीरे-धीरे शार्प बनेगी यह परीक्षा में सफलता प्राप्त करने का एक सकारात्मक उपकरण है

 ट्रिक का प्रयोग करें ---

 दोस्तों परीक्षा में जवाब लिखना एक बात है लेकिन जवाब को प्रभावित तरह कैसे लिखना दूसरी बात ध्यान रखें आपका जवाब जितना प्रभावित होगा उतने अच्छे मार्क्स आपको मिलेंगे इसके लिए आप ट्रिक को अपना सकते हैं विभिन्न विषयों जैसे साइंस मैथ्स ज्योग्राफी हिस्ट्री आदि में कुछ बेसिक ट्रिक अपनी जा सकती हैं और बेहतर जवाब लिखा जा सकता है जवाब लिखते समय छोटे-छोटे चार्ट और डायग्रामों का प्रयोग अवश्य करें जैसे भूगोल विषय में सवालों के जवाब देते समय आप मानचित्रो का प्रयोग करें इसी प्रकार इतिहास विषय में हम सनों को याद करते समय लापरवाही करते हैं और उन्हें व्यर्थ का समझ कर ध्यान नहीं देते लेकिन इतिहास विषय में सनोन का विशेष महत्व है इसलिए अपने जवानों में जहां जरूरी हो वहां सनों को लिखें जवाब में विशेष और खास महत्वपूर्ण तत्वों को अंडरलाइन कर दें इस प्रकार आप अपने बोर्ड की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं

 खुद पर भरोसा रखें ---


अक्सर छात्रों की शिकायत होती है कि वह परीक्षा के दिनों में अपना कॉन्फिडेंस को देते हैं जो भी याद कर रहे हैं उसे भूल जाते हैं याद किया हुआ मेमोरी में नहीं टिक पाता यह समस्या सिर्फ स्टडी तक सीमित नहीं होती प्रोफेशनल लाइफ पर भी इसका असर पड़ता है अगर आप भी इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखकर मेमोरी को बेहतर बना सकते हैं और अपने आत्मविश्वास को कायम रख सकते हैं हार्वर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट बताती हैं की मेमोरी बढ़ाने का सबसे बेहतर तरीका है खुद पर विश्वास रखना यदि आपका विश्वास डगमगा रहा है तो आपकी मेमोरी पर भी बुरा असर पड़ेगा खुद पर भरोसा नहीं होगा तो तनाव भी बढ़ेगा इसलिए पहले खुद पर भरोसा रखें

 गुस्से और चिड़चिड़ेपन को दूर रखें  ---

 यदि आपको गुस्सा आता है तो अपने गुस्से को काबू में रखें और चिड़चिड़ा पैन से दूर रहें साइंटिफिक रीजन साबित करते हैं कि गुस्सा मेमोरी पर बुरा असर डालता है अपने मां और दिमाग को शांत रखें जैसे-जैसे मां और दिमाग को शांत रखते हैं धीरे-धीरे मेमोरी शार्प होती चली जाती है स्टूडेंट के अंदर पैदा होने वाला दर मेमोरी पर असर डालता है आपकी स्टडी प्लान को भी चौपट कर सकता है

ग्रुप स्टडी को महत्त्व दें ---

 ग्रुप स्टडी का सबसे बड़ा फायदा है दोस्तों के साथ आपस में क्रॉस क्वेश्चन करना. क्रॉस क्वेश्चन आपको कई अवसर प्रदान करता है इसे धीरे-धीरे मेमोरी भी तेज होती है तथा आपको अपनी तैयारी किस स्थिति में है इस बात का आभास होता है. इन प्रश्नों के आधार पर आप अपनी तैयारी का आकलन करके उसे और मजबूती प्रदान कर सकते हैं आपको यह पता चलता है कि किन विषयों में और किन टॉपिको में मेरी तैयारी वीक है  जिन विषयों में आप क्रॉस क्वेश्चन का जवाब नहीं दे पाते अर्थात आपकी तैयारी उन विषयों में थोड़ी कमजोर है आप समय रहते अपनी तैयारी को मजबूती दे सकते हैं ग्रुप स्टडी आपकी मेमोरी को बढ़ाने का भी काम करती है इस तरह अगर संभव हो तो कुछ घंटे ग्रुप स्टडी के लिए जरूर निकले ग्रुप स्टडी के समय आप इस बात से घबराएं नहीं कि मैं सवालों का जवाब नहीं दे पाऊंगा आप जिन विषयों में कमजोर हैं उन्हीं से संबंधित सवाल अपने दोस्तों से पूछे और उनसे भी इस विषय में सवाल पूछने के लिए कहें ऐसा करके आप अपने विषय को बहुत अच्छा तैयार कर सकते हैं.

एग्जाम फोबिया से बचें ---

 यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें परीक्षा के भय से बहुत ज्यादा डर और घबराहट बढ़ जाती है। इससे बचाव का एक ही तरीका है कि इस बात को दिमाग में नहीं लाना चाहिए की क्या हो रहा है और क्या होगा..? कैसा पेपर होगा..? कितने मार्क्स आएंगे...? इस तरह के सवाल और सोच नकारात्मकता को जन्म देती है। अपनी कोशिशें का आकलन करना चाहिए फेवर आफ फैलियर यानी सफलता का दार आदमी को परेशान करता है। फीवर का फेलियर नामक यह है स्थिति छात्रों में अधिक पाई जाती है परीक्षा आपके लिए सब कुछ है पर यह सोचना गलत है की परीक्षा में असफल होने पर जीवन में आपकी पहचान ही खत्म हो जाएगी।
 एग्जाम फोबिया से बचने के लिए परीक्षा के दिनों में आप अपने खुश मिजाज दोस्तों परिवार के सदस्यों और शिक्षकों का एक सहायता समूह तैयार करें यदि आपको किसी तरह का तनाव हो रहा है किसी विषय को लेकर चिंतित हैं तो इसके बारे में अपने सहायता समूह से बात करें इससे आपका तनाव कम होगा और एग्जाम फोबिया से बच सकेंगे

परीक्षा को चिंता का नहीं, ख़ुशी का विषय बनाये --



 कुछ दशकों से परीक्षा और उस से उतत्पन होने वाला तनाव एक गंभीर और वैश्विक संकट बनकर उभरा है। मैं तो इसे ही वैश्विक संकट ही कहूंगा क्योंकि दुनिया का हर छात्र चाहे वह किसी भी देश का हो परीक्षा से जुड़े अनेक अनेक तनाव भ्रमों और चिताओं का शिकार हो रहा है। परीक्षाओं के तनाव और दबाव के कारण आए दिन अनेक नौजवान आत्महत्या कर रहे हैं। परीक्षा और परीक्षा से उत्पन्न तनाव अब एकदम भी चर्चा का विषय बन चुका है। चारों तरफ का एनवायरमेंट ऐसा बन गया है कि बच्चे परीक्षा को परीक्षा ने समझकर भविष्य तय करने की परीक्षा मान लेते हैं। परीक्षा के दबाव में आकर कई विद्यार्थी अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं. परीक्षा की दावों के कारण बच्चों में अन्य कई प्रकार के विकार देखे जा रहे हैं। इससे हमारा ऐसा विद्यार्थी वर्ग बीमार हो रहा है जो आगे चलकर देश निर्माण में अपना योगदान देगा। वर्तमान समय में परीक्षा को ऐसा रूप दे दिया गया है जिसके दबाव में बच्चे अपनी प्रतिभा से विमुख हो रहे हैं और अतिरिक्त दबाव में ने तो अच्छे परीक्षार्थी बन पा रहे हैं और ने ही अपने मनोबल को ऊंचा उठा पा रहें है। इसके लिए आवश्यक है ऐसी सोच की जो परीक्षा के डर के वातावरण को समाप्त कर एक स्वस्थ वातावरण को जन्म दे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात से भली भांति प्रसिद्ध है कि हमारी भाभी पीढ़ी अपनी क्षमताओं का तभी भरपूर प्रयोग कर सकती है जब वह अपनी विशेषताओं का दोहन कर पाएगी। उल्लेखनीय है की परीक्षाओं का दबाव परीक्षा से नहीं बल्कि उन आकांक्षाओं से उत्पन्न होता है जो परिजनों और समाज के द्वारा बच्चों पर थोपी जाती है सभी ओर से बच्चों के दिमाग में बस एक ही बात भर दी जाती है की परीक्षा में उत्तम अंक लाना ही एकमात्र पैमाना है। इसके कारण बच्चों पर आकांक्षाओं का अतिरिक्त भोज एक ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जो बच्चों की प्रतिभा को फलने -फूलते से रोकता है बच्चों को किसी भी तनाव से बचने के लिए घर के मुखिया का योगदान महत्वपूर्ण होता है अब समय आ गया है कि देश का हर अभिभावक और शिक्षक इस मुद्दे पर ध्यान दें और इसे गंभीरता से ले ताकि परीक्षा चिंता का नहीं खुशी का विषय बन सके।

 परीक्षा और इससे जुड़े तनाव को काम या ज्यादा करने में छात्र और परिजन दोनों की  सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बहुत कुछ छात्र पर निर्भर करता है कि वह तनाव को अपने ऊपर कितना हावी होने देते हैं। परिवारजन छात्र के लिए एक तनाव मुक्त माहौल उत्पन्न करने में अहम भूमिका अदा करते हैं। माता-पिता के लिए यह एक जिम्मेदारी हो जाती है की परीक्षा के दिनों में वह छात्र को स्वस्थ और तनाव मुक्त पारिवारिक माहौल प्रदान करें. स्थिति तब विकेट हो जाती है जब परिजन अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से करते हैं। ऐसे हालातो से छात्रों में नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है। परिजनों को चाहिए कि वह अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से कवि ने करें। परीक्षा की दिनों में वह इन दिनों में भी परिजनों को अपने बच्चों के साथ दोस्ताना संबंध रखनी चाहिए ताकि उन्हें गलत रास्ते पर जाने से रोका जा सके. अपने बच्चों की क्षमताओं का आकलन करें नेक कमजोरी का.

 परीक्षा को चिंता के स्थान पर खुशी का विषय बनाने में शिक्षक भी अपनी अहम भूमिका रखता है। माता-पिता और दोस्तों के अतिरिक्त शिक्षक ही वह इंसान है जो एक छात्रा के सबसे अधिक करीब होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यक्रम एग्जाम वारियर्स में कहा की बच्चों की शिक्षा के साथ उनसे दिल का रिश्ता कायम कर ले वही सच्चा शिक्षक है. परीक्षा इससे जुड़ी चिंता और समस्याओं को छात्र अपने माता-पिता के अतिरिक्त जिस व्यक्ति के साथ सबसे ज्यादा शेयर कर पाते हैं वह एक शिक्षक ही होता है। शिक्षक को अपने छात्र-छात्राओं के साथ अपने स्वयं के बच्चों की भांति ट्रीट करना चाहिए। उनकी विभिन्न समस्याओं परीक्षा की समस्याओं और अन्य मुद्दों पर खुली चर्चा करनी चाहिए।

 दोस्तों पता नहीं हमने क्यों परीक्षाओं को एक चिंता और तनाव का विषय बना दिया है जबकि जबकि परीक्षा को खुशी एवं उल्लास का विषय माना जाना चाहिए। जीवन में उत्साह से बड़ा कोई उपहार नहीं और हताशा से बड़ा कोई अभिशाप नहीं उत्साह से भरपूर व्यक्ति के लिए हर मंजिल आसान होती है। खुशी और उत्साह से भरपूर व्यक्ति हर परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लेता है।

 खुद के नोट्स बनाएं --

 आप जब भी पढ़ाई करें तो अपने विषय के नोट्स अवश्य बनाएं। स्वयं के बनाए गए नोटिस विषय को याद रखने में मदद करते हैं विभिन्न स्रोतों से अपने विषयों की पढ़ाई करना आपको भ्रम में डाल सकता है। इसलिए एनसीईआरटी की बुक से ही पढ़ाई करना उचित रहेगा।  डिस्कशन किसी भी विषय के लिए लाभदायक है। अगर आप अपने मित्रों के साथ समूह में चर्चा करके पढ़ाई करते हैं तो यह अच्छा रहेगा। परीक्षा में प्रश्नों को अच्छे से समझ कर ही उनका उत्तर लिखना चाहिए जिससे गलती ना हो।

 एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से ही करें पढ़ाई --

 एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों पर ध्यान केंद्रित करें क्योंकि इनमें सीबीएसई बोर्ड की 12वीं कक्षा की सभी विषयों से पूछे गए चैप्टर होते हैं। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को देखें और विश्लेषण करें की परीक्षा की दृष्टि से कौन से चैप्टर अधिक महत्वपूर्ण है। प्रश्न पत्रों को जल्दी हल करने की आदत विकसित करने के लिए पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों का अभ्यास करें। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों से अभ्यास करना सबसे सर्वोत्तम उपाय है। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र एक तरफ तो आपको पूछे गए प्रश्नों की प्रकृति का अभ्यास करेंगे साथ ही आपको पेपर हल करने का समय तकनीकी आदि के ज्ञान से भी परिचित कराएंगे इसलिए पुराने प्रश्न पत्रों से अभ्यास करना बेहद आवश्यक और जरूरी है। आप परीक्षा के दिनों में अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखें। और तनाव मुक्त होकर अध्ययन करें।

 दूसरों के प्रति कृतज्ञ रहे --

 आपकी सफलता केवल आपकी अपनी नहीं होती है। हर सफलता के पीछे जाने अनजाने अनगिनत लोगों का योगदान होता है। जिनमें शिक्षक, अपने परिवारजन, मित्र, आदि होते हैं। आपके माता-पिता आपके जीवन को बेहतर बनाने के लिए जो कुछ कर सकते हैं,  वह सब करते हैं पग पग पर आपको आपके भाई बहनों, और पूरे परिवार का संबल मिलता है। उन अनेक लोगों और परिजनों तथा दोस्तों के खिलाफ कृतज्ञ रहे जो आपकी मदद करते हैं। दूसरों का शुक्रगुजार रहना सफलता में मदद करता है।

 निष्कर्ष  ---

 दोस्तों अच्छी तैयारी करके परीक्षा में अच्छे अंक हासिल हो जाएं यह जरूरी नहीं है अच्छे अंको की प्राप्ति के लिए हमें अध्ययन के अतिरिक्त अन्य दर्जनों बातों को अपने ध्यान में रखना पड़ता है जैसे परीक्षा के समय में खुश रहना तनाव मुक्त रहना चिंता मुक्त रहना अपनी तैयारी को बेहतर तरीके से करना अच्छी रणनीतियां बनाना स्वस्थ भोजन और व्यायाम करना आदि ऐसे विषय हैं जो परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने में मदद करते हैं इसीलिए अच्छी तैयारी के साथ-साथ हमें इन सभी बिंदुओं को मध्य नजर रखते हुए अपनी रणनीति अपनानी चाहिए यदि आप इन सभी बिंदुओं का ध्यान रखते हैं तो निश्चित रूप से आप परीक्षा में तनाव मुक्त रहकर अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं. बेहतरीन तैयारी तो करें पर मस्त मौला भी रहे आपने देखा होगा कि आपके साथ पढ़ने वाले कई छात्र आपसे काम पढ़ाई करके भी आपसे बेहतर परिणाम दे रहे हैं क्योंकि वह तुलना वह और तनाव से दूर रहकर तन और मन से अपना अध्ययन कार्य संपन्न करते हैं.


प्रश्न - उत्तर

Question  - 1 आज छात्रों के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि मेरे बोर्ड एग्जाम है लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लगता मैं क्या करूं..??

उत्तर -- दोस्तों एग्जाम के दिनों में परीक्षा में मन नहीं लगा अक्सर सभी छात्रों की समस्या होती है ऐसा होने पर आप अपने दोस्तों की मदद ले ग्रुप में मिलकर साथ-साथ पड़े इससे काफी हेल्प मिलेगी और आपको आसानी से याद होगा और इस तरीके से पढ़ाई करने से आपको अलसी भी नहीं आएगा इसके अलावा यह समस्या अपने परिजनों के साथ साझा करें वह आपकी काफी मदद कर सकते हैं.



ब्लॉग नाम -  प्रेरणा डायरी।
वेबसाइट  - prernadayari.blogspot.com
 राइटर   -- केदार लाल     ( के. एस. लिग्री  )

रविवार, 12 मई 2024

मोटिवेशन क्या होता है ...? और क्यु जरुरी हैं...?

        
  "प्रेरणा डायरी" -- उम्मीदों कि उड़ान।                                    
 <script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4543233482420494"
     crossorigin="anonymous"></script>


दोस्तो नमस्कार, 

आप सभी का बहुत बहुत स्वागत हैं। दोस्तों प्रेरणा डायरी का यह शुरुआती आर्टिकल है, इसलिए हो सकता है कि आज मुद्दे से इतर वार्ता हो। अर्थात आज के आधे या इससे भी अधिक आर्टिकल में मैं अपने ब्लॉग के मकसद और उसके उद्देश्यों को आपके सामने स्पष्ट करना चाहता हूं। ऐसा करना मेरी नजर से बहुत जरूरी भी है। यह आर्टिकल एक तरह से प्रेरणा डायरी की आत्मा है, क्योंकि इस आर्टिकल में प्रेरणा डायरी का सारांश हैं। "प्रेरणा डायरी"  ब्लॉग पर आपको---तथ्यात्मक, ज्ञान वर्धक, रोचक, और बेहतरीन आर्टिकल पढ़ने को मिलेगे। दोस्तों हिंदी ब्लागिंग में प्रेरणा विषय पर आज भी अच्छे लेखों की कमी है। जो छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर दें।

प्रेरणा डायरी  "ब्लॉग" का मकसद / उदेश्य -


1. छात्रों के लिए प्रेरणा (motivation) प्रदान करना।

2. छात्र और युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक जानकारियां देना।

3. छात्रों में सकारात्मक का संचार करना।

4. अपनी जानकारी के माध्यम से छात्रों का सहयोग करना और उन्हें प्रेरित करना।

5. अपने जीवन को सफल और कामयाब बनाने में मदद करना।

5. छात्राओ को प्रेरणा प्रदान कर आत्मनिर्भर जीवन जीने के लिए सक्षम बनाना।


 मुझे पूरा भरोसा है की "प्रेरणा डायरी"" आप सभी के जीवन में सकारात्मक और क्रांतिकारी बदलाव लाने मै कामयाब होगी। क्योंकि इसके आर्टिलों को पूरी ईमानदारी के साथ लिखा जाएगा। इसके आर्टिकल मानव कृत होंगे। प्रेरणा डायरी की सफलता मेरा सपना है।  डायरी का सपना है आपकी सफता। आप सब को कामयाब होते हुए देखना मेरा, और मेरे इस ब्लॉग का उद्देस्य भी है, और सपना भी।



                          

 आर्टिकल लेखन में इतने बड़े प्लेटफाॅर्म पर पहला प्रयास है। अतः आप सभी का भरपूर आशीवाद मेरे लिए  "संजीवनी" का कार्य करेगा l आरंभ में त्रुटियाँ स्वभाविक  है, इस के लिए क्षमा प्राथि रहूँगा। इस डायरी के सुरुआति पन्नों पर कुछ इस प्रकार के प्रेरित ( motivate ) करने वाले आर्टिकल पढ़ने को मिलेगे जैस---                                                              
         
              1.मोटिवेशन क्या होता है...?
              2.मोटिवेट कैसे रहे..?
              3.students कैसे motivate रहे l
               4. किशोरों के लिए मोटिवेशन।
               5. प्रेरणा दाई विचार। 
               6. महापुरुसो की जीवनी।
               7.  महापुरुसो का संघर्ष।
               8. खुश रहना
               9. सफल कैसे बने?? 
             10. जीवन जीने की कला।
             11. लक्ष्य। 
             12. सफलता कैसे हासिल करे।
             13. काम याब कैसे बने।
             14. सकारात्मक सोच l 
             15. खुश कैसे रहे। 
             16. प्रेरित कैसे रहें।
             17. पढ़ाई करने के कारगर टिप्स।
             18. प्रतियोगी परीक्षा के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा।
            

दोस्तों, छात्रों कि प्रेरणा "Motivation" के लिए इस ब्लॉग पर मौलिक और यूनिक आर्टिकल् लिखे जायेंगे l गंभीर विषयों पर आधारित आर्टिकल में विभिन्न साहित्याओं से मदद ली जाएगी। पत्र पत्रिका और मैगजीन की मदद ली जाएगी। झूठ और भ्रामक आर्टिकल प्रेरणा डायरी में नहीं छपे जाएंगे। छात्रों के लिए उपयोगी जानकारी और उनकी वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर की जाएगी  अर्थात  लेख l  
  
आपको ये तो विदित हो ही गया की ब्लॉग प्रेरणा पर केंद्रित होगा l मोटिवेशन हमारी मूल विषय वस्तु रहेगी l आर्टिकल आपको अपने लक्ष्य और जीवन के उदेश्यो को प्राप्त करने के लिए प्रेरित (मोटीवेट ) करेंगे। दोस्तों जब हम कोई भी टॉपिक पढ़ते हैं, तो उस टॉपिक पर आगे बढ़ने से पहले ये जान लेना चाहिए की उस का अर्थ क्या है..? उसका मतलब क्या ह..? मीनिंग और डेफिनेशन क्या है..?  अगर पहले हम ये जान लेते है तो  चाहें, किसी भी विषय का, और कोई भी टॉपिक हो  उसे समझना बड़ा आसान हो जाता है। आज के आर्टिकल के शेष बचे भाग में, मै आपको motivation क्या होता है ( परिभाषा) के बारे में बताऊंगा।  उसके बाद प्रेरणा से सम्बंधित आर्टिकल् पढ़ने मै आपको भी आनंद की अनुभूति होगी।


मोटिवेशन क्या होता हैं ---?


मोटिवेशन को हिन्दी में प्रेरणा कहा जाता है। मोटिवेशन latin भाषा के शब्द MOTUM से बना है l जिसका अर्थ है गति करना, to move, या क्रिया करना।
 प्रेरणा के शाब्दिक और मनोवैज्ञानिक अर्थ में अंतर है। प्रेरणा के शाब्दिक अर्थ में हमें किसी कार्य को करने का बोध होता है। इस अर्थ में हम किसी भी उत्तेजना को प्रेरणा कह सकते हैं क्योंकि उत्तेजना के अभाव में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया संभव नहीं है। हमारी हर एक प्रतिक्रिया या व्यवहार का कारण कोई ना कोई उत्तेजना अवश्य होती है। यह उत्तेजना आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार की होती है। 

 मनोवैज्ञानिक अर्थ में प्रेरणा से हमारा अभिप्राय केवल आंतरिक उत्तेजनाओं से होता है। जिन पर हमारा व्यवहार आधारित होता है। इस अर्थ में बाह्य उत्तेजनाओं को कोई महत्व नहीं दिया जाता, दूसरे शब्दों में - प्रेरणा एक आंतरिक शक्ति है, जो व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। प्रेरणा एक अदृश्य शक्ति है,  इसे देखा नहीं जा सकता इस पर आधारित व्यवहार को देखकर केवल इसका अनुमान लगाया जा सकता है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक गुड (गुड पेज no *354)  प्रेरणा को परिभाषित करते हुए कहते हैं कि  ""प्रेरणा कार्य को आरंभ करने जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।"

अभिप्रेरणा  ऐसी दशा है जो एक व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करती हैं l  motivation एक आंतरिक शक्ति है । मोटिवेट व्यक्ति शीघ्रता  से अपने  टारगेट को  अचीव कर लेता है।  मोटीवेट प्राणि असंभव कार्य को भी संभव बना देता है। जीवन मे सफल आदमी बनने के लिए मोटिवेशन बहुत  जरूरी चीज होती हैं l प्रेरणा एक मानसिक प्रक्रिया या एक आंतरिक शक्ति है जो अंदर से किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए सदैव प्रोत्साहित करती है. हम यूपी का सकते हैं कि अभी प्रेरणा एक ऐसी शक्ति है जो हमें किसी कार्य को करने के लिए प्रेरित करती है, और तब तक प्रेरित करती है जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो जाए। यह एक प्राणी की वह अवस्था है जो उसे किसी आवश्यकता के कारण भीतर से संचालित करती है तथा उसे लक्ष्य की ओर निर्देशित करती है।

जैसे - आपने देखा होगा कि कई प्रतियोगी छात्र कंपटीशन एग्जाम में बार-बार असफल हो जाते हैं, लेकिन फिर भी वह अपनी तैयारी में जुटे रहते हैं और हार नहीं मानते हैं। आप जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है...? ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि उस छात्र को, या उस व्यक्ति को उसका लक्ष्य बार-बार कार्य करने की प्रेरणा दे रहा है। उसे अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रहा है। यही कारण है कि बार-बार की यह सफलताएं भी उसका हौसला नहीं तोड़ पा रही है। प्रेरित छात्र की लर्निंग पावर बढ़ जाती है इसीलिए प्रेरणा को सीखने का हृदय सीखने का स्वर्ण पथ अनिवार्य स्थिति सीखने का सीखने का मुख्य राजमार्ग तथा सीखने का मुख्य कारक भी कहा गया है।


प्रेरणा को हम उतेजित  स्टेज भी कहते हैं। अर्थात प्रेरणा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके बाद व्यक्ति गतिशील या सक्रिय हो जाता है।  मोटिवेशन को अनेक मनोवेगानिको  ने डिफाइन  किया है, पर "अवेरिल Averil " ने बेस्ट डेफिनेशन दी है। आईए देखते हैं की प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और विद्वानों ने प्रेरणा को किन शब्दों में परिभाषित किया है --


1.ऐवरिल - 

"प्रेरणा का अर्थ है-सजीव प्रयास। यह कल्पना को क्रियाशील बनाती है, यह मानसिक शक्ति गुप्त और अज्ञात स्त्रोतों को जाग्रत और प्रयुक्त करती है, यह हृदय को स्पन्दित करती है, यह निश्चय, अभिलाषा और अभिप्राय को पूर्णतया मुक्त करती है, यह बालक में कार्य करने, सफल होने और विजय पाने की इच्छा को प्रोत्साहित करती है। ""

 हरि विल की अतिरिक्त और भी के बड़े मनोवैज्ञानिकों ने प्रेरणा को परिभाषित किया है। आईए जानते हैं प्रेरणा की कुछ और परिभाषाओं को ---


2. ब्लेयर, जोन्स व सिम्पसन-

"'प्रेरणा एक प्रक्रिया है, जिसमें सीखने वाले की आन्तरिक शक्तियाँ या आवश्यकताएँ उसके वातावरण में विभिन्न लक्ष्यों की ओर निर्देशित होती हैं।" 

"Motivation is process in which the learner's internal energies or needs are directed towards various goal objects in his environment." 

-Blair, Jones and Simpson (p. 151) 

   

   छोटी सी आशा...... चाँद तारों को  , छूने कि आशा l 


3. लावेल (Lawell )

 प्रेरणा को परिभाषित करते हुए लावेल कहते हैं-- "!कि अभिप्रेरणा एक मनोवैज्ञानिक या आंतरिक प्रेरणा है जो किसी आवश्यकता की स्थिति में उत्पन्न होती है, यह ऐसी क्रिया की और गतिशील होती है जो उसे आवश्यकता को संतुष्ट करती है।"

4. स्किनर के अनुसार -- प्रेरणा सीखने का सर्वोत्तम राजमार्ग है।

5. वूडवर्थ के अनुसार -- "प्रेरणा व्यक्तियों की दशा का वह समूह है, जो किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए निश्चित व्यवहार को स्पष्ट करती है।"

6. मैकडॉनल्ड के अनुसार -- "प्रेरणा व्यक्ति की एक आंतरिक शक्ति है, जो भावनात्मक उद्वेलन एवं पूर्वानुमानित लक्ष्य के संबंधों से ज्ञात होता है।"


 प्रेरणा के स्रोत ( सोर्स ऑफ़ मोटिवेशन )


बालको के लिए प्रेरणा का महत्त्व --

 बालकों को प्रेरित करने के लिए सकारात्मक या आंतरिक प्रेरणा का प्रयोग अधिक उत्तम समझा जाता है। इसका कारण यह है कि नकारात्मक या बाह्य प्रेरणा बालक को कार्य में अरुचि उत्पन्न कर सकती है। फल स्वरुप यह कार्य को पूर्ण रूप से करने के लिए किसी अनुचित विधि का प्रयोग कर सकता है। यदि आंतरिक प्रेरणा प्रदान करके सफलता नहीं मिलती है तो बाह्य प्रेरणा का प्रयोग करने का विकल्प  रह जाता हैं। फिर भी शिक्षक का प्रयास यही होना चाहिए कि वह आंतरिक प्रेरणा का प्रयोग करके बालक को कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करें।

  बालकों के लिए प्रेरणा का महत्व इस रूप में बहुत ज्यादा है की  प्रेरणा (motivation ) बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित ( motivate ) करती है। बच्चों की लर्निंग में प्रेरणा का अलग ही योगदान है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक की गुडविल ने लिखा है कि ""सीखने के लिए प्रेरणा का महत्व निसंदेह रूप से स्वीकार किया जाता है।" प्रेरणा सीखने का महत्वपूर्ण अंग है। प्रेरणाहीन कार्य को सिखाने में व्यक्ति रुचि नहीं लेता। ना बच्चे रुचि लेते हैं। और प्रेरणा एक ऐसी शक्ति है जो छात्र में रुचि उत्पन्न करती है दोस्तों प्रसिद्ध विद्वान थॉमसन ने लिखा है "प्रेरणा छात्र में रुचि उत्पन्न करने की कला है।" प्रेरणा का प्रयोग करके छात्रों में रुचि उत्पन्न की जा सकती है। क्योंकि "रुचि सफलता की ओर जाने वाला रास्ता है।" - kedar Lal

 प्रेरणा के द्वारा बालकों के चरित्र का निर्माण, मानसिक विकास, रुचि का विकास, अनुशासन की भावना का विकास, सामाजिक गुणों का विकास, किया जा सकता है। प्रेरणा शिक्षण प्रक्रिया का मुख्य आधार है और सीखने का एक ऐसा शक्तिशाली साधन है जिसका प्रयोग करके शिक्षक बालकों को उनके साध्य तक पहुंचा सकता है, या उनकी क्रियाओ को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है, या उनके व्यवहार में वंछनीय परिवर्तन  ला सकता हैं। प्रेरणा का बालकों के लिए बहुत अधिक महत्व है अंत में यही कहूंगा।


आप सफल होना चाहते हैं तो आपके लिए जरूरी होता है हमेसा सकारात्मक सोच और ऊर्जा से भरपूर रहना । "प्रेरणा ( motivation) " प्रतिभा को निखार कर उसे रचनात्मक बनाता हैl मोटिवेशन हमे बेहतर कार्य करने, सफल होने और अच्छा जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है । दोस्तो मेरा ये ब्लॉग आपकी मदद करेगा! आप एक स्टूडेंट्स हों या युवा कंपिटेटर  अगर आप सफलता प्राप्त करना चाहते है तो जुड़े रहे मेरे इस ब्लॉग पर । अपने बाकी दोस्तों के साथ । आपको  पढ़ने को मिलेंगे  बेहतरीn motivation अर्टिकल्

आईये अब हम ये जानने की कोसिस करते है की आखिर "" Motivation"" क्यू जरूरी होता है.......????

प्रेरणा दो प्रकार कि  होताी है ---

1 आंतरिक प्रेरणा।

2. बाहिय प्रेरणा।

आंतरिक मॉटिवेशं सबसे अच्छा माना जाता है क्योकि इसमें, व्यक्ति सेल्फ, स्यम ही अपनी आंतरिक प्रेरणा से motivate रहता है/ जबकि बाहरी प्रेरणा, किसी अन्य बाहरी तरिके से प्राप्त की जाती है/ 

जीवन मै motivation के बिना किसी मुकाम को हासिल कर पाना बेहद मुश्किल होता है । आप एक छात्र हो, छात्रा हो, प्रतियोगी हो या व्यापारी, महिला हो या पुरुष या एक  साधारण इंसान  आप सब को और हमे असफलता के दिनों मै, motivation की बहुत अवस्यकता होती हैं l आपने मुकेश अंबानी, रतन टाटा, बजाज, बिरला, अजीज  प्रेमजी, बिल् गेट्स, थामस् एडिसन्, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, PM modi, अमिताब् बच्चन आदि लोगो के खूब नाम सुने है.... आपने कभी सोचा ....??? की ये हस्तियां कैसे सफ़लता की बुलंदियों तक पहुची/ दोस्तो दुनिया के हर सफल इंसान के पीछे कोई ना कोई प्रेरणा   (motivation)  जरूर होती हैं🛐

जिस प्रकार हमे जीवन के लिए अनेक तत्वो की जरूरत होती है । ठीक वैसे ही सफलता के लिए motivation आवसयक् हैं, बिना mativation के जीवन मै सफ़ल होना बहुत जटील् हो जाता हैं🛐/एक व्यक्ति की लाइफ उतार चड़ाव से भरी होती हैं निराशा और असफलता के दिनों में, उसे motivation की विशेष अवसयक्ता होती है । प्रेरणा व्यक्ति को सहारा देती है, उसका उत्साह बढ़ाती है, और संघर्ष के लिए तय्यार करती है । प्रेरित व्यक्ति सकारात्मक सोच और ऊर्जा से सराबोर रहता है । motivation हमे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है । 

motivation से एक नहीं अनेक फायदे है, लाभ है

 जैसे ------

1. प्रेरित रहते हैं। 

2. सफलता मे सहायक । 

3. लक्ष्य प्राप्ति मे सहायक । 

4. उत्साह । 

5. सकरात्मक सोच । 

6. खुश, प्रसन्न जीवन । 

7. संघर्ष छमता विकसित होती हैं । 

8 अच्छे व्यक्तित्व का निर्मांड् होता है । 

9.motivate व्यक्ति दूसरो के लिए प्रेरणा बन जाता है । 


Question🙋🙋

 

1. Motivation (प्रेरणा) किसे कहते हैं.....?? Ans. 

Ans.   motivation Latin bhasa के "motum" शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है, गति करना, move करना / motivation को हिन्दी मै प्रेरणा कहा जाता है /प्रेरणा सफल होने, लक्ष्य प्राप्त करने, उत्साह से जीने, के लिए आवसायक होती है / 


Question 2. हमे "motivation" की आवसयक्त क्यू पड़ती है....??? 

Ans. दुनिया के हर सफ़ल इंसान के पीछे प्रेरणा दिखाई देती हैं प्रेरणा हमारे लिए बेहद जरुरी है, क्यू की प्रेरणा के माद्यम से हम अपना लक्ष्य, टार्गेट प्राप्त कर, जोस और उत्साह के साथ जीवन जीते हैं/  mativate व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है/ mativation हमारी संघष  शक्ति को प्रबल करता है l अत: हमे प्रेरणा की आवसयक्त a पड़ती है /

Photo📷📷

 Kedar Lal (K. S. .. Ligree ) 

ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी

URL--prernadayari.blogspot.com

बुधवार, 8 मई 2024

क्यों बन रहे है छात्र मनोरोगी..??.. क्यो कर रहे है आत्महत्या..?

<script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4543233482420494"

     crossorigin="anonymous"></script>



हिण्डौन(Rajasthan) 


क्यो बन रहे है छात्र मनोरोगी...? क्यों कर रहे है आत्महत्याएँ
...? 
"प्रेरणा डायरी (motivation dayri)  कि आज की 28 वीं पोस्ट छात्रों से जुड़े एक बढ़े गंभीर विषय पर आधारित है। इसलिए सीधे मुद्दे पर बात करगे, आपने खुद भी देखा होगा कि हमारे देश के ऐसे सैकड़ो शहर, जो ऐजुकेशन हब (Education Hub ) के रूप में उभरे है, वहाँ के अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं, समाचार चैनलों, और इलैक्ट्रोनिक मिडियाँ, सोसल मिडीया पर हर जगह, आए दिन नौजवान, तैयारी करने वाले युवक युवतियों के जहर खाकर, कोचिंग कि बिल्डंग से कूदकर, पंखे से लटकर,(ट्रेन के आगे कूदने जैसा विभित्स और डरावना कदम भी शामिल है) अपनी जान देते है। भारत में क्षात्रों कि आत्महत्याओं से संबंधित  कुछ आंकड़े आपके सामने पेश कर रहा हूं, इन्हें पढ़ कर आप चौंक उठेंगे  एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2022 में 130 44, 2021 में 13089, 2020 में 12526, छात्रों की आत्महत्या के कारण मृत्यु हो गई। भारत में सन 2021 में महाराष्ट्र राज्य में छात्रों की आत्महत्या की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई, यहां आत्महत्या करने वाले छात्रों में से 1834 छात्रों की मौत हो गई। इसके बाद मध्य प्रदेश में 1308 और तमिलनाडु में 1246 छात्रों की मौत हुई। राजस्थान का कोटा शहर पूरे देश में सुसाइड सिटी के नाम से फेमस हो चुका है।  "कोचिंग हब ऐरिया और बड़े शहरों से निकलकर अब ये, घटना छोटे शहरों, कस्बों और अब तो गाँवों तक पहुँच चुकी है। वर्तमान में युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति सिर्फ एक शहर या एक देश तक सीमित नहीं बल्कि यह वैश्विक चुनौती बन चुकी है।

 विश्व के लिए चुनौती.. मानसिक अवसाद --

 विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य का अर्थ केवल बीमार न होना और शारीरिक रूप से फिट होना ही नहीं है, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक तीनों चीजों से जुड़ा हुआ है। जहां भी व्यक्ति कमजोर होता है वहां वह इस वक्त माना जाता है। उसे सेहतमंद नहीं कह सकते। अच्छी स्वास्थ्य वाला व्यक्ति वह है जो इन सभी मानवों पर खुश है और हर स्तर पर अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है। जो जीवन में समान तनाव का सामना करने में सक्षम है। यूं तो मानसिक विकार कई तरह के होते हैं मसलन डिमेंशिया तनाव चिंता भूलना अवसाद डिस्लेसिया एंजायटी  आदि। लेकिन इन सभी में अवसाद अर्थात डिप्रेशन ऐसा बीमारी है जिससे पूरी दुनिया ट्रस्ट है हर आयु वर्ग का व्यक्ति आज मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहा है।

WHO के अनुसार पिछले एक दशक में तनाव और अवसाद के मामलों में 18% की बढ़ोतरी हुई है। भारत की करीब 6.5% से 7.5% आबादी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रही है। यह माना जाता है की अच्छी मेंटल हेल्थ हर व्यक्ति का मानव अधिकार है जिससे उसे वंचित नहीं किया जा सकता। दुनिया में मेंटल हेल्थ में आ रही लगातार गिरावट से एक्सपर्ट और डॉक्टर भी परेशान है देखा गया है कि कई बार प्रारंभिक जीवन में बुरे अनुभव हद से और घटनाएं मां को इतना इफेक्ट करती हैं कि उनके प्रभाव से व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। कई प्रकार के मनोविकारों का शिकार हो जाता है यह मनोविकार और नकारात्मकता उसके मन और सेहत दोनों को खराब करती हैं।

 असफलता और बेरोजगारी बड़ा कारण --


मानसिक अवसाद का बड़ा कारण असफलता बेरोजगारी और गरीबी भी है। 2011 की जनगणना के आंकड़े देखने से पता चलता है कि मानसिक रोगों से ग्रस्त करीब 78.62 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। आज युवाओं और छात्रों में बढ़ते आत्महत्या के मामले भी इस बात की पुष्टि करते हैं। बेरोजगारी से परेशान युवा इस कदर मानसिक नकारात्मकता के दौर से गुजर रहे हैं कि वह सुसाइड जैसा गंभीर कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। यह आंकड़े तेजी से इस और इशारा करते हैं कि युवाओं में मानसिक अवसाद एक घातक रूप ले रहा है। डब्ल्यू एच ओ ने 2013 में मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के बराबर महत्व देते हुए वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक व्यापक मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना को मंजूरी दी थी। यह योजना 2013 से 2020 तक के लिए थी। इस कार्य योजना में सभी देशों ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने का प्रण लिया था। भारत ने भी इस कार्य योजना को अपने यहां लागू किया था लेकिन आज भी भारत में मेंटल हेल्थ के हालात भैया हुए हैं। इसके पीछे तमाम कारण है इनमें लोगों की सोच और सरकार द्वारा किया जाने वाला मेंटल हेल्थ का बजट है। आज भी भारत में मानसिक स्वास्थ्य पर किया जाने वाला वह बहुत कम है भारत अपने कुल सरकारी स्वास्थ्य विभाग का मात्र एक पॉइंट तीन 1.3  प्रतिशत हिस्सा ही मेंटल हेल्थ पर खर्च करता है। मानसिक रोगियों की संख्या पिछले 10 वर्षों में दुगनी हो गई है, लेकिन उसे पर खर्च होने वाला बजट आज भी काम है। भारत में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2017 में भारत की विशाल जनसंख्या के लिए मात्र 5000 मनोचिकित्सक और 2000 से भी काम मनोवैज्ञानिक थे। यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। हाल में जारी वैश्विक प्रसन्नता सूचकांक के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं काम प्रश्न और अधिक तनाव ग्रस्त होती हैं। इसीलिए यहां महिला आत्महत्या दर पुरुषों से कहीं ज्यादा है। भारत में घरेलू हिंसा कम उम्र में शादी मातृत्व लैंगिक भेदभाव काफी हैं जो महिलाओं में मानसिक अवसाद और मनोविकारों का प्रमुख कारण है।

 

 स्कूल कॉलेज से लेकर कैरियर बन चुके युवा तक सुसाइड कर रहे हैं। विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं की आत्महत्या की प्रवृत्ति भावनात्मक एवं मानसिक मनोविकार है और इसे समझने की ज्यादा जरूरत है। इन आत्महत्या को लेकर खूब समाचार छपते हैं, चैनलों पर डिबेट होती है, विशेषज्ञ चर्चा करते हैं। पर इन सब कि इतनी जरूरत नहीं है सबसे ज्यादा जरूरी है ये जानना कि " आख़िर ऐसा क्यू हो रहा है...?? 

 इतने पढ़े लिखे और समझदार छात्र जो ग्रेजुएशन, पीजी, और महत्वपूर्ण सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र के ओहदो को प्राप्त करने वाली नौकरियो कि तैयारी कर रहे है वो आख़िर क्यो....?और कैसे...? आत्महत्या जैसा कायराना और कमजोर कदम उठाने पर मजबूर हो जाते है ये जानना हमारे, हमारी सरकारों, और वैशिक संस्थाओ (Govermend & Inter National Councai and Walfare orgnisationa) के लिए जरूरी है । 

क्योकि ये एवं वैश्विक संकट है (इस समस्या का समना दुनिया का हर विकसित, विकासशील एवं गरीब देश कर रहा है) इसके कारणों को ढूढ़ना इसलिए जरूरी है ताकि अपने बच्चों को स्वस्थ्य भविष्य मुहैया कराया आ सके । प्रेरणादायक डायरी ( Motivational / मोटीवेशनल)। का ये आर्टिकल इन्ही जिम्मेदार कारण (Responsible facters) कि पड़ताल करेगा। 
दोस्तों मैने जब इन कारणों को टटोलने का प्रयास किया तो बहुत सी  वज़हें सामने आयी पर मैं उन कारणों का उल्लेख, उनकी चर्चा करना चाहता हू, जो सबसे अधिक जिमेदार है। सबसे अहम् है । 

1. अनअपेक्षित (नाजायज) मानसिक दबाव :----


आज के दौर में हर माँ-बाप (पेरेन्ट्स) अपने बच्चों कि क्षमता, उनकि रूपि, उनके कौशल का मूल्यांकन किये बिना ही उन्हें डॉक्टर इंजिनियर, IAS बनाने कि इच्छाए पैदा कर लेते हैं। और अपनी इन echayo को बच्चों पर थोप दिया जाता है चाहे उस बालक में इन्हें हासिल करने का कौसल्  हो या नही । परिणाम स्वरूप बच्चे अवसाद, चिंता, डिप्रेशन, दबाव, कुण्ठा, चिड़चिडेपन्, हीन भावना आदि मानसिक विकारों के शिकार हो जाते हैं अगर आप दुनियाँ कि सबसे बड़ी  स्वास्थय संस्था  ( WHO - world helth orgnisation द्वारा जारी कि गई स्वास्थ्य रिपोर्ट के कुछ आंकड़ो को पड़ेंगे तो चोंक उठन्गे W.H.O. के अनुसार दुनिया मे  मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है । अकेले उत्तरी अमेरिका में 2010 में अवसाद उपचार में खर्च हुई रकम 210.5 बिलियन डॉलर थी जो  2022 में बढकर 326 बिलियन डॉलर हो गयी। भारत में भी समस्या तेजी से बढ़ रही है हाल ही में अकेले कोटा ( राजस्थान राज्य का ऐजुकेश हब) में बड़ी संख्या में छात्रों दुवारा आत्महत्या कि गई । भले ही स्वास्थ्य सुविधाएँ तेजी से बढ़ी है भौतिक साधनों में खूब इजाफा हुआ हूँ । पर लोगों और हमारे छात्रों का मन कमजोर हुआ है । ऐसा अनचाहे दबाव के कारण अधिक हो रहा है। यदि आने वाले समय में यहि प्रवृति बनी रही जिसकी पूरी सम्भावना है की 2030 में वैश्विक अर्थ जगत का 16 ट्रिलियन डालर मनोरोगों के इलाज में झोंकना पड़ेगा । ऐसी स्थिति में समरसता, तनाव एवं दबाव मुक्त, प्यार मोहब्बत का वातावरण स्थापित करना वैश्विक आवश्यकता है। मानसिक  स्वास्थ्य के प्रति जगरूकता पैदा करने के लिए 10 अक्टुबर को विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

2. रुचि और योग्यता के अनुरूप चुनें भविस्य : ---

विद्यार्थियों कि आत्महत्या के मामलों को कई आयामों से देखना होगा । भौतिक, सांसारिक सुख भोग करना हम सब को प्रिय है। हम अधिकाधिक उपयोग के आदि हो चुके है। यह यात्रा  हमारी छात्र पीढ़ी को तनाव, चिंता, दबाव, अकेलेपन, असन्तुस्टि, कुंठा जैसी मानसिक संतुलन बिगाड़ने वाली अनुभूतियों कि और धकेल रही है।  मुझे 3 एडियट फिल्म याद आ रही है।  इस फिल्म से हमें यही सन्देश मिलता है कि बच्चों को अपनी रूचि और योग्यता के अनुसार अपना भविष्य चुनने कि स्वतन्त्रता होनी चाहिए। पर मुस्किल यह है कि  अभिभावक बच्चों पर अपनी महत्वाकाक्षा लाद देते हैं। बच्चों को यह पता तक नहीं होता कि जिस लक्ष्य कि दौड़ में हमें जुटाया  गया है वो हमारी इच्छा का है । या हम पर लादा गया एक बोझ मात्र है। 


3. गुणवता पूर्ण संवाद का अभाव : ---- 

 dosto आज के dhor मे  एक विडभना भरा माहौल नजर आ रहा। दोस्तों आज के बच्चों और माँ-बाप, बच्चों और शिक्षकों, बच्चों और संस्थानों, जो गुणवता पूर्ण सलाह मशवरा उपलब्ध करवाते है, के मध्य सकारात्मक संवाद का अभाव है।बच्चे अकेलेपून का शिकार हो रहे है। उनकी समस्यों को सुनने वाले पारिवारिक दोस्त समाप्त हो रहे है। अकेलापन दुखदाई क्षण पैदा करने लगता है। भारत में स्कूलों में छात्रों कि समस्याओं का समाधान करने वाले टीचर (एडवाइजर) जैसे कोई पद होते ही नही । शिक्षा पद्धती भी बोझ और दबाच पैदा करने वाले डरें  पर चलने वाली है जिसमें भारी बदलाव अपेक्षित है।

4. खेल-khood और स्वस्थ्य मनोरंजन से दूरी :----


भाज विद्यालय, परिवार, कोचिंग हर जगह छो छात्रों को केवल एक ही टारगेट का पकड़ा दिया जाता है पढ़ो ... ! पढ़ो...! पढ़ो! आगे बढ़ो ! ..टॉप करो! ...नाम करो! ...सलेक्शन लो । अरे भाई... भले आदमियो ये तो देखो की आपका बेटा या बेटी किस काबिल है। वो क्या चाहता है। उसका etrest क्या है। 

एक आश्चर्य जनक बदलाब मैं देख रहा हूँ, कि जो चीज हमारे Student (छात्र पीढ़ी को) सबसे ज्यादा शारीरिक और मानसिक लाभ पहुंचाती थी - खेलकूद उसे अब "टाइमवेस्ट" माना जाता है। खेलकूद, बालू सभाएँ, बाद विवाद, सामाजिक समस्या समाधान कार्यक्रम, हर school में लागू होने चाहिए । योगा के महत्व को दुनिया भर में lmportance दिया जा रहा है। योग तनाव ( tension) को दूर करने का एक कारगर और आसान उपाय है। इसके महत्व को student को समझना चाहिए। इसके अच्छे रिजल्ट हो सकते है। 


5. प्रेम और सहानुभूतिपूर्ण माहौल की आवसायकता:--


पढाई के दौरान जीवने जीने का कौशल और समस्या निवारण कौशल सिखाने पर भी ध्यान देना होगा। जीवन को नीरस बनाने वाले माहौल को "बाय-बाय" कहें। जीवन को जीवंत होकर जीए । 

मानसिक रोगों से बचने के लिए खुलेमन, दया,सहानुभूति, प्रेरणा, सहज स्वीकार्यता कि जरूरत है। पहले की तुलना में अब लोग परामर्श लेकर अपनी समझ बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में रूचि दिखा रहे है, जो एक अच्छा संकेत है। 

मानसिक रोगो और रोगियों को हेय दृष्टि से देखना और इससे सम्बन्धित भ्रांतियों को रोकना भी बहुत जरूरी है। मनोरोगियो चाहे वो student हो या कोई अन्य व्यति सबसे ज्यादा जरूरत जिस चीज की है वो है-- "प्यार और सहयोग" का वातावरण। 

 

बचाव के उपाय : -


 सबसे जरूरी है - जागरूकता : ---

देश में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर  जागरूकता का अभाव है। मानसिक बिमारियों पर घर, परिवार, समाज में कोई चर्चा तक नहीं होतीं। कई बार लोगों के इसके लक्षणों का भी पता नहीं चल पाता, यह भी एक कारण है। तनाव, घबराट, चिंता, उदासी, काम में मन नही लगना, बैचेनी, नेगेटिव thought, आदि प्रमुख लक्षण है। 


खतरनाक संकेतों को समझे : --- 

पीडित बच्चे या युआ बीमारी कि इस्थिती में कुछ खतरनाक संकेत देने लगते है। जैसे --

- आत्महत्या कर लूँगा। 

- मार दूँगा। 

- मर जाऊंगा। 

- सबको तबाह कर दूँगा।

यदि इस प्रकार कि बाते या विचार बार बार आते है। या मुह से निकलते है, तो तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक को दिखाये। लोग इसे भूत -बाधा समझकर देवता और नीम हकीमो के चक्कर में पड़ जाते है। ऐसा करना गलत है। 


बच्चों को अच्छे कार्यो से जोड़े : ---

बच्चों/ छात्र को अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से वो bussy भी रहन्गे। उनको उनकी रुचि के कार्यो को करने के लिए प्रेरित करे। जैसे -- 

- खेलना कूदना। 

- साहित्य पढ़ना। 

- बागवानी । 

- कहानी, कविता, निबंध आदि लिखना। 

- समाचार सुनना। 

- मनपसंद प्रोग्राम देखना। 

- कॉमेडी देखना। 


दूसरे बच्चों से तुलना ना करें : --


 Website --prernadayari.blogspot.com

ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी।

































































































मंगलवार, 7 मई 2024

क्या हैं डिप्रेशन...? छात्र कैसे मैनेज करें डिप्रेशन को।

<स्क्रिप्ट async src='https://pagead2.googlesyndicate.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-4543233482420494'
     क्रॉसऑरिजिन='गुमनाम'></स्क्रिप्ट>

जयपुर, राजस्थान, भारत।

प्रेरणा डायरी।

अवसाद क्या हैं....? छात्र कैसे मैनेज करें अवसाद को। 

 दोस्तों प्रेरणा डायरी की आज की पोस्ट में आप लोगों का दिल से स्वागत करते हुए बहुत-बहुत बधाई हो रही है। आज हम इस लेख में छात्रों से संबंधित लेकिन एक बड़े ही गंभीर विषय पर चर्चा करेंगे। चूँकि यह एक गंभीर विषय है इसलिए इस लेख को रचनात्मक वक्ता ने कई पत्र-पत्रिकाएँ, पत्र-पत्रिकाएँ, और कहानियाँ और खुद की शोध की मदद ली है, मैं स्वयं शोध करने के बाद खुद के विचारों से इस लेख को लिख रहा हूँ। 

 डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। महिला पुरुष युवा बुजुर्ग छात्र युवा कोई भी इसकी जांच कर सकता है। अच्छे रिजल्ट, भविष्य की पढ़ाई और रुचि को लेकर के छात्र अवसाद का शिकार हो रहे हैं। कुछ लोग अवसाद की स्थिति में गलत तरीके से अपना कर खुद को और खराब स्थिति में शामिल हो जाते हैं। डिप्रेशन पर हमने काफी अध्ययन और चर्चा की है लेकिन जरूरी यह है कि एक बार डिप्रेशन का शिकार होने के बाद इस स्थिति से बाहर कैसे निकलें...? इसे कैसे ठीक किया जाए...? आज कहावतों की व्याख्या करते हैं--

 अवसाद खत्म क्या हैं....?

 हम इस मुद्दे पर आगे बातचीत शुरू करते हैं, सबसे पहले संकेत का प्रयास करते हैं कि निश्चित अवसाद क्या है और इसकी सही पहचान कैसे की जा सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)   के अनुसार अवसाद एक समान मानसिक विकार है जिसमें उदासी या लंबे समय तक रहने की स्थिति में आनंद की कमी या अच्छी अवधि वाले कार्य में भी रुचि का काम शामिल होता है। वैसे तो अवसाद किसी को भी हो सकता है, जो लोग गंभीर क्षति, आर्थिक क्षति और उत्सव उत्सव, पारिवारिक कल, पढ़ाई और नौकरी के स्नातक आदि से दूर रहते हैं, उनमें अवसाद की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है, महिलाओं में अवसाद होने की संभावना अधिक होती है। अधिक होता है। अब सवाल यह है कि हम अवसाद के शिकार क्या हैं..? इस बात को हम कैसे जान सकते हैं या इसका पता कैसे लगा सकते हैं..? तो मैं आपको बताता हूं अवसाद के कुछ सामान्य लक्षण या लक्षण --

डिप्रेशन / अवसाद के लक्षण--

1. एकाग्रता में कमी आना।
2. सामान में कमी आना।
3. खुद के प्रति प्रतिरोध की भावना।
4. नींद में खलल।
5. भूख में बदलाव।
6. वजन में कमी।
7. अधिक थकान महसूस होना।
8. ऊर्जा और जोश की कमी।
9. मृत्यु या आत्महत्या से सम्बंधित सलाह का मन में उत्पन्न होना। 

 अवसाद से लड़ने के उपाय --
 डिप्रेशन से लड़ने के जिन उपायों पर हम चर्चा करेंगे पहले उन्हें एक बार सारणीबद्ध करना चाहते हैं।

1. लेखन कार्य आरंभ करें।
2. अच्छे डॉक्टर/थेरेपिस्ट के संपर्क में रहें।
3. अच्छे दोस्तों से जुड़ें, और दिल की बात करें।
4. व्यायाम करें।
5. व्यसन से तौबा करें।
6. परिवार का सहयोग लें।
7. आहार पर ध्यान दें।
8. निष्कर्ष।
9. अवसाद से सम्बंधित प्रश्न -उत्तर।


1. लेखन कार्य प्रारंभ करें --

 आज मैं आपको एक अनोखी सी लीज वाली, अनोखी बात बता रहा हूं। अवसाद काम करता है और प्रबंधन भी करता है। आपकी डायरी में अवसाद से लड़ने का एक बेहतरीन उपाय है। यह अवसाद कार्य को अभ्यास करने में भी सहायक होता है। यदि आप अवसाद के शिकार हैं तो आज से ही एक कार्य करें अपनी एक डायरी और अपने आलेख में अपने विचार अपनी भावनाएं और चिमिस्टों के बारे में फ्रैंक लिखें। इससे आपके मस्तिष्क में होने वाला तनाव कम होगा। फ़्रांसीसी भाषण अपनी विचारधारा और भावनाओं को दबाना नहीं है। फ्रैंक बातें करने से तनाव कम होता है। अपनी डायरी के प्रति पूरी तरह से ईमानदार रह रहे हैं। दोस्तों निसंदेह यह योग्यता से परीक्षण की एक बेहतरीन थेरेपी है, क्योंकि मैं खुद इसका गवाह हूं।

मैं खुद का उदाहरण देता हूं --

मैं पिछले काफी समय से अपने स्वामी से सेटिस्फाई नहीं कर रहा था और मैंने कई निजी जगहें बनाईं, कई जगह प्रयास किए। इस मामले को लेकर मैं आज भी संघर्ष कर रहा हूं। इन हालातों में कुछ साल तक डिमोटिवेट रहा, और अवशेष कम हो गए। मैं तनाव के कई दौर से गुजरा हुआ इंसान हूं। जब मुझे लगा कि मेरे अंदर प्रेरणा की कमी आ रही है, कुछ समय बाद ही उसकी प्रेरणा डायरी का जन्म हुआ। प्रेरणा अपना डायरी  नाम से मैंने  ब्लॉगर पर एक ब्लॉग प्रेरणा से संबंधित लेख लिया। अपने विचार, अपनी भावनाओं को, अपने लेख में बातचीत करने का लगा। दोस्तों विश्वास मानिए मुझे सबसे ज्यादा फायदा इस थायरेपी से हुआ। मैं आपको बहुत अच्छी फाइल कर रहा हूं और आज भी मैं प्रेरणा डायरी में लगातार लेख लिख रहा हूं। बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन मैं आपको बताऊंगा कि अवसाद से राहत पाने का यह एक सबसे अच्छा उपाय हो सकता है। अपनी भावनाओं और कहानियों से अपने मन में दबी हुई मांगें दूर हो जाती हैं। अवसाद कम करने से यह ""लेखन थेरेपी"" आपके जीवन में परिवर्तन ला सकता है। अगर आपको लिखना पसंद है, और आप रोजाना कुछ घंटे के लिए यह काम करते हैं, तो यह देखकर आप चकित हो जाएंगे कि एक पेपर और कलम ने आपकी सारी समस्याओं को हल कर दिया है। पोस्टर थेरेपी आपकी जिंदगी में मुस्कुराहटों का एक नया दौर ला सकती है। अगर आप तनावग्रस्त हैं तो इसे जरूर अपना कर देखें।

2. किसी अच्छे थायरपिस्ट के संपर्क में रहे --

 एक डॉक्टर का साथ अवसाद को झेलने में बहुत मदद करता है। एक मनोचिकित्सक ने केवल अवसाद ग्रस्त लोगों को दवा दी है, बल्कि बड़ी बात यह है कि मनोज मेडिकल एक रोगी की जीवन शैली उसे तनावपूर्ण तनाव से कम करने और तनाव से मुक्ति में मदद करने वाले शरीर की तरफ आपका ध्यान केंद्रित करता है। यह बात सबसे जरूरी है। अच्छे थायरपिस्ट और मनोचिकित्सक आपको यह सिखाते हैं, कि नकारात्मक से सकारात्मक सोच और कैसे जानें..? तनाव का प्रबंधन और अभ्यास कैसे करना है..? डॉक्टर के संपर्क में एक उम्दा एडवाइस है। यदि हममें से कोई भी अवसाद का शिकार है या होता है तो सबसे पहले चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी बताई गई दवा एवं सलाह पर अमल करें। 

3. अच्छे दोस्तों से जुड़ें, और दिल की बात करें--

 दोस्ती को लेकर मेरी एक अच्छी धारणा है कि "एक दोस्त, हर दर्द की दवा।" दोस्त दोस्त का सबसे बड़ा फायदा ये है, कि उसके साथ आप अपने दिल की, दुख की, दर्द की, बातें भी शेयर कर सकते हैं। अवसाद में अकेलापन पसंद होता है। इंसान को एकांत प्रिय होता है। ऐसे में लोगों से संपर्क कट जाता है दोस्तों की एवं सामाजिक आवश्यकताओं की कमी हो जाती है। अच्छे दोस्त आप सामाजिक जांच की कमी को भी दूर कर सकते हैं। अपने दोस्तों के साथ जुड़े रहने के लिए खुद को प्रेरित करें। आपके अच्छे दोस्त आपको और गहरे अवसाद में जाने से अकेले और होने से राहत में मददगार साबित होते हैं। दोस्तों से मिले और उनके साथ बाहर डाइनिंग पर जाएं, फिल्म देखें या शेयर करें। गरीबी दोस्त से मिले और उसके साथ बाहर डिनर करें। इससे आपका उत्साह बढ़ेगा और आपको सबसे अच्छा महसूस होगा।

 4. व्यायाम--

 डिप्रेशन से लड़ाई का एक और बेहतरीन उपाय है व्यायाम। व्यायाम वह चीज है जो आपको - मानसिक, शारीरिक रूप से तो स्वस्थ और ऊर्जावान बनाती है, आपके व्यक्तित्व को भी आकर्षित करती है। एक्सरसाइज स्ट्रेस एंजॉय आईटी डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों की मदद कर सकते हैं। यह बात प्रमाणित करती है कि व्यायाम और शारीरिक व्यायाम से राहत मिलती है और आपको अच्छा महसूस हो सकता है। व्यायाम का एक और एड्रेस लाभ जो मैं आपको बताना चाहता हूं वह यह है कि व्यायाम आपकी सुंदरता और सुंदरता को भी बढ़ाता है। नियमित व्यायाम करने से व्यक्तित्व आकर्षक बनता है, चेहरे पर तेजी से दिखाई देता है, और आप दिन भर बिना थके ऊर्जावान बने रहते हैं। जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से फिट नहीं रहेंगे तो आपके आत्म सम्मान में भी वृद्धि होगी। 

  
     प्रेरणा डायरी - "आपकी प्यारी"
      Prernadayari.blogspot.com 

 व्यायाम केवल हमें मानसिक अवसाद से लड़ने की शक्ति नहीं देता बल्कि, एक संपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
 मैं अपना खुद का एक उदाहरण आपको बताता हूं - जब मैं 10वीं कक्षा का छात्र था तो मुझे लैंसइन्फेक्शन हो गया था। मैं उत्तर भारत के सबसे बड़े डॉक्टर श्रीहरि सिंह चौधरी, जो अमेरीका कैर सोसाइटी के प्रमुख भी थे, से थे अपना इलाज। मैं जब भी अपने डॉक्टर से सलाह लेता हूं तो वह यही सलाह देता है कि "यदि आप जल्द ही और लंबे समय तक स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो सुबह सैर या व्यायाम की आदत डालनी होगी, मेरी सलाह आपको 50% आराम देगी जबकि आधा आराम आपको व्यायाम से मिलेगा।" सालों तक इस सलाह को अनसुना किया जा रहा है। बाद में एक इतने बड़े डॉक्टर और प्रोफेसर हमें काफी दिन से यह सलाह दे रहे हैं, तो इस पर अमल करके यह क्यों जाना चाहिए एक सप्ताह के बाद मेरी यात्रा शुरू हुई, मुझे आश्चर्यजनक परिणाम मिले। मैं सुबह घूमने गया और डॉक्टर द्वारा प्रशिक्षित फेफड़े को मजबूत करने वाला व्यायाम किया। आज मेरी उम्र 45 वर्ष है, लेकिन उसके बाद मुझे कभी इस बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे रेटिंग भी बंद हो गई और मुझे घूमने की लत लग गई दवाओ ने नहीं, व्यायाम ने चमत्कार किया। व्यायाम, लक्ष्य या प्रारंभिक प्रारंभिक यात्रा, इनमें से किसी एक को आप अपने अवलोकन का हिस्सा बनाते हैं। अवसाद से कसरत में आपको अद्भुत शक्ति मिलेगी।

5. व्यसन से तौबा करें --

 यदि आप अवसाद से जुड़े हुए हैं तो व्यसन का कोई समाधान नहीं है। अवसाद और कई नौकरियों के साथ हमारा मन इनका सहारा चाहता है। पर व्यसनअवसाद को बढ़ाना ही है। संवैधानिक पदार्थों का सेवन करने से अवसाद के लक्षण और भी पथरी हो सकती है और आप जो भी दवा ले रहे हैं उसके लिए पथरी का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
 बीड़ी सिगरेट और अल्कोहल अवशोषक पीड़ित छात्र या व्यक्ति के लिए जहर का कार्य करता है। अवसाद को कम करने के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की आवश्यकता होती है और नशे से मुक्ति के लिए एक स्वस्थ जीवन शैली की कुंजी होती है।

6. परिवार का सहयोग ले --


 जब कोई छात्र अवसाद से उदास हो जाता है तो परिवार और दोस्त आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद करते हैं। अपनी आपत्तियों को अपने दस्तावेजों के साथ साझा करें। आपका परिवार आपको स्वस्थ आहार व्यायाम उपचार की परिभाषा का पालन करने में मदद करता है। अपने परिवार के साथ जुड़ें, अपने परिवार के साथ मिलकर घर के सदस्यों को खुशनुमा बनाएं। परिवार और मित्र आप आधिकारिक तौर पर कर सकते हैं। आपकी सामाजिक साज़िश को प्रमाणित करना मैं आपकी मदद करता हूँ। आप सोसायटी में चलने वाले विभिन्न प्रकार की सहायता ग्रुप का हिस्सा बनकर भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

 7. आहार पर ध्यान --

 कुछ दिनों से पता चलता है कि आहार मूड में सुधार करता है। आहार के आहार और अवसाद के बीच का संबंध स्वस्थ आहार खाने से आप स्वस्थ फिट और आकर्षण महसूस कर सकते हैं, इससे आपका मूड लाइट होगा और साथ ही आत्मसम्मान में सुधार भी होगा, जबकि स्वस्थ महसूस करने से अवसाद बढ़ेगा और नकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होगी होता है. स्वस्थ सदाबहार और सुपरमार्केट भोजन सर्वोपरी है। डॉक्टर भी यही कहते हैं कि यदि आप तनाव से जुड़े हैं तो वस्तु पदार्थ लें क्योंकि वस्तु में अवसाद से मुक्ति का उपाय छिपा हुआ है।

8.   निष्कर्ष--

 कोई भी व्यक्ति, युवा, पुरुष, महिला किसी को भी, और कभी भी अवसादग्रस्त हो सकता है। समस्या और संकट, आर्थिक क्षति, अन्याय से पीड़ित लोगों में अवसाद विकसित होने की संभावना अधिक होती है। पढ़ाई के दबाव के युवा और छात्र बड़ी संख्या में अवसाद और तनाव का शिकार हो रहे हैं। अवसाद पीड़ित छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएँ तेजी से प्रदर्शित हो रही है। अवसाद में इंसान का मनोभाव उदास हो जाता है।