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शनिवार, 6 जनवरी 2024

लड़कियों ( महिलाओं) का आत्म विश्वास जगाने वाला वर्ष होगा 2024 ।

महिला
अंतरिक्ष में महिला--  
परिचय

समाज ने हमेशा स्त्री को कमज़ोर समझा है। रूढ़िवादी विचारधारा ने स्त्री को हमेशा घर में रहने की सलाह दी है। जब देश-दुनिया ने तरक्की करी और आम आदमी के हाथ संसाधन आए तो स्त्रियों को भी बाहर निकलने का और अपने विकास का मौका तो मिला, पर उनको बता दिया गया कि कोमलता, सुंदरता, और लज्जा उनका आभूषण है।

दुनिया में बाहर निकल कर काम करना, सामाजिक उद्योगों में भाग लेना, यह सब आज भी अधिकतर महिलाओं के लिए सपना ही है। और जिन महिलाओं को ऐसे अवसर प्राप्त भी हुए हैं, उनकों भी सदियों पुरानी कमज़ोरी ने मानसिक रूप से जकड़ा हुआ है।

यह कोर्स एक कोशिश है आज की स्त्री को उसकी असली ताकत और असली संभावना याद दिलाने की।
 हू 2024 का आगाज हो चुका है। बीता वर्ष एक अमिट कहानी लिखकर गया है। चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण ने भारत का मस्तक विश्व पटल पर ऊंचा कर दिया। बीते वर्ष ने उस मिथक को भी एक बार फिर से ध्वस्त कर दिया कि भारतीय महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में कमतर हैं। नया वर्ष कैसा होगा, भविष्य के गर्भ में छुपे इस प्रश्न के उत्तर का प्रारूप 2023 लिख गया है। अतीत के पन्ने भविष्य की कथाओं को गढ़ते हैं। सफलताएं एक लंबा रास्ता तय करके ही प्राप्त होती हैं। वर्ष 2023 उन कथानकों को लिख गया है जो वर्तमान में साकार होंगे। अंतरिक्ष की दुनिया में जब भारत विश्व भर में सुर्खियां बटोर रहा था तो उस सफलता के नायकों में 
 आधी दुनिया का प्रतिनिधित्व करने वाली महिला वैज्ञानिक 
भी थीं, जो 2024 में सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए गए अंतरिक्ष यान आदित्य-1 पर अपनी नजरें गड़ाए बैठी हैं। महिला वैज्ञानिकों को शामिल करने के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो - ISERO)  के रेकॉर्ड से यकीनन 
ग्रह वर्ष विज्ञान के क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों के लिए नवीन आयाम स्थापित करेगा। कोविड-19 के शुरुआत दौर में विदेश में लाखों भारतीय फंसे हुए थे. उस समय मई 2020 में वंदे भारत मिशन (Vande bharat mission) के तहत विदेशों में फंसे लाखों भारतीयों को वापस प्लेन से इंडिया लाने का मिशन शुरू हुआ था. इस मिशन में पायलट्स ने हौसला दिखाते हुए वंदे भारत मिशन के लिए स्वेच्छा से काम किया था और अलग-अलग देशों से भारतीयों को लेकर आए थे. उन्हीं पायलट्स में भारत की एक ऐसी बेटी भी शामिल थी, जिसने बचपन से ही पायलट बनने का सपना देख लिया था. यह महिला पायलट हर उस युवा लड़की के लिए एक प्रेरणा हैं, जो हवाई जहाज उड़ाने का सपना देखती हैं. 

इन्होंने विदेशों में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए महामारी के पीक के दौरान 1 महीने में तीन उड़ानें भरी थीं। 

नारी शक्ति कि उडान :---

अंतरिक्ष' को देश की आधी आबादी ने सिर्फ वैज्ञानिक बनकर ही नहीं भेदा है। विश्व में सर्वाधिक देश की 15 प्रतिशत महिला पायलट आज आसमान का सीना चीर रही हैं। उल्लेखनीय यह है कि उनके प्रशिक्षण के लिए सरकारी  पर कोई योजना एवं सुविधाएं प्रस्तावित नहीं हैं।  अपने आत्मबल और दृढ़ इच्छाशक्ति से यह सिद्ध कर चुकी हैं कि पितृसत्तात्मक समाज में उनको. अपना अस्तित्व खोजने के लिए किसी सीढ़ी की आवश्यकता नहीं है। निश्चित ही वर्ष 2024 अधिक संख्या में महिला पायलटों को आसमान में उड़ते हुए देखेगा। 

 देश सेवा में नारी शक्ति  :---

महिलाओं की क्षमता को स्थापित करने के लिए लिखी गई सशक्तता की परिभाषा इस वर्ष और अधिक विस्तार लेगी। सशस्त्र बलों में महिलाओं ने बीते वर्ष नवीन आयाम ' स्थापित किए और यह वर्ष महिला अग्निवीरों से लेकर उच्च पदस्थ महिला सेना अधिकारियों की साहस की गाथा लिखेगा। वर्ष 2024 उस पल पर भी हस्ताक्षर करने को तत्पर है जिसमें कर्नल के पद पर पदोन्नति के लिए पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए एक सामान्य चयन बोर्ड शुरू होगा। कुछ निश्चित परिधि तक सीमित किए जाने वाली पेशेवर दुनिया की कठोर दीवारें 2024 में दरकेंगी। वीरता 
स्तर पर कोई योजना एवं सुविधाएं प्रस्तावित नहीं हैं। ते अपने आत्मबल और दृढ़ इच्छाशक्ति से यह सिद्ध कर चुकी हैं कि पितृसत्तात्मक समाज में उनको. अपना अस्तित्व खोजने के लिए किसी सीढ़ी की आवश्यकता नहीं है। निश्चित ही वर्ष 2024 अधिक संख्या में महिला पायलटों को आसमान में उड़ते हुए देखेगा। 

दुरस्कर प्राप्त करने से लेकर लड़ाकू इकाई में प्रमुख भूमिरय निभाने की परपरा वर्ष 2024 मे भी यथावत रहेगी। आम से लेकर खास तक सभी के मन में यह संशय व्यप्त है कि यह यर्ष लेंगिक बाधाओं के व्यापक | नकररात्यक प्रभादों को केसे संबोधित करेगा। परंतु यह सझय निराधार है क्योंकि लेंगिक समानता की प्रथम और |. चनिदार्य शर्त नेतृत्व प्राप्ति की गहरी खाई 19 सितंबर 2023 [क्यो पट दी गई। संविधान (128वां संशोधन) विधेयक | 2023 ससद के विशेष सत्र में पारित हुआ ओर राजनीति के | सर्वोच्च पायदान पर महिला आरक्षण की घोषणा ने नेतृत्व | की सम्ननता के लिए देश के प्रयासों को प्रतिबिंबित किया। यह वर्ष साक्षी बनेगा महिलाओं के आत्मबल का, ₹ नेतृच्शीलता का क्‍योंकि अब आधी आबादी आश्वस्त है उन्हें राजनीति में हाशिए पर धकेलने के प्रयास विफल टीक उसी तरह जैसे पंचायतीराज व्यवस्था में प्राप्त 

रचनात्मकता और समस्या समाधान कि क्षमता :--

गांवों की तस्वीर महिला नेतृत्व के चलते बदल रही है। यह तय है कि वर्ष 2024 में महिलाएं अधिक मुखर होगीं, उनके अधिकारों की बात होगी, उनसे संबंधित योजनाएं अब केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकताएं होंगी। बीते दशकों के चुनावों में महिला मतदाताओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि वे अपने हितों से भलीभांति परिचित भी हैं और अपने अधिकारों के प्रति सजग भी। यह सर्वविदित सत्य है : कि जब भी महिलाएं नेतृत्व की भूमिका में होती हैं तो सामाजिक मुद्दों पर गंभीरता से विचार करती हैं। उनके दृष्टकोण की व्यापकता, रचनात्मकता और समस्या समाधान की उनकी क्षमता वर्ष 2024 के लिए निर्णायक सिद्ध होंगी। लेंगिक समानता की अपरिहार्य शर्त आर्थिक सुदृढ़ता है। आर्थिक संबलता निर्णय लेने की क्षमता का विस्तार करती है। कॉरपोरेट जगत से लेकर कृषि क्षेत्र तक संलग्न महिलाएं भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही हैं और यह निरंतरता 2024 में यथावत बनी रहेगी। भारतीय न्याय संहिता 2023 में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित प्रावधानों की प्राथमिकता, कार्यस्थल पर महिलाओं को एक बेहतर और सुरक्षित वातावरण मुहैया कराएगी। बीता वर्ष जी-20 सम्मेलन में अगर दो आदिवासी महिलाओं को विश्व को संबोधित करने के लिए बुलाता है तो इसके मायने स्पष्ट हैं कि यह वर्ष महिलाओं द्वारा लिखा जाएगा।