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रविवार, 7 जनवरी 2024

कैसी होगी 2024 में भारतीय इकोनॉमी।


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Tudawali, Rajasthan /
नमस्कार दोस्तों। 

प्रेरणा डायरी की तरफ से आप सब को नये साल की हार्दिक शुभकामनाएँ। 2024 आप सब के जीवन में सफ़लता, तरक्की और खुशियों कि सौगात लेकर आये। 2024 में आपके अधूरे सपने पूरे हो, और आपको एक नई पहचान मिले। प्रेरणा डायरी आपके लिए भगवान् से यही दुआ मांगती है। नये साल की इस पहली पोस्ट में, आईये जानते हैं कि ... कैसी रहेगी 2024 में भारतीय इकॉनॉमी..??? 



---  प्राचीन यूनान में चिंतक पहेलियां बुझाते रहते थे, जिनसे कई दार्शनिक सिद्धांतों की पारी शुरू हुई। मसलन एक चिंतक बोला, मैं हमेशा झूठ बोलता हूं। अब बताओ मैं सच बोल रहा हा झूठ? बड़ी दुविधा! यदि यह व्यक्ति सच बोल रहा है तो बयान गलत है कि वह हमेशा झूठ बोलता है। लेकिन अगर उसका बयान झूठ है तो इसका मतलब है वह कभी-कभी सच बोलता है और यह निष्कर्ष उसके बयान का खंडन है। ग्रीक लोग इसे लायर्स पैराडॉक्स कहते थे। 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था भी अंतर्विरोधों की अनोखी नुमाइश बन सकती है। यानी जिसमें ऊधो भी सही होगा, और माधो भी ! 

थाली कितनी खाली : 2023 जाते-जाते सरकार ने दो साल के लिए दालों के आयात पर कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी। देश में दाल का पर्याप्त स्टॉक नहीं होगा यानी आयात के बिना दाल नहीं. गलेगी। 2024 के चुनावी साल में गारंटियों के शोर के बीच जब सफलताओं का यशोगान चलेगा, तब महंगाई जेब काटकर तरक्की की चुगली करेगी। भारतीय रसोईघरों की  अर्थव्यवस्था निन्यानवे के फेर में है। किसी बड़े कृषि संकट के बगैर करीब पंद्रह महीनों से अनाज की महंगाई दहाई के अंक में है। रबी और खरीफ की दो-दो फसलें बीत चुकी हैं। मगर थाली की महंगाई पर पानी नहीं पड़ा। भारतं को पिछले साल, गेहूं का निर्यात बंद करना पड़ा। गेहूं के बाद चावल भी चपेट में आया। इस साल उसका  निर्यात भी बंद कर दिया गया। निर्यातकों को बड़ा नुकसान हुआ। समर्थन मूल्य बढ़ाकर भी बीते दो साल खाद्य सुरक्षा भंडार के लिए गेहूं और चावल की  पर्याप्त सरकारी खरीद नहीं हो पा रही है। इस बीच सरकार ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज की योजना पांच साल तब बढ़ा दी। ” भारतीय महंगाई अब केवल आयातित (कच्चा तेल या गैस) नहीं है। लोगों की जेब उन चीजों को खरीदने में  कट रही है, जिनमें हम आत्मनिर्भर हैं। अनाजों के अलावा मसाले, दूध और चीनी। अगर गारमेंट, फुटवियर, शिक्षा, दवा, अस्पताल की महंगाई को भी  इसमे शामिल कर लें तो अब भारतीय महंगाई का सबसे बड़ा हिस्सा खालिस स्वदेशी है, महंगा कच्चा तेल इसमें  तड़का लगा रहा है। 2024 में यह दुविधा रहेगी कि  जीडीपी और उत्पादन में बढ़ोतरी पर गुब्बारे उड़ाए जाएं या फिर महंगाई पर सवाल पूछे जाएं। 


2024 कि नई जी. डी. पी. स्टोरी - 

2024 में जीडीपी नाम के चमत्कार को गौर से देखिएगा। 2023-24 की दूसरी छमाही में 7.6 फीसदी की जीडीपी दर के आंकड़े आए गय| तो तालियों का शोर देर तक गूंजता रहा। इन्हीं आंकड़ों में 1 यह सच भी छुपा था कि भारत में खेती उत्पादन की 7 वृद्धि दर 18 महीने के न्यूनतम स्तर (1.2%) पर आ गई है। सेवाओं की रफ्तार टूटकर छह फीसदी से नीचे  आ लगी। रोजगारों के बाजार में वैसे भी कम मातम नहीं | .था, जो सबसे बड़े रोजगार इंजन चिंचियाकर रुकने लगे। | सनद रहे कि 7.6 फीसदी की विकास दर वाली “शानदार' तिमाही में भारतीय परिवारों का खपत खर्च  केवल 3.1 फीसदी बढ़ा है। 2022-23 में चौथी तिमाही में यह वृद्धि दर केवल 2.8 फीसदी रही, जो 2020 की चौथी तिमाही के बाद सबसे कमजोर दर थी। _ 2024 में जीडीपी में लायर्स पैराडॉक्स का सबसे भव्य नजारा दिखेगा। 
2024 में नई इंडिया स्टोरी की निवेशकों को दरकार... दस साल में पहली बार 2023 की पहली छमाही में विदेशी निवेश 16% गिर गया था। स्टार्टअप के टूटने ओर पीएलआई के ठंडे प्रदर्शन के बाद 2024 के इस नए साल. में विदेशी निवेशकों को नई इंडिया स्टोरी की दरकार है । 
नजारा दिखेगा। एक तरफ तीन चार करोड़ सुपर स्पेंडर 
परिवार होंगे। विमानों की टिकटों, महंगे होटलों, महंगी 
कारों के लिए इंतजार करना होगा। मगर दूसरी तरफ _ 
छिपाते बचाते यह तथ्य भी उभरेंगे कि कार और रियल एस्टेट कम्पनियां छोटी कारों और सस्ते मकानों का बाजार समेट लेंगी। कम कीमत वाले स्मार्टफोन की बिक्री टूटेगी। याद रहे कि इंटरनेट की मांग भी जो 2022 से पहले करीब 4 फीसदी सालाना पर थी, 2023 के अंत तक आधी से कम हो गई। सिमोन कुजनेत्स का तोहफा यानी जीडीपी केवल उत्पादन की तरफ से प्रगति को नापता है, लोगों की आय बढ़ने की तरफ से नहीं। यह एक आंख का दैत्य अम्बानी और पंक्चर वाले की कमाई को एक पैमाने पर तौलता है। अगले साल इसकी कई व्याख्याएं होंगी, मगर खतरा यह है कि अंतर्विरोधों को छिपाने की कोशिश में यह नमूना विदूषक बन सकता है। 

2023 कुछ और रोमांचक अंतर्विरोध बो गया है, जिनकी फसल अगले साल आएगी। मसलन, 2022 में निराश करने के बाद 2023 में भारतीय शेयर बाजारों ने 20 फीसदी का भरपूर रिटर्न दिया। अलबत्ता न खपत में... कुछ बदला और न ही कम्पनियों में। बीती चार तिमाही में गिरावट के बाद सितम्बर की तिमाही में खर्च सिकोड़ने के कारण कम्पनियों के मुनाफे बढ़े, राजस्व और बिक्री नहीं। कमजोर मांग और पहले मौजूद क्षमताओं के कारण कम्पनियों ने नया निवेश शुरू नहीं किया है। निवेश, रोजगार, मांग का सुचक्र अभी ठहरा है। 2024 में इतनी ऊंची कीमत पर भी शेयरों की खरीद जारी रहेगी या बाजार डगमगाएगा। कहानियां दोनों तरफ से आ रही हैं, दोनों में ही दम है। स्टार्टअप में हुड़दंग है। सब वैल्यूएशन बचाते फिर रहे हैं। फंडिंग में 75 फीसदी की कटौती हुई। 2023 में दस स्टार्टअप यूनिकॉर्न नहीं रहे। ब्लैकरॉक, इन्वेस्को, वैगार्ड, सॉफबेंक जैसे भीमकाय निवेशक सामान समेट रहे हैं। स्टार्टअप में दो साल में 35000 नौकरियां गईं। उत्पादन व निवेश के लिए रियायतों का भंडार खुला है, मगर दस साल में पहली बार 2023 की पहली छमाही में विदेशी निवेश 16% गिरा। स्टार्टअप टूटने और पीएलआई के ठंडे प्रदर्शन के बाद 2024 में विदेशी निवेशकों को नई इंडिया स्टोरी की दरकार है। 


Indian Economic Outlook for 2024 : भारत में नए साल की शुरुआत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर नई उम्मीदों और चुनौतियों के साथ हो रही है. 2023 में कई वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने अच्छा प्रदर्शन किया. शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया, जीडीपी ग्रोथ अच्छी रही और हर महीने जीएसटी कलेक्शन के आंकड़ों भी बेहतर इकनॉमिक ग्रोथ के संकेत देते रहे. लेकिन इन खुशनुमा आंकड़ों के बीच कुछ बातें चिंता की वजह भी बनी रहीं, जो नए साल में भी चुनौती पेश करती रहेंगी. मिसाल के तौर पर महंगे लग्जरी प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की डिमांड और बिक्री में तेजी देखने को मिली, लेकिन सस्ते, आम लोगों के इस्तेमाल की वस्तुओं की मांग दबी हुई नजर आई. एग्रीकल्चर सेक्टर की तस्वीर उतनी चमकदार नहीं रही है. साथ ही खाने-पीने की जरूरी चीजों की ऊंची कीमतों और महंगाई दर से जुड़ी चिंताओं ने हर तबके को आर्थिक खुशहाली के इस जश्न में बराबरी से शामिल होने से रोक रखा है. 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के सफर में ये दोनों ही पहलू शामिल हैं. 

पॉजिटिव सरप्राइज से भरे विकास अनुमान

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2023-24 के लिए अपने रियल जीडीपी के विकास अनुमान को 6.5% से बढ़ाकर 7% कर दिया है. वित्त मंत्रालय ने 31 मार्च, 2024 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष के दौरान 6.5% की वास्तविक विकास दर (GDP Growth) हासिल होने की उम्मीद जाहिर की है. कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग, फाइनेंशियल और रियल एस्टेट सर्विसेज जैसे सेक्टर शानदार ग्रोथ रेट दिखा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीते साल के दौरान सामने आईं तमाम अड़चनों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने ज्यादातर चुनौतियों का अच्छी तरह सामना किया है, जिसमें घरेलू बाजार के प्रदर्शन ने मुख्य भूमिका निभाई।