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शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

क्या भारत फिर बन सकता है विश्व गुरु...??

टुडावली, राजस्थान, भारत। 
26 जनवरी 2024 । 


प्रेरणा डायरी कि तरफ से सभी देशवासियों को भारतीय गणतंत्र दिवस की हार्दीक शुभकांनाये। इस पावन पर्व पर मैं आज के अर्टिकल् में संक्षिप्त रूप से भारतीय युआ शक्ति कि ताकत का और भारत की बढ़ती शक्ति का विवरण प्रस्तुत करना चाहता हूँ। 


300 साल पहले पूरी दुनिया की  जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 25% हिस्सेदारी भारा की थी। इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था।  हमारी धन-संपदा और समृद्धि की वजह  हमारे नेचुरल रिसोर्स (जैसे खनिज) थे। हमारे पास उपजाऊ जमीन थी। इसके ऊपर  खेती-बाड़ी की समृद्ध संस्कृति थी। जमीन के नीचे हमारे पास गोल्ड, डायमंड, कॉपर और  अन्य मूल्यवान मिनरल्स थे। इसके चलते दुनिया हमसे ईर्ष्या करती थी। अब हमारे है आंत्रप्रेन्योर की ताकत के साथ एक बहुत ही  प्रगतिशील सरकार की लीडरशिप में पुराना  वैभव एक बार फिर पाने का सुनहरा मौका  है। पूरी दुनिया भारत को अगली आर्थिक  महाशक्ति के रूप में देख रही है।   मेरी जब युवा और स्टूडेंट से बात चीत होती है तो युवाओं से बातचीत के दौरान जो सवाल मुझसे पूछे जाते हैं, उससे बदलते भारत की  तस्वीर साफ होती है। 


 एक सवाल जो मुझसे युवा अमूमन पूछते है  कि..क्या भारत एक बार फिर विश्व गुरु बन पायेगा..??? तो मेरा सीधा सा जवाब होता है कि हमारे  पास समृद्ध इतिहास है, संस्कृति है, संस्कार  है और आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है।  ऐसे में ग्लोबल लीडर तो हम ही बनेंगे। हर देशवासी के लिए ये गर्व करने वाली फीलिंग होनी चाहिए। हम अपने देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व दौर देख रहे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी ने इसे अमृत काल नाम दिया है। यह उसी के अनुरूप है। यह परिवर्तन का वो समय है, जब हम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत  और भारतीय पहचान को साथ लेकर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ न सिर्फ खुद  विकास कर रहे हैं, बल्कि आने वाले समय में ग्लोबल इकोनॉमी कैसी होगी, ये भी तय कर रहे हैं। यही कारण है कि मुझसे जब भारत के  भविष्य को लेकर सवाल किया जाता है तो मे मैं पूरे भरोसे के साथ कहता हूं कि यह भारत है “का समय है और हम ही ग्लोबल ग्रोथ की क्री स्क्रिप्ट लिखेंगे। | ... बहरहाल जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं,   दो काम बहुत जरूरी हैं। गरीबी खत्म करना और जरूरत भर नौकरियां पैदा करना। अभी  हमारी प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,500 डॉलर । (करीब 2 लाख रुपए) है। मेरा मानना है कि  बेहतर क्वालिटी ऑफ लाइफ के लिए प्रति  व्यक्ति आय कम से कम दोगुनी 5,000 डॉलर (4 लाख रुपए से ज्यादा) तक पहुंच जाए। हमें खुशी है कि हम इस दिशा में बढ़ रहे हैं। प्रति व्यक्ति आय बढ़ेगी तो मध्यम वर्ग भी बड़े पैमाने पर बढ़ेगा। देश में अभी 65% लोग लोअर मिडिल क्लास में हैं। इनमें से ज्यादातर बे क्रा डिस्पोजेबल आय और बेहतर जीवन  के साथ मिडिल क्लास में शामिल होने के लिए तैयार हैं। इससे खपत और लगभग सभी सेक्टरों के लिए डोमेस्टिक डिमांड बढ़ेगी।  इससे विकास और बेहतर जीवन स्तर का एक  शानदार चक्र तैयार होगा। इसके लिए अभी देश को अधिक से अधिक बैल्यू क्रिएटर्स  की जरुरत है। हमने कुछ सेक्टरों, खास तौर  पर आईटी सेक्टर में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।कुछ क्षेत्र ऐसे है जिनमें पूरी दुनिया भारत का लोहा मानती है। आजादी के बाद हमने एग्रीकल्चर में हरित क्रांति और डेयरी प्रोडक्शन में श्वेत क्रांति देखी। खाद्यान्न के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन गए। 1991 में उदारीकरण के  साथ, हमने आईटी सर्विस, टेलीकम्युनिकेशन  और बैंकिंग सेक्टर में भी वैसी ही क्रांति  देखी। अनूठे  स्टार्ट-अप ,ई-कॉमर्स  के साथ हम सर्विस सेक्टर में भी अग्रणी हैं। आज चीन प्लस वन रणनीति पर चलती दुनिया ग्लोबल फैक्टरी के रूप  में एक वैकल्पिक देश की तलाश कर रही न्है। ऐसे माहौल में भारत विशाल बाजार,  आंन्रप्रेन्योरियल टैलेंट और सहज उपलब्ध लेबर के साथ नए सेक्टरों में निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार है। यदि भारत बड़े पैमाने  पर एक सॉलिड मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने में  सक्षम हो जाता है और जीडीपी में इस सेक्टर  का शेयर 15% से बढ़कर 25% हो जाता  है, तो हम बड़े पैमाने पर जॉब क्रिएट करने कि और गरीबी हटाने में सक्षम होंगे। हमें ये भी  देखना होगा कि हमारी आधी आबादी महिलाएं हैं। लेकिन सिर्फ 10% महिलाएं वर्कफोर्स में हे  हैं। इसे कम से कम 20% करने की तरफ भी हम तेजी से बढ़ रहे हैं। हमें बेटियों को पढ़ाई पूरी करने और उद्यमी बनने या नौकरी करने के लिए एम्पावर करना चाहिए। हमारी ताकत   टैलेंट और क्रिएटिविटी से भरपूर युवा हैं। 16  साल के हर बच्चे को किफायती लैपटॉप,  स्मार्टफोन और ई-स्कूटी मुहैया करानी चाहिए। लैपटॉप और स्मार्टफोन दुनिया में झांकने वाली  विंडो हैं और स्कूटी गतिशील बनाती है। यदि भी .युवाओं के पास ये चीजें होंगी तो वे नौकरी स॑ तलाशने के बजाय जॉब क्रिएटर बनेंगे। पर, अंततः हम भारतीय पूरी दुनिया में पहचान  बना रहे हैं। दुनिया की अधिकांश टॉप कंपनियों में है। भारतीय सीईओ, सीएफओ या सीटीओ हमें अपने बेस्ट टैलेंट के लिए भारत में ही इको-सिस्टम बनाना चाहिए। अगले कुछ के साल भारतीयों और उनकी क्वालिटी ऑफ लाइफ के लिए निर्णायक होंगे। भविष्य हमारा  है और हम सही रास्ते पर हैं। 

राइटर - kedar Lal ( K. S. Ligree) 
Website - prernadayari.blogspot.com