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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

प्रेरणा के प्रकार और स्रोत

Date 1 july 2023
Hindaun, Rajasthan
दोस्तों, नमस्कार। प्रेरणा डायरी  कि 17 वी पोस्ट, motivation के प्रकार और स्रोत पर आधारित है। यह जानना भी बेहद जरुरी है कि  प्रेरणा कितने प्रकार की होती है..? और इसके स्रोत कौन कौन से है..? अर्थात किन साधनों के दुवारा हम इसे प्राप्त कर सकते है। 

प्रेरणा के प्रकार
(KINDS OF MOTIVATION) 

प्रेरणा दो प्रकार की होती है-
(1) सकारात्मक, या आंतरिक। 
(2) नकारात्मक या बाहिय्। 


1. सकारात्मक प्रेरणा :- (Positive Motivation)-इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से करता है। इस कार्य को करने से उसे सुख और सन्तोष प्राप्त होता है। शिक्षक विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन और स्थितियों का निर्माण करके बालक को साकारात्मक प्रेरणा प्रदान करता है। इस प्रेरणा को आन्तरिक प्रेरणा (Instrinsic Motivation) भी कहते हैं। 

2. नकारात्मक प्रेरणा :--- (Negative Motivation)—इस प्रेरणा में बालक किसी कार्य को अपनी स्वयं की इच्छा से न करके, किसी दूसरे की इच्छा या बाह्य प्रभाव के कारण करता है। इस कार्य को करने से उसे किसी वांछनीय या निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति होती है। शिक्षक-प्रशंसा, निन्दा, पुरस्कार, प्रतिद्वन्द्विता आदि का प्रयोग करके बालक को नकारात्मक प्रेरणा प्रदान करता है। इस प्रेरणा को बाह्य प्रेरणा (Extrinsic Motivation) भी कहते हैं। 

दोस्तों अगर इन दोनों प्रकारों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाये, तो नाम से ही आपको एस्पस्ट् हो रहा होगा कि, सकारात्मक अर्थात आंतरिक प्रेरणा उतम् होती है। इसके तहत् एक बालक या कोई व्यक्ति suwtah ही प्रेरित रहता है और लम्बे समय तक प्रेरित रहता है । ये बाहरी motivation से बेहतर है। 

 प्रेरणा के स्रोत
(SOURCES OF MOTIVATION) 

प्रेरणा के निम्नांकित 4 स्रोत हैं

1. आवश्यकताएँ (Needs) 
2. चालक (Drives) 
3. उद्दीपन (Incentives) 
4. प्रेरक ( Motives) 

1 . आवसएकताएँ  (NEEDS) 

प्रत्येक प्राणी की कुछ आधारभूत आवश्यकताएँ होती हैं, जिनके अभाव में उसका अस्तित्व असम्भव है, जैसे- जल, वायु, भोजन आवास आदि। यदि उसकी कोई आवश्यकता पूर्ण नहीं होती है, तो उसके शरीर में तनाव (Tension) और असंतुलन उत्पन्न हो जाता है, जिसके फलस्वरूप उसका क्रियाशील होना अनिवार्य हो जाता है, उदाहरणार्थ, जब प्राणी की भूख लगती है, तब उसमें तनाव उत्पन्न हो जाता है, जिसके फलस्वरूप वह भोजन की खोज करने के लिए क्रियाशील हो जाता है। जब उसे भोजन मिल जाता है, तब उसकी क्रियाशीलता और उसके साथ ही उसके शारीरिक तनाव का अन्त हो जाता है। अतः हम बोरिंग, लैंगफील्ड एवं बीएंड (Boring, Langfeld and Weld, p. 114) के शब्दों में कह सकते हैं-"आवश्यकता, शरीर की कोई जरूरत या अभाव है, जिसके कारण शारीरिक असन्तुलन या तनाव उत्पन्न हो जाता है। इस तनाव में ऐसा व्यवहार उत्पन्न करने की प्रवृत्ति होती हैं जिससे आवश्यकता के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाला असन्तुलन समाप्त हो जाता है।" 

2. चालक

(DRIVES) 

प्राणी की आवश्यकताएँ उनसे सम्बन्धित चालकों को जन्म देती हैं। उदाहरणार्थ, भोजन प्राणी की आवश्यकता है। यह आवश्यकता उसमें 'भूख-चालक' (Hunger-Drive) को जन्म देती है। इसी प्रकार पानी की आवश्यकता, 'प्यास-चालक' की उत्पत्ति का कारण होती है। 'चालक', प्राणी को एक निश्चित प्रकार की क्रिया या व्यवहार करने के लिए प्रेरित करता है, उदाहरणार्थ, भूख चालक उसे भोजन की खोज करने के लिए प्रेरित करता है। बॉरिंग के शब्दों मै  -- "चालक, शरीर की एक आन्तरिक क्रिया या दशा है, जो एक विशेष प्रकार के व्यवहार के लिए प्रेरणा प्रदान करती है।" 

3. उद्दीपन
 (INCENTIVES) 

किसी वस्तु की आवश्यकता उत्पन्न होने पर उसको पूर्ण करने के लिए 'बालक' उत्पन्न होता है। जिस वस्तु से यह आवश्यकता पूर्ण होती है, उसे 'उद्दीपन' कहते हैं, उदाहरणार्थ, भूख एक चालक है, और 'भूख-चालक' को भोजन सन्तुष्ट करता है। अत: 'भूख-चालक'  के लिए भोजन 'उद्दीपन'  है। इसी प्रकार, 'काम चालक' (Sex-Drive) का उद्दीपन है-दूसरे लिंग का व्यक्ति, क्योंकि उसी से यह चालक सन्तुष्ट होता है, अत: हम बोरिंग, लैंगफील्ड एवं वील्ड (Boring. Langield and Weld, p. 123) के शब्दों में कह सकते हैं-"उरीपन की परिभाषा उस वस्तु, स्थिति या क्रिया के रूप में की जा सकती है, जो व्यवहार को  उत्साहित और निर्देशित करती है।" 

आवश्यकता, चालक व उद्दीपन का सम्बन्ध RELATION OF NEED, DRIVE AND INCENTIVE) 

हमने आवश्यकता, चालक और उद्दीपन के बारे में जो कुछ लिखा है, उससे सिद्ध हो जाता है कि इन तीनों का एक-दूसरे से सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध को आवश्यकता चालक उद्दीपक' (Need Drive Incentive) सूत्र से व्यक्त करते हुए हिलगार्ड ने लिखा है-"आवश्यकता, चालक को जन्म देती है। चालक बढ़े हुए तनाव की दशा है, जो कार्य और प्रारम्भिक व्यवहार की ओर अग्रसर करता है। उद्दीपन बाह्य वातावरण की कोई वस्तु होती है, जो आवश्यकता की सन्तुष्टि करती है और इस प्रकार क्रिया के द्वारा चालक को कम कर देती है।" 

"Need gives rise to drive. Drive is a state of heightened tension leading to activity and preparatory behaviour. The incentive is something in the external environment that satisfies the need and thus reduces the drive through consummatory activity" 
- Hilgard l 


4. प्रेरक (MOTIVES) 

'प्रेरक' अति व्यापक शब्द है। इसके अन्तर्गत 'उद्दीपन' (Incentive) के अतिरिक्त चालक, तनाव, आवश्यकता-सभी आ जाते हैं। गेट्स व अन्य के अनुसार विभिन्न स्वरूप हैं और इनको विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, जैसे- आवश्यकताएँ, इच्छाएँ, तनाव, स्वाभाविक स्थितियाँ, निर्धारित प्रवृत्तियाँ, अभिवृत्तियाँ, रुचियाँ, स्थायी उदीपक और इसी प्रकार के अन्य नाम।" 

"Motive take a variety of forms and are designated by many different terms, such as nceds, desires, tensions, sets, determining tendencies, attitudes, interests, persisting stimuli and so on.” -Gates and Others (p. 301) 
'प्रेरक' क्या है ? इस सम्बन्ध में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। कुछ इनको जन्मजात या अर्जित शक्तियाँ मानते हैं, कुछ इनको व्यक्ति की शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दशाएँ मानते हैं और कुछ इनको निश्चित दिशाओं में कार्य करने की प्रवृत्तियाँ मानते हैं। पर सभी विद्वान इस बात से सहमत हैं कि 'प्रेरक' व्यक्ति को विशेष प्रकार की क्रियाओं या व्यवहार करने के लिए उत्तेजित करते हैं, यथा

1. ब्लेयर, जोन्स व सिम्पसन-  " प्रेरक हमारी आधारभूत आवश्यकताओं से उत्पन्न होने वाली वे शक्तियाँ हैं जो व्यवहार को दिशा और उद्देश्य प्रदान करती ।। 

2. एलिस क्रो-   “प्रेरकों को ऐसी आन्तरिक दशाएँ या शक्तियाँ माना जा सकता है, जो व्यक्ति को निश्चित लक्ष्यों की ओर प्रेरित करती

 3. गेट्स व अन्य-  "प्रेरक, प्राणी के भीतर की वे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दशाएँ हैं, जो उसे निश्चित विधियों के अनुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करती।। 201) प्रेरक, व्यापक शब्द है। इसके विभिन्न रूप हैं। प्रेरकों को आवश्यकता, इच्छा, तनाव, स्वाभाविक स्थितियाँ, निर्धारित प्रवृत्तियाँ, रुचि, स्थायी उद्दीपक आदि नामों से भी पुकारा जाता है। प्रेरक वास्तव में उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर व्यक्ति को ले जाते हैं। 
 
प्रेरकों का वर्गीकरण
(CLASSIFICATION OF MOTIVES) 

प्रेरकों का वर्गीकरण अनेक विद्वानों के द्वारा किया गया है, जिनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण 
1. मैसलो (Maslow) के अनुसार-(1) जन्मजात व (2) अर्जित। 
2. थामसन (Thomson) के अनुसार-(1) स्वाभाविक व (2) कृत्रिम |
3. गैरेट (Garrett) के अनुसार-(1) जैविक (2) मनोवैज्ञानिक व (3) सामाजिक 1. जन्मजात प्रेरक (Innate Motives)—ये प्रेरक, व्यक्ति में जन्म से ही पाये जाते हैं। इनको जैविक या शारीरिक प्रेरक (Physiological Motives) भी कहते हैं, जैसे-भूख, प्यास, काम, विश्राम आदि।। 



ब्लॉग - प्रेरणा डायरी। 
वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com