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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

कैसे सुरक्षित रखें अपना सोसल मीडिया अकाउंट।

Hindaun, राजस्थान, 


नमस्कार दोस्तों। 
प्रेरणा डायरी में आपका हार्दिक स्वागत है। आजकल सोसल मीडिया पर फर्जीवाड़ा हो रहा है, जिसका हमें पता ही नहीं चल पाता। किस तरह कि और क्या क्या जालसाजी हो रही है, इसको मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ।प्रस्नोत्तर के रूप में। आप सभी दोस्तों से अनुरोध करता हूँ कि सोशल मीडिया एक्टिव तो रहे, पर सतर्क भी रहे। सावधान रहे। और अनचाही प्रॉब्लम से बचें। 

Question - डिप् फेंक क्या है और कैसे इसका दुरूपयोग हो रहा है...? 

: इन दिनों गीप फेक को लेकर लगातार अखबार ओर टीवी-इंटरनेट पर खबरें प्रयारित हो रही हैं। यह डीप फेक क्या है ओर कैसे इसका कैसे दुरुपयोग हो रहा है? डीप फेक एआइ यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक ऐसी तकनीक है जिसमें मशीन लर्निंग के इस्तेमाल से रियल दिखने वाले फेक वीडियो और ऑडियो तैयार किए जा सकते हैं। साधारण शब्दों में यह तकनीक का दुरुपयोग है जिसे क्रिमिनल या साइबर अपराधी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करने लगे हैं। इससे सतर्क रहने की जरूरत है। शायद आपको लगे कि यह किसी नए तरह का अपराध है। मगर वास्तव में यह काफी लंबे समय से हो रहा है। मोटे तौर पर पिछले 7 से 8 साल पहले से दुनियाभर में इस तरह के अपराध सामने आते रहे हैं लेकिन आज के दौर में सोशल मीडिया कनेक्टिविटी के कारण अब इस तरह की खबरें आम जनता तक तेजी से फैल जाती हैं जिसकी वजह से साइबर अपराध का ये तरीका चर्चा का विषय बन चुका है। 

Question - कैसे किये जाते है डीप फेक अपराध..?

सके माध्यम से भ्रामक जानकारी तैयार की जाती है, जो 
दिखने में साधारण वीडियो की तरह नजर आती है। मगर वह एडिटेड वीडियो होता है। उसमें एडिटिंग इस हद तक की जाती है कि आम इंसान उसे ही ओरिजनल मान लेता है। यहां तक कि इसमें जो सॉफ्टवेयर और तकनीक इस्तेमाल की जाती है उनमें भी इन फेक वीडियोज को इतनी बार फिल्टर किया जाता है कि खुद सॉफ्टवेयर भी फेक वीडियो को पहचान नहीं पाता है। फाइनल टेस्ट में उसे भी ओरिजिनल ही मान लिया जाता है। इसके माध्यम से फेक न्यूज बड़े पैमाने पर फैलाई जाती हैं। सोशल मीडिया में हालांकि इन्हें डिटेक्ट करने के लिए सुरक्षा फिल्टर लगे होते हैं। फिर भी बड़ी मात्रा में इस तरह के कंटेंट को इंटरनेट पर अपलोड और वायरल किया जा रहा है। मानहानि यानी बदनाम करना भी एक मुख्य तरीका है जिसमें सेक्सटॉर्शन यानी अश्लील कंटेंट बनाकर वायरल करने की धमकी देकर पैसे वसूलना भी शामिल है। 
सोशल मीडिया पर मीम्स साझा करना, ट्रोल करना आदि शातजाबाऋ गजिखिशियों मो श्राताशी अंजाग टेते हैं। 


Question डीप फेक से कैसे सुरक्षीत रहें..?

अनजान लोगों, सोशल मीडिया, वॉट्सऐप ग्रुप आदि में अपनी एवं परिजनों की वस्वीर-साझा करने से बच्चे। “ अपना सोशल मीडिया अकाउंट लॉक (प्राइवेट अकाउंट) रखें। अनजान लोगों को या फेक आइटी को सोशल मीडिया पर जोड़ने से बचें। जिन अकाउंट पर कोई सामान्य गतिविधि या संबंधित जानकारी न दिखे, उन्हें अनफ्रेंड कर दें। किसी अन्य व्यक्ति या परिचित का ऐसा कोई कंटेंट आपको प्राप्त हो तो उसे एकदम से सही न मानें। उस व्यक्ति को सूचित करें एवं गोपनीयता वनाए रखते हुए कानूनी सहायता लें, पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई इस अपराध का शिकार होता है तो उनसे असामान्य व्यवहार न करें। न ही उन्हें समाज से अलग-थलग करें। ऐसे समय में उस व्यक्ति को आपके सहयोग और आत्मीयता की आवश्यकता होती है। उनका साथ दें एवं बाकी सभी को भी सकारात्मक व्यवहार रखने क्रेलिए कहें। अनजान व्यक्ति यदि आपको इस तरह का कोई कंटेंट भेजकर डराने धमकाने का प्रयास करे तो घवराएं नहीं। ' अपने परिवार को सूचित करें। बेहतर गाइडेंस एवं सुरक्षा के लिए साइबर एक्सपर्ट से संपर्क करें। नजदीकी थाने में रिपोर्ट करें। एविडेंस संभालकर रखें। फिरोती में मांगी गई रकम न बेजे। ऑनलाइन शिकायत  www.cybercrime.gov.in पर कर सकते हैं। 



Question -- क्या होती है सिम क्लोनिग...? 

:--  सिम क्लोनिग एक ऐसी तकनीक है, जिसमे किसी की सिम की एक कॉपी जनरेट की जा सकती है। एक बार इसे जनरेट करने के बाद हैकर्स, यूजर का मोबाइल नंबर एवं सिम की सर्विसेज को किसी दूसरी डिवाइज पर इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। यदि किसी यूजर की सिम क्लोन हो जाए तो मोबाइल नंबर पर उपलब्ध सुरक्षा उपायों का सीधा दुरुपयोग हो सकता है। कप के कॉल्स और एसएमएस आदि की जानकारी हैकर्स कर सकते हैं। 


Question - कैसे होतीं हैं सिम क्लोनिग, और इससे कैसे बचा जा सकता है..? 

:-- सिम  क्लोनिंग की कई तकनीकें हैं, जिसमें सबसे ज्यादा आम सिम बकलोनिंग हार्डबेयर एवं सिम डुप्लीकेटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शामिल है। इससे सुरक्षित रहने की बात करें तो आप अपनी सिम को पीयूके (पर्सनल अनब्लॉकिंग की) से लॉक करें। इस पिन को गुप्त रखें। यह पिन आपको , अपनी सिम कार्ड पर या इसके पैकेज पर मिल जाएगी। यदि किसी कारण से आपको अपना पीयूके नहीं पता तो अपने टेलीकॉम ऑपरेटर के ऑफिशियल ऐप में लॉगिन कर अथवा ऑफिशियल वेबसाइट में लॉगिन कर प्राप्त कर सकते हैं। आपकी सिम से जुड़े कुछ नंबर होते हैं, जैसे आइएमएसआइ आदि। इन्हें किसी से भी साझा न करें। सिम गुम होने अथवा लंबे समय से रिचार्ज न करने के कारण यदि बंद हो चुकी हो तो टेलीकॉम ऑपरेटर को उस नंबर को दोबारा शुरू करने अथवा डिएक्टिवेट करने को कहें। गूगल से कभी कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें। पुराने ओटीपी डिलीट करें एवं आगे भी जितने ओटीपी आपके पास भविष्य में आएं उन्हें इस्तेमाल के बाद तुरंत डिलीट करें। अपना मोबाइल किसी भी व्यक्ति को देने से बचें। अपने मोबाइल नंबर के साथ रजिस्टर्ड ईमेल का पासवर्ड हमेशा याद रखें एवं कम से कम महीने में एक बार उसका पासवर्ड जरूर बदलें। हमेशा स्ट्रॉन्ग पासवर्ड का इस्तेमाल करें, जिसमें नंबर, स्पेशल कैरेक्टर और कैपिटल, स्मॉल अल्फाबेट्स शामिल हों। पासवर्ड को बेहतर सुरक्षा के लिए कम से कम 15 डिजिट का बनाएं। ई सिम स्वयं जनरेट करें या अपने टेलीकॉम ऑपरेटर से ऑफिशियल ऐप या वेबसाइट अथवा नजदीकी टेलीकॉम स्टोर में संपर्क करें। 



ब्लॉग नाम - प्रेरणा डायरी.
 Blog राइटर  -  Kedar lal  ( K. S. Ligree) 

Website     -  prernadayri.blogspot.com