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मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

लोक परीक्षा विधेयक 2024, अब परीक्षा में गड़बड़ी पर 10 साल कि जेल और 1 करोड़ जुर्माना।

 

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प्रेरणा डायरी। 


प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक और अन्य धांधली करने वालों की अब खैर नहीं। सरकार ने इन परीक्षाओं में गड़बड़ी से शक्ति से निपटने के प्रावधान वाले लोग परीक्षा विधायक 2024 को लोकसभा में पेश किया। ( अनुचित साधनों का निवारण विधेयक 2024 ) विधेयक में परीक्षाओं में गड़बड़ी के अपराध के लिए अधिकतम 10 साल की जय और एक करोड रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। मंत्रिमंडल ने भी हाल ही में इस विधेयक को मंजूरी दे दी है। कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक लोकसभा में पेश किया इसके प्रावधानों के मुताबिक प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी पर विद्यार्थियों को निशाना  नहीं बनाया जाएगा। संगठित अपराध माफिया और साथ गांठ में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी. यह एक बड़ा और केंद्रीय कानून होगा। संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए होने वाली परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आएँगी। विधेयक में उच्च स्तरीय तकनीकी समिति के गठन का भी प्रावधान है जो कंप्यूटर के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया को और सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिश करेगी। बजट सत्र की शुरुआत पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने कहा था कि सरकार परीक्षाओं को लेकर युवाओं की चिताओं से अवगत है। और सरकार समय आने पर निश्चित रूप से लोकसभा में इस पर एक बड़ा विधेयक लेकर आएगी।

 विधायक के खास प्रावधान  --


1. नए कानून के प्रावधान सभी केंद्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होंगे जिनमें बैंकिंग, रेलवे, जे ई ई और यूपीएससी शामिल हैं।

2. राज्यों के लिए यह विकल्प मौजूद होगा कि वह इस कानून को अपनाये या अपना अलग कानून बनाएं हरियाणा,राजस्थान समेत कई राज्य इस तरह का कानून पहले ही बना चुके हैं

3. प्रतियोगी परीक्षा के आयोजन और संचालन से जुड़े लोग निजी हो या सरकारी उन पर कानून के प्रावधान लागू होंगे।

4. कानून किसी परीक्षार्थी पर सीधे तौर पर तो लागू नहीं होंगे लेकिन दूसरी पाए जाने पर उनके खिलाफ मौजूदा नियमों के तहत ही कार्रवाई होगी. अर्थात इसमें विद्यार्थियों पर सीधे तौर पर कार्रवाई करने का प्रावधान करने से बचा गया है।

5. कानून बोर्ड परीक्षाओं एवं विश्वविद्यालय की नियमित परीक्षाओं पर लागू नहीं होगा।


 सख्त कानून से ही थामेंगे पेपर लीक प्रकरण --


 तकनीकी का जैसे-जैसे ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है देश के विभिन्न राज्यों के लिए प्रतियोगी परीक्षा पेपर लीक होने की घटनाएं भी बढ़ने लगी है। समय-समय पर पेपर लीख की घटनाएं पढ़ने और सुनने को मिल रही हैं। तमाम प्रयास और कोशिशें के बावजूद भी ऐसी घटना काबू में नहीं आ रही है। यह घटनाएं ने केवल सरकारों बल्कि परीक्षा करवाने वाली एजेंसियों पर भी सवाल खड़े कर रही हैं. केंद्र सरकार का प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ियों से निपटने के लिए लाया गया विधायक समय की जरूरत को देखते हुए बड़ी पहल माना जा रहा है यह विधेयक लोकसभा में पेश किया जा चुका है। इसमें कठोर कानून और कड़े नियमों का प्रावधान बनाया गया है अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड रुपए जुर्माना का भी प्रावधान है।


 विद्यार्थी नहीं होंगे व्यर्थ का निशान --


 सरकार का दावा है कि इस विधेयक में विद्यार्थियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा बल्कि इसमें संगठित अपराध माफिया और साथ घाट में शामिल पाए गए लोगों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है यह केंद्रीय कानून राज्यों के लिए भी एक मॉडल ड्राफ्ट के रूप में कार्य करेगा। देखा जाए तो भर्ती परीक्षा में पेपर ली के मामले से अधिकतर राज्य जूझ रहे हैं ऐसे संगठित ग्रह विकसित होते जा रहे हैं जो पेपर ली की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पिछले 5 वर्षों में राजस्थान में 24 पेपर हुए थे जिनमें से 21 परीक्षाओं के पेपर लीक हो गए. इन घटनाओं से गरीब किसान और मजदूरों के वह बच्चे जो कर्ज लेकर अपनी पढ़ाई करते हैं, उन पर बेहद विपरीत और नकारात्मक असर पड़ता है उनका पूरा मनोबल टूट जाता है। पेपर ली की भयावता इन आंखों से समझ सकते हैं कि 12 राज्यों में पेपर लेकर 37 मामले पिछले 5 सालों के दौरान सामने आ चुके हैं. राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों को इस मामले में अत्यधिक बदनामी का सामना करना पड़ा है। कड़ी प्रावधानों के अभाव के कारण अपराधियों ने पेपर लीक करने के लिए अपने संगठन तैयार कर लिए, और संगठित रूप से  इन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। पेपर लीक करने वाले अपराधी बेखौफ है क्योंकि उन्हें मालूम है कि इस मामले में कोई भी कड़े प्रावधान नहीं है यदि वह पकड़ में आ भी जाते हैं तो तो कुछ पैसे खर्च करके और कुछ समय बाद फिर से रिहा हो जाते हैं। इन हालातो को देखते हुए पेपर लेकर मामले को रोकना बेहद जरूरी हो गया है। राजस्थान हरियाणा समिति के राज्यों ने परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए कानून भी बनाए हैं. अब केंद्र सरकार भी अपना कानून लेकर आई है इसके बावजूद यह कहना कठिन है की भर्ती परीक्षा में सेंध रुक जाएगी।


 पेपर लीख के नए तरीके आ रहे सामने ---


 पेपर लीक की घटनाओं को रोकना इसलिए भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि पेपर लीक और नकल करने के नित्य नए तरीके सामने आ रहे हैं ऐसे में सिर्फ कानून बनना ही काफी नहीं बल्कि कानून के प्रावधानों की शक्ति से पालन करना बहुत जरूरी है। भर्ती परीक्षाओं के समूचे सिस्टम को ऐसा बनाने की जरूरत है जिससे उसमें सेंड नहीं लगाई जा सके। आमतौर पर देखा गया है कि अधिकतर पेपर लीक की घटनाएं भारती एजेंसियों के कर्मचारी और प्रिंटिंग प्रेस से जुड़े लोगों की मिली भगत से होती है। अब इन लोगों पर नए कानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी तो संगठित गिरोह नहीं पनप सकेंगे। इसके लिए सभी राज्यों को अपनी भर्ती परीक्षाओं को चकबंदी बनाने के लिए नए केंद्रीय कानून के अनुरूप अपने यहां सख्त और प्रभावी कानून बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है।


 अपराधियों को सजा मिलनी में देरी --


 पेपर लीक प्रकरण में पकड़े गए अपराधियों को सख्त सजा मिलने में हो रही देरी इसे और भी भैयावह बना रही है। इसको समझने के लिए हम राजस्थान राज्य का उदाहरण लेते हैं जहां देश का सबसे सख्त कानून है यहां पेपर लीक प्रकरण में लिप्त पाए जाने पर 10 करोड रुपए का जुर्माना संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान, और उम्र कैद की सजा का नया नियम पारित हो चुका है। इसके बावजूद पिछले 9 साल में 33 प्रकरणों में पकड़े गए 615 लोगों में से किसी को भी सजा नहीं हुई है. कमोबेश ऐसे ही हालत अन्य राज्यों में भी हैं। 


परीक्षाओं में विश्वसनीयता जरूरी हो --


संघ लोक सेवा आयोग राज्यों के लोक सेवा आयोग और राज्यों के अधीनस्थ सेवा बोर्ड विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करते हैं। इन सभी के लिए एक ऐसी विश्वसनीय परीक्षा प्रणाली विकसित की जानी जरूरी है जिसमें संसाधनों का अव्यय कम हो और पारदर्शिता बेहतर हो। कोविद के दिनों में सीबीएसई ने अपनी कुछ परीक्षाएं आयोजित करने में हाइब्रिड मॉडल अपनाया था वैसा ही मॉडल विकसित किया जा सकता है। प्रश्न पत्रों को विभिन्न अयोगी के सदस्यों की कमेटी की देखरेख में तैयार करवाना चाहिए और इस प्रक्रिया में मतगणना जैसी गोपनीयता रखना जरूरी है। पेपर बनाने और प्रिंट करवाने में काम से कम मन में हस्ताप्स लिया जाना चाहिए। प्रश्न पत्रों का परिवहन और स्टोरेज भी बेहद सुरक्षित और चाक चोबंद होना चाहिए। राजस्थान हरियाणा और मध्य प्रदेश में पेपर ली की घटनाओं से जुड़े जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया उनसे पता चलता है अधिकतर परीक्षाओं के पेपर, पेपर बनाने वालों के जरिए प्रिंटिंग प्रेस के जरिए, या परिवहन करने वाले लोगों के जरिए ही लीक हुए।


   निष्कर्ष --( conclusion ) -- 


 देश भर में और विभिन्न राज्यों में प्रतिवर्ष होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों छात्र दिन-रात अपनी मेहनत करके अपना जीवन खपा देते हैं। पेपर होने के बाद जब यह पता चलता है कि पेपर लीक हो गया, तो ऐसे छात्रों पर बहुत बड़ा कुठाराघात होता है। इसके कारण देश में अनेक अपराध जन्म ले रहे हैं। कई नौजवान छात्र-छात्राएं आत्महत्या कर रहे हैं। बेरोजगारी पहले से ही देश में विकट रूप लेती जा रही है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से छात्रों में नकारात्मकता उत्पन्न हो रही है और उनकी प्रतिभा का विनाश हो रहा है। अब यह बहुत आवश्यक हो गया है कि पेपर लीक से जुड़ी घटनाओं पर शक्ति से रोक लगाई जानी चाहिए और देश तथा विभिन्न राज्यों में पारदर्शी तथा विश्वसनीय परीक्षाओं का आयोजन होना चाहिए। ताकि हम अपनी भाभी पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित और उज्ज्वल बना सकें।



ब्लॉग - प्रेरणा डायरी ।

वेबसाइट - prernadayari.blogspot.com

राइटर - केदार लाल ( के. एस. लिग्री )