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मंगलवार, 30 जनवरी 2024

कैसे तनाव मुक्त रहे स्टूडेंट..? इसमें दोस्तों कि क्या अहमियत है...??

 Hindaun, इंडिया! 

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आज के हालातो में परीक्षा  एक किला फतह करने जैसा दुष्कर कार्य बन गया है। कुछ तो बन गया है और कुछ बना दिया है। परीक्षार्थी परीक्षा को किसी ऊँचे पर्वत कि असाध्य चोटी के समान मानते है।जिससे मानसिक तनाव, अवसाद, आदि जन्म लेते है।  


दोस्तों कि मदद लें --  

दोस्त हर मुश्किल में साथ देने वाले हमसफर कि तरह होता है। पढ़ाई के तनाव को दूर करने में भी दोस्तों की ऐसी ही मदद काफी जरूरी होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी पुस्तक एग्जाम वॉरियर्स' में प्रत्येक विद्यार्थी की चिंतातुर नहीं बल्कि योद्धा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। सही भी है, प्रत्येक विद्यार्थी योद्धा की भूमिका में आकर ही शैक्षणिक चुनौतियों पर जीत हासिल करता है। इतना जरूर है कि इस दौर में कुछ साथी योद्धाओं को परीक्षा के दौरान अत्यधिक तनाव और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अपने दोस्तों की ओर मदद का हाथ बढ़ाना जरूरी है। कंधे से कंधा मिलाकर चलने पर परीक्षाओं से जुड़ी इस यात्रा को आसान बनाने के लिए सामूहिक शक्ति होना जरूरी है। यह भी अनिवार्य हो जाता है कि हम स्वयं के लिए ही नहीं, बल्कि अपने साथियों के लिए भी योद्धा की भावना से जुड़ें ताकि चुनौती के समय सहयोगपूर्ण मोर्चा तैयार हो सके। हमऊग्र साथियों का समर्थन, विभिन्न संदर्भों में काफी महत्त्व रखता है। यह सामान्य सिद्धांत भी है कि प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने वाले लोग, अपने समान समस्या वाले लोगों के लिएप्रेरणा ( motivation) का कार्य करते है। आज की चुनौतियों भरे शैक्षणिक परिदृश्य में जब परीक्षाएं किसी पर्वत की ऊंची चोटी पर चढ़ाई के समान श्रमसाध्य महसूस होती हों तो तनाव से घिरना स्वाभाविक है। ऐसी चढ़ाई जिसमें हर कोई उम्मीदों की भारी गठरी लादकर चल रहा हो तब हमउग्र साथियों का सहयोग निश्चित ही यात्रा की चुनौतियां कम करने वाला होता है। कल्पना करें कि आप कदम से कदम. मिलाते हुए एक साथ उस पहाड़ पर चढ़ रहे हैं। अनुभवों के आदान-प्रदान के इर्द-गिर्द घूमता . साथियों का समर्थन इस विश्वास पर भी आधारित होता है कि चुनौतियों पर जीत हासिल कर चुके लोग दूसरों. का मार्गदर्शन कर सकते हैं। साथियों का सहयोग मिलना बुआयामी फायदे जैसा है। परीक्षाओं का तनाव साथियों के साथ से आसानी से दूर हो जाता है। 

अनावसयक् डर से दूर रहे --- 

परीक्षा के दिनों में भ्रम और तनाव से दूर रहे। Student व्यर्थ के डर और आशंका से घिर जाते है। अक्सर देखने को मिलता है कि परीक्षाओं के शुरुआती दिनों में परीक्षार्थी अनावश्यक भ्रम व चिंता के का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में दोस्तों की मदद और विचारों  के आदान-प्रदान से समाधान के रास्ते तलाशने में मदद  मिलती है। नतीजतन परीक्षा से जुड़े तनाव से खुद को  के अलग-थलग महसूस करने वालों को सम्बल मिलता है। यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसे दौर में आपके साथियों के  विचारों में जो स्पष्टता मिलती है वह किसी भी परीक्षा कि के पहले काफी मूल्यवान होती है। सही मायने में भावनाओं को व्यक्त करने की जगह,साथियों की ओर. फी से सहयोग मिलना, विचारों और भावों की स्पष्टता को सुलझाने की सुविधा प्रदान करता है। ऐसे आदान-प्रदान॒ से परीक्षाओं के तनाव में खुद के अलग-थलग पड़ने की सोच भी अक्सर कम हो जाती है। अपने दोस्तों का सहयोग परीक्षा के समय तनाव को कम करने में . महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाता ही है। 


 शक्षिक संस्थानों कि भूमिका --  

ऐसे वक्‍त में शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी भी अहम होती है। आपसी सहयोगपूर्ण वातावरण बनाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के प्रयास ज्यादा जरूरी होते हैं। परीक्षार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच आपसी संबंध है। इस बात को पहचानते हुए संस्थानों को छात्र हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसे दौर में संबंधित संस्थान भी परस्पर सहायता कार्यक्रमों से जुड़ें तो छात्रों का एक-दूसरे में भरोसा बढ़ता है। ऐसे में संस्थान इस तरह के शैक्षणिक आदानप्रदान के लिए कोई पृथक से स्थान भी तय कर सकते हैं। साथ ही संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि परीक्षा देने वाले सभी छात्र-छात्राओं को उसके द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सहायता व सुविधाओं की जानकारी है। यह कहा जा सकता है कि परीक्षा के समय आपस में साथियों की अधिक सहायता करना व्यक्तिगत रूप से छात्रों की ही जिम्मेदारी तो है ही, शिक्षण संस्थाओं की भी जिम्मेदारी है कि वे मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने वाले परिवेश को प्राथमिकता दें। मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक सफलता के बीच परस्पर जुड़े हुए संबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में संस्थान छात्रों के समग्र विकास में योगदान कर सकते हैं। न केवल शैक्षणिक चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए छात्रों को तैयार करते हुए बल्कि जीवन में मिलने वाले दूसरे अनुभवों के लिए भी वे मानसिक रूप से तैयार कर सकते हैं। में परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे परीक्षार्थियों से आग्रह करता हूं कि भविष्य की चिंता से जुड़ा तनाव नहीं ओढ़ें। न ही दूसरों की उपलब्धियों से अपनी तुलना करें। किसी दूसरे के मार्ग पर चलने का प्रयास करना पहले से निर्धारित मार्ग का अनुसरण करने जैसा है। इसकी बजाय, अपनी नई दिशा चुनें। आइए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परीक्षा योद्धा' में दिए गए 26 मंत्र की शिक्षा का पालन करते हुए, ऐसे लक्ष्य निर्धारित करें जिन्हें बिना किसी तनाव के पाने के लिए हम आगे बढ़ सकें। क्योंकि कोई भी आदर्श लक्ष्य किसी दबाव से नहीं बल्कि उत्साह व प्रेरणा से प्राप्त किया जाता है। परीक्षाएं नजदीक आने के साथ ही देश 29 जनवरी को इस वर्ष के 'परीक्षा पे चर्चा' संस्करण की बेसब्री से , प्रतीक्षा कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोंदी को छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ अपनी गहरी अंतर्दृष्ट और प्रोत्साहन भाव को साझा करते देखना उत्साह का अपूर्व क्षण होता है। यह एक ऐसे आयोजन में सहभागिता - की सामूहिक उत्सुकता है जो न केवल परीक्षार्थियों की परीक्षा की तैयारी की चुनोतियों का समाधान करता है बल्कि शैक्षणिक यात्रा के लिए प्रेरित उन्हें और सशक्त भी बनाता है। इस चर्चा से निकलकर आने वाले ज्ञान और प्रेरणा की हर बार की तरह परीक्षार्थियों को व्यग्रता से प्रतीक्षा हो रही है। 


शिक्षा के साथ बच्चों कि जिन्दगी सँवार सकते है टीचर --


परीक्षा पे चर्चा का यह सातवां एपिसोड है और हर एपिसोड में तनाव से जुड़े सवाल ज्यादा सामने आए हैं। उन्होंने कहा, हर एपिसोड में विद्यार्थियों के बैच बदलते हैं, शिक्षकों के बैच वही रहते हैं। अगर शिक्षक अब तक के एपिसोड में दिए गए सुझावों पर स्कूलों में अमल करें तो बच्चों में तनाव की समस्या कम की जा सकती है। मोदी ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा, मैं कभी-कभी टीचर्स से पूछता हूं कि आप 30 साल से टीचर है, जो बच्चे पढ़ाई पूरी कर चुके, वे बड़े हो गए होंगे। उनकी शादी हो गई होगी। क्या कोई विद्यार्थी अपनी शादी का कार्ड देना आया? 99 फीसदी टीचर कहते है कि कोई नहीं आया। मतलब आप सिर्फ जॉब करते हैं, विद्यार्थियों से जुड़ाव पैदा नहीं करते। टीचर का काम जॉब करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों की जिंदगी संवारना है। 



ब्लॉग -- प्रेरणा डायरी

Website -- prernadayari.blogspot.com

राइटर -- kedar lal ( K. S. Ligree )