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शनिवार, 30 मार्च 2024

प्रेरणा कि विधियाँ (method of motivation)

 26 july 2023

Hindaun, Rajasthan, 

प्रेरणा कि विधियाँ ( method of motivation) 

दोस्तों, नमस्कार। 

मेरी "प्रेरणादायक डायरी (motivational dayri) मे ,आप  पढ़ रहे है- 'मोटीवेशन" और मोटीवेशन के हर पहलू को जान रहे है। पिछली 17 पोस्टों में हम इस पर चर्चा कर चुके है। पर एक बात जो, जरूरी है आपको बता दिये देता हु। कि हमें मोटीवेशन कि परिभाषा के साथ साथ ही इसे प्रभावित करने वाले कारक। मोटीवेशन के सिद्धान्त। मोटिवेशं की विधियों। आदि को भी समझना जरूरी है।तभी तो आप  प्रेरणा को भलि- भाँति जान पायेंगे, और जितना अच्छा आप किसी चीज को जानेंगे, उतना अच्छा आप सगजेंगे।आज कि पोस्ट में हम बात करेंगे प्रेरणा की विधियों की। आप ये जानेंगे की आखिर वो कौन कौन सी विधियाँ है जो प्रेरणा (motivation) प्राप्त करने मे हमारे लिए मददगार है। आगे बढ़ने से पहले में एक परिभाषा का  उल्लेख करना चाहता हूँ । जो मनोवैज्ञानिक mursell ( p. 116) दी है। मरसेल ने लिखा है। " प्रेरणा यह निश्चित करती है कि लोग कितनी अच्छी तरह से सीख सकते है, और कितनी देर तक सीख सकते है।" यानि आप जितने motivate होंगे उतना अच्छा अधिगम् ( learning) होगा। और ऐसा इन विधियों कि सहायता से किया जा सकता है। प्रेरणा की 7 विधियाँ बहुत लाभकारी सिद्ध हुई है। आईये मैं आपको इन विधियों से परिचित करवाता हु। 


1. रूची (interest) विधि : -----

रूचि (Interest) । ये प्रेरणा प्रदान करने कि प्रथम पहली विधि है। इस Topik "रुचि" के महत्व को मैं पहले भी कई बार इंगित कर चुका हूँ। दोस्तों "सफलता और रूचि दोनों का गहरा सम्बन्ध है । चोली -दामान का साथ है दोनों का । अगर किसी कार्य को आपने शुरू कर दिया और उसमें आपकी रुचि नहीं है। तो आपके सफल होने के चांस  नहीं के बराबर है। एक बालक को भी तभी पाठ याद होता है जब उस पाठ में उसकी रूचि होती है। आप को भी अपने काम में आनन्द तब आयेगा जब उस कार्य में आपकी रुचि होगी। Interest वाला कार्य करने से हमारे उस काम में सफल होने कि संभावना बहुत बढ़ जाती है। अत: आप पढ़ाई , कोई नया कार्य, व्यापार, व्यवसाय करते समय उसी को चुनें जिसमें आपका interest है। तो आप नि श्चित तौर पर सफल होंगे। यकीन रखें। 

मैं एक परिवारिक मित्र के बेटे का उदाहरण देता हूँ। उनके बेटे राकेश ने 12 पास करके नीट (NEET) कि तैयारी को फैसला किया।  बिना गंभीर विचार विमर्श के इतना बड़ा फैसला लिया।बिना अपनी रुचियों को जाने किया। और इस आधार पर किया कि पेरेन्ट्स ऐसा चाहते हैं। जबकि राकेश कि रूचि इसमें नहीं थी। आजकूल अच्छे कोर्सों में एडमिशन लेना भी स्टेटस कि बात हो गयी है, बहुतो के लिए तो । स्वयं पेरेंट्स को अपने बच्चों को रुचियों के आधार पर अपना करियर और कार्य क्षेत्र चुनने कि इजाजत देनी चाहिए । अब राकेश का जो हाल है- ना वो neet कर पाया , और ना ही उसके पास अपनी पसंद का काम शुरू करने का सपोर्ट और संसाधन रहे।इस समय वो तनावग्रस्थ जीवन जी रहा है । उसका करियर इसलिए खराब और बर्बाद हो गया, क्युकी उसने अपनी रुचियो को अंदेखा किया। दूसरों के कहे अनुसार अपने निर्णय लिए।और आज भी खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे उन विषयों को अपने आध्यन के लिए चुन लेते है, जिनमें उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है...! अब बताये आप की कैसे motivation/प्रेरणा प्राप्त होगी...?और कैसे सफ़लता (success) प्राप्त होगी...? , 

दोस्तों रुचि विधि इसी बात पर बल देती है। कि आप जो कार्य करें उसमें अपनी रुचियों को प्राथमिकता दें। रुचि हमें प्रेरित कर सफ़ल बनाती है। रुचि से आपके अंदर प्रेरणा(motivation) कि भावना जाग्रत होती है। और रुचि और प्रेरणा का जहाँ मिलन होता है, वहाँ आनन्द ही आनन्द होता है। अर्थात सफ़लता ही सफ़लता। मैं आज आपको सफ़लता का एक सूत्र/tips/टिप्स देता हूँ। इसे हमेसा अपने minde में सैट रखें--

रूचि + प्रेरणा = 100% सफ़लता । 

Interest + motivation =100% success

I. M. S. Formula 

तो आपको अपनी पढाई, अपना पाठ्यक्रम अपनी रूचि के आधार पर तय करना है। आपको अपना करोबार (business) रुचि के आधार पर तय करना है। आपको अपना वयवसास रुचि के आधार पर चुनना है, इससे आपको प्रेरणा प्राप्त होगी। 



दोस्तों अब मैं आपको लिए ले चलता हूँ आज कि हमारी विधि जो है सफ़लता विधि। 

 

2. सफ़लता (success) 


यह प्रेरणा प्रदान करने कि दूसरी बिधि है। और प्रेरणा के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें बालक को सफलता के लिए प्रोत्साहित किया जाता है उसे सफलता उसका महत्व, प्रभाव आादि कि जानकारी देकर उसे खुद अपने कार्य या पढ़ाई में सफल होने के लिए प्रेरित करते है। दोस्तो एक बार सफलता मिलने पर आप आगे अधिक बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि पहली छोटी सफलता ने आपको उत्साहित और प्रेरित कर दिया है। दोस्तो एक बालूक या कोई व्यक्ति जिसे आप सफल होते देखना चाहते हैं तो आप उसे लगातार सफलता प्राप्त करने के लिए Motivation देते रहे ।मनोवज्ञानिक Frandsem ( p.222) फ्रेडसन इसके महत्व को इस्पट करते हुऐ कहते है कि "" सीखने के सफल अनुभव अधिक सीखने, कि प्रेरणा देते हैं""। सफलता विधि इसी प्रकार की प्रेरणा लेने पर बल देती है। एक साथ बड़ी सफलता हासिल करने के स्थान पर आप कोशिक करे छोटी छोटी सफ़लता अर्जित करने की। 

आप ये करें कि "पहले छोटी-छोटी सफलता हासिल करें फिर बड़ी सफलता का आनन्द लें" (K. S. Ligree quots) मैं स्टूडेन्ट और यूथ का ही एक पढ़ाई से सम्बन्धित उदाहरण देकर स्पष्ट करता हूँ, ताकि आप ● अपनी छोटी- छाटी सफलताओं का महत्व समझे ! मान लिजिए आप comption कि तैयारी का रहे है ( कोई भी कम्पीटीशन - RAS, teacher police , Bank, LDC, forest Agricul etc. तो आप इस जल्दबाजी में रहते है कि बस एक बार फटाफट पढ़ डालू जो भी है और कोई भी । कैसी भी बुक लाकर बिना सिलेबस देखे शुरू कर देते है। आप जिस भी परीक्षा, Exam, com pition, प्राइवेट सेक्टर Job कि तैयारी कर रहे हैं उसका सिलेबस लाए और कोशिश करें कि  सिलेबस सम्बन्धित बेबसाइट से लें। जैसे आप RAS, Teachr भर्ति कि तैयारी कर रहे तो RPSC कि साइट से सिलेबस लें। पूरे सिलेबस को ध्यान से पढ़े | 2-3 बार पढ़े ! और पूरे सिलेबस को तीन भागों में बाट ले। और पहले भाग के पहले टोपिंक को क्लीयर कर लें। जब तक टॉपिक एकदम 100% क्लीयर ना हो तब तक अगले टॉपिक पर ना जाए

पूरा अच्छे से समजे ।उसके बाद अगले टॉपिक पर जाएँ। फिर अगले पर | फिर अगले पर | इस तरह करने पर आपको खुद महसूस होगा कि तरीका एकदम अच्छा है । पूरे सिलेबस का पहला भाग / frist part अच्छे से तैयार होने का अहसास होते ही   आपका confidence बढ़ गया। अपका जोश बढ़ जाएगा गया। आपको अपने उत्साह में वृद्धि दिखाई देगी। और इसका असर भी नजर आएगा। आप इसरे भाग को अधिक जोश और रूचि के साथ तैयार करणे | क्योकि आपको पहले कि भाग कि छोटी सी सफलता से प्रेरणा (motivatian) मिल गयी। न केवल अब आपके सिलेबस का दूसरा भाग और जल्दी तैयर्  रोगा बल्कि आपको याद भी अच्छा होगा । और कुछ माह में ही आपका सिलेबस तैयार मिलेगा ।इसी प्रकार आप नौकरी का उदाहरण ले सकते है की  आप RAS कि तैयारी कर । रहे है। राजस्थान प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते है। दोस्तो आप गौर करना कि अन्य, बहुत ऐसी exam होंगी जिनमें 30 से 50 सिलेबस वही है जो RAS में है! अत: RAS के साथ आप अन्य छोटी (कम ग्रेड पे ) Job के लिए एप्लाइ करे जैसे  teacher, LDC, police, आदि। आप ईमानदारी रखेंगे तो सफल होने के चांस हैl  और ये छोटी सी सफलता आपको बड़ी सफलता तक पहुॅचायेगी। आपके बड़े लक्ष्य तक पहुँचा देगी। क्यूकि आप अपनी छोटी से सफलता से बड़ी सफलता हासिल करने के लिए मोटीवेट हो गये । आपको मोटीवेशन मिल गया ।पहली  सफलता मिलते ही आपका जोश और उत्साह बढ़ गया ।अब आप इस जोश और को अपनी दूसरी बड़ी सफलता कि और अग्रसर कर सकते हो। मोटीवेशन कि सफलता विधि हमे यहीं सम झाने का प्रयास करती है। 


3. प्रतिद्वन्दिता(compitition) :----


दोस्तों प्रेरणा प्रदान करने कि तीसरी सबसे महत्वपूर्ण विधि है  Compitision कि भावना | यानी student हो या अन्य व्यक्ति उसको प्रतियोगिता में भाग लेकर अपने लक्ष्य के प्रति प्रेरित किया जाता है।  इस विधि के स्तेमाल में महत्वपूर्ण बिन्दु यही है प्रतियोगिता करते वक्त सामने वाले प्रतियोगी के विरुद्ध आपके मन में कोई दुर्भावना नहीं आनी चाहिए तभी वह कम्पीटीशन कि श्रेणी में रहेगा ।अन्यथा सम्बन्ध खराब होने के pureपास है । आज का वातावरण, सामाजिक तानाबान कुछ प्रतियोगिता न करके दुस्मनी शुरू करते पड़ौसी, रिश्तेदार, यार दोस्त जो हमसे आगे निकल रहा है (चाहे को होग में) तो हमें उससे स्वस्थ प्रतियोगिता करनी है, वो भी तब जब ऐसा उसके साथ करना उपयुक्त हो तब । आप अपने साथी छात्र के  साथ प्रतियोगीता रखते है तो अपने विचार उसके प्रति सकारात्मक और स्वस्थ रखे। हम साथी प्रतियोगी के लिए अपने मन में नफरत पाल लेते हैं। या कहे कि धीरे धीरे हमारी प्रतियोगिता कि भावना, बुराई कि भावना में बदल जाती है। मेरी प्रेरणा दायक डायरी" पढ़ रहे मेरे प्यारे पाठको को में बताना चाहता हु कि आप चाहे पढ़ाई कर रहे हैं या नौकरी कि तैयारी कर रहें है या व्यापार कर रहे है ।  आप अपने अन्दर कम्पीटीशन कि भावना रखिए । Motivation और सफलता के लिए यह बहुत जरूरी है। पर आप अपने जिस मित्र या परिचित के साथ प्रति 'योगिता रखते है उससे अपने सम्पर्क अच्छे  रखें। उसको इज्जत दे । उसके गुणों और खुबियों को जाने । अमल करने लायक हो उन पर अमल करें। कोशिश करें कि उससे ज्यादा बड़ी सफलता प्राप्त करें । उससे बड़े और उच्च पद पर पहुंचे। पर शुद्ध भावना के साथ | तभी जाकर आपका कार्य सिद्ध होगा । एक हमारे बीच का उदाहरण लेकर समझते है। मान लिजिए आप RAS या शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहें है । और aapke साथ पड़ोसी का बेटा हेमंत भी तयारी कर रहा है। वो आप से कम पढ़ता है, स्कूल भी ज्वाइन कर रखा है, परिवार के काम भी करता है, लेकिन फिर भी उसका सलेक्शन हुआ और आप पिछड़ गये । अब आपने कुंठा ग्रस्त होकर उसकी बुराइयाँ शुरू कर दी। गली में आलोचना करने लगे । आपने यह नहीं देखा कि आखिर कैसे उसने इतने कम समय में, इतना सब मैनेज किया और exam क्लीयर  किया । उसकी अच्छी बात को आपने सींखा नहीं। सुवस्थ प्रतियोगीता नहीं रहने के कारण  उल्टे रिलेशन भी गड़बड़ा गये । दोस्तो हमारी सफलता में कम्पीटीशन किभावना का बहुत बड़ा Role है | यह हमें प्रेरणा (Motivation) देती है। अत: अपने अन्दर स्वस्थ प्रतिद्धन्द्धिता का विकास करें। 



4. सामाजिक कार्यों में भाग (Participation In Social Work) :------


प्रेरणा प्रदान करने कि अन्य महत्वपूर्ण विधियों में "सामाजिक कार्यों में भाग" विधि खासी महत्वपूर्ण विधी है। हालाकि यह विधि अदिकतर् स्कूली छात्रों के लिए प्रयुक्त होती है। इस विधि में बालको को सामाजिक वातिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान किये जाते हैं । ये अवसर motivation (प्रेरणा), अदिगम्( learning ) के साथ साथ उनके मान सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सहायता देते फलस्वरूप वे अपने कार्य को अधिक उत्साह से करते हैं। अंतः शिक्षक को बालको को सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के अधिक के अधिक अवसर देना आवश्यक है। सामाजिक गतिविधियाँ अनुभव प्रदान करने के साथ-साथ आत्मसम्मान कि भावना भी जाग्रत करती है, और आत्मसमान्न की भावना व्यक्ति को सफल और कामयाब बनाने के प्रमुख औज़ारों में शामिल है। 

इस बिन्दु के अन्त में' मैं सामाजिक गतिविधि के महत्व को समझाने के लिए प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक frandsen के कथन का उल्लेख करना चाहूँगा। फ्रैंडसन् (Frandsen, P.233 और P. D.पाठक ( P.214 )  "बालको और युवको को प्रेरणा देने कि सबसे प्रभावशाली विधि है उनको उन अर्थ पूर्ण सामाजिक कार्यक्रमों में रचनात्मक कार्य करने के अवसर देना, जिनको व्यक्ति और समाज दोनो महत्व पूर्ण समझतें है। 


5. प्रशंसा (praise) :----


प्रेरणा प्रदान करने कि एक अन्य महत्वपूर्ण विधि है प्रशंसा । अर्थात जब एक छात्र युवा या कोई व्यक्ति अच्छा कार्य करें तो उसकी प्रशंसा करना । प्रशंसा प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण कारक है। प्रसंसा व्यन्ति को जल्दी प्रेरित करती है। प्रशंसा छात्र का कार्य के प्रति जोश और उत्साह बढ़ा देती है। प्रशंसा से बालक को प्रेरणा मिलती है। खुद देखा और महसूस किया होगा कि किसी छोटी क्लास के बच्चें या अपने परिवार के किसी औसत बच्चे कि सब बच्चों के सामने अच्छी तारीफ करते हुए, आप प्यार से, उसे सहलाते हुए बोले मेरा बेटा कितना होशियार है, कितना प्यारा है। सब बच्चों से अच्छा है। एक या दो दिन तारीफ, प्रशंसा करें। और फिर उस बच्चे कि एम्टिविटी पर नज़र रखे | आपको निश्चित ही बच्चे मे परिवर्तन  नज़र आाएगा कि वह बालक पढ़ाई ढंग से कर रहा है। और इन्ट्रेस्ट के साथ कर रहा है। लेकिन prasnsa को अगर आप प्रेरणा के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो फिर वह कारगर तब है जब उसे आप कई महीनों तक प्रशंसा प्रदान करके प्रेरित करे। हम मुश्किल से एक हफ्ता प्रशंसा नही कर पाएगे कि फिर निकम्मा और नालायक बता देगे | बच्चे कि कई बार प्रशंसा करें। कई महीनों तक करते रहे उसके बाद उसकी प्रेरणा कि राह आसान हो जायेगी। प्रशंसा एक इंसान को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। जैसे आप को  RPSC के कम्पीटीशन कि तैयारी करनी  हैं। और मैं आपका टीचर हूँ । आप जब मुझे मिलते हैं मैं मुस्कुरा कर आपकी पढाई की तारीफ कर देता हूँ "बहुत मेहनत कर रहे हो बेटा बार आपकी तैयारी शानदार है। इस बार आप जरूर सफल होगें। में अगर कुछ दिनों तक रोज आपस मुस्कुरा कर यहीं दिन में दो बार भी,  बोलू तो फिर आप ही बताइये कैसा लगेगा आपको ! एकदम सही कहा आपने | अच्छा लगेगा। बल्कि बहुत अच्छा फील होगा | आप अपने काम/पढ़ाई को तेजी से एवं के साथ करगे । आप हमेशा इस प्रसंशा का हकदार बनना चाहोगे | आपकी प्रशंसा ने आपको 'मोटीवेशन" (प्रेरणा) प्रदान की है।। प्रशंसा के रूप में मिला ये Motivation आपको कामयाबी तक ले जाता है । 


6. खेल विधि  (play-way- Method ) :--


यह छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से उपयोगी विधि है। इस विधि से बच्चों को अधिगम् (hearn) भी करवाया जाता है साथ ही खेलों के माध्यम से प्रेरणा भी प्रदान की जाती है। बच्चों को खेल के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने चाहिए। खेलों के द्वारा बालको  में सामाजिक भावना का भी विकास होता है। एवं शारीरिक तथा मानसिक है विकास को बल मिलता है। आधुनिक युग में हेनरी काल्डवेल कुक ने खेल विधि को सबसे पहले प्रस्तुत किया। लेकिन इसे दुनिया में लोकप्रिय बनाया " फ्रेडरिक फोबेल मे अत: इस विधि के जन्मदाता जर्मनी के शिक्षाशास्त्री फ्रोबेल को ही माना जाता है। 

7. परिणाम का ज्ञान ( Knowledge of Result)

 

प्रेरणा देने कि महत्वपूर्ण विधि है। इस विधि मे बालक   को पाठ्य विषय के परिणाम से परिचित करवाया जाता है। आप उससे किस प्रकार सांभावित रोगे । आप जो पढ़ना चाहते है उसका परिणाम क्या होगा ? उसका ज्ञान किस प्रकार आपके लिए उपयोगी होगा। यह बात अपको भलि-भांति समझाइ जाती है। एक सच्चे एवं कुशल teacher का  भी ये दायित्व बनता है कि जहाँ तक सम्भव हो उसे छात्रों को ये अच्छी प्रकार समझाना चाहिए कि जो पाठ्यसामग्री आप पढ़गे, उस से आप किस प्रकार लाभान्वित होगे। में एक उदाहरण देकर समझाता हूँ । मान लेते है, आप 12 class या फिर B.A. II Year स्टूडेन्ट है। आपने Geography को विषय के रूप में चुना है। या Moths को चुना है। मैं. (K.S. ligree ) आपका भूगोल विषय का अध्यापक हु । अब एक योग्य शिक्षक के नाते मेरा यह फर्ज़ बनता है। और ये मेरा दायित्व भी है कि उस विषय कि पाठ्यवस्तु पर आपके साथ पूरी चर्चा करू | उसके सभी पक्षों को आपको समझाऊ । पाठ्यक्रम  के गुण दोशों पर चर्चा करू । मुझे आपको यह समझाना पड़ेगा कि इस पाठ्य विषय से आपको किस प्रकार का ज्ञान प्राप्त होगा। और आप कैसे इस ज्ञान का उपयोग अपने भविष्य में कर सकते। वर्तमान में तो यह भी बताना जरूरी है कि यह पाठ्यक्रम आपके कैरियर निर्माण में किस प्रकार से सम्यक हो सकती है। आप से पाठ्यक्रम पढ़कर किस प्रकार कि नौकरियाँ और जॉब प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात विषय को प्रारम्भ करने से पहले में आपको उसके परिणामों कि पूरी जानकारी दूँगा। एक स्वस्थ चर्चा आपके साथ करुगा | उससे आपको यह लाभ रोगा कि पढ़ने से पहले ही । कार्य को प्रारंभ  करने से पहले ही | आप परिणामों से परिचित हो जाएगे। और आपको उस विषय से सम्बन्धित फैसलों को लागू करने में सुविधा होगी। आप खुद ये तय कर पाएंगे कि अमुक विषय पढ़ना मेरे लाभदायक है या नुकशान दायक । दोस्तो आपने देखा होगा कि किसी कार्य को शुक करने से पूर्व ही हमें उसके परिणामों (Result) की जानकारी होती है, और यदि अच्छे परिणामों को  आपने समझा है तो फिर आप उस कार्य को Motivation के साथ करेंगे ।  आपको कार्य के Result से पहले ही यह लगने लग जाएगा कि मैं इस कार्य में सफल हो जाऊंगा। क्योंकि आपको विषय के अच्छे परिणाम और उसके गुण दोषो कि पूर्व जानकारी है। इस  प्रेरणा के साथ ही आपने यह यि विषयवस्तु और कार्य आरम्भ किया था। 

दोस्तों 'परिणामों' का ज्ञान" हमें शिखने (learning) कि प्रेरणा देता है। प्रसिद्ध मनोबेज्ञानिक वुडवर्ष  - Woodworth (P.328) पर इस के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहते है कि "प्रेरणा परिणामों के तात्कालिक ज्ञान से प्राप्त होती है। in english " Motivation comes from the Immediate knowledge of Result"l 

दोस्तो, इसके अतिरिक्त सामूहिक विधि, आवश्य ज्ञान विधि और कक्षा का का वातारण प्रमुख विधि है, जो  प्रेरणा प्रदान करने में न प्रयुक्त होती है - 


8. कक्षा का वातावरण  (Classroom environment ) 

 

ये प्रेरणा प्रदान करने कि अंतिम महत्वपूर्ण विधि है। यह विधि भी विद्यालयी छात्रों के लिए प्रउच्क्त होने वाली विधि है , जो कक्षा कक्ष के वातावरण पर निर्भर विधि है। इसमें कक्षा के माहौल को सीखने लायक और खुशनुमा बनाया जाता है। अच्छे माहौल से छायों को अपने पाठ्यक्रम को समझने, याद करने ,सीखने  कि प्रेरणा मिलती है। फ्रैंडसन (Fransen p. 208) ने। इसके समर्थन में ठीक ही कहा है वो कहते हैं कि 

"अच्छा शिक्षण प्रभावशाली प्रेरणा के लिए शिक्षण सामग्री से सम्पन्न, अर्थपूर्ण और निरन्तर परिर्वतन कक्षा कक्ष के वातावरण पर निर्भर करता है। 

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने प्रेरणा प्रदान करने वाली विधियों के बारे में जाना और समझा है। प्रेरणा को पढ़ने के साथ-साथ समझने कि भी जरूरत है। और प्रेरणा को समझने के लिए इसके प्रकार, विधियाँ और प्रेरणा को प्रभावित करके वाले कारकों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। 


धन्यवाद। 

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